शिखा भाभी का सीधा देवर

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शिखा भाभी हमारे किरायेदार मोनू भैया की वाइफ थीं, जब उनकी और मोनू भैया की शादी हुई थी तब मैं छोटा था, छोटे से मेरा मतलब है मुठ मारने की उम्र में था. पहले ही दिन से मैं शिखा भाभी का दीवाना हो गया था औरइसका कारण था उनकी स्माइल, बाकि सब पर तो मेरी नज़र तब गयी जब भाभी ने मुझे वो सब दिखाना शुरू किया. मोनू भईया से शिखा भाभी का ब्याह हुए पांच ब्बरस बीत चुके थे और उनके कोई औलाद नहीं थी शायद इसी फ्रस्ट्रेशन में मोनू भैया अब भाभी से कटे कटे रहने लगे थे और ये सबको दीखता था क्यूंकि वो ना तो घर वक़्त पर आते और लम्बे लम्बे टूर पर भी चले जाते. एक दिन भैया जब टूर पर गए हुए थे तो मुम्मी नने मुझे आवाज़ लगा कर कहा “बेटा जा शिखा भाभी के पेट में दर्द है उन्हें हॉस्पिटल ले जा” मैंने थोड़ी आनाकानी करते हुए शिखा भाभी को हॉस्पिटल ले गया, सारी जांचें हुई लेकिन कुछ ना निकला और तो और शिखा भाभी ने आते समय रस्ते में गोलगप्पे भी खाए मेरे मना करने पर भी.

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घर पर उन्हें वापस लाया तो मेरी मान ताला लगा कर कहीं चली गयी थी, शिखा भाभी गाना गुनगुनाते हुए ऊपर जा रही थी तो उन्होंने मुझे बुलाते हुए कहा “संजू मम्मी के आने तक तू ऊपर ही आ जा, वैसे भी बाहर रहेगा तो अवरागिर्दी ही करेगा”. मैं उनके पीछे पीछे ऊपर चला गया, घर में जा कर शिखा भाभी ने रौशनी हवा के लिए खिड़कियाँ खोलने के बजाए ए सी ऑन कर दिया और नाईट बल्ब जला दिया. मैंने ट्यूब लाइट जलाई तो उन्होंने बंद करवा दी और फिर से गाना गुनगुनाने लगी, मैं शिखा भाभी को ही देख रहा था अचानक उन्होंने अपनी साड़ी उतारनी शुरू की और गाना गुनगुनाते हुए उस साड़ी का फंदा बना कर मेरे गले में दाल दिया और अपनी तरफ खींच कर बोली “संजू मैं तुझे कैसी लगती हूँ” मैंने घबरा कर कहा “अच्छी ही लगती हो” वो हंसी और बोली “अब इसका क्या मतलब है”.

मैंने कुछ नहीं बोला तो उन्होंने अपना पेटी कोट सरका दिया और ब्लाउज के हुक खोलने लगी, मेरे पसीने उतर रहे थे लेकिन मैं अब उन्हें किसी और नज़र से देखने लगा था. शिखा भाभी ने पूछा “अब कैसी लग रही हूँ” तो मैंने हिम्मत कर के कहा “सेक्सी” बस उन्होंने ये सुना और आकर मेरे चेहरे को थाम लिया और ख़ुशी से मेरे होंठों को चूना शुरू कर दिया, मेरे तो जैसे अंधे के हाथ में बटेर लगने वाली स्थिति हो गई थी क्यूंकि उन्हें याद कर कर के तो मैंने मुठ पहले भी मारी थी लेकिन शिखा भाभी खुद मेरे आगोश ममें थी तो क्या करता. मैंने उन्हें पागलों की तरह चूमा, वो सोफे पर जा कर लेट गयी तो मैंने उनके पूरे बदन पर चुम्मों की बौछार कर दी शिखा भाभी का भरा हुआ बदल इस उम्र में भी किसी चमन से कम नहीं था क्यूंकि एक तो उनके बच्चे नहीं हुए थे और दूसरा भैया उनसे दूर रहते थे.

