बीवी को गैर मर्द से चुदते देखने की ख्वाहिश

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नेहा कबीर के सीने पर सर रख कर सो रही थी, कबीर उसके बाल सहला रहा था।
मैं नीचे उतर कर आ गया, मैं समझ गया अभी इनको थोड़ा टाइम लगेगा।

करीब 11.20 पर मैं उसके घर पहुँचा और जोर से लोहे के दरवाजे की आवाज की.. मैं ऊपर गया और घन्टी बजाई।

कुछ मिनट इंतज़ार के बाद दरवाजा खुला.. लग रहा था उन्होंने जल्दी-जल्दी कपड़े आदि पहने थे।
मैंने घर में घुसते ही कहा- सॉरी.. मुझको थोड़ी देर हो गई।

कबीर बोला- कोई बात नहीं.. बैठो।
मैंने कहा- नहीं यार.. चलेंगे.. बेटा भी मम्मी के पास परेशान हो रहा होगा।
नेहा बोली- हाँ जल्दी चलो।

घर जाकर हम लोगों ने डिनर किया। हमें घर पहुँचने में बहुत देर हो गई थी। हमारा बेटा तब ढाई साल का था और मेरी मम्मी के पास सोता था। नेहा बेडरूम में आई और नाईटी पहन कर लेट गई। मैं उससे लिपटने लगा.. पहले तो कुछ नहीं बोली।

फिर बोली- सोने दो.. सुबह जल्दी उठना है।
मैंने कहा- यार कल तो संडे है।
उसको मैंने चूमना-चाटना शुरू किया.. पर ऐसा लग रहा था कि उसका अन्दर से मन नहीं था।

मैंने कहा- आज तो मेरा काम हो गया।
बोली- कौन सा काम?
मैंने कहा- आज कबीर ने ले ली न..
बोली- तुमने फिर पागलपन की बात शुरू की.. यदि तुमको ऐसा लगता है तो अब मैं कबीर के यहाँ नहीं जाऊँगी।
मैं समझ गया कि ये इतनी जल्दी नहीं बताएगी।

उसने बात बदलते हुए कहा- तुमको करना है न?
मैंने कहा- हाँ यार.. प्लीज लेने का बहुत मन है।
बोली- पहले अच्छे से तेल लगाओ.. फिर लेना।
मैंने कहा- यार ये क्या तरीका है।
तो बोली- सो जाओ और मुझको भी सोने दो।

मैं समझ गया कि ये ऐसे नहीं देगी।
बोली- जाओ, तेल उठा कर लाओ।
मैं तेल उठा कर लाया, फिर उसके पैरों की मालिश करनी शुरू की।
बोली- थोड़ा दम से करो न..

कुछ देर पैर और जांघों में तेल लगवाने के बाद पहले की तरह औंधी हो कर लेट गई.. और नाईटी ऊपर कर ली।
उसकी भरी गांड खुली हुई थी.. क्योंकि रात में वो ब्रा-पैन्टी पहन कर नहीं सोती थी।
बोली- अरे अच्छी तरह से गांड दबाओ न..

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मैं जानता था कि नेहा को गांड दबवाना बहुत अच्छा लगता है। गांड में तेल लगवाने के बाद नाईटी उतार दी और पीठ में.. कन्धों में तेल लगवाती रही।
फिर बोली- तुम तेल बहुत अच्छा लगाते हो।
उसने अब मुझसे आगे अपनी चूचियों पर भी तेल लगवाया।

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. मैंने फिर रिक्वेस्ट की।
‘अब तो लंड डाल लेने दो।’
उसने कहा- ठीक है डाल लो।

मैंने फटाफट लंड ठिकाने पर टिकाया और डाल दिया। मुझे ऐसा लग रहा था कि उसको कोई चूत में फर्क नहीं पड़ रहा हो। मैं 4-5 मिनट में ही ‘पुल्ल..पुल्ल..’ करने के बाद झड़ गया।

वो मुँह फुला कर बोली- खुश.. अब सो जाओ.. और मुझको भी सोने दो।
मैं समझ गया कि कबीर की इतनी अच्छी चुदाई के बाद उसको मुझसे चुदने में कोई इंटरेस्ट नहीं आ रहा था।

अगले दिन जब रात को हम दोनों बिस्तर पर आए.. तो मैंने कहा- तुम अब बदल गई हो.. तुम अब मुझसे बातें छुपाती हो।
बोली- मैंने कौन सी बात छुपाई?
मैंने कहा- कल तुम्हारी कबीर ने ली थी।

