बड़ी चूच वाली बुआ और बड़ा लण्ड वाला भतीजा

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हैलो, मैं वर्तमान में भुसावल में रहता हूँ लेकिन मूल रूप से गांव से करता हूँ। मेरी फैमिली में मेरी मॉम-डैड छोटा भाई.. एक छोटे चाचा और दादी हैं।

अब मैं अपने बारे में बता हूँ.. मेरी उम्र 19 साल है, कद 5 फुट 8 इंच.. रंग साफ है दिखने में आकर्षक हूँ, मैं बी.एससी. कर रहा हूँ। दिखने में मैं काफी स्टाइलिश और क्यूट हूँ..
मेरे को जरा गदराई और भरी हुई शादी-शुदा महिलाएं पसन्द हैं.. क्योंकि जब वो चलती हैं.. तो चूतड़ और बड़ी चूच बहुत बाउन्स करते हैं। ना जाने क्यों मेरी फैमिली की सभी महिलायें मुझको बहुत प्यार करती है.. और मेरी बहुत केयर करती हैं।

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जब एक सुबह अचानक मेरे दादा जी की मृत्यु हो गई.. उस वक्त वो गांव में थे.. और दादी ने उस समय हमें कॉल किया.. तो हम सब जल्दी से अपनी पैकिंग करके यु.पी के लिए निकल पड़े।

उस रात 12 बजे हम सब यु.पी वाले घर पहुँचे। घर में सब लोग थे.. दादी.. बड़ी दादी छोटी दादी.. राखी बुआ चाची.. चाचा फूफा जी मतलब सब लोग थे।

हम सब जाते ही वहाँ दादी के पास बैठ कर बहुत देर तक खूब रोए। उसके बाद थोड़ी देर बाद जब माहौल कुछ शांत हुआ तो सबने तय किया कि कुछ देर आराम कर लेते हैं.. कल दाग देने जाना है।

तो जब शाम की तैयारी करने लगे। मेरी सभी बुआ और चाचियाँ मुझसे बातें करने लगीं कि और कैसा है.. क्या चल रहा है.. पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है। लेकिन मेरी राखी बुआ मेरे कुछ ज्यादा नज़दीक थीं और होती भी क्यों नहीं.. मैं बचपन में बुआ की  गोदी में खेला भी था..

हम सब सोने लगे.. लेकिन लोग ज्यादा होने की वजह से बिस्तर कम पड़ने लगे थे.. तो दादी ने बोला- दो जने एक साथ में सो जाओ। तो राखी बुआ और मैं साथ में सोए और बाकी सब भी 2-2 के ग्रुप में लेट गए, नाईट बल्ब रोशन कर दिया गया, सब सो गए.. ठंड थोड़ी ज्यादा थी.. तो मैं राखी बुआ से चिपक गया।

राखी बुआ ने मेरी तरफ पीठ की हुई थी। में उसी तरफ अपना मुँह करके लेट गया। मेरा बड़ा लण्ड बुआ के चूतड़ों से बिल्कुल चिपका हुआ था। मुझको थोड़ा सा अजीब सा लगा.. तो मैं थोड़ा सा पीछे को हो गया.. लेकिन मेरे दिमाग में थोड़ी देर बाद कुविचार आने लगे।

दोस्तो, ना जाने मुझमें क्या प्राब्लम है .ज्यादा सोचने से मेरा लौड़ा हार्ड हो गया था और मैंने लोवर पहना हुआ था.. तो वो तंबू बन गया और राखी बुआ के दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में जाने लगा। मैं और पीछे को हुआ.. तो राखी बुआ और भी मेरे नज़दीक आ गईं। मेरा बड़ा लण्ड बुआ की  मोटी गाण्ड के बीच में बुआ के कपड़ों के ऊपर से फंसता चला गया।

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अब मैं भी नहीं हिला.. उसके बाद अपने आप मेरा हाथ बुआ के पेट पर चला गया और उन्होंने भी मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया जैसे एक पति पत्नी सोते समय रख लेते हैं वैसे ही हाथों की स्थिति हो गई।

हमारे इस खेल को शुरू हुए लगभग 15 मिनट हो गए थे। मेरा बड़ा लण्ड बुरी तरह से सख्त हो चुका था.. तो मैंने अपना हाथ राखी बुआ के पेट से हटा कर बुआ के चूतड़ों पर रख दिया था और धीरे-धीरे बुआ के चूतड़ों को दबाने लगा। साथ ही बुआ की  गर्दन में किस करने लगा।

कुछ पांचेक मिनट राखी बुआ ने मेरा हाथ हटाया और मेरी तरफ मुँह किया और मेरे गाल पर एक किस किया और धीरे से बोला- किशोर.. अभी नहीं प्यारे ये सही टाइम नहीं है.. टाइम आने दे.. उसके बाद आराम से करेंगे ओके. मैंने सोचा कि हाँ यार राखी बुआ सही बोल रही हैं अभी सब हैं बाद में करेंगे और ये मौका भी गम का है..

