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मैंने
उसे अपनी बाँहों में ले लिया, थोड़ी देर तक उसे अपनी छाती से लगा कर रखा
वो भी अपना सर मेरी छाती से लगाकर आँखें बंद करके मुझे कसकर पकड़ कर खड़ी
रही।
तभी मैंने थोड़ी देर बाद उसका चेहरा अपने हाथ में लिया फिर उसके होंठों को देखा।
उसने कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- ये होंठ जो गुलाब की तरह हैं, मुझे इनका रस पीना है।
उसने आँखें बंद कर ली, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और पता ही
नहीं कितनी देर तक उसके होंठ पर अपने होंठ से चूमता रहा और अपनी जीभ उसके
पूरे मुँह में घुमाता रहा।
फिर जैसे ही मैंने उसके होंठों पर अपने दाँतों से काटना शुरू किया तो उसने कहा- प्लीज काटो नहीं, निशान पड़ जायेंगे।
मैंने उसे अपने बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर आ गया, उसके गालों पर पागलों की तरह चूमाचाटी करने लगा।
वो भी पागल होती जा रही थी, वो भी मुझे चूमने लगी।
मैंने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे किया और उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगा।
उसने कहा- नहीं!
लेकिन मैं भी कहाँ मानने वाला था, मैंने उसके बूब्स को ब्लाउज की कैद से
आज़ाद कर दिया और उसकी ब्रा के ऊपर ही अपना मुँह रख कर ऊपर से ही चूमने
लगा।
वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
मैंने ज़ोर से उसे अपने ऊपर लिया, मैं उसके नीचे आ गया, पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
अब वो ऊपर से बिल्कुल नंगी मेरे ऊपर थी मेरी छाती पर चुम्बन कर रही थी।
मैं अपने हाथ उसकी कमर पर इधर उधर चला रहा था।
तभी मैंने उसके पेटीकोट के अंदर अपना हाथ डाला और वो मेरे ऊपर से नीचे साईड में आ गई और बोली- यह सब अभी मत करो।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसके ऊपर आ गया।
मेरा लण्ड अब खड़ा हो चुका था जो उसकी चूत पर रगड़ रहा था, उसकी आँखें बंद
हो रही थी लेकिन मैं अभी कुछ करना नहीं चाह रहा था, सिर्फ ऊपर से रगड़ रहा
था।
उसके निप्पल को मैंने अपने मुँह में ले लिया और एक उरोज को दबाने लगा, नीचे से उसकी चूत को रगड़ रहा था।
वो पागलों की तरह मेरी पीठ पर अपना हाथ चला रही थी।
फिर 15-20 मिनट के बाद मैंने धीरे से एक हाथ उसके पेट से होते हुए चूत पर घुमाना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, उसको पता भी नहीं चला और
उसके स्तनों को दबाते दबाते एक हाथ उसकी चूत के अंदर डाल दिया जो पूरी तरह
से गीली हो चुकी थी।
मेरा हाथ लगते ही उसके मुख से आवाज़ें निकलने लगी- आअहहाअ नहीं… प्लीज़ मत करो… मैं मर जाऊँगी, प्लीज़ मुझे छोड़ दो।
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मैंने कहा- छोड़ दूँगा, सिर्फ़ एक बार मुझे तुम्हारी चूत के दर्शन करने दो।
उसने कहा- नहीं।
मैंने कहा- प्रॉमिस, मैं कुछ नहीं करूँगा।
उसने विरोध बंद कर दिया और मैं उसके पैरों के बीच में आ गया, उसका पेटीकोट
हटा कर उसकी चूत के ऊपर हाथ घुमाने लगा लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
मैंने
एक उंगली चूत में डाली तो उसके मुख से ‘आआहह’ की आवाज निकली, मैंने थोड़ा
और अन्दर डाली, मैं उसकी चूत पर झुका और अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए।
अब उसके मुँह से सिर्फ़ ‘आअहह… मैं मर गई… प्लीज़ जल्दी करो… चाटो मेरी चूत को!
