हाय दोस्तों भरी हुई जवानी में भरी हुई गांड मारने का पूरा अवसर अगर आपको मिल जाए तो क्या आप उसका लाभ नहीं उठाना चाहेंगे? अवश्य ही उठाना चाहेंगे। ये कहानी हमारे पड़ोस की एक आंटी की है, जिसने मुझे चुदाई और गांड मारने का मौका तो नहीं दिया पर मैने अपने लिए अवसर तलाश ही लिया। शमीमा आंटी हमारी पड़ोसन हैं। अंकल काफी उम्रदराज हैं और उनकी ये तीसरी शादी है। बाकी के दो से तलाक हो चुका है। अक्सर हुक्का पीते रहते हैं। जो भी हो पचास कि उम्र में बुड्डे ने तीस की लौंडिया से शादी करके अपने लंड का परचम लहरा दिया है क्योंकि एक बच्चा हो चुका है शमीमा को।
आज अंकल बाहर चले गए थे सब्जी मंडी में दुकान लगाने और शमीमा आंटी ने मुझे अंदर बुलाया, ईशारों से। मैं खुश हो के गया। वो घर के अंदर अकेली थी तो बुरका उतार रखा था। एक नाईटी में थी, बिना ओढनी के। मुझे कहा कि साहिल तुम मेरे बच्चे को थोड़ी देर संभालो मैं नहाके आती हूं। ये रो रहा है और बहुत शैतान है, कहीं कुछ कर बैठेगा। और उसने अपनी गोद से बच्चे को मुझे दिया। मैने गोद से बच्चे को लेने के क्रम में उसकी चूंचियां छू लीं। जानबूझ कर मैने उसकी भरी हुई चूंचियां मसलने के ईरादे से ही बच्चे को उसकी गोद से कुछ यूं लिया कि उसकी चूंचियां छू गयीं।
शमीमा ने इसपर गौर किए बिना बाथरुम की तरफ रुख किया। वो अंदर
चली गयी तो मैं बाथरुम में झरने की आवाज को सुन कर कल्पना करता रहा कि झरने
का पानी उसके भरी हुई जवान बदन के किस कोने से कैसे बह रहा है। यही सोच
सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया था और मैं सोच रहा था कि काश आज उसे चोदने का
मौका मिल जाता। ऐसा सोचते हुए मैं अभी वहां सोफे पर बैठा ही था कि बाथरुम
से आवाज आई, साहिल जरा शैम्पू देना बाहर रैक पर है। मैने शैम्पू उठाया और
बाथरुम के पास गया। दरवाजा खुला और आश्चर्य, उस खातून ने मुझे सटाक से अंदर
खींच लिया। मेरे हाथ पकड़ के उसने मुझे बाथरुम में खींच लिया था। इस हालत
में मैं मारे उत्तेजना के पसीना पसीना हो रहा था और शमीमा के ईरादे मुझे
खतरनाक लग रहे थे।
वो एकदम से नंगी थी, हल्के मोटे पेट पर नंगी नाभि किसी छोटे बुर के
आकर्षक पैकेज की तरह दिख रही थी और नाभि के नीचे हल्के रोयें जो कि बड़ी
कारीगरी से तराशे और उगाये दिख रहे थे, वो थे। इसके नीचे चूत की घाटी शुरु
हो रही थी जो बंगाल की खाड़ी की तरह लंबाई में निकलती हुई शमीमा आंटी के
गांड के महासागर तक फैली हुई थी। पीछे देखा तो उन्नत भाल हिमालय की तरह
गांड की दो चोटियां पठार बनाएं मस्त खड़ी थीं ऐसे में लंड की छुरी अपने आप
कड़ी और तेज हो गयी थी। मैने उसके चून्चे पर नजर डाली तो मुझे अजीब सा फील
होने लगा, उसके चूंचे एकद्दम किसी कंवारी लड़की की तरह गोल गोल और अनछुए लग
