advertisement
advertisement
पहली रात चूत की पेलाई
advertisement

advertisement
advertisement
HOT Free XXX Hindi Kahani

 हम सब लोग रात के वक्त खाने की टेबल में बैठे हुए थे और बातें घूम फिर कर मेरी तरफ आ गई पिताजी मुझे कहने लगे प्रकाश बेटा क्या तुमने अपनी शादी के बारे में कुछ सोचा है। मैंने उन्हें मना कर दिया और कहा नहीं पिताजी मुझे अभी शादी नहीं करनी पिताजी कहने लगे बेटा तुम्हारी उम्र 28 वर्ष की हो चुकी है अब तो तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए लेकिन तुम अब तक शादी क्यो नहीं कर रहे हो तुम्हें मालूम है जब मेरी उम्र 23 वर्ष थी तब मेरी शादी हो चुकी थी। मैंने पिताजी से बोला पिताजी उस वक्त का समय और था अब समय बदल चुका है अब इतनी जल्दी कोई शादी नहीं करता और यदि आप चाहते हैं कि मैं शादी करूं तो मुझे आप एक साल का समय दे दीजिए। पिता जी कहने लगे ठीक है यदि तुम्हें लगता है कि तुम्हें एक वर्ष का और समय चाहिए तो तुम एक वर्ष का समय ले लो लेकिन उसके बाद मैं जहां कहूंगा तुम्हें वहीं शादी करनी पड़ेगी।

मैंने कहा ठीक है पिताजी आप जहां कहेंगे मैं वही शादी कर लूंगा हम सब लोगों ने रात का भोजन कर लिया था और मैं अब अपने कमरे में सोने के लिए जा ही रहा था कि मेरी बहन मुझे छेड़ते हुए कहने लगी देखा पिताजी तुम्हारी शादी को लेकर कितने चिंतित हैं। शगुन मुझ से 5 वर्ष छोटी है लेकिन वह बड़ी ही नटखट और चुलबुली है हमेशा ही वह मुझे परेशान करती रहती है परंतु मैं उससे बहुत प्यार करता हूं। शगुन और मेरे बीच में यह नोक झोंक बचपन से ही चलती आई है मैंने शगुन को कहा मैं अभी शादी नहीं करना चाहता जब मेरा मन होगा तब कर लूंगा। शगुन कहने लगी भैया आप भी पापा की बात क्यों नहीं मानते घर में बहू आ जाएगी तो घर की खुशियां दोगुनी बढ़ जाएंगे। मैंने शगुन से कहा देखो शगुन ऐसा नहीं है जब सही समय आएगा तब मैं शादी कर लूंगा शगुन मुझसे कहने लगी भैया आप भी ना जाने क्या सोचते रहते हैं। मैंने शगुन से कहा चलो अभी मुझे सोने दो बेवजह मुझे परेशान ना करो मुझे कल अपने ऑफिस भी जाना है।

