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कड़कती बिजली तपती तड़पती चूत- 12 (Jija Sali Xxx Kahani)
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जीजा साली Xxx कहानी में पढ़ें कि मेरी बीवी के घर आने की खबर सुनकर मेरी साली उदास हो गयी. अब हमारी चुदाई का दौर खत्म होना ही था. मैंने उसे बांहों में भर लिया और …

जल्दी ही हम दोनों शिखर पर पहुँच गए और उसकी चूत से भलभला कर रस छूटने लगा इधर मेरे लंड ने भी लावा उगलना शुरू कर दिया. फिर वो हाँफते हुए मेरी छाती पर ढेर हो गयी. सामान्य होने के बाद उसने मुझे और खुद को नेपकिन से पौंछा और फिर बत्ती बुझा कर मुझसे लिपट सोने की कोशिश करने लगी.

अगले दिन हम देर तक लिपट कर सोते रहे.

अब आगे की जीजा साली Xxx कहानी:

सुबह दस बजे के करीब अस्पताल से फोन आया कि मेरी पत्नी शर्मिष्ठा और बेटा पूर्णतः स्वस्थ हैं वो वे अगले दिन 11 बजे उनको डिस्चार्ज कर रहे हैं. मुझे ख़ुशी हुई कि चलो मेरी प्यारी पत्नी और मेरा बेटा घर आ रहा है. पर थोड़ी सी मायूसी भी हुई कि अब निष्ठा के साथ सेक्स करने को नहीं मिलेगा.

मैंने तुरंत निष्ठा को आवाज लगाई और ये समाचार सुना दिया कि उसकी दीदी को कल अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली है.
यह सुन कर निष्ठा बहुत खुश हुई पर तुरंत ही उनके चेहरे का रंग उड़ गया और उदासी की रंगत भी उसके मुख पर दिखाई देने लगी.

उसकी उदासी कारण मैं समझ रहा था कि अब हमारे बीच बने उन अंतरंग संबंधों से जुदाई का वक़्त आन पहुंचा था.
ये तो आखिर होना ही होना था … मुझे भी अफ़सोस तो हुआ पर निष्ठा गमगीन हो गयी और सहसा उसकी आंखें नम हो उठीं. आखिर उसने अपना कौमार्य, अपनी अनछुई जवानी, अपना कोरा तन मुझे सौंपा था. मुझसे बिछड़ने का दुःख तो उसे ज्यादा होना ही था.

ये लड़कियां भावनात्मक स्तर पर बहुत संवेदनशील होती है; खासतौर पर जब कोई कुंवारी लड़की किसी से शारीरिक सम्बन्ध बना लेती है तो वो उसे अपना मान लेती है और उसपर अपना एकाधिकार समझने लगती है. फिर बिछोह की पीड़ा उसे असहनीय लगने लगती है.

माहौल को बदलने के लिए मैंने निष्ठा को अपने आगोश में भर लिया और उसे चूमने लगा वो भी मेरे सीने से लग निश्चेष्ट खड़ी रही गयी.

“साली जी, आज शाम को कुछ स्पेशल बना के खिलाओ न!” मैंने निष्ठा का ध्यान बटाने के उद्देश्य से कहा.
“जीजू, जो आप बताओ वही बना दूंगी.” वो उदासी भरे स्वर में बोली.
“नहीं यार, तुम अपनी पसंद से कुछ भी बना के खिलाओ न!” मैंने कहा.

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“ठीक है जीजू, आप तीन लीटर दूध लेते आना. शाम को खीर पूड़ी और पनीर कोल्हापुरी बना लेंगे.” वो कुछ सोच कर बोली.
“और पनीर नहीं लाना क्या?” मैंने पूछा
“नहीं जीजू, आप दूध लाओगे न तो उसी में से पनीर तो मैं अपना खुद बना लूंगी, मार्केट का पनीर शुद्ध नहीं होता.” वो बोली और घर के दूसरे काम में लग गई.

वो सारा दिन हम दोनों का मूड ऑफ ही रहा. न निष्ठा ज्यादा कुछ बोल रही थी और न ही मैं. उस दिन शाम को मैंने दूध वगैरह ला के उसे दे दिया.

उसी दिन शाम की बात है. साढ़े आठ बजे निष्ठा ने खाना बना लिया और मुझसे खा लेने को कहा.

मेरे हां कहने पर उसने डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया और हम साथ बैठ गए. मैंने खाने का पहला कौर निष्ठा को अपने हाथ से खिलाया फिर उसने भी पूड़ी खीर के साथ मुझे खिलाई. खाना बहुत ही स्वादिष्ट बनाया था उसने. खासतौर पर वो पनीर कोल्हापुरी तो मैं पहली बार ही खा रहा था.

