बस में अंकल ने मम्मी को सेड्युस किया

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एक बार हम लोग पटियाला से अमृतसर सुपर फास्ट बस में जा रहे थे. बस एकदम भरी हुई थी और और मम्मी को आगे से छठी या सातवीं रो में तीसरी सिट मिली थी. मैं पीछे खड़ा हुआ था और मेरे साथ कुछ लड़के खड़े हुए थे. जैसे ही बस पटियाला से निकली मुझे लगा की पीछे मेरी गांड पर कुछ गरम गरम टच हुआ. मैंने टाईट जींस और शर्ट पहनी हुई थी. मुझे कोई प्रॉब्लम जैसा नहीं लगा क्यूंकि बस एकदम भरी हुई थी और मैं उतनी स्योर भी नहीं थी की पीछे जो टच हुआ वो किसी का डिक ही था.

बस के पहले स्टॉप के जाने के बाद मैंने हाथ पीछे कर के उस चीज को टच की तो मेरे हाथ में सच मुच ही एक लंड आ गया. मैंने एकाद मिनिट उसे पकड़ने के बाद उसे छोड़ दिया जैसे की कुछ हुआ ही ना हो.

मम्मी की बगल में जो आंटी बैठी थी उसका उतरने का स्टॉप आया तो मम्मी ने मुझे बुला लिया. अब मैं तिन की सिट में बिच में बैठी थी. जो आदमी मेरे पीछे था और जिसका लंड मैंने पकड़ा था अब वो मेरी मम्मी के पास आ के खड़ा हो गया. और साले की पेंट में उसका खड़ा हुआ लंड भांपा जा सकता था. मेरा लंड भी खड़ा हो चूका था. वो ऊपर खड़े हुए मेरी मम्मी के क्लीवेज को झाँक रहा था क्यूंकि उसने एक लो कट वाला ब्लाउज पहना था. और बस में उसकी साडी इधर उधर होने से उसका क्लीवेज एकदम साफ़ साफ़ दिख रहा था. मम्मी की उम्र 42 साल हे और उसके बूब्स बड़े ही मस्त हे. मैं हमेशा अपनी मम्मी को लोगों द्वारा सेड्युस होते देखना चाहता था. और शायद आज वो मौका आने को था.

और फिर अगले स्टॉप पर मेरी मम्मी और मेरे पास बैठा हुआ आदमी भी उठ गया. मैं विंडो पर, मम्मी बिच में और वो खड़े लंड वाला आदमी मम्मी के पास बैठ गया. उस आदमी के पास एक झोला था जिसे उसने अपनी गोदी में रखा हुआ था. बस में अब अँधेरा होने लगा था और ड्राईवर ने हलकी हलकी लाईट ओन कर दी थी. फिर उस आदमी ने झोले के निचे से हाथ उठा के मम्मी के हाथ को टच कर लिया. मम्मी ने झट से अपना हाथ पीछे कर लिया.

फिर अँधेरा और भी बढ़ गया और बस अभी भी खिचोखीच ही थी. उस आदमी ने अब सोने की एक्टिंग करते हुए अपने हाथ को मम्मी की गोद में रख दिया. और उसका हाथ मम्मी की दोनों टांगो के बीचोबीच ही था. मम्मी ने कुछ रिस्पोंस नहीं किया और फिर धीरे से उसके हाथ को हटा दिया. अब वो हाथ मम्मी के दुसरे तरफ टच करने लगा था.

और मैंने देखा की मम्मी भी मजे ले रही थी अब तो. उसकी आँखे बिच बिच में बंद होती थी. और वो आदमी अपने हाथ से मेरी मम्मी की मोटी जांघो को सहला रहा था अपने झोले के निचे से. मम्मी चुपचाप मजे ले रही थी थी इस देहाती अंकल के साथ में. अब उसने अपने झोले के निचे से ही मम्मी की साडी पर हाथ रख दिया. छाती और निपल्स को वो पिंच कर रहा था. मैंने सोने की एक्टिंग की थी. लेकिन खिड़की के ग्लास में जो आकार बन रहे थे वहां पर मुझे सब कुछ दिख रहा था उस बात से मम्मी और ये अंकल अनजान थे. वो आदमी मम्मी के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके बूब्स को ग्रोप और फोंड्ल करने लगा था. फिर उस आदमी ने मम्मी के नंगे पेट के ऊपर अपने हाथ को रखा और वो धीरे से मम्मी की बेली बटन तक जा पहुंचा.

