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मेरे पडोसी अंकित और पंकज ने मेरी चूत फाड़ डाली
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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम प्रियंका है और में कोलकाता की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, मेरी हाईट 5 फुट 4 इंच की है। में एकदम गोरी हूँ और मेरा फिगर साईज 37-29-39 का है और काले बाल है। ये बात तब की है जब मेरे पाप मम्मी 4 दिन के लिए गाँव जाने वाले थे, वो लोग सुबह ही निकल गये थे।

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अब घर में सिर्फ में और कामवाली बाई ही थी। फिर में बाई को बोलकर नहाने चली गई, जब करीब 10 बजे होंगे और मेरे घर के सामने 2 लड़के किराए पर रहते थे, में उन्हें सिर्फ़ नाम से जानती थी। उनका नाम था अंकित और पंकज था।

हाँ तो में नहाने गई थी और मुझे पता ही नहीं चला और बाई मुझे बताए बगैर अपना काम करके चली गई। अब कामवाली बाई भी 3-4 दिन तक नहीं आने वाली थी। फिर जब में नहाकर बाहर आई तो मैंने घर शांत पाया। उस टाईम में सिर्फ़ टावल में थी और मैंने टावल के सिवाय कुछ नहीं पहना था।

फिर में दरवाजा खुला देखकर सबसे पहले दरवाजे के पास गई और उसे बंद किया। फिर मैंने कामवाली बाई को आवाज़ लगाई और उसे ढूँढने किचन में गई तो में जैसे ही किचन से पहुँची तो में अंकित से टकराई तो में एकदम से चौंक गई और हकलाते हुए बोली कि तुम इधर कैसे? और अपना टावल संभालने लगी, तभी पंकज ने मुझे पीछे से कसकर पकड़ लिया।

अब मुझे पता चल गया था कि अब क्या होने वाला है? अब पंकज का एक हाथ मेरे बूब्स पर था और दूसरा हाथ मेरे पेट पर था। अब वो उसके हाथ से मेरा टावल बूब्स से नीचे उतार रहा था। अब अंकित मेरे थोड़े से खुले हुए बूब्स देख रहा था और पंकज पीछे से अपना लंड मेरी गांड पर सटा रहा था। आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

फिर मैंने कहा कि तुम दोनों यहाँ से चले जाओ, नहीं तो में शौर मचाऊँगी। फिर अंकित ने कैमरा निकालकर हँसते हुए मुझे धमकी दी कि वो मेरी नंगी वीडियो इंटरनेट पर डाल देगा और मुझे चुप रहने के लिए कहा। फिर पंकज ने मुझे उठाया और कहा कि तू अकेली ही क्यों नहाती है?

हम भी तेरे साथ नहाएँगे और वो मुझे फिर से बाथरूम में ले गये। फिर पंकज और अंकित ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मेरा टावल निकालकर मुझे भी नंगा कर दिया। अब वो दो और में नंगे ही बाथरूम में थे।

फिर पंकज ने सीधे ही मेरे बूब्स को जोर से दबाया और सीधा अपने मुँह में लेकर आआहह आआहह करके चूसने लगा और बोलता रहा वाह क्या रसीले बूब्स है तेरे प्रियंका? फिर अंकित मेरे पीछे गया और अपने करीब 8 इंच लंबे और 4 इंच मोटे लंड को मेरी गांड से सटाकर ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगा और बोल रहा था क्या मस्त सॉफ्ट-सॉफ्ट, गोरी-गोरी गांड है आआआहह?

फिर अंकित ने पंकज से बोला कि यार अब तो 3 दिन मज़ा ही मज़ा है लूटो। अब में भी उसके लंड की गर्मी महसूस कर पा रही थी, अब पंकज मेरे बूब्स को चूस रहा था और मेरी चूत पर अपना हाथ घुमा रहा था। अब वो दोनों एक दूसरे के हाथ हटाते हुए बारी-बारी से मेरी चूत पर अपना हाथ घुमा रहे थे। फिर पंकज ने शॉवर स्टार्ट किया तो वो दोनों और में पूरे गीले हो गये। अब अंकित मेरे पीछे चिपका हुआ था और पंकज मेरे सामने खड़ा होकर आगे बढ़ रहा था।

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फिर जैसे ही उसका लंड मेरी चूत पर टच हुआ तो में थोड़ी पीछे हटी तो पीछे से अंकित का लंड मेरी गांड में और दब गया। अब पंकज मुझे आगे से दबाता हुआ आगे बढ़ रहा था। अब में पंकज और अंकित के बीच में दब गई थी और ऊपर से शॉवर भी चालू था। अब मुझे ठंड और गर्मी दोनों का बड़ा मजा मिल रहा था।

