रात गहराने लगी थी। राज और जय बदहवासी में भागते हुये एक सरकारी मकान के अहाते में कूद पड़े। दोनों की सांसें धौंकनी के समान चल रही थी। फिर भी वे भागते हुये घर के पिछवाड़े में पहुँच गये। मकान में अन्दर की ओर खुलता हुआ एक दरवाजा था। दोनों दबे पांव अन्दर आ गये। अन्दर का दरवाजा भी खुला हुआ था।
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राज ने कमरे में झांक कर देखा। टीवी चल रहा था पर कमरे में कोई नहीं था। तभी उनके कानों में बाथरूम से किसी औरत के गुनगुनाने की आवाज आई। दोनों ने एक दूसरे को इशारा किया और राज पलंग के नीचे छुप गया। तभी घर के से बाहर पुलिस सीटी बजाती हुई निकली। जय ने खिड़की से झांक कर बाहर देखा। पुलिस के साये अंधेरे में दूर जाते हुये नजर आ रहे थे। जय भी कमरे के एक कोने में दुबक गया। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला। राज के सामने दो नंगे पांव नजर आ रहे थे। उसे किसी जवान लड़की के होने का संकेत मिला।
तभी रिवॉल्वर की नाल पलंग के नीचे दिखी, “तुम जो भी हो बाहर आ जाओ वर्ना गोली मार दूंगी!”
राज की रूह कांप गई। वह चुपचाप पलंग के नीचे से निकल कर सामने आया। सामने एक बेहद सुन्दर जवान लड़की रिवॉल्वर लिये खड़ी थी। एक तौलिया उसके वक्ष के उभारों से लिपटा हुआ कूल्हों तक जा रहा था। वो कुछ और कहती उसके पहले ही पीछे से जय ने लपक कर उसकी रिवॉल्वर छीन ली। छीना-झपटी में उसके शरीर पर लपेटा हुआ तौलिया अचानक ढीला हो गया और नीचे गिरने लगा। राज ने लपक कर तौलिया पकड़ लिया और उसे फिर से लपेट दिया।
“राज, गिरने दे तौलिया…. जवान लौंडिया है …. जरा देखने का मजा तो लें!”
युवती घबरा सी गई। सम्भलने की कोशिश में तौलिया उसके हाथ से फिसला और नीचे गिर गया। उसका चमकीला नंगा बदन ट्यूब लाईट की रोशनी में दमक उठा। दोनों के बदन टनटना उठे।
उसे देखते ही दोनों की आखों में एक वासना भरी चमक आ गई। जय ने तो उसे पीछे से पकड़ ही लिया। उसका लण्ड कड़क होने लगा था। राज भी हुस्न के इस आक्रमण को नहीं झेल पाया और वो सामने से उससे लिपट गया। पहले तो लड़की छटपटाई पर कुछ नहीं कर पाने की अवस्था में उसने अपने आप को उन दोनों के हवाले कर दिया।
“देखो …. मुझे नोचना मत …. जो करना है आराम से कर के मुझे छोड़ दो!” युवती के मुख से एक कराह सी निकली। दोनों को अपनी इस जानवरों जैसी हरकत पर शरम आने लगी।
“सॉरी, आपको नंगा देख कर हमारा मन ललचा गया।”
“ऐसा हो जाता है … पर जो करना हो आराम से करो…. हां, तुम दोनों भाग क्यूँ रहे हो….?” अचानक युवती का स्वर बदल सा गया। उसके स्वर में अब कोमलता का पुट आ चुका था।
राज जरा नाजुक दिल का था सो सहानुभूति पा कर उसकी रुलाई फ़ूट पड़ी, “हमारी गर्ल फ़्रेण्ड ने रात को हमें घर पर बुलाया था। पर उस के सामने वाले फ़्लेट में एक खून हो गया। पुलिस छानबीन करने आयी तो हम डर गये। हम पीछे की खिड़की से कूद कर भाग निकले और पुलिस वाले हमें ही कसूरवार मान कर हमारे पीछे पड़ गये!”