खाना खाते खाते मैंने निष्ठा का हाथ पकड़ लिया और …
“निष्ठा डार्लिंग, खाना तो बहुत टेस्टी बनाया है तुमने. सच में मज़ा आ गया.” मैंने उसका हाथ चूमते हुए कहा.
“सच्ची जीजू?” वो खुश होकर बोली
“मेरी जान, बिल्कुल सच्ची कह रहा हूं. तुम्हारे हाथ में गजब का स्वाद है.” मैंने फिर से तारीफ़ की.

इस तरह बातें करते करते खाना समाप्त कर हम थोड़ा टहलने निकल गए. वापिस घर लौटते हुए साढ़े नौ के ऊपर टाइम हो चुका था.

निष्ठा का मूड अब कुछ सुधर चुका था सो अब चुदाई करने का मन होने लगा था.
मैंने बाँहें फैला दीं तो साली जी तुरंत मेरी बांहों आ गयीं और दो मिनट के भीतर हमारे कपड़े फर्श पर पड़े थे और हम दोनों बिस्तर पर मादरजात नंगे चूमा चाटी करने लग गए थे.

कुछ देर की चूमा चाटी धींगा मस्ती कुश्ती के बाद निष्ठा रानी मेरे बगल में मेरी बायीं ओर लेट गयीं और मुझसे चिपक कर अपने बाएं पैर से मेरा लंड छेड़ने लगीं.
भला मेरा लंड किसी कामिनी की ऐसी छेड़ छाड़ कहां बर्दाश्त करने वाला था … वो तमतमा के खड़ा हो गया.

खड़े लंड को पांव से सहलाते हुए साली जी को और मज़ा आने लगा तो वो मेरे पैरों के बीच आ के बैठ गयी और लंड को अपने पांवों में दबा कर ऊपर नीचे करने लगी. फिर अपने पांवों को आपस में रगड़ते हुए लंड को मथने लगीं जैसे मथानी से दही बिलोते हैं.

कुछ देर तक लंड से यूं ही खेलने के बाद उसने लंड पकड़ कर मसलते हुए मुठीयाने लगी और फिर वो झुकी और सुपारा चाटने लगी और फिर गप्प से आधा लंड मुंह में भर लिया.

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“आह … निष्ठा … मेरी जान … साली जी कितनी प्यारी हो तुम … आई लव यू डार्लिंग!” मेरे मुंह से निकला.
“जीजाजी आई लव यू टू … यू आर माय फर्स्ट लवर कम हस्बैंड इन ऐ वे; आई एम् आल योर्स एंड विल बी आल माय लाइफ, फ़क मी एनी टाइम यू लाइक!” साली जी बोली और मेरा लंड पूरी तन्मयता के साथ चूसने लगी.

“और ये लंड हमेशा मेरा रहेगा.” वो लंड को अपने गालों पर रगड़ते हुए बोली.
“हां मेरी जान मेरी साली जी … तुम भी इस लंड की मालकिन हो अब!” मैंने कहा

चार पांच मिनट लंड चूसने चाटने चूमने के बाद निष्ठा मेरे ऊपर सवार हो गयी और लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट कर बैठती चली गयी और मेरा समूचा लंड अपनी गीली चूत में लील गई. फिर दम से उछल उछल कर चुदने लगी.

साली जी के उछलने पर भी उसके मम्में झूल नहीं रहे थे बल्कि हौले हौले थिरक रहे थे जिन्हें मैंने अपनी मुट्ठियों में दबोच लिया और मसलने लगा.

“जीजू मसल डालो इन्हें जोर जोर से … जब से मैं जवान हुई इन दोनों ने भी बहुत सताया है मुझे!” साली जी अपनी चूत मेरी झांटों पर घिसते हुए बोली.
इस तरह ये भीषण काम युद्ध चलता रहा.

मैं तो बस उसके मम्मों से खेलता रहा था और साली जी चुदाई की कमान संभाले हुए अपनी मनमानी करती रही … करती रही … करती रही.
और फिर झड़ कर निढाल होकर मेरे सीने पर लिपट गयी.

मेरा रस भी छूट चुका था और अब हमारी गहरी गहरी सांसों के मद्धम ध्वनि ही सुनाई दे रही थी.

जब सांसें कुछ काबू में आईं तो मैं निष्ठा की पीठ और नितम्ब सहलाने लगा और मेरी उंगलियां स्वतः ही उसकी गांड की दरार में रेंगने लगीं.

