देहाती कामवाली की गांड भी मारी

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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम सौरव हे और मैं वैसे बिहार से हु पर देल्ही में ही बचपन से रहा हूँ. गाँव में हमारा घर, खेती सब कुछ हे. लेकीन मैं कम ही गाँव में जाता था. लेकिन बहन की शादी थी इसलिए मुझे जाना पड़ा
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मैं थोडा टेन्स था. क्यूंकि मुझे देल्ही में चूत की कोई कमी नहीं हे मैंने अपने मनोरंजन के लिए 2 आंटी और एक सेक्सी लड़की को फांस के रखा हुआ हे. तीनो में से एक का जुगाड़ तो तब चाहे हो जाता हे. जो मुझे ढंग से चोदने दे उसे भाव देता हूँ और बाकी को इग्नोर कर देता हूँ.

मैं बॉडी में सामान्य हूँ और मेरा लंड भी कोई टारजन के जैसा नहीं हे. लेकिन मुझे ये पता हे की औरत की चुदाई का कौन सा बटन दबाने से उसके अन्दर की आग भड़कती हे और उसको चुदाई का पूरा मजा मिलता हे.

और यही मेरी मास्टरी हे और इसी वजह से जो मेरा लंड एक बार लेता हे वो बार बार मांगता हे!

बिहार में बहन की शादी के लिए मुझे पुरे 10 दिन रहना था. पहले दो तिन दिन तो ऐसे ही खाली गए. रात को जोश चढ़ता था और मैं रजाई के अन्दर ही लंड को हिला लेता था. पर लंड हिलाने में और चूत को चोदने में बड़ा अंतर हे!

चौथे दिन जब मैं नाहा के बहार आया तो हमारी गाँव की कामवाली मुझे गौर से देख रही थी. मैं भी उससे देखते ही समझ गया की उसके मन में क्या चल रहा हे. उसका नाम पूनम था. अब मैं जानकार उसका चक्कर लगाता रहता था और अनजाने में उसके बदन को टच करने का ढोंग करता था. उसके बदन को टच कर के एक अलग ही नशा सा चढ़ता था जैसे.

एक दिन वो मेरे कमरे में झाड़ू लगा रही थी और मैं बैठे हुए अनार के दाने खा रहा था. मैंने उसको अनार खाने के बहाने से बुलाया और उसकी चुन्ची को दबा दिया. वो डर की वजह से फट से भागना चाहती थी. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, एक बार करने दो ना. वो बोली, साहब कोई देख लेगा. मैंने बटवे से उसे 300 रूपये दिए और वो बोली अभी नहीं रात में आउंगी! लेकिन मैं रात तक वेट नहीं कर सकता था. मेरा छोटा भाई यानी की मेरा लंड पागल सा हुआ था!

मैंने कहा मैं दरवाजा बंध कर देता हु. तू निचे झुक के झाड़ू लगा और मैं पीछे से तेरा बुर चोदुंगा. वो मान गई क्यूंकि शादी का टाइम था और सब अपने काम में बीजी थे. ऊपर से मेरा कमरा साइड में था और वहां मेरे बगेर कोई नहीं आता था.मैंने उसे खिड़की के पास खड़ा कर दिया ताकि अगर कोई मेरे कमरे की तरफ आ भी जाए तो उसे दिखे.

मैंने कामवाली की साडी को ऊपर कर दी. कामवाली दिखने में जरा भी सुन्दर नहीं थी लेकिन वासना के टाइम पर चूत का रंग कोई नहीं देखता हे! मेरी भी यही हालत थी. उसने निचे पेंटी भी नहीं पहनी थी. ऊपर से उसकी चूत पर इतनी झांट थी की सच में क्या कहूँ आप दोस्तों को!

वैसे भी गाँव की गरीब औरतें पेंटी नहीं पहनती हे. मैंने सोचा की साला अगर लंड को सीधा उसकी चूत में डाला वो उसे मजा नहीं आएगा. और मेरा भी पैसा वसूल नहीं होगा. मैंने धीरे से उसकी झांटवाली चूत पर अपनी ऊँगली रखी और घिसने लगा. कावली थोडा आगे खिसक सी गई. लेकिन मैंने उसे नहीं जाने दिया और आगे और उसकी बुर में ऊँगली डाल दी. वो सिहर उठी और मैं ऊँगली से उसके चूत के दाने को पकड के उसे दबाने लगा. चूत के दाने को दबाते ही उसके बुर ने अपनेआप पानी चूत गया.

वो सिसकियाँ उठी और मुझे भी मस्त लगा. मैं उसकी चूत को बड़े जोर जोर से ऊँगली से ही पेलने लगा. वो बोली साहब जल्दी करो ना. मैंने कहा जान धीरे धीरे करूँगा तभी तो तुझे मजा आएगा. मेरा क्या है लंड डाल के पानी छोड़ दूंगा लेकिन तुझे भी तो औरत वाली ख़ुशी देनी हे मुझे!