अगले दिन सब उठ गए थे.. पर मैं लेट उठा.. क्योंकि सफ़र से थक गया था। राखी बुआ ने उठाया और बोलीं- किशोर.. उठ कब तक सोएगा.. अब उठ जा…उन्होंने मेरे सर पर एक किस कर दिया मैंने आँख खोली.. तो देखा कि राखी बुआ चाय लेकर खड़ी थीं।

मैंने चाय ली और राखी बुआ मुस्कुरा कर चली गईं.. बुआ की  मुस्कुराहट थोड़ी सेक्सी थी, मैं समझ गया कि वो कातिल मुस्कान रात की हरकत की वजह से आई है।

उसके बाद मैं उठ कर फ्रेश होने चला गया और आया तो राखी बुआ बोलीं- किशोर नहा ले.. पानी गर्म हो रखा है और कपड़े और अंडरगार्मेंट्स भी रख दिए हैं।
मैं बोला- राखी बुआ मैं उतारे हुए कपड़े अन्दर ही रख दूँगा.. आप ले लेना।
वो बोलीं- ठीक है..

उसके बाद मैं नहा कर निकला.. तो राखी बुआ ने मेरे को कपड़े दिए और नाश्ता भी दिया।
अब राखी बुआ मेरे सारे काम करने लगीं.. जैसे मैं उनका पति होऊँ.. और वो मेरी बीवी हों।

उसके बाद उस दिन दोपहर में मैं और राखी बुआ बातें कर रहे थे तो राखी बुआ ने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैं बोला- नहीं राखी बुआ.. मैं इन चीजों से दूर रहता हूँ।
तो राखी बुआ मुस्कुरा दीं और हम लोग इधर-उधर की बातें करने लगे।
इस बीच में मैं राखी बुआ को गाण्ड और बोबों पर छूता जा रहा था। मेरे हर बार छूने पर राखी बुआ मुस्कुरा देती थीं।
थोड़ी देर बाद राखी बुआ अपने काम करने चली गईं।

रात को राखी बुआ उसके बाद मेरे साथ सोईं.. और आज घर में बस घर वाले लोग ही रह गए थे। मेरे और राखी बुआ के आस-पास कोई नहीं था। आज उसके बाद हम दोनों एक ही कंबल ओढ़ कर सोए थे और आज राखी बुआ ने उसके बाद मेरी ओर पीठ की हुई थी।

कुछ ही देर मैं मैं राखी बुआ के मोटे चूतड़ दबाने लगा था, बुआ की  गाण्ड दबाने से बहुत मजा आ रहा था।

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थोड़ी देर कूल्हे दबाने के बाद मैंने अपना हाथ बुआ के पेट पर रखा और उनका नरम और गर्म पेट पर हाथ घुमाते हुए बुआ की  चूचियों पर ले गया। उनका कुर्ता टाइट था.. तो मैंने किसी तरह जोर लगा कर उसे ऊपर किया और बुआ की  ब्रा के ऊपर से बुआ के बड़ी चूच दबाने लगा।

हाय.. कितना मजा आ रहा था बुआ के बड़ी चूच दबाने में.. मैं बता नहीं सकता आपको..
उसके बाद मैंने बुआ की  ब्रा को ऊपर करके बुआ के ठोस मम्मों को दबाने लगा.. अय.. हय.. क्या मस्त मजा आ रहा था।

मैं अपना हाथ नीचे बुआ की  सलवार पर ले गया.. उनका नाड़ा खोलने लगा।
नाड़ा बहुत कसा बंधा हुआ था.. तो राखी बुआ ने पेट को जरा अन्दर को लिया.. तो मैंने नाड़ा खोला और उनको सीधा कर दिया। उसके बाद बुआ की  सलवार के अन्दर हाथ डाल कर पैंटी पर से बुआ की  चूत सहलाने लगा।

तभी राखी बुआ ने मेरा सर पकड़ा और अपने मम्मों पर रख दिया। मैं बुआ के मम्मों को चूसने लगा। वो मेरे सर पर हाथ घुमाने लगीं.. थोड़ी देर बाद मैंने मेरे बड़ा लण्ड पर कुछ महसूस किया.. हाथ लगाया तो देखा कि वो राखी बुआ का हाथ था। उसके बाद राखी बुआ मेरे लौड़े को आगे-पीछे करने लगीं।
आह्ह.. क्या नरम-नरम स्पर्श था..

