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कमरा बंद कर दो भैय्या
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही प्रीपेड ऑटो का एक बूथ था वहां पर मैंने पर्ची कटवा ली और वहां से मैं अपने मामा जी के घर चला गया। मैं जब अपने मामा जी के घर पर पहुंचा तो मैंने जैसे ही उनके घर की घंटी बजाई तो तुरंत ही मामा जी ने दरवाजा खोल दिया और मुझे देखते ही उन्होंने मुझे गले लगा लिया। मामा जी कहने लगे अरे राजेश बेटा कितने समय बाद तुम हमें मिल रहे हो, उन्होंने मुझे अपने गले से ऐसे लगाया कि जैसे वह मुझे छोड़ना ही नहीं चाहते थे मैंने मामा जी से कहा मामा जी मुझे क्या बैठने नहीं दोगे।

मामाजी और मेरे बीच में बड़ी ही हंसी मजाक होती रहती थी वह कहने लगे अरे राजेश बेटा बैठो ना, मैं बैठ चुका था कुछ देर बाद मामी भी आ गई वह मुझे कहने लगी राजेश तुम कितने वर्षों बाद दिख रहे हो तुम पहले यह बताओ घर में सब ठीक तो है ना। मैंने कहा हां मामी घर में सब ठीक है मैंने उन्हें कहा कि घर में आप लोगों को सब लोग बहुत याद करते हैं तो वह कहने लगे अच्छा तो हम लोग यदि तुम्हारे घर नहीं आ पाए तो क्या तुम भी हमसे मिलने नहीं आओगे। मैंने मामी जी से कहा मामी जी ऐसी कोई बात नहीं है आपको तो मालूम ही है ना कि अब मम्मी की तबीयत बिल्कुल ठीक नहीं रहती है और पापा तो कहीं बाहर जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। पापा का नेचर बिल्कुल अलग है वह घर में भी बहुत कम बातें किया करते हैं और उनके घर पर होने से भी कभी ऐसा महसूस होता कि वह घर पर हैं भी या नहीं वह सिर्फ काम की ही बातें किया करते हैं मैं भी पापा से कभी ज्यादा बात नहीं करता। मामा जी मुझसे पूछने लगे बेटा और सब घर में ठीक है ना मैंने मामा जी से कहा मामा जी बाकी तो सब कुछ ठीक है आप सुनाइए की आप रिटायर कब हो रहे हैं। वह मुझे कहने लगे कि बस बेटा कुछ ही समय बाद मैं अपनी नौकरी से रिटायर हो जाऊंगा और उसके बाद घर में तुम्हारी मामी को मैं समय दे पाऊंगा। मैंने मामा जी से कहा हां मामा जी क्यों नहीं आपके रिटायरमेंट की पार्टी आप बड़े धूमधाम से कीजिएगा तो मामा कहने लगे क्यों नहीं बेटा जब मेरे रिटायरमेंट की पार्टी होगी तो तुम भी तो जरूर आओगे। मैंने उन्हें कहा हां मामा जी और मामा जी मुझे कहने लगे कि चलो तुम अपने कपड़े चेंज कर लो। मैं कमरे में चला गया वहां पर मैंने देखा तो कमरा पूरा बिखरा पड़ा था।