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मेरी ये बात सुन के उसे बड़ा अच्छा लगा. शायद उसे ये पसंद आया की मैं उसे खुश करने की फ़िराक में था. लेकिन उसे पता नहीं था की उसे मैं जितना खुश करूँगा मुझे उतनी ही ख़ुशी मिलेंगी ये मैं जानता था. वो थोडा पीछे आ गई ताकि मैं ऊँगली सही तरह से कर सकूँ.

फिर मैं ऊँगली करते करते ही अपनी पेंट की ज़िप खोल बैठा. अपना लोडा बहार निकाल के मैंने उसके मुहं के पास रख दिया. वो उसे पकड़ के हिलाने लगी. मैंने कहा इसे अपने मुहं में ले लो.

वो झाड़ू को निचे फेंक के मेरा लंड चूसने लगी. मैं उसकी चूत में ऊँगली करते हुए विंडो को देख रहा था. फिर मैं अपनी ऊँगली उसकी चूत से निकाली और उसके देसी एसहोल पर रख दी. वो बोली, साहब पीछे नहीं!

मैंने कहा जानेमन पीछे जो शहर की स्टाइल से करूँगा वो आगे से भी बढ़िया होता हे.

कामवाली देहाती थी और मेरे झांसे में आ गई. वू उई उईइ अहह अहह करती गई और मैंने दो ऊँगली को उसकी गांड के छेद पर लगा दी. लेकिन उसका गांड का छेद बड़ा टाईट था. मुश्किल से एक ही ऊँगली अन्दर कर पाया मैं. वो अभी मेरे लंड को पकड़ के अपने हाथ से हिला रही थी. मैं गांड में थोड़ी देर ऊँगली की. और फिर उसे कहा की दिवार पकड़ के खड़ी हो जाओ. वो मैं कहा था वैसे खड़ी हो गई. मैंने अपने सुपाडे पर थूंक लगा दिया. और मैंने उसके कुल्हे खोले. पीछे से मैंने उसकी चूत में अपना लोडा डाल दिया और उसे चोदने लगा. उसकी चूत जैसे मैंने सोचा था वैसे ढीली थी. और लंड बिना किसी टेंशन से उसके अन्दर घुस गया.

वो भी अपनी गांड को मटका के उसे मेरे लंड पर घिस रही थी. और मैं उसकी कमर को पकड़ के चूत को चोद रहा था. बहुत दिनों के बाद चूत चोद रहा था इसलिए कुछ एक्स्ट्रा ही मजा आ रहा था! उसके बुर में भी बड़ी गर्मी थी और उसे भी लंड लेने में बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने उसे ऐसे ही खड़े खड़े कुछ देर चोदा. और फिर मैंने उसे कहा की चलो अब आगे घुमो. उसके आगे की तरफ कर के मैंने उसे अपनी गोदी में ले लिया. उसकी दोनों टाँगे मेरी कमर के दोनों तरफ थी. और मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. वो उछल रही थी और मैं उसके बूब्स चूसते हुए उसे चोदने लगा.

वो भी उछल उछल के लंड भोग रही थी. फिर मैंने उसे निचे कर दिया और बोला चलो अब घोड़ी बनो. वो ऐसे ही घोड़ी बनी मैंने लंड पर थूंक लगाया. और अपने लौड़े को उसकी गांड पर लगा दिया. वो भी जानती थी की पीछे करने से दर्द होगा. इसलिए उसने अपनी गांड को दोनों तरफ से खोला. लंड के लिए जगह बनती दिखी और मैंने लंड अन्दर कर दिया.

वो चीख पड़ी! मैंने सही मौके पर उसके मुहं को अपने हाथ से ढंक दिया! वरना शायद उसकी आवाज सुन के कोई न कोई आ ही जाता. मैंने लंड को गांड में ही पार्क कर रखा. और अपनी ऊँगली से उसकी चूत को हिलाने लगा. चूत हिलाने से उसके अन्दर गर्मी चढ़ी. और अब वो गांड मरवाने के लिए रेडी दिखी. मैंने लंड को थोड़ा हिलाया और वो अपनी गांड को अपने आप ही हिलाने लगी.

मैंने भी अपनी तरफ से धक्के देना चालू कर दिया. मेरा लंड उसकी गांड में मजे से अन्दर बहार हो रहा था. गांड का छेद चूत से काफी टाईट था इसलिए चोदने की मजा आ गई.

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6 7 मिनिट के एनाल सेक्स के बाद मैंने अपने लंड का पानी उसकी गांड में ही छोड दिया. वो भी तृप्त हो गई और मुझे भी कर दिया. मैंने लंड बहार निकाला और उसकी साडी से ही साफ़ कर दिया.

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मैंने बटवे से उसे एक्स्ट्रा काम के लिए बक्षीश भी दी. और मैंने उसे कहा अभी मैं एक हफ्ता यहाँ हूँ, आती रहना और पैसे कमाती रहना!