बोली- तुम फिर चालू हो गए।
मैंने कहा- कल जब तुम कबीर से चुदवा रही थीं.. तो मैंने देखा था।

वो समझी कि मैं ऐसे ही फेंक रहा हूँ, बोली- मुझे कबीर ने कभी नहीं चोदा।
पर जब मैंने उसको सब बताया.. तो बोली- तुम ही तो रोज पीछे पड़े रहते थे कि उससे चुदवाओ.. चुदवाओ..
मैंने कहा- मेरे कहने से ही चुदवाया.. तुम्हारा तो मन था ही नहीं न..
बोली- ठीक है अब नहीं जाऊँगी कबीर के यहाँ..

वो जानती थी कि मुझको चोदने की जगह चुदाई देखने में ही मजा आता है और मैं उसको कभी कबीर के यहाँ जाने से मना नहीं करूँगा।

मैंने कहा- कबीर से चुदने में मजा आया?
बोली- आज पहली बार तो उसने मेरी ली थी।
वो पूरी घुटी हुई थी.. पिछली चुदाई के लिए वो साफ़ मुकर गई।

मैंने कहा- मैं चाहता हूँ कबीर मेरे सामने तुमको चोदे।
बोली- तुम पागल हो क्या?
मैं उसके पीछे पड़ गया तो बोली- ठीक है अब जब जाएंगे.. तो तुम कबीर को कह देना कि कबीर मेरी बीवी को मेरे सामने चोदो।
मैंने कहा- ऐसा नहीं है.. कि मैं ऐसी सिचुएशन बनाऊँगा।
तो बोली- ठीक है तुम बनाओ.. मुझको कोई दिक्कत नहीं है।

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तीन-चार दिन में कबीर का फ़ोन आता रहता था, एक दिन शाम को मैंने नेहा से कहा- चलो कबीर के यहाँ चलते हैं।
बोली- वो अभी क्लिनिक में होंगे।
मैंने कहा- पूछ लो।

नेहा ने कबीर को फ़ोन करके पूछा- हम लोग उधर को आ रहे थे.. तुम उधर हो क्या?
कबीर बोला- मैं आधे घंटे में घर पर पहुँच जाऊँगा।

थोड़ी देर बाद हम घर से कबीर के यहाँ के लिए निकले। आज मैंने नेहा को लॉन्ग स्कर्ट और टॉप पहनने के लिए कहा था। हम उसके घर पहुँचे.. कबीर ने समझा कि मैं नेहा को छोड़ कर चला जाऊँगा।
पर मैं तो सोच कर आया था कि आज सब कुछ सामने से देखना है।

थोड़ी देर बिठाने के बाद वो दोनों अपने नेटवर्क बिज़नेस की बात करने लगे थे।
मैंने कबीर से पूछा- सर आपके यहाँ कोई क्रीम आती है न.. जिससे आपरेशन के पुराने निशान चले जाते हैं।
कबीर बोला- हाँ आती है।

मैंने कहा- नेहा के पेट पर निशान हैं.. क्योंकि सनी सिजेरियन से हुआ था।
मैंने कहा- आपने देखा होगा।
कबीर हरामी था.. बोला- नहीं..
नेहा अभी कुछ समझती.. इससे पहले मैंने उसकी स्कर्ट नीचे कर दी और उसको निशान दिखाने लग गया।

कबीर भी पास गया और करीब से देखने लग गया।
कबीर बोला- हाँ हल्का है.. पर चला जाएगा।

फिर वो बैठ गया.. और मुझसे कबीर ने पूछा- आप कुछ लोगे?
मैंने कहा- सर आप जो पिला दें।
वो दो गिलास में रेड वाइन ले आया.. एक गिलास में पूरी भरी थी। एक में आधी थी।

पूरी वाली उसने मुझको दे दी।
नेहा बोली- अरे ये क्या है?
कबीर बोला- मैडम पी लीजिए.. रेड वाइन है.. फ्रेश हो जाएंगी आप।
नेहा धीरे-धीरे पीने लगी।

मैंने रेड वाइन का गिलास जल्दी से पी लिया। उसने फिर मेरा गिलास भर दिया.. वो मुझको ठीक से पिलाना चाहता था। दूसरा गिलास गटकने के बाद मुझको अच्छा खासा सुरूर हो गया।

मैंने कहा- सर एक और प्रॉब्लम है.. कोई ऐसी भी मेडिसिन आती है.. जिससे ज्यादा देर तक ‘काम’ कर सकें।
बोला- मतलब?
मैंने आँख दबाते हुए कहा- सर आप समझ गए होंगे।
बोला- खुल के बताओ यार.. यही न कि तुम नेहा जी को खुश नहीं कर पाते हो?