शगुन मुझसे बोल उठी ठीक है भैया आप सो जाइए आप के पास मेरे लिए कहां टाइम है मैंने शगुन से कहा ऐसा कुछ नहीं है तुम अब मुझे बेवजह अपने से बात करने के लिए मजबूर कर रही हो। मैंने शगुन से कहा तुम सो क्यों नहीं जाती हो उसके बाद शगुन भी चली गई और वह उसके बाद दोबारा लौटकर नहीं आई। मुझे भी नींद की झपकी आने लगी थी और मेरी आंखों में नींद अब आने लगी थी मैं सो चुका था अगले दिन सुबह मैं प्रातः 6:00 बजे उठ चुका था। मैंने जब अपने कमरे की खिड़की को खोल कर देखा तो बाहर सूरज की हल्की किरण आने लगी थी मैं अखबार पढ़ने लगा और अब मैं ऑफिस की तैयारी करने लगा था। मां कहने लगी बेटा तुम टिफिन जरूर लेकर जाना कल भी तुम टिफिन घर ही छोड़ गए थे मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं टिफिन जरूर लेकर जाऊंगा। यह कहते ही मैं ऑफिस चला गया मैं जब ऑफिस गया तो उस दिन मैंने देखा हमारे ऑफिस में नई सीनियर आई हुई थी और वह दिखने में हमारी ही उम्र की लग रही थी। मैंने अपने दोस्त से पूछा क्या इन्होंने आज ही जॉइन किया है तो वह मुझे कहने लगा उन्होंने आज ही जॉइन किया है उनका नाम मंजुला है। अब वह हमारी सीनियर थी तो उन्हें हम से अपना परिचय तो करवाना ही था उन्होंने जब हम से अपना परिचय करवाया तो सब लोगों के चेहरे पर बड़ी मुस्कुराहट थी। मैंने भी उन्हें जब अपना परिचय दिया तो वह मुझसे कहने लगी प्रकाश जी मैंने आपके बारे में काफी कुछ सुना है। मैंने उन्हें कहा मैडम यह तो आपका बड़प्पन है जो आप मेरे सीनियर होकर मेरी तारीफ कर रहे हैं लेकिन मुझे नहीं पता था कि आगे चलकर मेरे और मंजुला के बीच में प्रेम संबंध बन जाएंगे। हम दोनों को ही एक दूसरे के साथ समय बिताना अच्छा लगता और हम दोनों एक दूसरे से घंटों फोन पर बातें किया करते थे। मंजुला अभी भी सिंगल ही थी और वह किसी लड़के की तलाश में थी परन्तु मेरे सामने एक नई समस्या यह थी कि वह दूसरी जाति की थी पर मैंने फैसला तो कर ही लिया था कि मैं मंजुला से किसी भी सूरत में शादी करूँगा।

मेरे पिताजी पुरानी रूढ़िवादी सोच के हैं लेकिन मैंने सोचा कि मैं आज उनसे बात कर ही लेता हूं। मैंने अपने पिताजी से जब इस बारे में बात की तो वह मुझे कहने लगे यदि आज के बाद तुमने कभी भी घर में मंजुला का नाम लिया तो तुम यह घर छोड़कर चले जाना क्योंकि मैंने पिताजी को सारी बात बता दी थी लेकिन पिताजी कहां किसी की बात सुनने वाले थे। मैं भी गुस्से में अपने कमरे में चला गया और थोड़ी देर बाद मेरी मां ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा बेटा तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे पिताजी को समझा लूंगी। जब मैंने पिता जी से इस बारे में बात की तो वह कहने लगे मैं किसी भी सूरत में मंजुला को अपनी बहू स्वीकार करने को तैयार नहीं हूं और ना हीं मंजुला इस घर की कभी बहू बन सकती है यदि किसी ने मुझसे दोबारा इस बारे में बात की तो वह घर से जा सकता है। पिताजी की रूढ़िवादी सोच की वजह से अब शायद मेरा और मंजुला का मिल पाना मुश्किल था। मैंने मंजुला से कहा मेरे पिताजी पुरानी रूढ़िवादी सोच के हैं और वह कभी भी तुम्हें स्वीकार नहीं करेंगे मंजुला कहने लगी क्या मैं उनसे एक बार बात कर सकती हूं। मैंने मंजुला को कहा नहीं तुम रहने दो तुम मेरे पिता जी से बात करोगी तो वह तुम पर गुस्सा हो जाएंगे इसलिए तुम उनसे बात ना करो तो ही ठीक रहेगा।