वो अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबाने लगी।
मैंने भी ज़ोर ज़ोर से उसके चूत को चाटना शुरू कर दिया, मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था कि कमरे में क्या हो रहा है।
मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिये, अपना लण्ड उसके मुँह की तरफ़ करके लेट गया और उसकी चूत को फिर से चाटना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद उसने भी मेरा लण्ड हाथ में लिया और फिर अचानक मुँह में ले लिया, फिर वो लण्ड को जोर जोर से चूसने लगी।
उसके इस तरह से चूसने से मेरे पूरे शरीर में लहरें सी दौड़ने लगी।
करीब पाँच मिनट लण्ड चुसवाने के बाद मैं अब झड़ने वाला था तो मैंने जल्दी
से उसका सर पकड़ा और अपने लण्ड को उसके मुँह में जोर जोर से पेलने लगा।
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में अंदर तक घुसा दिया जिससे उसकी सांस रुक सी गई।
तो मैंने लण्ड को थोड़ा बाहर किया और फिर कुछ देर रुक गया फिर वो जब ठीक
हुई तो मैं फिर से शुरू हुआ लेकिन इस बार वो खुद बोली- तुम मेरी चिंता मत
करो और मुझे अपना वीर्य पिला दो प्लीज!
दो चार धक्कों के बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और वो लण्ड को मुँह में लेकर चूसती चाटती रही।
वो लण्ड को इस तरह चूस रही थी जैसे पहली बार मिला हो।
अब मुझे भी लगा कि शायद उसे लण्ड चूसने का मौका पहली बार मिला था।
वो पूरी पसीने से नहा चुकी थी, उसका पूरा मुखड़ा लाल हो चुका था, फिर भी वो लण्ड को लोलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी।
कुछ मिनट चूसने के बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसे फिर से बिस्तर पर लेटा दिया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर
अंदर घुसाने लगा लेकिन चूत कसी होने के कारण लण्ड घुस ही नहीं रहा था।
मैंने थोड़ी क्रीम अपने लण्ड पर लगाई और थोड़ी उसकी चूत पर भी लगाई, तब मैंने
अपने लण्ड को चूत पर रखकर सेट किया और एक हल्का सा धक्का दिया।
वो बहुत जोर से चिल्ला उठी, रोने लगी और कहने लगी- प्लीज मुझे छोड़ दो… मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
फिर मैंने बोला- कुछ नहीं होगा जानेमन, तुम्हें भी बहुत मज़ा आएगा।
कुछ देर के बाद मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और मेरा लण्ड आधा उसकी चूत में चला गया।
वो कह रही थी- धीरे करो प्लीज… मुझे बहुत दर्द है।
मैं उसे चूमते हुए धीरे धीरे धक्के लगा रहा था।
मैं अपने एक हाथ से उसके उरोज दबा रहा था और उसे भी मज़ा आने लगा था, वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी थी।
मैंने कुछ देर बाद अपनी रफ़्तार बढ़ा दी, वो भी अपने चूतड़ को हिलाने लगी
थी और ‘आईई मर गई मैं… चोदो और जोर से चोदो मुझे… फाड़ दो आज मेरी चूत !
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसने मुझे जोर से पकड़ लिया, कहा- मैं भी अब झड़ने वाली हूँ।
कुछ देर के बाद शांत हो गई शायद वो झड़ गई थी। अब मैं भी झड़ने वाला था तभी
मैंने अपना लण्ड चूत से बाहर निकाला और बेड पर पूरा वीर्य गिरा दिया।
फिर उसने लण्ड को मुँह में लिया और चूसने लगी थी और चूस चूसकर उसने पूरे लण्ड को साफ कर दिया था।
अब वो बहुत खुश दिख रही थी।
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें मज़ा नहीं आया?
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उसने कहा- मुझे आज पहली बार चुदाई में दर्द के साथ बहुत मज़ा आया, तुम जब कहोगे, मैं मना नहीं करूँगी।
मैंने उसके माथे को चूमा, उस दिन हमने दो बार और सेक्स किया।
अब वो अकसर मेरे पास आती है और मैं उसकी चुदाई करता हूँ। हमें जब भी मौका
मिलता है तो हम कभी अपने फ्लैट पर तो कभी उसके फ्लैट पर चुदाई करते हैं।