भाभी नए अपनी चूत को भी मेन्टेन कर रखा था ना तो कोई बॉस और ना ही बाल,  वो बिलकुल किसी शादीशुदा अप्सरा सी लग रही थी जब मैं उन्हें चूम रहा था तो मैं उनके मंगल सूत्र पर आ कर अटक गया वो समझ गयी और उन्होंने मंगल सूत्र के साथ सब कुछ उतार दिया. अब शिखा भाभी सिर्फ मेरी थी और मैं उनका, शिखा भाभी ने मुझे कहा “तुमने पहले कभी किसी को चोदा है” मैंने ना में सर हिलाया तो बोली “आज चोदना लेकिन पहले एक काम करो मेरी चूत को गर्म करो” मैंने जैसा पोर्न में देखा था मैंने उनकी चूत में अपनी एक ऊँगली पेल कर अन्दर बाहर करना शुरू किया और साथ ही साथ अपनी जीभ भी वहां चलाता रहा. शिखा भाभी ज़ोर ज़ोर से सिस्कारियां ले रही थी, मेरी जीभ का जादू चल निकला था और पहली बार मैंने किसी चूत का स्वाद चखा भी तो वो मेरे सपनो किरानी शिखा भाभी थी.

थोड़ी देर चूत चटवाने के बाद जब शिखा भाभी की चूत नए गर्म हो कर पानी छोड़ा तो उन्होंने मेरी पेंट उतार कर मेरी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को मुंह में ले लिया और बोली “ये तो पहले ही गर्म तलवार हो रखा है” और इतना कह कर वो सोफे पर अधलेटी हो गयी और मैं उनके ऊपर छा गया. मेरा लैंड मुठ मारने के कारण थोडा दुबला ज़रूर था लेकिन लम्बाई पट्ठे की पूरी थी और इसीलिए मैं दो झटकों में अपना लंड शिखा भाभी की चूत के हवाले कर दिया, मेरे धक्के धीरे धीरे चल रहे थे तो उन्होंने कहा “संजू मेरी जान धक्के ज़ोर से तो लगा”. बस आर्डर मिलते ही मैंने अपनी गांड हिला हिलाकर रेलगाड़ी चला दी और शिखा भाभी ज़ोर ज़ोर से “उई दैया लंड है या हथौड़ा मैं मरर ना जाऊं स्नाजू तू मेरी जान है मेरी चूत ना फाड़ देना प्लीज़ और ज़ोर से कजर पर धीरे धीरे” ऐसे चिल्लाने लगी.

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मैं चोदता  रहा और वो चिल्लाती रही, थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे सिंगल वाले सोफे पर बिठाया और खुद सोफे के हत्थों पर अपनी  जांघें रख कर बैठ गयी मेरे लंड पर और बोली “आज देखती हूँ तेरी बाजुओं में कितना दम है” मैंने उन्हें लिफ्ट किया और यहाँ मेरी जिम की मेहनत काम आ गयी हालाँकि वो खुद भी उछल रही थी लेकिन मुझे भी उन्हें उठाना पड़  रहा था. इस वाली पोजीशन से हम दोनों ने दो से चार मिनट भी ना लगाये झड़ने में, शिखा भाभी की चूत मेरे वीर्य से लबरेज़ थी और जब मैंने कहा “आप प्रेग्नेंट हो जाओगी” तो उन्होंने कहा “उसी के लिए तो करवा रही हूँ” और तभी परदे के पीछे से मोनू भैया निकल कर आए और मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे थैंक्स कहा. मैं माजरा समझ तो गया था लेकिन मेरी फटी पड़ी थी, उस दिन के बाद अक्सर मोनू भैया शिखा भाभी को अपने ही सुपर विज़न में मुझसे चुद्वाते और एक दिन भाभी के पैर भारी हो ही गए. मोनू भैया ने सबको पार्टी दी और उनकी स्पेशल पार्टी में भी मुझे ले गए जहाँ उन्होंने अपनी साली से मेरी दोस्ती करवाई उसका नाम नीना था और वो भी अव्वल दर्जे की चुदैल थी.