दो लेस्बियन आंटी की सेक्स का मजा

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गरम लेस्बियन आंटी सेक्स कहानी में मैंने अपनी पड़ोसन ड़ो आंटियों को आपस में समलिंगी सेक्स का मजा लेते देखा. उन्हें भी इस बात का पता लगा तो मुझे खुश करने के लिए उन दोनों ने मेरा लंड चूसा.

दोस्तो, मेरा नाम प्रथमेश है.
मेरी उम्र 25 साल है और मैं दिखने में गोरा हूँ. बस मेरी हाइट 5 फिट ही है. लेकिन इसका एक फायदा भी है कि कद कम होने के कारण होने से मेरी उम्र ज़्यादा नहीं दिखती है.

मैं जॉब के लिए थाणे जिला में रहने लगा था क्योंकि वहां से मुझे अपनी जॉब लोकेशन पर पहुंचना सुविधाजनक था.

यह Garam Lesbian Aunty Sex Kahani कोरोना काल की है.
कोरोना के कारण मेरा काम घर से ही चल रहा था.

उस वक्त मुझे नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ रहा था.
इसी कारण में पूरी रात सो नहीं पाता था.

मेरी दीवार से लग कर बाजू वाले फ्लैट का कमरा था.
उस कमरे में एक आंटी रहती थीं.

आंटी के फ्लैट के सामने वाले फ्लैट में भी एक आंटी रहती थीं.

उन दोनों में एक का रंग सांवला था और दूसरी आंटी का रंग खुलता गेहुंआ था.
वे दोनों दिखने में जरा भरे हुए शरीर की थीं.

एक दिन मैं सुबह 4 बजे अपने काम को खत्म करके कंप्यूटर को जब लॉग आउट करके सोने जा रहा था.
तभी मेरे फ्लोर पर दरवाजे बंद होने जोर की आवाज आई.

मैं उठ कर देखने गया कि इतनी सुबह यह आवाज कैसी आई है.
मैंने देखा कि उन दोनों महिलाओं के पति निकले हुए थे.
वे दोनों सब्जी आदि बेचने का काम करते थे.

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लॉकडाउन के कारण वे लोग जल्दी सब्जी मंडी जाया करते थे.
मैंने इस बात पर इतना ध्यान नहीं दिया और अपने बिस्तर पर आने लगा.

मेरे बाजू वाली आंटी का दरवाजा खराब होने के कारण जल्दी बंद नहीं होता था.
शायद बारिश के कारण ऐसा हो गया था.
इसलिए उसे जोर से ढकेल कर बंद करना पड़ता था.
यह आवाज भी इसी वजह से आई थी.

दूसरे दिन भी सुबह इसी प्रकार की आवाज आई तो मैंने सोचा अंकल लोग अपने काम पर जा रहे होंगे.

लेकिन बाद में लगभग आधा घंटा के बाद फिर से वही आवाज आई और इस बार दो बार आवाज आई.
तो मुझे लगा कि साला आज दो बार फिर से यह आवाज क्यों आई है.

मैं वही सब देखने उठ गया.
मैंने देखा कि सामने वाली आंटी निकल कर मेरे बाजू वाले फ्लैट में रहने वाली आंटी के घर पर चली गईं.

पहले तो मैंने सोचा कि कुछ काम से गयी होंगी.
सुबह हो गई थी और मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि नहा लेता हूँ तो हो सकता है कि सही से नींद आ जाए.

मैं नहाने चला गया.
मेरे बाजू वाले फ्लैट का बेडरूम और मेरे बाथरूम की बाल्कनी आपस में जुड़ी हुई है. इसलिए उधर का दरवाजा खुला हो, तो आवाज सुनाई देती है.

मुझे बाथरूम में उस कमरे से आने वाली आवाजें सुनाई देने लगीं. मैं कमोड पर बैठा था, तो ध्यान से उन आवाजों को सुनने लगा.
उधर से धीमी आवाज में सिसकारियां आती हुई सुनाई दे रही थीं.

एक बार को तो मैंने इतना ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
पर वही आवाजें कुछ ज्यादा हुईं तो मैं कुछ संदेह भरी सोच के साथ सुनने लगा.

अब मैं गहरी सोच में पड़ गया था कि अंकल लोग तो फ्लैट से बाहर निकल जाते हैं और दोनों आंटियां एक ही फ्लैट में आ जाती हैं.
फिर ये आवाजें किस तरह से आती हैं.

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मुझे यह मामला कुछ गड़बड़ सा लगा.

तब भी उस दिन मैंने कुछ नहीं किया और नहा कर कमरे में आ गया.

