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में : क्या भाई?
शुभम : ये बनियान।
में : इसे बनियान नहीं कहते है।
शुभम : तो क्या कहते है?
में : भाई इसे ब्रा कहते है।
शुभम : तो ये मालिश करने में अटक रही है।
फिर मैने उसे हटा दिया और उसे लगातार मालिश करने का इशारा किया। फिर वो
मेरे कूल्हों को टच करने लग गया और ऊपर मेरे बूब्स पर उंगलियां लगाने लगा।
में : भाई थोड़ा बीच में कमर पर करो, आराम मिल रहा है।
शुभम : मुझसे ऐसे नहीं हो रहा, उसके लिए तेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखने पड़ेंगे।
में : (कुछ सोचते हुए) तो रख लो।
फिर उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर के दोनों तरफ रख लिए और मालिश करने लगा।
आआहह बहुत आराम मिल रहा है भाई, ऐसे ही करो। फिर वो मेरे कूल्हों पर बैठ
गया और उसका लंड मेरी मोटी गांड में अटकने लगा, में तो जैसे मर रही थी।
मेरा मन कर रहा था कि वो अभी अपना लंड मेरी चूत में पेल दे और खूब चोदे,
लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था। वो अपना हाथ ऊपर से लेकर नीचे मेरी गांड तक
लाता था और जब हाथ ऊपर जाता तो उसका लंड मेरी सलवार में से अंदर घुसा जा
रहा था।
उसने अपने लंड को शायद मेरी गांड के छेद पर सेट कर दिया था और
हल्का-हल्का पुश करने लगा था। फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठा लिया
तो भाई का लंड मेरी सलवार के ऊपर से चूत को टच होने लगा और आआहह के साथ
में झड़ गयी, मेरी चूत फड़कने लगी थी और शुभम के लंड को भी गीलेपन का एहसास
होने लगा था। फिर मेरी आँखे थोड़ी देर के लिए बंद हो गयी और में सो गयी,
फिर मुझे सोती देख भाई भी चला गया। फिर अगले दिन भाई मेरे लिए चाय लेकर आया
और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। फिर वो चाय देकर कॉलेज चला गया और शाम को
घर आया तो वो होटल से खाना लाया था, उसने मुझे उठाकर खाना खिलाया और पूछा
कि अब दर्द कैसा है? तो मैंने कहा कि कल की मालिश से बहुत आराम मिला है।
शुभम : ठीक है, में आज भी मालिश कर दूँगा और सारा दर्द ठीक हो जायेगा।
में : ठीक है भाई।
फिर रात हुई और मैंने जानबूझ कर आज घुटनों तक की लम्बाई की स्कर्ट पहनी और
ऊपर टॉप पहना और अंदर मैंने ब्रा और पेंटी नहीं पहने। फिर वो रात को 10:30
बजे रूम में आया, तो मैंने दर्द का नाटक किया और उसे मालिश करने के लिए
कहा तो वो तुरंत कटोरी में तेल ले आया।
आज उसने शॉर्ट और ऊपर बनियान
पहन रखी थी, उसका लंड आज अलग ही शेप में दिख रहा था, शायद उसने भी आज अन्दर
अंडरवियर नहीं पहना था। फिर वो मेरे घुटने की मालिश करने लगा और में पेट
के बल लेट गई और फिर वो मेरी स्कर्ट को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा और मालिश
करने लगा। में फिर से तड़पने लगी। अब मेरी मोटी गांड का ऊभार दिखना शुरू हो
गया था। फिर मैंने जब उसकी तरफ देखा तो वो मेरी गांड को ललचाई नज़रो से
देख रहा था।
फिर मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और हल्के-हल्के से कराहने
लगी, अब उसकी उंगलियां मेरे कूल्हों की लाईन को छूने लगी थी। उसे पता चल
गया था कि मैंने पेंटी नहीं पहनी है। अब फिर मैंने उसे अपनी कमर की मालिश
करने को कहा तो उसने मेरा टॉप ऊपर कर दिया, वो भी मेरी गर्दन तक और अब टॉप
सिर्फ़ मेरे बूब्स में अटका हुआ था। फिर भाई पूरी कमर पर हाथ फेरने लगा और
नीचे मेरी स्कर्ट को भी नीचे सरकाकर गांड को छूने लगा, अचानक से लाईट चली
गयी और पूरे कमरे में अंधेरा हो गया।
शुभम : मोमबत्ती जला दूँ क्या?
