देसी कहानियाँ पढ़ सीखा जिस्मानी सुख का मज़ा

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दोस्तों मैं चुदाई को लेकर कभी इतना नहीं तड़पा जीतन मैं कुछ महीने पहले तड़पने लगा था |

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मैंने कुछ महीने पहले ही कभी नयी किताबों में तो कभी इन्टरनेट पर देसी कहानियाँ पढ़ना चालू कर दिया था जिसमें कुछ कहानियाँ बस रोमांटिक ही पढता और ज्यादा से ज्यादा सेक्स कहानियाँ पढता करता था | मैं एक मर डोर औरत के बीच के जिस्मानी सुख को हमेशा भोगने के बारे में सोचने लगता था | अब कहते हैं जो अब्न्दा जैसे सोचता है और करता है वो वैसा ही हो जाता है और मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जिसका मैं तो बना ही और अब मैंने अपनी गर्लफ्रेंड का शिकार भी कर डाला | मैंने अपनी प्रेमिका को देसी कहानियाँ में सब कुछ पढ़ा उन्हें सेक्स के लिए पटाना सीख लिया था |

एक दिन मैंने प्लान बनाया और उसे अपने घर के पीछे वाले सुनसान मार्केट में मिलने को कहा | दोस्तों वो मार्केट दिन में ही लगता था और शाम तक ६ बजे के करीब पूरा खाली हो जाता और किसी बत्ती ही सुविधा न होने के कारण हमेशा अँधेरा भर और सुनसा ही रहा करता था | अब तक मैं अपनी  को कामुक बातें कर और उसे मर्दाना आभाव देकर किसी हद्द तक चुदाई के पढाव तक तैयार कर चूका था | जब वो शाम को आई तो वहाँ उससे बात करने का सवाल बनता ही था | मैंने वहीँ उससे कुछ ही पल में होठों को चूमना शुरू कर दिया और वो भी बखूबी सहयोग दे रही थी | वो मेरी बाहों में आती हुई मुझसे तंगी ही हुई थी और खूब गरमा भी चुकी थी |

मैंने उसे अब वहीँ सीमेंट की एक पुलिया पर लिटा दिया और उसे चुमते हुए नंगी करने लगा | मैं उसकी जांघ को सहलाते हुए उसके स्कर्ट और सलवार को उतार उसके चुचों को चूसने लगा | वो बस आःह्ह अहहह कर अपनी आँखें मीचे हुई थी रो दर पे दर मदहोश होती चली गयी | मैंने कुछ पल में ही उसे पूरा नंगी कर दिया था और और वहीँ अब जसी तरह किसी देसी कहानियाँ में पढ़ा था बिलकुल वैसे ही उसकी चुत की फांकों में ऊँगली भी कर रहा था | उसकी सांसें तेज होने लगी वो अपने आपको सभालने की हालत में नहीं थी और मैं भी अपनी उंगलियां तेज़ी से अंदर बहार करने लगा था | मेरा भी लंड पूरा तन चूका था और मैं भी वहीँ कपडे उतार खुद भी नंगा हो गया हो और अपने लंड को निकाला और उसकी चुत में अंदर देने लगा जिसपर उसकी पहले तो चींखें निकलने लगी और वो ज़ोरों  से कस कस के रोने लगी |

मैंने देखा की ज़बरदस्त तरीके से उसकी चुत से खून निकल रहा था और पूरी पुलिया खूनम – खान खो चुकी थी | मैंने अब थोड़ी देर सबर का बाँध बाँधा और फिर धीरे अब उसकी चुत बिलकुल चुदासी हो चुकी है | अब जब मैंने फिर उसकी चुत में हौले – हौले उसकी चुत में अपने लंड को डाला तो उसे दर्द नहीं हो रहा था ज्यादा | उसे मज़ा आ रहा था और मुझे गुदगुदी उठ रही थी | मैंने जिस तरह देसी कहानियाँ में पढ़ा सुना था अब वैसे ही उसकी चुत को पेल रहा था | हम दोनों एक दूसरे के उप्पर नंगे चुत चुदाई का मज़ा ले रहे थे |

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मेरा मुठ निकलने को गया था १० मिनट में ही और मैं पूरी साव्धानैसे फिर अपने लंड को निकाला और वहीँ खड़े हुए अपने हाथ में मसलने लग और उसके चुचों को भीगा डाला | अब तो मेरी गर्लफ्रेंड भी कतई चुदासु हो चुकी है और च्यूंकि उसकी कुंवारी चुत है तो उसे मेरे लंड के बैगेर कभी चैन ही नहीं आता है |