अजनबी भाभी को चोदा

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हेल्लो दोस्तों, में ललित मोहन, मेरी उम्र २४ साल है, मैं देहरादून से हूं, मेरा रंग गोरा है और बहुत ही अच्छा शरीर है, मेरे लंड का साइज ६.८ इंच जो मैं लिख रहा हूं वह सो प्रतिशत सच्ची कहानी है. देहरादून, विकासनगर. हरिद्वार की आंटी या भाभी ही सिर्फ कांटेक्ट कर सकती है, उनकी पहचान गुप्त रहेगी.

एक दिन मैं प्रेमनगर से अपने दोस्त के साथ घंटा घर जा रहा था, तो प्रेम नगर विक्रम स्टैंड में मुझे थोडा इंतजार करना पड़ा, क्योंकि उस दिन रविवार था और प्रेम नगर के एरिया के आस पास बहुत से कॉलेज स्टूडेंट रहते हैं.

जो संडे को घंटाघर या और भी फेमस प्लेस पर घूमने के लिए जाते हैं, जैसे कि मैंने बताया था कि अपने फ्रेंड के साथ में विक्रम (लोकल ऑटो सर्विस) का इंतजार कर रहा था.

१० मिनट बाद एक खाली विक्रम में मैं और मेरा फ्रेंड बैठ गए, अभी भी सीट खाली थी तो मैं बाहर आते जाते आंटी और भाभियों और कॉलेज गर्ल को देख रहा था. इतने में अपनी देखने की नजर दूसरी और किया तो एक आंटी मस्त पूरी बदन वाली आंटी को देखा, वह बहुत ही हॉट और सेक्सी थी.

उसने ब्लाउज कुछ ऐसा पहना था कि उसका क्लीवेज आराम से दिख रहा था जिसको देखकर मेरी नजर उसके बूब्स से हट नहीं रही थी, उसने मुझे देख लिया और विक्रम के दरवाजे से ही वापस चली गई..

यह देख के में थोड़ा गिल्टी फील कर रहा था की मैंने आंटी को इस तरह से क्यों देखा? तब तक विक्रम में और लोग बैठ रहे थे, जिसमें से दो सुंदर कॉलेज गर्ल थी, एक आंटी अपने बच्चे के साथ थी, दो चिकने लड़के भी गाड़ी में बैठ गए थे. अब गाड़ी चलने वाली थी. तो वह आंटी जिस को मेने देखा वो वापस जल्दी से गाड़ी के अंदर आकर मेरे बाजू में बैठ गई. जगह कम होने के कारण हम दोनों की बोडी आपस में चिपकी हुई थी.

उस आंटी ने वोयलेट कलर की साड़ी पहनी थी, तो गाड़ी चल पड़ी थी, मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, मेरा लंड खड़ा होने लगा था. मैंने अपने दोस्त से उसका  बेग मांगा यह बोलकर कि मुझे अपने मोबाइल और वोलेट रखना है क्योंकि मोबाइल और वोलेट बहुत चुभ रहा था.

तू उस से बेग लिया और अपने लंड वाले पोरशन को ढक लिया, थोड़ी देर बाद बालापुर चोक आया और गाड़ी से कोई भी नहीं उतरा, मेरी गांड फट गई क्योंकि मैं बहुत अनकंफर्टेबल फील कर रहा था. मैं आंटी की बॉडी से बिल्कुल चिपक कर बैठा था,, मेरे कमर से लेकर मेरे पांव का पोरशन भाभी के पोरशन से बिल्कुल चिपका हुआ था.

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मैंने फील किया की भाभी का जो परेशान मुझे से चिपका हुआ था वह गर्म हो चुका था. मैं अपना पेर उनके पैर से अलग करने की कोशिश किया पर वह वहां भी बिल्कुल चिपका कर रख देती थी.

बाद में मुझे मजा आने लगा, तो मेने कुछ ज्यादा नहीं किया, गांड फट रही थी कहीं साला कोई देख ना ले. फिर यमुना कॉलोनी में कुछ लोग उतर गए.

जिससे सब सीट लगभग खाली हो गया था. पर भाभी अभी तक मुझसे चिपकी हुई थी मुझे बहुत अजीब लग रहा था और बाद में समझा कि कुछ तो चक्कर है..

मुझे लगा कि वह अपने पति को कॉल लगा रही होगी में साइड से यह सब देख रहा था. फिर उसने आंचल नाम के लोग में लाकर रोक दी, फिर उसने कोहनी ऐसी मारी कि देखने वाले को लगे कि गाडी किसी स्पीड ब्रेकर में आकर जो झटका लगा उससे कोहनी लगी है, ऐसा दिखे, असल में वह अपना नंबर मुज को दे रही थी.

तो मैंने वह नंबर साइड से देख के याद कर लिया, जब कंफर्म मुझे हुआ नंबर याद हो गया तो उस नंबर को मैं मन में रिपीट करने के बाद मैं उसको भी हल्की सी कोहनी मारी और अपना सर हीलाया, घंटा घर आ गया था. मैं फटाफट निकला उस दोस्त को बोला पैसे देने के लिए.