अब मैंने ध्यान देना शुरू किया और पाया कि रोज सुबह सामने वाली आंटी मेरे बाजू में रहने वाली आंटी से मिलने आ जाती थीं.
उसके बाद पता नहीं क्या होता था कि सिसकारियों की आवाजें आने लगती थीं.

मेरे बाजू में रहने वाली आंटी से मेरी थोड़ी बातचीत होती रहती थी.
क्योंकि मुझे किसी चीज की जरूरत होती थी तो मैं उनके घर बेझिझक मांगने चला जाता था.

इस तरह की घटनाएं होने लगी थीं और मैं लॉकडाउन में हल्की सी छूट मिलने के कारण अपने गांव चला गया था.

आठ दिन बाद जब मैं गांव से होकर वापस अपने फ्लैट में आया था.
उस वक्त सुबह के सात बजे थे.

मैं अपने घर की चाबी मांगने बाजू वाली आंटी के घर गया.
पहले मैंने बेल बजाने की सोची.

पर तभी मैंने देखा कि उनके घर का दरवाजा खुला था. बस उसे किसी ने यूं ही उड़का दिया था.

न जाने क्यों मेरी नजर सामने वाली आंटी के दरवाजे पर चली गई.
देखा तो वहां बाहर से ताला लगा हुआ था.

अब मैंने वापस बाजू वाली आंटी की तरफ ध्यान दिया और मुझे लगा कि आंटी शायद सोई हुई होंगी, इसी लिए मैंने दरवाजे धक्का दिया और खोलकर कर अन्दर आ गया.

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मैंने ‘आंटी …’ कह कर धीमे से आवाज दी लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं आया.
फिर मैं अन्दर चला गया.
मुझे कोई नहीं दिखा.

मैं बेडरूम के दरवाजे के पास आया, तभी मुझे आवाज आई.
अन्दर से कोई सिसकारियां ले रहा था.

मुझे लगा अंकल और आंटी सेक्स कर रहे होंगे.
उनको डिस्टर्ब किए बिना मैं एक पल के लिए दरवाजे पर रुक गया और सोचने लगा कि अंकल आंटी की चुदाई देखी जाए या नहीं.

फिर मैं जैसे ही वापस जाने वाला था कि मुझे उसी बेडरूम से सामने वाली आंटी की आवाज आई.
वे बाजू वाली आंटी का नाम लेकर कुछ कह रही थीं और उनकी आवाज में कामुक सिसकारियों से भरी आवाज आ रही थी.

आज मेरा संदेह पक्का हो गया था कि यह मामला दोनों आंटी के बीच का कुछ तो रंगीन सा है.
अब मैं वहीं पर रुक गया और उन आवाजों को सुनने लगा था.

पहले मुझे लगा कि इन दोनों आंटियों के साथ कोई एक अकेला मर्द या लड़का होगा.
लेकिन ध्यान से आवाजों को सुनने में समझ आया कि अन्दर से किसी मर्द की आवाज नहीं आ रही थी.

बहुत देर तक यूं ही रुका रहा.
अब उनकी आवाजों से लगने लगा था कि वे दोनों बेडरूम से बाहर आने वाली हो गई थीं.

मैं जल्दी से फ्लैट के बाहर आकर खड़ा हो गया.
मैंने ऐसा दिखाया कि मैंने कुछ देखा ही नहीं है और मैं बस अभी ही आया हूँ.

एक पल बाद साइड वाली आंटी ने दरवाजे को खोला और मुझे देख कर पूछने लगीं- अरे तुम कब आए?
मैंने कहा- बस अभी ही आया हूँ और आपके दरवाजे पर दस्तक देने ही वाला था कि आप बाहर आ गईं. आंटी मुझे अपने घर की चाभी चाहिए थी.

वे बोलीं- एक मिनट रुको.
आंटी अन्दर चली गईं.

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तो मैंने देखा कि उनके घर के सोफा सैट पर सामने वाली आंटी बैठी हुई थीं.

मैंने नहीं कुछ कहा और न ही हाय हैलो किया.
मैं बस चाभी लेकर अपने फ्लैट में आ गया.

यह सब देख कर मैं भी थोड़ा हैरान सा था.

मैं घर आ गया था और चाय बनाने लगा था.
तभी मुझे मेरा फोन नहीं मिल रहा था, मैंने बैग में सब जगह ढूँढा लेकिन कहीं नहीं मिल रहा था.

पहले मुझे लगा कि यात्रा के समय ऑटो या बस में गिरा होगा.
मैं बाजू वाली आंटी के घर अपने नंबर पर कॉल करने गया.

उस आंटी ने अपना मोबाइल मुझे दे दिया. मैं दरवाजे पर खड़ा था और वे दोनों आंटी मेरे सामने बैठी थीं.
मैंने फोन मिलाया और घंटी की आवाज सुनने लगा.