“मेरा नाम काजल है…. तुम यहाँ बिल्कुल सुरक्षित हो…. अब घबराओ नहीं…. जो हुआ उसे भूल जाओ!” काजल ने सहानुभूति से कहा।
“रिवॉल्वर हाथ में हो तो कोई घबराता है? … और आपकी हमदर्दी का मेरे पर कोई असर नहीं होने वाला … मैं तो आपको चोद कर ही रहूँगा!” जय बोल पड़ा।
“बड़ा आया …! … है इतनी हिम्मत तेरे में?” काजल ने आंखे तरेरते हुये उसे जवाब दिया।
“क्या…. साली को देख तो…. अभी बताता हूँ ….!” कह कर जय ने उसे अपनी तरफ़ घुमाया और उसे दबोच लिया। वो एक बेबस चिड़िया की तरह फ़ड़फ़ड़ाने लगी। तभी दोनों के मोटे लण्ड उसके सामने आ गये।
“ले, थोडा मसल दे इन्हें वर्ना ये रिवॉल्वर चल जायेगा।” काजल ने डर कर दोनों के मोटे मोटे लण्ड थाम लिये और मुठ मारने लगी।
दोनों मस्ती में झूम उठे।
“कभी एक साथ दो लंड पकड़े हैं? …. थोडा कस के …. हाँ, ऐसे!”
काजल बड़े यत्न से दोनों के लंड पर मूठ चलाने लगी।
“अब मुंह में ले … और प्रेम से चूस!”
काजल को उनके लण्ड मुंह में लेने पड़े। वह कभी जय का लण्ड चूसती और कभी राज का लण्ड। दोनों के चूतड़ आगे-पीछे होने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे वे काजल का मुख चोद रहे हो।
तभी काजल को अपनी गांड पर लण्ड छूने का अहसास हुआ।
“राज, तू इसकी गांड मार…. मै साली की चूत को बजाता हूं….” काजल दोनों के बीच में सेण्डविच हो गई थी। उसने अपने आप को एडजस्ट करते हुए अपनी टांगे चौड़ी कर दी। काजल मन ही मन उनसे चुदने की तैयारी कर चुकी थी। पर थोड़ा नाटक करना भी जरूरी था। दो दो लण्ड उसके शरीर की सतह पर फिसल रहे थे, उसके जिस्म पर यहा वहां ठोकरे मार रहे थे। उसकी चुदाई की इच्छा बढ़ती जा रही थी।
“तुम एक बेबस लड़की के साथ यह सब कर रहे हो …. देखना मैं तुम्हे इसकी सजा जरूर दिलवाऊंगी। …. आह्ह!”
जय का लण्ड काजल की चूत पर दस्तक दे रहा था. … उधर राज का लण्ड भी उसकी गाण्ड में घुसने की कोशिश कर रहा था। काजल ने अपनी गांड भींच रखी थी। जब जय का लण्ड उसकी चूत में घुस गया तो काजल ने अपनी गाण्ड ढीली की। गाण्ड ढीली होते ही राज का लण्ड अन्दर घुस गया।
काजल का मन हरा हो गया। उसने एक आनंद भरी सीत्कार भरी। उसके दोनों छोर पर लण्ड घुस चुके थे। वो अपने चूतड़ हल्के से हिलाने लगी।
“आह …. देख, साली फुदक-फुदक कर चुदवा रही है! उह्ह्ह्….। लगता है ये भी मजे ले रही है….”
“ऊईईईईई…. दो-दो एक साथ घुसा दिए…. सालो, फ़ाड़ ही डालोगे क्या?”
दोनों के लण्ड जोर मारने लगे और काजल चुदने लगी…. काजल एक साथ दोनों तरफ़ से कभी नहीं चुदी थी। उसका यह पहला अनुभव था…. वह भी तैयार हो गई … चुदाई का पूरा मजा लेने के लिए!