कपड़े इधर से उधर बिखरे हुए थे मैंने मामा जी से कहा मामा जी कमरे में तो काफी सारा सामान इधर-उधर हो रखा है मामा जी कहने लगे कि अरे वह आज सुबह ही प्रीति अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए गई थी तो तुम्हें तो मालूम ही है कि प्रीति कितनी लापरवाह है। मैंने मामा जी से कहा लेकिन प्रीति कहां गई है मामा जी कहने लगे कि वह अपने दोस्तों के साथ ना जाने आज कहां गई है तुम्हें तो मालूम है कि आजकल के बच्चे कुछ भी कहां बताते हैं और मैं तो प्रीति से कुछ भी नहीं पूछता हूं। मैंने मामा जी से कहा लेकिन मामा जी आपको प्रीति से पूछना तो चाहिए कि वह कहां जाती है और कहां से आती है इन सब का तो आपको पता होना चाहिए। मामी कहने लगी बेटा इन्होंने ही तो प्रीति को बिगाड़ कर रखा हुआ है यदि प्रीति पर थोड़ा सा नकेल कस कर रखते तो शायद आज वह ऐसी नहीं होती मैंने इन्हें कितनी दफा समझाया कि आप प्रीति को कुछ कहा कीजिए लेकिन यह तो प्रीति को कुछ कहते ही नहीं है और प्रीति भी अब हाथ से निकलती जा रही है। मैंने मामा जी से कहा मामा जी मामी बिल्कुल सही कह रही हैं आप को प्रीति को समझाना चाहिए अभी से इतनी आजादी देना भी उचित नहीं है। मामा जी कहने लगे हां बेटा तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो आगे से मैं तुम्हारी बात का ध्यान रखूंगा। मैंने मामा जी से कहा मामा जी मैं अपने ऑफिस के काम से अभी निकल रहा हूं मामा कहने लगे तुम कब तक लौट आओगे तो मैंने उन्हें कहा कि मुझे आने में समय हो जाएगा लेकिन शाम तक मैं लौट आऊंगा।

मामा जी कहने लगे ठीक है बेटा जब तुम शाम को लौटोगे तो मुझे फोन कर देना मैंने मामा जी से कहा ठीक है मामा जी मैं आपको फ्री होते ही फोन कर दूंगा। मैं अपने ऑफिस के कुछ काम के सिलसिले में दिल्ली आया हुआ था और मैं अब अपने काम के सिलसिले में चला गया। जब मैं शाम के वक्त घर लौट रहा था तो उस वक्त मैंने मामा जी को फोन कर दिया मामा जी मुझे कहने लगे कि बेटा तुम इस वक्त कहां हो। मैंने मामा जी से कहा कि मैं तो अभी मेट्रो स्टेशन की तरफ निकल रहा हूं तो मामा जी कहने लगे अच्छा तो तुम आ जाओ। मैंने उन्हें कहा ठीक है मामा जी मैं बस एक घंटे में घर पहुंच जाऊंगा मामा जी कहने लगे ठीक है मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। एक घंटे बाद मैं घर पहुंच गया मैंने देखा उस वक्त प्रीति भी घर आ चुकी थी प्रीति मुझे देखते ही कहने लगी राजेश तुम कब आए। प्रीति मुझसे उम्र में सिर्फ एक वर्ष ही छोटी है लेकिन हम दोनों के बीच बातें खुलकर होती रहती हैं। हम दोनों एक दूसरे से अक्सर फोन पर बातें किया करते थे लेकिन कुछ समय से मैं अपने काम के चलते प्रीति से बात नहीं कर पा रहा था। मैंने प्रीति से कहा कि मैं अपने ऑफिस के काम से यहां आया हुआ हूं वह कहने लगी चलो तुमसे इतने साल बाद मिलकर अच्छा तो लग रहा है। हम लोग काफी समय बाद मिल रहे थे मैंने प्रीति से पूछा तुम आज कहां गई थी वह कहने लगी बस ऐसे ही आज दोस्तों के साथ घूमने का मन था तो हम लोगों ने घूमने का प्लान बना लिया। मैंने प्रीति से कहा अच्छा तो तुम अकेली चली गई थी, थोड़ी देर बात करने के बाद प्रीति अपने रूम में चली गई।