मैं एकदम से घबरा गया क्योंकि घंटी की आवाज आंटी के बेडरूम के बाहर रखी वॉशिंग मशीन के पास से आ रही थी.
मुझे तुरंत समझ में आ गया कि जब मैं उन दोनों आंटी की आवाजें सुनने के लिए उधर खड़ा हुआ था, तब मैंने वहां अपना मोबाइल रख दिया था.

यह देखते ही आंटी ने मुझसे पूछा- तुम अन्दर कब आए थे?
वे दोनों भी एकदम शॉक्ड होकर एक दूसरे को देख रही थीं.

सबको मामला समझ आ गया था.

आंटी ने मुझसे कहा- जब तुम आए थे, तो तुमने क्या देखा था?
मैंने सब बता दिया.

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यह सुन कर वे दोनों शर्मा गईं और थोड़ा घबरा भी गईं क्योंकि मैं उन बातों को कहीं बता ना दूँ.
इसलिए उन्होंने मुझे अन्दर बुलाया और दरवाजे को कुंडी लगा कर बंद कर दिया.

आंटी ने मुझसे बैठने के लिए कहा और खुद चाय बनाने किचन में चली गईं.

इस बीच सामने वाली आंटी मुझसे नॉटी नॉटी सवाल पूछने लगीं.
मैं थोड़ा असहज हो गया था.

तभी सामने वाली आंटी ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया.
जिससे मुझे उन आंटी के बूब्स दिखने लगे थे.

मैंने ध्यान दिया तो समझ आया कि वह आंटी जानबूझ कर मुझे अपने दूध दिखाना चाहती थी.

तभी साइड वाली आंटी चाय लेकर आ गईं.
उन्होंने भी सीन देख कर अपनी मैक्सी के बटन खोल दिए.

मुझे अब दोनों के बूब्स दिख रहे थे.
मैं समझ गया कि आज कुछ अच्छा होने वाला है.

तभी एक आंटी ने पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?
मैंने कहा- मैंने बस देखा है, किया नहीं है!

तभी सामने वाली आंटी मेरे बाजू में आ गईं और मुझे सहलाने लगीं.
मैं भी ये सब देखकर अन्दर से गर्म हो गया था.

तभी वे दोनों आंटी मेरे दोनों बाजू में बैठ गईं और मेरे करीब आकर बात करने लगी थीं.
वे दोनों मेरे इतने करीब हो गई थीं कि मैं उनकी सांसों को महसूस कर रहा था.

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एक आंटी ने मेरे सीने पर हाथ रख कर मुझसे कहा- कैसा महसूस हो रहा है?
मैं कुछ नहीं बोला.

वे दोनों आंटी मुझे देख कर हंस रही थीं.
एक आंटी ने देखा कि मेरे शॉर्ट में मेरा लंड खड़ा हो गया था.

उस आंटी ने मेरे लंड के ऊपर हाथ रख दिया और कहा- अरे बाप रे … तेरा ये कितना बड़ा है?
मेरा लंड सात इंच लंबा और अच्छा खास खीरे सा मोटा है.
मैं अपने लौड़े को एकदम साफ रखना पसंद करता था, इस वजह से मेरे जिस्म के सब अनचाहे बाल साफ थे.

उन दोनों आंटियों ने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और एक आंटी ने उसको हाथ में लेकर और झुककर किस किया.
मैं मीठी सी आवाज लेता हुआ उनके साथ मस्ती करने लगा.

कुछ ही देर में दोनों आंटियों ने अपने अपने ब्लाउज निकाल दिए.
मैं उन दोनों को ऊपर से नंगी देख कर कामुक हो गया और उसी वक्त मेरा लंड पूरा पानी पानी हो गया था.

वे दोनों हंसने लगीं और एक बोलीं कि अरे साला तू तो बड़ी जल्दी झड़ गया!
अब वे दोनों आंटियां एक दूसरी को किस करने लगीं.

मेरी साइड वाली आंटी सामने वाली आंटी के एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.

मैं दोनों आंटियां के बीच में था और अपने झड़े हुए लंड को सहला रहा था.

उन दोनों के बूब्स 36 और 34 इंच के थे.
काफी रस भरे भी थे.

उनके निप्पल भी बड़े बड़े थे और काले काले थे.
मेरे बाजू वाली आंटी ने मेरा मुँह लेकर उस सामने वाली आंटी के एक दूध से लगा दिया.

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यह मेरा पहला अवसर था, तो मुझे इतना कुछ समझ नहीं आया.
मैंने उनके दूध को मुँह में भर कर काट लिया.