उसके बाद मैं मम्मों को छोड़ कर राखी बुआ की चूत के पास आ गया, बुआ की  पैंटी तब तक पूरी गीली हो चुकी थी।
मैंने बुआ की  पैंटी और सलवार पूरी तरह से खींच कर उतार दी और बुआ की  टाँगों को फैला कर बुआ की  चूत को चाटने लगा था।
बुआ की  चूत पर छोटे-छोटे बाल उगे थे.. जैसे अभी कुछ दिन पहले ही दुकान साफ़ की हो।

उसके बाद मैंने क़रीबन 15 मिनट तक बुआ की  चूत चाटी.. इस बीच वो पानी निकाल चुकी थीं। उसके बाद उन्होंने मेरे को ऊपर खींचा.. किस किया.. और लिटा दिया। मेरा लोवर और अंडरवियर निकाल कर मेरे बड़ा लण्ड को पागलों के जैसे चूसने लगीं..

उनको देख कर लग रहा था कि जैसे बहुत दिनों से बड़ा लण्ड की प्यासी हों। दस मिनट में मेरा पानी निकल गया और राखी बुआ वो सारा पानी पी गईं। उसके बाद मेरा बड़ा लण्ड ढीला पड़ने लगा मगर राखी बुआ ने मेरे बड़ा लण्ड को चूसना नहीं छोड़ा और दो मिनट बाद मेरा बड़ा लण्ड उसके बाद खड़ा हो गया।

अब राखी बुआ मेरे बड़ा लण्ड को अपनी चूत के छेद पर टिका कर एकदम से बैठ गईं.. जिससे मेरा पूरा बड़ा लण्ड बुआ की  भट्टी जैसी गर्म चूत में घुसता चला गया। दोनों के मुँह से एक मीठी सीत्कार निकली और बस मजे के दरिया में गोटा लग गया।

दो मिनट बाद राखी बुआ ने बड़ा लण्ड को अन्दर ही रखा.. जैसे बड़ा लण्ड को अन्दर महसूस कर रही हों।

कुछ पलों बाद राखी बुआ मेरे ऊपर कूदने लगीं.. काफ़ी देर तक ये धकापेल चली। कभी राखी बुआ मेरे ऊपर.. कभी मैं बुआ के ऊपर.. राखी बुआ बार बार अकड़ जाती थीं.. तो मैं ऊपर आ जाता था.. उसके बाद मेरे कुछ ही धक्कों बाद.. वे मोर्चा संभालने ऊपर आ जाती थीं।

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अंत में मैं ऊपर था तो जैसे ही मेरा निकलने को हुआ.. तो मैंने राखी बुआ से बोला- राखी बुआ.. आ रहा हूँ।
राखी बुआ ने बोला- आ जा.. अन्दर ही छोड़ दे.. तो मैंने अपना सारा माल राखी बुआ की चूत में ही छोड़ दिया।

राखी बुआ भी झड़ चुकी थीं और वे निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गईं। मैंने राखी बुआ से पूछा- राखी बुआ आपका टोटल कितनी बार निकला.. तो राखी बुआ बोलीं- तूने मेरे को मार ही दिया.. मैं तो पता नहीं कितनी बार झड़ी हूँ।

राखी बुआ ने मेरे को किस किया और बोलीं- किशोर आई लव यू.. तेरे फूफा जी ने कभी मेरे को इतना मजा नहीं दिया.. जितना तुमने आज मेरे को दिया.. मैं आज से तुम्हारी.. जब भी तुम्हारा मन करे.. मेरे पास आ जाना.. मेरी चूत अब तुम्हारी हुई..

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उसके बाद आज भी मेरे को जब भी मौका मिलता है.. तो मैं राखी बुआ को चोद देता हूँ।