टीचर - मेरा गठीला स्टूडेंट भाग ६

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मेरा दर्द के मारे बुरा हाल था -“हरामजादे … बस कर अब ….. मेरी गाण्ड फ़ट गई है ……”

” साली रंडी … तू क्या समझती है… तुझे छोड़ दूंगा …ये देख खून तो निकल रहा है…पर अभी और खून निकालूंगा….. तुने मेरे ऊपर पेशाब किया है ना…”

रोहित ने अपना लण्ड तुरंत बाहर निकाला और जोर लगाया … फ़िए एक झटके से लण्ड को मेरी गाण्ड में पेल दिया।
“कुत्ते … हरामी…… मर जाऊंगी… छोड़ दे मुझे …

लण्ड को निकाल ले अब…” पर उसने अनसुनी कर दी और धक्के बढ़ते गए….” मेरे हाथ में अब कुछ नहीं था. मैंने अब अपने को रोहित के हवाले कर दिया….. अब दर्द कम हो गया था … पर झटके बेरहमी से मार रहा था. अब उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और चूत के द्वार पर रख दिया. रोहित ने धक्का मारते हुए लण्ड सीधा चूत में घुसा दिया. उसका लण्ड मेरी गाण्ड के खून से लथपथ था. बिस्तर पर खून गिरा था।

चूत में लौड़े के घुसते ही फ़िर मेरी आह निकल पड़ी। उसके लण्ड ने सीधे जड़ में चोट की थी। मैं दर्द से तड़प उठी. दूसरा धक्का तो और भयंकर था। तेज़ दर्द से मैं लगभग रोते हुए बोली,”रोहित प्लीज़ ..अब छोड़ दे … मैं मर जाऊंगी …….”

तभी एक और तेज़ धक्का लगा …… मुझे लगा मैं बेहोश हो जाऊंगी,”रोहित … बस..अब नहीं…..रोहित…..नहीं…”

उसने अब नरमी दिखाई, वो आराम से धक्के लगाने लगा, मुझे भी अब धीरे धीरे मज़ा आने लगा। रोहित चरम सीमा पर पहुंचने लगा था। मैं चुपचाप लेटी थी। मज़ा बदलता जा रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूं। मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा, मैंने भी गालियां देनी शुरू कर दी, ” लगा हरामी… चोद दे मुझे …… लगा रे …. दे लण्ड चूत में… हाय उई ईइ सी सीऽऽऽ …मादरचोद दे धक्के ….मर गयी ..”

और मेरा रस निकलने लगा …उसके धक्कों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था . मैं निढाल हो गयी।

पर अभी उसके धक्के चालू थे … मेरी चूत में अब जलन बढ़ने लगी …… गांड भयंकर दर्द कर थी। चूत का भी बुरा हाल था। चूत के अन्दर तो जैसे आग लग रही थी। “रोहित अब छोड़ दे मुझे ..प्लीज़ छोड़ दे मुझे …” पर शायद मेरी आवाज मुंह से नही निकल पा रही थी।

रोहित ने मुझे छोड़ दिया और महिमा को पकड़ लिया।

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“प्लीज़ रोहित …धीरे करना ….. ”

रोहित ने महिमा को चूमा … और उसे मेरे पास बिस्तर पर लेटा दिया। बिस्तर गीला हो चुका था। महिमा को अपनी चूत में लण्ड घुसता महसूस हुआ। उसके मुंह से आह निकल गई। मैं निढाल सी लेटी थी। रोहित को देखा ….. उसके चोदने की ताकत कमाल की थी। महिमा खूब उछल उछलकर चुदवा रही थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली।

फ़िर धीरे से उठी … मैंने देखा- बिस्तर खून से लाल था। मेरी चूत और गाण्ड से खून की कुछ बूंदें टपकी थी। मुझे ठीक से चलने में परेशानी हो रही थी। मैं बाथरूम में गयी। अच्छी तरह से नहा धो कर वापिस आई तो रोहित और महिमा दोनों गीले बिस्तर पर चित्त लेटे थे। वो झड़ कर निपट चुके थे। रोहित के लण्ड की चमड़ी ऊपर से कुछ कट सी गई थी।

महिमा और रोहित एक साथ उठे और बाथ्रूम में इकट्ठे घुस गए। जब नहा कर बाहर आए तो रोहित की नज़र बिस्तर पर पड़ी तो वो घबरा गया,”मैम, ये क्या हो गया …..इतना खून !..”

“रोहित तूने आज मेरी जान ही निकाल दी….” रोहित तुरन्त रुई और पट्टी लाया। उसने मेरी टांगें उंची की और रुई पानी से मेरी चूत और गाण्ड को अच्ची तरह से पौंछा। मैंने उसे कहा,” वहां से दवाई उठा कर मेरे अन्दर दोनों जगह लगा दे !”

रोहित उंगली पर दवाई लेकर मेरी चूत के अन्दर और गाण्ड के छेद में लगाने लगा। लेकिन ये क्या …. मेरी चूचियां फ़िर से खड़ी होने लगी…… मुझे चूत में मीठी सी जलन होने लगी …. मैंने अपने आप को रोका ……. उसके लण्ड पर भी मैंने दवाई लगा दी।

“मैम … आई एम सोरी… सोरी मैम …”

मैंने उसे गले लगा लिया। उसकी चुदाई से मैं गहराई तक सन्तुष्ट हो गयी। महिमा भी मुझ से लिपट गई,”रोहित … तू तो ही-मैन है रे …… मज़ा आ गया..”मैंने उसे चूमते हुए कहा,” …..कल जब पढ़ने आओ तो फ़िर से ऐसे ही चोदना …” वो हैरान होकर मुझे देखने लगा……. मैंने उसे धीरे से आंख मारी।

महिमा हंस पड़ी और पूछने लगी,” मैम ! मैं भी कल पढ़ने आऊं?”