फिर वो आदमी मम्मी के साथ बातें करने लगा और उसे इधर उधर का पूछने लगा. और फिर वो लोग बातें करते हुए एक दुसरे से मजे कर रहे थे. उस आदमी ने अपनी ऊँगली को मम्मी की साडी से होते हुए चूत तक में घुसा दी. साले ने पेंटी को साइड में कर के सटीक अंदाज से अपनी फिंगर को चूत का छेद दिखा दिया. मम्मी हलके हलके से मोअन कर रही थी जो मुझे सुनाई दी ध्यान उन्के तरफ ही होने की वजह से.

उन दोनों को पता ही नहीं था की मैं सब देख रहा था. फिर उसन आदमी ने मम्मी के कान में कुछ खुस पूस की. मम्मी की ब्लाउज को उसने साडी के अन्दर ही खोला और बूब्स को दबाने लगा. मम्मी फिर उस आदमी की गोदी में सो गई. आदमी ने अपने झोले को उसके माथे पर रख दिया. मम्मी उस आदमी के लंड को चूस रही थी. रात के गहरे अँधेरे में सिर्फ लाल रौशनी पड़ रही थी हम लोगो के ऊपर. बस में खड़े हुए लोग अब बस दो तिन थे और वो भी हमारी सीट से काफी दूर दूर. और मम्मी ऐसे एक्टिंग कर ले लंड चूस रही थी जिस से ऐसा लगा की वो सो रही थी. और उस वक्त किसी अनजान के लिए तो हम तीनो एक ही फेमली के मेम्बर जैसे थे. मम्मी की अंडरवेर में ही अंकल का हाथ था. और फिर मम्मी ने अपने मुहं से उसके लंड को निकाल दिया.

अमृतसर के आने के पहले मम्मी ने मुझे उठाया. मैंने आँखे मसल दी जैसे की मैं नींद से जागा था. निचे उतर के अंकल ने हम दोनों को बाय कहा. मम्मी ने कहा तुम यही रुको मैं दवाई ले के आती हूँ. मम्मी मेडिकल से एक ठेली में व्हिस्पर ले के आ गई. मम्मी फिर लेडिज बाथरूम में चली गई.

मुझे दाल में कुछ काला लगा. मैंने एक चक्कर लगाया तो इस लेडिज बाथरूम की खिड़की दिखी मुझे. उसका एक ग्लास टुटा हुआ था. मैं ऊपर चढ़ गया और अन्दर देखने लगा. अंदर का सिन एकदम ही सेक्सी था. वो अंकल जो बाय बोल के गया था पता नहीं साला कैसे उस बाथरूम के अन्दर ही था. और उसने अपने लंड को निकाल के रखा हुआ था. वो निचे फर्श के ऊपर नंगा बैठा हुआ था. उसका चहरा खिड़की के बाजू था. और मेरी मम्मी की गांड. मम्मी उसकी गोदी में चढ़ के बैठी हुई थी और उसके लंड को उसने अपनी चूत में लिया हुआ था.

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मम्मी अपनी गांड को हिला हिला के लंड को अपनी चूत में ले रही थी. और वो अंकल कस कस के बूब्स को सक करते हुए मम्मी की चूत मार रहा था.

कुछ देर ऐसे उछलने के बाद अंकल के सामने अब मेरी मम्मी घोड़ी बन गई. अब उस अंकल ने अपने बड़े लंड को मम्मी की गांड में डाल दिया. मम्मी अह्ह्ह अह्ह्ह करती गई और वो उसकी गांड को पेलता रहा.

पांच मिनिट मम्मी की गांड चोदने के बाद उसने अपना माल अंदर ही निकाला. मम्मी खड़ी हुई और अपनी चूत के ऊपरव्हिस्पर सेट कर के कपडे पहनने लगी. अंकल ने कहा, मेरी कोठी यही अमृतसर में है, कभी टाइम निकाल के आओ फुल मजे दूंगा.

मम्मी ने अपना मोबाइल नम्बर उसे दिया और बोली की मैं आउंगी कुछ दिनों में.

मैं खिड़की से हट गया. मम्मी बहार आई और बोली, चलो अब ऑटो पकड के नानी के घर जाते हे!