फिर वो दोनों मिलकर मुझे साबुन से नहलाने लगे और इसी तरह से मेरी बॉडी का हर अंग मज़े से इन्जॉय करने लगे। फिर मैंने भी साबुन लेकर उनके लंड पर लगाया और बराबर घिस-घिसकर रगड़ा। फिर उन्होंने मुझे मेरे बेड पर लेटा दिया और फिर वो लोग मुझे चाटने लगे।

पहले वो दोनों मेरे बूब्स को चाटते हुए मेरे पेट से मेरी चूत तक चाटते तो कोई मेरे बूब्स को दबा रहा था तो कोई मेरी चूत को चाट रहा था। अब में भी इन्जॉय कर रही थी और आआआआआआअहह आाआईईईईईई की सिसकियां ले रही थी। अब जब भी वो दोनों मेरे बूब्स दबाते और चाटते तो मेरी सीईईई आआआआह ऊऊऊऊओह की आवाज़े निकल रही थी। आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

फिर अंकित बोला कि आज तो मज़ा आ गया प्रियंका, अब हम तेरा 3 दिन तक मजा लेंगे और ये कहते ही वो दोनों हँसने लगे। अब में भी उन दोनों को इन्जॉय करना चाहती थी। फिर अंकित मेरी जांघो पर चढ़ गया और उसका बड़ा सा लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा जैसे कि वो अपने लंड को उकसा रहा हो।

फिर तभी पंकज ने मेरे दोनों पैर पकड़े और उन्हें झटके से फैला दिया और अंकित ने अपना लंड मेरी चूत में डालना शुरू किया। अब वो बहुत ही धीरे-धीरे 2-2 इंच कर अपना लंड डाल रहा था, लेकिन जब वो अपना लंड 2 इंच अंदर डाल चुका था, तो वो रुक गया और फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और फिर झटका देकर अपना लंड अंदर डाला तो इस बार उसका 4 इंच लंड अंदर चला गया।

अब इस दौरान पंकज मेरी छाती पर चढ़ गया और अपना लंड मेरे दो सॉफ्ट रुई जैसे गोरे-गोरे बूब्स के बीच में बुरी तरह से रगड़ने लगा।

अब पंकज मेरे दोनों बूब्स को साईड से दबाता और अपने लंड को बीच में रगड़ रहा था। तो उधर अंकित अपना लंड अंदर डालकर अपना पूरा लंड झटके से बाहर निकाल रहा था। अब वो जैसे ही झटके से अपना लंड बाहर निकालता तो मेरे अंदर सनसनी फैल जाती और में आहह आअहह की आवाज़ निकालती।

फिर पंकज ने अंकित को कहा कि मुझे इसकी गांड का मजा लेना है। फिर अंकित बोला कि लेकिन में अभी झड़ा नहीं हूँ, तो अंकित ने बेड पर लेटकर अपना लंबा लंड सीधा पकड़ा और मैंने उसके लंड को अपनी चूत में धीरे-धीरे घुसाया और सीधी अंकित पर लेट गई।

अब अंकित मेरी चूत और बूब्स दोनों का मजा ले रहा था। फिर जैसे ही में अंकित पर लेट गई तो मेरी गांड ऊपर की तरफ हो गई और फिर पंकज मेरी सॉफ्ट गांड पर अपना हाथ और अपना लंड घुमाने लगा। अब में अपनी गांड ऊपर नीचे करके अंकित के लंड को अंदर बाहर कर रही थी। अब पंकज भी मजे लेने के लिए मेरी गांड के ऊपर आ गया था। आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

फिर जैसे ही मेरी गांड ऊपर होती तो उसका लंड मेरी गांड से टकराता और फिर वो धीरे-धीरे मेरी गांड को अपने लंड से दबाता हुआ नज़दीक आ गया। फिर में थक गई तो पंकज ने सीधा अपना लंड मेरी गांड में घुसाना स्टार्ट किया तो में जोर चिल्लाई और अंकित ने मुझे लिप्स पर चूमना शुरू कर दिया और अपने हाथों से मेरे बूब्स मसलने लगा।

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अब में पंकज और अंकित दोनों का मजा बन गई थी और अब वो दोनों मेरा पूरा उपयोग कर रहे थे। फिर हम तीनों थक गये और अब दोपहर हो चुकी थी और मुझे भूख भी लगी थी, वो दोनों अपने साथ खाना भी लेकर आए थे। फिर हमने एक सोफे पर बैठकर खाना खाया और वापस से बिस्तर पर चले गये।