रहे थे। मैं इससे पहले कि कुछ करता उसने मुझे धक्का देकर गिरा दिया। मैं
चपाक से वहीं फर्श पर गिर गया और उसने मेरे मुह पर अपनी चूत रख दी। और मेरे
बाल पकड़ कर मेरे मुह को अपने चूत पर रखे रही। उसके ईरादे साफ थे। वो घायल
शेरनी थी जिसे रोज रात को मियां जुम्मन घायल तो कर देते थे लेकिन लड़ाई
में जीत नहीं पाते थे। मैंने सहमति और खुशी से उसकी घाटी में अपनी जीभ से
ट्रेकिंग शुरु कर दी।
जीभ को चूत में उपर नीचे फिसलाते हुए मैने उसको चूसना जारी रखा।
उस महिला की लसालस भरी हुई चूत से इतना जयादह मात्रा में पानी निकल रहा था
कि उसकी टांगों के बीच से होते हुए वह उसके गाँड में भी घुस रहा था। मैं
सोच रहा था कि बड़ी ही डोमिनेटिंग महिला है ये तो पता नहीं अभी क्या क्या
करवाने का ईरादा है, लेकिन मेरी नजर उसकी भरी हुई गांड पर स्पेशल रुप से
थी। उसकी चूत को चाटते हुए मुझे पांच मिन्ट से ज्यादा हो गया तो मैने उसके
चूत का रस पीकर उसे सूखा दिया अब मैने उसको अपने उपर खींच लिया, लुंगी खोल
के उसे लंड पर बिठा लीया। मैं नीचे पैर पसार के बैठा हुआ था और मेरे खड़े
लंड पर उसकी चूस कर सुखाई गयी चूत सवारी कर रही थी। शमीमा के दोनों चूंचे
मेरे मुह में थे और मैं पीछे से उसकी गांड को उंगलिया रहा था। उसकी भरी हुई
चूंचियां मेरे मुह को स्तनपान करा रहीं थीं।
वो आह आह कर रही थी, मोटे लंड को पाके निहाल हो रही थी और मैने उसे
तेज रफ्तार में सवारी कराते हुए चोदना शुरु किया। वो गाली बकने लगी, चोद
दे अपनी मां की चूत हरामी, इस लंड के लिए कितने दिन से प्यासी थी मैं,
प्लीज और चोद और तेज! और मैने उसे चोद कर फिर झड़ा दिया। मैं अभी नहीं झड़ा
था वो फर्श पर बैठी थी, भीगे बदन, और मैने खड़ा होकर उसकी गर्दन में लंड
धांसना शुरु किया। वो एक दम मस्ताने लगी, बाजीराव मस्तानी की तरह। उसने
मेरा लंड पकड़ के सहलाते हुए धीरे धीरे अपनी गर्दन में उतारने की कोशिश की
और मैने उसके भरी हुई जवानी को लूटते हुए मुखमैथुन का मजा लेना जारी रखा।
थोड़ी देर बाद उसने अपने को चारों पैरों पर खड़ा कर लिया। उसकी भरी हुई
गांड मारने का यह सुनहरा मौका था। मैने अपना लंड पर थूक मल कर उसके गांड पर
थूक दिया। उंगली से लिजलिजे थूक को गांड पर मल कर मैने लंड को अंदर पेलना
शुरु किया।
वो डकारने लगी हलाल होते बकरे की तरह, उसकी गांड कोरी कन्वारी थी,
मस्त अब तक कीसी ना मारा था। अब जब मैने उसके बाल पकड़ के खींचते हुए चोदना
शुरु किया तो वो एकदम मस्त होकर चुदवाने लगी। उसकी कसी और भरी हुई गांड
किसी कंवारी चूत से भी ज्यादा मजा दे रही थी। मैने उसे चोद चोद कर बंदर बना
दिया। उसकी गांड का फलूदा और चूत का पकोड़ा। उस दिन पूरे दस घंटे हम कमरे
में बंद होकर शमीमा की भरी हुई जवानी का मजा लेते रहे।