“राज, अब मुझे इसकी गाण्ड मारने दे…. तू इसकी चूत का मज़ा ले ….!” जय ने प्रस्ताव रखा। राज तुरन्त मान गया और वे पोजिशन बदलने लगे। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया।
“कौन है….?” काजल ने ऊंची आवाज में कहा।
“हेड कांस्टेबल सुरजीत सिंह रिपोर्टिंग, मैडम!” जय ने तुरन्त लपक कर रिवाल्वर उठा लिया, “ये तो पुलिस वाली लगती है!!! देखो, मेरे हाथ में रिवॉल्वर है, उसे रवाना कर दो वर्ना….।”
काजल ने अपना गाउन पहना और तौलिया सर पर बांधा। वह दरवाजे की ओर चल दी। … बाहर तीन पुलिस वाले खड़े थे। तीनों ने उसे सैल्यूट मारा।
“क्या है?”
“मैडम, दो कातिल इस तरफ भाग कर आये हैं…. आपको एतराज़ न हो तो एक सिपाही यहाँ छोड़ दूं?”
“तुम चिंता मत करो। मैं सब देख लूंगी।” उसने दरवाजा बंद कर दिया।
राज और जय दोनों सावधान हो चुके थे। दोनों वहाँ से जाने की तैयारी में थे। काजल अन्दर आते हुई बोली, “क्यों, क्या हुआ? दोनों के ढीले हो गये?” वो हंसते हुई बोली।
“मैडम, हमें पता नहीं था की आप पुलिस वाली हैं! हमें माफ़ कर दीजिये,” राज अपना सर झुका कर बोला। “हम यहाँ से जा रहे हैं।
“अभी जाओगे तो बाहर पुलिस तुम्हें पकड़ सकती है।”
“पुलिस तो बाहर भी है और अन्दर भी,” जय अकड़ दिखाते हुए बोला। “… पर यह रिवाल्वर मेरे पास है तो डरने की क्या बात है!”
“खाली रिवाल्वर से पुलिस वालों को डराओगे!”
काजल की बात सुन कर जय चौंक गया। उसने तुरन्त रिवाल्वर चेक किया। रिवाल्वर खाली था। उसने विस्मित नजरों से काजल को देखा। काजल के चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी।
“मैडम, आप जानती थीं कि रिवाल्वर में गोलियां नहीं हैं। आप हमें गिरफ्तार करवा सकती थी फिर भी आपने हमें बचाया!”
“मुझे पता था कि तुम बेकसूर हो। हमें मालूम हो चुका है कि क़त्ल किसने किया है।”
“जब आपको पता है की क़त्ल किसने किया है तो हम बिना डर बाहर जा सकते हैं,” राज ने कहा। “जय, रिवाल्वर मैडम को दे दो और चलो।”
“ऐसे कैसे चले जाओगे?” काजल बोली, “जो काम तुमने अधूरा छोड़ दिया वो तुम्हारे बाप पूरा करेंगे!”
राज आश्चर्य से बोला, “इसका मतलब है हमने आप के साथ जो किया उससे आप नाराज़ नहीं हैं?”
“अब बकवास बंद करो और अपने कपडे उतार कर काम पर लग जाओ!”
दोनों के लण्ड एक बार फिर से कड़क हो उठे। रुका हुआ खेल फिर शुरू हो गया। एक बार फिर से दोनों के लण्ड उसके शरीर से चिपक गये और काजल फिर से सेंडविच बन गई। वह आह भरने लगी। दोनों के लण्ड आगे व पीछे के दरवाजे पर दस्तक देने लगे। उसके चूतड़ बीच में दब गये और दोनों दोस्त अपना अपना काम करने लगे। काजल ने दोनों को सहूलियत देने के लिये अपनी एक टांग कुर्सी पर उठा कर ऊंची कर दी और गाण्ड का द्वार ढीला कर दिया। लण्ड सीधे ही छेद को चीरता हुआ भीतर चला गया। उधर जय का लण्ड भी चिकनी चूत में फिसल गया। कुछ ही क्षणों में काजल के जिस्म में दो गरम गरम मूसल चने लगे। काजल दोनों लण्ड के घर्षण से मचल उठी। लगा जैसे उस पर दो साण्ड टूट पड़े हो।