इससे वे आंटी चीख उठीं और बोलीं- आह जरा धीरे चूसो मेरे राजा … आह काटना नहीं है … चूसना है.
यह देख कर बाजू वाली आंटी ने भी अपने मम्मों को मेरे मुँह से लगा दिया.

मैं मस्त हो गया और उन दोनों के मम्मों को बारी बारी से चूस रहा था, मसल रहा था.
उसके बाद हमारे बीच चुदास बढ़ गई तो उन दोनों आंटियां ने मेरे कपड़े खोल दिए और मुझे नंगा कर दिया.

मैं जैसे ही नंगा हुआ, उन्होंने मेरे पूरे जिस्म को चूमना शुरू कर दिया.
एक आंटी नीचे आकर मेरे लंड को चूसने लगी और दूसरी मेरे सीने के निप्पलों को अपने दांतों से कुरेदने व काटने लगी.

वे दोनों सिसकारियां लेती हुई मुझे हर जगह चूस चाट रही थीं.
ये सब होने से मैं इतना ज्यादा गर्म हो गया था कि क्या ही कहूँ.

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अब मैंने भी उन दोनों के मम्मों पर और चूतड़ों पर अपने हाथ से चमाटें मारना शुरू कर दी थीं.
उन्होंने मुझे जमीन पर लिटा दिया था और एक आंटी ने अपनी गांड मेरे चेहरे पर रख कर कहा- चाट मेरी चूत!

मैंने वैसे ही किया. मैंने आंटी की चुत को अपने मुँह में लेकर काटना शुरू किया और उनके दाने को अपने होंठों से खींच खींच कर धीरे धीरे काटना शुरू किया.

मुझे यह सब करते हुए बड़ा अच्छा लग रहा था.

साइड वाली आंटी ने अपनी चुत पर थूक लगाया और वे मेरे लंड पर चढ़ गईं.
मैं तो बस दूसरी आंटी की चूत चाटने में लगा हुआ था.

नीचे से पड़ोसन आंटी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चुत में सैट किया और उस पर बैठती चली गईं.
लंड ने चुत की गर्मी को महसूस किया तो मैं झनझना गया.

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आंटी मेरे लौड़े पर ऊपर नीचे होकर जोर जोर से शॉट मार रही थीं.
वे इतनी तेज गति से उछल रही थीं कि मेरी अहह आह की आवाज निकलने लगी थी.

वे दोनों मेरे ऊपर चढ़ी हुई थीं और एक दूसरे को किस करती हुई सेक्स का मजा ले रही थीं.
एक जोर जोर से शॉट लगा रही थी और दूसरी वाली आंटी मेरे मुँह पर जोर जोर अपनी चूत घिस रही थी.

उसकी चूत पर झांटों के बाल होने के कारण उस साली को कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा था.
फिर कुछ देर बाद सामने वाली आंटी डॉगी स्टाइल में हो गईं और साइड वाली आंटी नीचे से उसकी चुत चाटने लगी थीं.

मैंने उठ कर आंटी की चुत में अपना लंड पेल दिया और चोदने लगा.
आंटी बड़ा अच्छा महसूस करने लगीं.
हम तीनों का ऐसा ही चलता रहा.

सुबह के नौ बज गए थे.
अब उनके पति आने वाले थे इसलिए उन्होंने मेरा लंड चूसना चालू कर दिया.

वे दोनों मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं जैसे लंड न हो साला चोकोबार हो.

कुछ देर के बाद जब मेरे लौड़े से पानी बाहर आने वाला था, तभी मैंने उनसे कहा- पानी बाहर आने वाला है.
उन्होंने अपने चेहरे मेरे लंड के नीचे रख दिए और मुझसे मुठ मारते हुए पानी निकालने का कहा.

मैंने भी हाथ से लंड हिला कर अपने लंड की पिचकारी उनके मुँह पर गिरा दी.
उन दोनों ने मेरे लंड के पानी को अपने चेहरों पर लेकर तेज आवाज निकाली.
फिर एक दूसरी को किस करते हुए जीभ से चाट चाट कर वीर्य को खा लिया.

गरम लेस्बियन आंटी सेक्स के बाद हम तीनों ने एक दूसरे को किस किया.
हमारे पास अब समय नहीं बचा था, तो अपने अपने फ्लैट में चले गए.

अब हम तीनों ने व्हाट्सैप पर एक ग्रुप बना लिया और दूसरे दिन फुल नाइट चुदाई की प्लानिंग की.
उस रात उन दोनों के पति बाहर जाने वाले थे.

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उस रात हम तीनों ने थ्रीसम सेक्स में क्या क्या मजे लिए, वह सेक्स कहानी आपको अगली बार लिखूँगा.
गरम लेस्बियन आंटी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
मुझे बताएं.
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