“गांड मारने का मजा तो मैंने कभी लिया ही नहीं!” मैंने सोचा. यही सोच कर मैं साली जी को पीछे से सहलाने लगा.
कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से ताव में आने लगा साथ ही मैं निष्ठा की गांड का छेद लंड से टटोलने लगा.

“जीजू अब ये क्या कर रहे हो; एक बार हो तो गया चलो अब सो जाते हैं. सुबह के टाइम फिर चोद लेना चाहो तो!” साली जी अब अश्लील शब्द खुल के बोलने लगीं थीं
“मेरी बुलबुल, अभी तो तुम्हारी गांड भी मारनी है मुझे उसके बाद सोना!” मैंने उसके हिप्स पर चपत लगाते हुए कहा.
“क्या? ये कैसी पागलपन जैसी बात कर रहे हो आप, भला वहां गंदी जगह में भी कोई कुछ करता होगा क्या?” साली जी विरक्ति भाव से बोली.

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“निष्ठा मेरी जान … अरे वहां भी किया जाता है और वहां मज़ा भी खूब आता है. तू एक बार लंड को अपनी गांड में ले के तो देख … तभी तो मेरी बात का यकीन होगा न तुझे!” मैंने कहा.
“रहने दो, मुझे नहीं करवाना वहां कुछ. आपके लिए तो ये चूत हाजिर है चाहो तो रातभर चोदो इसे, मैं मना तो नहीं कर रही आपको!” साली जी ने मुझे समझाया.

“डार्लिंग जी, देख तूने मेरी सारी बातें मानीं हैं अभी तक. ये हमारे मिलन की आखिरी रात है. कल तो तेरी दीदी आ ही जायेगी फिर हम कुछ नहीं कर पायेंगे; देख दिल मत तोड़ अब!” मैंने बड़े प्यार से उसे समझाया.
मेरी बात सुन निष्ठा कुछ सोच में पड़ गयी.

“पर जीजू …” साली जी ने कुछ बोलने की कोशिश की तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रख कर रोक दिया.
“निष्ठा रानी, अब पर वर कुछ नहीं. बस ये बात और मान जा. बस थोड़ा सा दर्द होगा जब लंड तुम्हारी गांड में घुसेगा तब, फिर मज़ा ही मज़ा मिलेगा.” मैंने समझाया.

“जीजू, मुझे अपने दर्द की परवाह अब नहीं है. जब आपने मेरी चूत की सील तोड़ी थी तब भी तो दर्द के मारे मरते मरते बची थी; मैं इस बार भी दर्द सह लूंगी. पर ये करना उचित है क्या?” निष्ठा बोली.
“अरे तू करवा के तो देख … फिर तुझे उचित भी लगेगा और मजेदार भी!” मैंने उसे चूमते हुए कहा.
“ठीक है जीजू, मार डालो आप तो आज मुझे!” वो किंचित रोषपूर्वक बोली.

फिर मैंने निष्ठा को फर्श पर खड़ी होकर घोड़ी बनने को कहा.
तो वो खड़ी होकर बेड पर हथेलियां टिका कर झुक गयी. निष्ठा की गांड का भूरे रंग का छेद एकदम बंद था और उसके चारों ओर चुन्नटदार घेरा था.

मैंने जैतून का तेल अपने लंड पर खूब अच्छे से लगाया और थोड़ा सा तेल उसकी गांड के छेद पर टपका कर सुपारा रगड़ने लगा. निष्ठा को गुदगुदी सी हुई और वो हंसती हुई एकदम से बिस्तर पर औंधी गिर गयी. पर मैंने फिर से उसे सीधा कर बेड पर झुका दिया और लंड को उसकी गांड के छेद से रगड़ने लगा.

“जीजू गुदगुदी हो रही है मत करो ऐसे!” वो बोली.
“गुदगुदी होती है न वहां पर; अभी देखना जब लंड घुसेगा तो और भी मज़ा आएगा. अब तुम मजबूती से खड़ी रहना और हिलना मत!” मैंने निष्ठा को समझाया और लंड को फिर से उसकी गांड के मुहाने पर सेट कर दिया.

फिर लंड को हाथ से पकड़ कर सहारा देते हुए गांड में धकेला. तेल की चिकनाई की वजह से सुपारा साली जी की गांड का छल्ला पार करके अन्दर दाखिल हो गया और मैंने तुरंत उसकी कमर मजबूती से पकड़ ली.

“जीजू … नहीं … निकाल लो!” निष्ठा ने दर्द के मारे आर्तनाद सा किया.

जीजा साली Xxx कहानी मजेदार है या नहीं?

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जीजा साली Xxx कहानी जारी रहेगी.

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