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मैंने ऐसे एक्टिंग की कि मुझे बहुत शर्म सी आ गई हो।
उसने कहा- बैठो तुम..
वो कोई डिब्बी उठा कर लाया और मुझसे बोला- इसमें से एक टेबलेट ले लो।
मैंने कहा- अभी?
बोला- हाँ..
मैंने कहा- रात में ले लूंगा।
बोला- अभी ले लो।
मैंने वो टेबलेट खा ली।

करीब बीस मिनट वो नेहा से इधर-उधर की बात करता रहा, फिर बोला- नेहा जी मानव के साथ बेडरूम में जाइए।
नेहा बोली- आप भी इसकी बात में आ गए।
नेहा मुझसे बोली- चलो घर चलो।

मैं उठने लगा.. तो उसने नेहा से कहा- जाओ तो यार.. तुम्हारे साहब को टेबलेट खिलाई है.. टेस्ट तो कर लेने दो।
वो बोली- नहीं करनी टेस्ट.. चलो जी।
कबीर कहाँ मानने वाला था.. बोला- क्या आप मेरी बात नहीं मानेंगी?

नेहा क्या करती.. वो बेडरूम में चली गई।
कबीर बोला- तुम भी जाओ।
मैं बेडरूम में आ गया.. मेरी समझ में नहीं आ रहा था।

नेहा बहुत गुस्सा हो रही थी।
‘ये क्या है..?’
मैंने कहा- अब क्या करूँ?
वो बेशरम होते हुए बोली- कुछ कर पाते हो, ठीक से तो करो।

मैंने जल्दी-जल्दी नेहा के सब कपड़े खोल दिए.. अपने भी खोल दिए और नेहा से चिपटने लगा।

नेहा ने मेरा लंड जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया, मैं उसको मना करने लग गया, वो मेरा लंड जोर-जोर से आगे-पीछे करती रही। मुझको लगा मैं झड़ जाऊँगा, मैंने उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश की.. उसके पहले ही मेरी पिचकारी छूट गई।
वो बोली- लो हो गया.. अब चलो घर.. चलो कपड़े पहनो।

मैं जल्दी से कपड़े पहन कर ड्राइंग रूम में आ गया।
कबीर ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- सर कुछ नहीं.. मैं डाउन हो गया.. दवा ने असर नहीं किया।

मैंने नेहा से पूछा तो वो बोली कि मैं ज्यादा उत्तेजित हो जाता हूँ न.. इसलिए डाउन हो जाता हूँ।
उसने मुझसे पूछा- नेहा कहाँ है?
मैंने कहा- सर वो कपड़े पहन रही है।
‘हम्म..’

मैंने कबीर से बिल्कुल बेशर्म होकर कहा- सर आप ही नेहा को खुश कर दीजिए।
वो बोला- ये क्या कह रहे हो?
मैंने कहा- सर प्लीज..
‘नहीं यार.. मैंने तो तुमको टेबलेट दी थी कि तुम नेहा को खुश कर दो।’
मैंने कहा- सर गड़बड़ हो गई।
वो बोला- अच्छा ठीक है, कोई बात नहीं।

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मैंने फिर एकदम बेशरम बन कर कहा- सर प्लीज आप नेहा को खुश कर देंगे?
वो बोला- तुम सच में चाहते हो कि मैं नेहा को खुश करूँ?
मैंने कहा- सर मुझे विश्वास है कि आप उसे खुश कर देंगे।
वो बोला- हाँ कर तो देना चाहिए.. और अब तुम इतना कह रहे.. तो चलो कोशिश कर लेते हैं कि मैं नेहा जी को खुश कर पाता हूँ कि नहीं।
‘आप कर दोगे मुझे मालूम है..’
उसने कहा- जैसी तुम्हारी मर्जी।

वो बेडरूम में चला गया.. नेहा जोर से बोली- अरे आप क्यों आ गए?
कबीर बोला- अपने पति से पूछो.. वो प्लीज प्लीज.. कर रहा था।
कबीर ने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया मैं दरवाजे के पास जाकर खड़ा हो गया और उनकी बातें सुनने लगा।