मैं गाड़ी से थोड़ा दूर होकर बैग से मोबाइल निकाल के वह नंबर सेव करने लगा. फिर देखा तो भाभी गाड़ी में नहीं थी. वह जा चुकी थी. उस दिन को याद कर के भाभी के बूब याद करके रात को चार बार मुठ मारकर सो गया.

फिर मैं कुछ दिन के लिए बिजी हो गया. एक महीना गुजर गया. फिर मुझे याद आया कि भाभी ने तो एक नंबर दिया था, उस पर मैंने कॉल किया. तो एक लेडी ने उठाया और मैंने उसको उस दिन की बात बताया तो वह पहचान गई. फिर उससे बातचीत लंबी हो गई, अब रोज बात होने लगी.

मैने उनसे पूछा कि नंबर देने की वजह क्या थी? तो वह गोलमोल जवाब दे रही थी. तो मैंने बोला सीधा तरह क्यों नहीं बोलती कि तुमको मेरा लंड चाहिए. तो वह बोली साले जानवरों की तरह मेरे बूब्स क्यों देख रहा था?

फिर हम दोनों हसने लगे. फिर मैंने उसे पूछा की चूत कब दे रही है? तो वह बोली कि जब उसको टाइम मिलेगा तब खुद ही बता देगी. मैंने उससे पूछा कि तुम कहां रहती हो? वह सेलक में रहती है.

उसने बोला कि तुम यहां आना मत क्योंकि उसके फैमिली वाले सब एरिया के आस पास ही रहते हैं, तो उसने ठीक ८ दिन बाद बोला कि आज मिलते हैं. मैंने उसको एड्रेस दिया, वह डेढ़ घंटे में आ गई, मेरा दोस्त कॉलेज गया था. कब तक में कंडोम डेरी मिल्क क्रीम लेकर तैयार था.

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इतने मे वह पहुंच गई मेरा मकान मालिक किसी दूसरे शहर में रहता है और किराया लेने के लिए अपना मुनीम हर महीने की ४ तारीख को पहुंच जाता था, भाभी उस दिन स्काई ब्लू कलर साड़ी में थी, बहुत ही खूबसूरत लग रही थी और वैसा ही ब्लाउज पहना था, रूम में आते ही उसको दबोच लिया और किस करने लगा.

कभी मैं उसकी जीभ चूसता कभी वह मेरी जीभ चुसती, जल्दी से उसको नंगा करके खुद भी नंगा होकर जोर जोर से उसको चूमने लगा, और दोनों हाथों से कभी बूब कभी उसकी गांड दबा रहा था, उसको मैंने पैर से लेकर सर तक चाटा और उस को गर्म कर दिया. फिर हम लोग 69 पोजीशन में आकर मज़े लेने लगे. फिर मैं उसको बोला मजा आ रहा है क्या? वह बोली बहुत मजा आ रहा है.

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उसने मुझे कंडोम पहना दिया और चुदाई के लिए लेट गई. मैं अपने कंडोम लगा कर  लंड से पहला शॉट मारा तो मेरा लंड आधा गया, वह धीरे से आह्ह औऊ अह्ह्ह आयी बोली. फिर मैंने उसकी बजाई, फिर गांड फिर उसने मेरा लंड चूस दिया. जब मैं उसको चोद रहा था उसने बोला कि माल मेरे अंदर डाल देना.

लगभग ढाई घंटे बाद वह बोली कि अब मुझे चलना चाहिए. तो मैंने बोला एक शर्त है वह बोली क्या? अपनी पैंटी में अपना माल लगा कर यहा छोड़ जा, तू आज बिना पेंटी के जाएगी. उसने कहा छि, मैंने कहा क्या छी? देना, अगली बार आएगी तो यह पेंटिं ले जाना, उसने बिल्कुल वैसा ही किया.

मेने उसको दो बार चोदा, फिर बदनाम ना हो जाए इसलिए उसको दो बार चोदने के बाद मैंने खुद उससे यह सब नहीं करना है मुझे अब, ऐसा बोला. दोस्तों इसमें रिस्क और बदनामी का डर बहुत होता है, शादीशुदा भाभी के साथ अफेयर और सेक्स रिलेशनशिप रखना तो टाइम पर खुद को इन सब से बचा लेना.

फिर सिम को चेंज किया, भाभी का नंबर डिलीट किया और रूम भी चेंज करके उस जगह से बहुत दूर आ गया हूं, यह मेरी जगह थोड़ी कम क्राउड वाली है, थोड़ा रूरल टाइप है.

अब मुझपे फिर से चुदाई का भुत सवार हुआ है, तो अभी फिर से भाभी और आंटी की तलाश में हूं.

मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी जरुर बताना, अगली कहानी कॉलेज के टाइम की होगी की कैसे मैंने अपने मकान मालिक की बहु को चोदा..