में : नहीं रहने दो भाई, वैसे भी मालिश ही तो करनी है तो ऐसे ही कर दो।
अब वो मेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखकर बैठ गया और पूरी कमर को अपने हाथों
से मालिश करने लगा। वो आज मेरे कूल्हों के थोड़ा नीचे बैठ गया और धीरे-धीरे
ऊपर होने लगा, उसका लंड अब मेरी स्कर्ट के ऊपर से सीधा मेरी चूत को खटखटाने
लगा। फिर मैंने अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर की तरफ उछाल दिया और मज़े लेने
लगी, भाई के बार-बार ऊपर नीचे होने से मेरी स्कर्ट ऊपर होने लगी और मेरी
पूरी गांड नंगी हो गयी। अब तो मुझसे सहन करना मुश्किल हो रहा था और शायद
भाई से भी सहन करना मुश्किल हो गया था, फिर उसके मुँह से भी एक हल्की सी
आहह निकली।
फिर मैंने
महसूस किया कि अब वो सिर्फ़ एक हाथ से मेरी गांड और चूचीयों को छू रहा है।
में सोच में पड़ गयी की इसका दूसरा हाथ कहा है, अचानक ही मुझे कुछ गर्म
हार्ड और मोटा सा अपनी गांड पर महसूस हुआ मेरे तो तोते उड़ गये थे। मुझे
समझने में देर नहीं लगी कि शुभम का दूसरा हाथ कहाँ था और मेरी गांड पर क्या
टच हो रहा है? फिर उसने अपना लंड शायद बाहर निकाल लिया था, मेरी तो कंपकपी
छूट गई थी, लेकिन बहुत ज्यादा आनंद भी आ रहा था। अंधेरे में कुछ दिख तो
नहीं रहा था, लेकिन टच होने से ये पता चल रहा था कि उसका लंड बहुत ताकतवर
और लंबा मोटा है। खेर में ऐसे ही लेटी रही और उसका लंड अब मेरी गांड के छेद
को टच कर रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे अभी अंदर घुस के मेरी गांड ही फाड़
देगा।
फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर किया तो उसका लंड चूत के छेद
पर टच होने लगा और हम दोनों के अंग आपस में मिल गये। आआआअहह वो क्या अहसास
था? जैसे ही उसका लंड मेरी चूत पर टच हुआ, उसने वही सेट कर दिया और अब
सिर्फ़ उसका ऊपर का हिस्सा उड़ रहा था और नीचे का एक जगह ही था। फिर मैंने
कहा कि भाई थोड़ा ऊपर कंधो तक मालिश करो तो अब जब वो अपने हाथों को ऊपर तक
लाया तो उसके लंड का प्रेशर मेरी चूत पर बढ़ने लगा और हल्का सा पुश होने
लगा, जैसे ही उसने दोबारा ऊपर की तरफ हाथ किए तो उसका लंड फिर आगे की तरफ
हुआ और तभी मैंने भी अपनी गांड को नीचे की तरफ धक्का दिया। आहमम्म मुझे
हल्की-हल्की मौन आने लगी थी, उसका मोटा सुपड़ा आधा मेरे अंदर जा चुका था।
अब
हम दोनों ही ऐसे बर्ताव कर रहे थे जैसे किसी को कुछ नहीं पता हो। तीसरी
बार फिर ऐसा ही हुआ और मुझसे रुका नहीं गया और इस बार थोड़ा ज़ोर से गांड को
उसके लंड पर पटक दिया और एकदम से उसका लंड चिकनाई की वजह से 3 इंच अन्दर
चला गया।
अब भी हम दोनों हल्की-हल्की मौन कर रहे थे ऐसे ही धीरे-धीरे
उसका 7 इंच का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। फिर मैंने अपनी गांड को हवा
में उठा लिया और फिर वो अब धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लग गया। आआहह ऊऊओ
माआआअ म्म्म्ममममम आआअहह ओ ह्म्म्म्मम म्म्मह। फिर मेरे मुँह से आवाज़े
आने लगी तो भाई समझ गया कि मुझे मज़ा आने लग़ा है। अब उसने धक्को की स्पीड
तेज़ कर दी और मेरी गांड पर ठप ठप ठप की आवाज़ आने लगी और अंधेरे में रूम
में गूंजने लगी। में अब तेज़-तेज़ मौन करने लगी थी, आअहअहह एम्म्म ऊओ और
तेज़्ज़्ज़्ज़ यययई यआआ। फिर मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर भाई के कूल्हों
पर रख दिए और अपनी तरफ पुश करने लगी म्म्म्ममम। वो भी ताबडतोड़ धक्के
लगाने लगा म्म्म्मआआहह और फिर हम दोनों ने पानी छोड़ दिया, इतना मज़ा मुझे
आज तक नहीं आया। अब हम रोजाना सेक्स करके मजे लेते है।
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दोंस्तो कैसी लगी मेरी और मेरे बड़े भाई की सेक्सी स्टोरी?