“हरामखोरो, दम लगा कर धक्के मारो … चाहे चूत फटे चाहे गाण्ड … अब रुकना नहीं!” काजल पुलीसिया भाषा पर उतर आई थी। दोनों के लण्ड जोश से फ़ड़फ़ड़ा रहे थे। दोनों की कमर तेजी से चलने लगी थी। डबल चुदाई से काजल मदहोश होने लगी थी। कभी कभी जय और राज दोनों हाथ बढ़ा कर एक दूसरे के चूतड़ अपनी तरफ़ खींच लेते थे। इससे दोनों के लण्ड एक साथ पूरी गहराई में उतर जाते थे और काजल मस्ती में लहक जाती थी।
दोनों बेतहाशा काजल को चूमे जा रहे थे। चूंचियो की हालत दबा दबा कर खराब कर दी थी। निपलों को मसल कर बेहाल कर दिया था। दोनों के धक्के तूफानी हो चले थे। तभी काजल चीख उठी। उसका शरीर कड़क सा हो गया और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
“गई रे, हरामजादो …. झड गई मैं … हाय रे…. अब तो छोड़ दो।”
उसका सीत्कार सुन कर दोनों होश में आ गये। राज ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मुठ मारने लगा। वीर्य उछाल मारता हुआ बाहर निकला। पहली और दूसरी धार तो काजल की पीठ पर पडीं और बाकी उसके चूतड़ों पर। उधर जय भी अपने सुहाने पलों के नजदीक पहुंच गया था। अपना लण्ड बाहर खींच कर वह आह भरते हुये वीर्य निकालने के लिये अपनी मुट्ठी का जोर लगाने लगा। फिर उसने भी अपना वीर्य पिचकारी की तरह छोड़ना चालू कर दिया।
जय और राज थक कर बिस्तर पर बैठ गये और सुस्ताने लगे जबकि काजल तरोताजा लग रही थी। तभी राज की नज़र दीवार पर टन्गी एक तस्वीर पर पड़ी उसने पूछा, “मैडम, ये कौन है वर्दी में?”
“मेरे हसबैंड हैं।” काजल बोली
“ये भी पुलिस में हैं?”
“हां भई, हम दोनों थानेदार हैं – अलग अलग थानों के इंचार्ज।”
अनवरत “तब तो पक्के चोदू होंगे,” जय बोला। “मैंने सुना है थानेदार चोदने में उस्ताद होते हैं।”
“हैं तो उस्ताद पर मौका भी तो मिलना चाहिए।”
“क्या मतलब? उन्हें चोदने का मौका नहीं मिलता?”
“यही तो मुश्किल है, बेटा। यह पुलिस की नौकरी बड़ी ज़ालिम होती है। दिन-रात काम। जब मैं फ्री होती हूं, वो किसी मुजरिम के पीछे लगे होते हैं और जब वो फ्री होते हैं, मैं किसी के पीछे लगी होती हूं। चुदाई किये हुए एक महीना हो गया। आज तुम दो जवान लौंडे हाथ लगे तो मैंने सोचा कि आज चुदवा ही लूं और तुमने तो मेरी गांड की भी खुजली मिटा दी!”
दोनों ने अपने अपने कपड़े उठाये और पहनने लगे। काजल ने यह देख कर उन्हें ललकारा, “बस मेरे जवानो? … अभी से थक गये? साले…. नामर्दों….!”
दोनों ने उसे आश्चर्य से देखा…. दोनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया और झपट कर काजल को बिस्तर पर लेटा दिया।
“क्या कहा? …. नामर्द? …. हम थक गये हैं? …. देख, अब तेरा क्या हाल करते हैं! …. तेरी मां यहां होती तो उसे भी चोद देते!”
काजल खिलखिला कर हंस पड़ी, “देखा? मर्द चोदने में आनाकानी करे तो उसे नामर्द कह दो …. साला तुरंत चोदने को तैय्यार हो जाएगा … फिर लो चुदाई का मजा … अरे नमूनो, मेरा थानेदार बाहर गया हुआ है। रात भर यहीं रहो और मुझे चोदो!”
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ये सुनते ही दोनों फिर तैयार हो गए … फिर शुरू हो गया खेल … और फिर ठुकी थानेदारनी … आगे से भी और पीछे से भी!
समाप्त