नेहा कबीर से बोली- ये क्या है यार?
कबीर बोला- क्या.. क्या है यार.. जब तुम्हारा चम्पू खुद तुम्हारी लेने के लिए कह रहा है।
नेहा कबीर से बोली- नहीं यार कबीर, अब मुझे चलने दो।
कबीर ने नेहा से कहा- यार जानू, नाटक मत करो।

नेहा ने कहा- वो कहाँ है?
बोला- कौन चम्पू.. बाहर है.. यहाँ क्या करेगा?
नेहा बोली- यार, अच्छा नहीं लगता कबीर।
वो बोला- छोड़ो न..

नेहा बोली- कबीर तुम हो बहुत बदमाश.. मैं जब आई तब ही ‘तुम्हारा’ लेने का मन था।
बोला- वो तो मुझे लेनी ही थी.. तुम आओ और तुमको बिना चोदे छोड़ दूँ.. तुम जैसी सेक्स बम के लिए बहुत नाइंसाफी है।

मैं जल्दी से कपड़े पहन कर ड्राइंग रूम में आ गया।
कबीर ने नेहा से कहा- पर यार तुमने ऐसा क्या किया.. कि वो 5 मिनट में मिनट में ही बाहर आ गया?
वो बोली- मेरी जान अगर तुम होशियार हो.. तो हम भी कम नहीं हैं। इतनी जोर-जोर से लंड हिलाया कि साला बह गया.. चम्पू।
दोनों जोर से हँसे..

कबीर बोला- है न चम्पू।
नेहा बोली- हाँ है मेरी जान.. पूरा चम्पू है।

बस मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे अब चुदाई देखूँ, अब तो आवाज आनी भी बंद हो गई थी।

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मैंने दरवाजा धीरे से खटखटाया। दो-चार मिनट तो दरवाजा नहीं खुला.. फिर कबीर ने खोला। वो सिर्फ निक्कर में था।

बोला- हाँ बोलो?
मैंने देखा कि पीछे नेहा ब्रा-पैन्टी में थी।
मैंने कहा- मैं अन्दर आ जाऊँ?
कबीर ने थोड़ा सा दरवाजा खोल दिया, नेहा ने जल्दी से ऊपर तौलिया डाल लिया।

नेहा गुस्से में बोली- तुम यहाँ क्या करने आ गए.. जाओ यहाँ से।
कबीर मुझसे बोला- तुम जाओ मैं इनको खुश कर दूंगा.. फिर ये बाहर आ जाएंगी।
मैंने उससे कहा- सर प्लीज थोड़ी देर के लिए आ जाऊँ।

नेहा फिर बोली- मैं ही बाहर आ रही हूँ।
मैंने कहा- यार तुम प्लीज गुस्सा मत हो.. मैं थोड़ी देर में चला जाऊँगा.. सर प्लीज बैठ जाऊँ?
कबीर बोला- यहाँ बैठ के क्या करेगा यार.. चल आ जा.. कुर्सी पर किनारे बैठ जा।

फिर उसने नेहा से कहा- छोड़ो ना यार.. बैठ जान दो.. चला जाएगा.. अब किस तो दे दो।

मैं किनारे पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। कबीर नेहा के पास गया और उसको चूमने लगा।
बोला- चला जाएगा.. यार चला जाएगा टेंशन मत लो।
वो नेहा की पीठ सहलाने लगा और तौलिया को हटा दिया।

मेरा लंड हिलोरें मार रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि कबीर को कोई मेरे होने का फर्क ही नहीं पड़ रहा था पर नेहा नार्मल नहीं हुई थी।

कबीर ने उसको सहलाना चालू रखा और उसके ऊपर से तौलिया हटा कर उसको बिस्तर पर लिटा दिया। नेहा पर पूरी तरह से नार्मल नहीं हो पाई थी।
कबीर ने उसको स्मूच करना चालू कर दिया।
नेहा शुरू-शुरू में नहीं कर रही थी.. पर कबीर ने उसको एकदम चिपका लिया और जोर से होंठ चूसने लगा।

उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरा सपना सच हो रहा था कि मुझे अपनी आँखों के सामने अपनी बीवी को दूसरे मर्द से चुदते हुए देखने का अवसर मिल गया था।