प्रीति के हाव-भाव कुछ ठीक नहीं थे और वह अपने कमरे में गई तो मैं भी उसके पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया। जब मैंने उसके कमरे में देखा तो वह फोन पर किसी से बातें कर रही थी मैं यह सब देखकर थोड़ा हैरान तो था कि मामाजी उसे कुछ भी नहीं कह रहे हैं वह अपनी मनमर्जी से ही अपने जीवन को काट रही है शायद प्रीति को मामाजी कुछ भी नहीं कहते थे। मैं जब प्रीति के पास जाकर बैठा तो वह मुझे कहने लगी अरे राजेश आओ ना तुम अकेले बाहर बैठकर क्या कर रहे थे। मैंने प्रीति से कहा मैं तो बोर हो गया था सोचा तुम्हारे साथ ही बैठ जाऊं तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है। प्रीति मुझे कहने लगी मुझे क्या परेशानी होगी तुम यहां आराम से बैठे रहो। जब प्रीति मुझसे बात कर रही थी तो मैं भी उसके पास ही बैठकर बात कर रहा था और उसके पास ही बैठा था। उसने अपने पैरों को चौड़ा किया तो उसकी लाल रंग की पैंटी साफ दिखाई दे रही थी प्रीति ने जो ड्रेस पहनी हुई थी उसके पैरो के बीच से उसकी लाल रंग की पैंटी दिख रही थी। मैंने प्रीति से कहा कि तुम अपने पैरों को थोड़ा सा नजदीक कर लो लेकिन प्रीति को तो जैसे इस बात की कोई भी फिक्र ही नहीं थी कि वह एक लड़की है। उसने अपने पैरों को ऐसे ही रखा उसकी लाल रंग की पैंटी को में देखे जा रहा था और उसकी पैंटी को देखकर मैं पूरी तरीके से मचलने लगा था। मैंने जब उसकी योनि पर हाथ मारा तो वह मेरी तरफ देखने लगी मुझे लगा कि शायद वह कुछ कहेगी लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा। मेरा हौसले बुलंद हो चुका था और मैंने अपने बुलंद हौसलों से प्रीति को अपनी बाहों में भर लिया हालांकि वह मेरे मामा की लड़की है लेकिन उस समय मुझे इस बात का कोई भी एहसास नहीं हुआ और ना ही उसने कोई आपत्ति जताई।

हम दोनों की रजामंदी से अब सेक्स संबंध बनने वाला था इसलिए इसमें ना तो मुझे कोई परेशानी थी और ना ही प्रीति को कोई समस्या थी। प्रीति ने कहा कि कमरे का दरवाजा बंद कर लो उसने जल्दी से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। उसने मेरी पैंट की चैन को खोलते हुए मुझे कहा कि मुझे तुम्हारे लंड को देखना है वह मेरे लंड को देखना चाहती थी। जब उसने मेरे लंड को देखा तो मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती हो। उसने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और उसे हिलाते हुए उसने अपने मुंह मे मेरे लंड ले लिया। उसमें जब मेरे लंड को मुंह में समाया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ और उसने मेरे लंड को काफी देर तक चूसा। जब वह मेरे लंड को चूह रही थी तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था। जैसे ही मैंने प्राची के दोनों पैरों को खोला तो उसके दोनों पैरों के बीच में मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को सटाया तो मैने अंदर की तरफ को धक्का देना शुरू किया। मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक जा चुका था और उसने मुझे कसकर अपनी बाहों में भर लिया और कहने लगी राजेश मुझे यही पसंद है। मुझे सिर्फ सेक्स करना ही अच्छा लगता है मैंने उसे कहा मैं तुम्हें देखकर ही समझ गया था कि अब तुम बिलकुल ही बदल चुकी हो।

वह मुझे कहने लगी मैं अपनी जवानी को पूरा महसूस करना चाहती हूं और अपनी जवानी के मजे में किसी और को भी देना चाहती हूं मैंने अब तक ना जाने कितने ही लोगों के साथ सेक्स संबंध बना लिए हैं लेकिन आज तुम्हारे साथ में सेक्स संबंध बनाना कुछ स्पेशल है मुझे यह जिंदगी भर याद रहेगा। मैंने प्रीति से कहा मेरे लिए भी आज का दिन बड़ा ही यादगार है क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने का मौका जो मिल रहा है। प्रीति कहने लगी चलो कम से कम तुम्हें मेरे बारे में पता तो चल गया नहीं तो तुम्हें तो मेरे बारे में कुछ भी नहीं मालूम था। जब प्रीति ने मुझे यह बात कही तो मैंने प्रीति से कहा कि आज तो कसम से मजा ही आ गया और यह कहते हैं उसकी योनि से भी गर्मी बाहर निकलने लगी और मेरा गरम वीर्य गिरने वाला था। हम दोनों के अंदर से गर्मी निकलने लगी उसे हम दोनों ही बर्दाश्त नहीं कर पाए और मैंने अपने वीर्य को प्रीति कि चूत में गिरा दिया।

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