फिर पंकज बोला कि में प्रियंका को डॉगी स्टाइल में चोदूंगा, तो पंकज ने मुझे कमर से पकड़ा और घुटनों पर बैठा दिया और में आगे की तरफ झुक गई और डॉगी स्टाइल में आ गई। अब मेरे हिप्स फैल गये थे और ये देखकर पंकज ने उतावला होकर मेरी गांड से अपना बड़ा सा लंड ऐसे सटा दिया कि पूछो मत।

अब वो मेरी गांड पर बहुत ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड रगड़ रहा था और अब अंकित भी अपना लंड मेरे मुँह में घुसाकर उसे अंदर बाहर करने लगा था। फिर पंकज ने मेरे झूलते हुए बूब्स को दबाया और अपना लंड घुसाना चालू किया। अब वो जैसे ही अपना लंड अंदर डालता और मेरे बूब्स दबाता तो मुझे बहुत मजा आने लगता।

अब में आआआहह आआआईईई की आवाज़े निकालने लगी थी। अब अंकित तो मेरे मुँह में ही झड़ गया था और पंकज भी झड़ने की तैयारी में था। फिर पंकज ने भी अपना सारा पानी मेरी गांड पर ही झाड़ दिया और अपने लंड से मेरी पूरी गांड पर फैरने लगा। आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

अब दोपहर के 3 बज चुके थे और अब हम तीनों थककर चूर हो गये थे इसलिए हम तीनों वापस से बाथरूम में जाकर गर्म पानी के शॉवर के नीचे नहाए और फिर सीधा बेड पर जाकर नंगे ही सो गये। फिर पंकज ने अपने दोनों पैरो के बीच में मेरी एक जांघ दबाई तो अंकित ने मेरी दूसरी जांघ दबाई। अब उन दोनों के लंड मेरी साईड पर चिपक गये थे।

अब उन दोनों के सिर मैंने अपने हाथों में दबाए थे इसलिए उनका मुँह मेरे बूब्स के पास था और फिर वो दोनों मुझे जकड़कर सो गये। फिर शाम को हम उठे और सोफे पर बैठकर टी.वी देखने लगे और टी.वी देखते देखते भी में कभी उनके लंड को दबाती तो कभी वो मेरी चूत पर अपना हाथ फैरते और कभी मेरे बूब्स दबाते।

फिर हम तीनों रात का खाना ख़त्म करके वापस से बेड पर चले गये। अब हम लोग वापस से थोड़ा-थोड़ा मजा लेने लगे थे और फिर में बेड पर सीधी लेट गई और अंकित और पंकज कहीं से तेल लेकर आए। फिर अंकित ने मुझे उल्टा लेटा दिया और मेरी गांड पर बैठ गया।

फिर उसने तेल की धार मेरी पीठ पर डाली और अपने हाथों से तेल को मेरी बॉडी पर लगाते हुए मेरी गांड पर आया। अब मेरी गांड पर तेल ऐसा लग रहा था कि पूछो मत। उसका हाथ वहाँ से छूटने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर मेरी गांड पर तेल लगाने के बाद उसने मेरी जांघो पर भी तेल रगड़ा।

फिर पंकज ने मुझे सीधा किया और मेरी चूत पर अपना लंड रखकर बैठ गया। फिर उसने तेल की धार मेरे बूब्स पर गिराई और फिर बहुत देर तक मेरे बूब्स पर तेल की मसाज करता रहा, आअहह क्या आराम मिल रहा था मसाज का? फिर वो धीरे-धीरे मेरी चूत के पास आया और अपने हाथ में तेल लेकर पूरा तेल मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर तेल लगाया।

फिर अंकित बेड पर लेट गया और मैंने भी उसकी तेल मालिश की और फिर पंकज की भी तेल मालिश की। फिर में बेड पर लेट गई तो पंकज ने मुझे अपनी तरफ किया और मुझसे चिपककर चूमने लगा। अब वो अपना लंड मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा था।

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अब में पंकज से तेल की वजह से चिपक गई थी और उधर अंकित मेरे पीछे चिपका हुआ था और अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ने लगा था। फिर हम तीनों लाईट ऑफ करके सो गये। आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

फिर सुबह जब में उठी तो मैंने देखा कि अंकित नींद में मेरे सीधे बूब्स को दबा रहा था और पंकज ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली हुई थी और मेरे लेफ्ट बूब्स को अपने मुँह में ले रखा था और में पंकज की तरफ मुँह करके लेटी हुई थी।

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अब बस इसी तरह से हम तीनों 3 दिन तक थोड़ा-थोड़ा मजा लेते रहे। अब जब भी किसी को मेरे बूब्स चूसने का मन होता तो वो चूसता और में उनके लंड चूसती और कभी वो मेरी चूत पर अपना हाथ फैरते और सोफे पर बैठकर मजे करते। फिर एक दिन तो हम तीनों ने बाथ टब में ही सेक्स का भरपूर मजा लिया ।।

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