हमेशा ही इस बात को लेकर घर में झगड़े होने लगे थे पिताजी और मेरे बीच में अब बिल्कुल भी नहीं बनती थी वह भी इन सब बात से तंग आ चुके थे और मेरी छोटी बहन के चेहरे से भी खुशी गायब थी। एक दिन मेरे और पिताजी के बीच में इस बात को लेकर बहुत ही ज्यादा विवाद हो गया। मैं अपने पिताजी की बात से इतना दुखी हुआ कि मैंने घर छोड़ने का फैसला कर लिया था और मैं घर छोड़ कर किराए के मकान में रहने लगा। यह बात मैंने किसी को भी नहीं बताई थी और मैं अब मंजुला से शादी करना चाहता था मंजुला भी मुझसे शादी करने के लिए तैयार थी। जब उसे यह बात पता चली कि मैंने अपना घर छोड़ दिया है तो उसे बहुत बुरा लगा लेकिन वह मुझसे प्यार करती थी तो उसने मुझसे शादी कर ली। हम दोनों अब शादी कर के विवाह के बंधन में बंद चुके थे हम दोनों बहुत खुश थे मंजुला मुझे कहने लगी कि हमें एक बार पिताजी से मिल लेना चाहिए। मैंने मंजुला को मना कर दिया और कहा जब सही समय आएगा तो हम लोग पिता जी और मां से मिलने जाएंगे। मेरी और मंजुला के बीच यह पहली रात थी हम दोनों ने इससे पहले कभी भी एक दूसरे के साथ किस तक नहीं किया था लेकिन अब हम दोनों एक दूसरे के हो चुके थे और दो बदन को एक होने का मौका मिला था। उसे भला मैं कैसे छोड़ सकता था और ना ही मंजुला छोड़ना चाहती थी मैंने अपनी पूरी तैयारी कर रखी थी। मंजुला बैठी हुई थी हम दोनों ने एक दूसरे को पहले तो चुंबन किया और मैं मंजुला के हाथ को पकड़ कर बैठा रहा फिर अचानक से मंजुला ने मेरी छाती को सहलाना शुरू किया। मैंने भी उसके स्तनों को अपने मुंह में ले लिया और उसके स्तनों का रसपान करने मे मुझे बड़ा मजा आने लगा उसके स्तनों को मैं काफी देर तक अपने मुंह के अंदर लेकर चूसता रहा। जैसे ही मैंने मंजुला से कहा अब तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो तो मंजुला भी कहां मना कर पाई और उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया। वह मेरे लंड को बड़े ही अच्छे से रसपान करके मुंह के अंदर समा रही थी और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।

उसने मेरे लंड को बहुत देर तक चूसा जब मेरे लंड से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा तो मैं भी अब रह ना सका और ना ही मंजुला रह पा रही थी। उसकी इच्छा थी कि मैं उसकी योनि का रसपान करू मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो वह भी मचल उठी और जिस प्रकार से उसका बदन भी खिलने लगा और उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा उससे वह बिल्कुल भी रह ना सकी और ना ही मैं रह पा रहा था। हम दोनों एक दूसरे के होने को बेताब थे मंजुला ने मेरे लंड को अपनी चूत पर सटाया और उसने मुझे कहा तुम अंदर धक्का मारो मैंने भी अपने लंड को बड़ी तेजी से अंदर की तरफ धक्का दिया और जैसे ही मेरा लंड मंजुला की योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो उससे मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। उसकी योनि से खून बाहर निकल आया था काफी देर तक मैं मंजुला के साथ सेक्स का आनंद उठाता रहा जब मंजुला की योनि से गर्मी बाहर निकलने लगी तो उसे मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। मैंने मंजुला से कहा देखो मंजुला पता है मेरा वीर्य जल्दी ही गिरने वाला है। वह कहने लगी तुम अपने वीर्य को बाहर ही गिरा देना मैं नहीं चाहती मेरा आधे मे ही हम दोनों का मूड खराब हो जाए क्योंकि मंजुला की इच्छा अभी तक पूरी नहीं हुई थी।

मैने अपने वीर्य को बाहर की तरफ गिराया मेरा वीर्य गिरने के तुरंत बाद ही मैंने मंजुला को कहा मैं अपने लंड पर तेल लगा रहा हूं और उसे मैं तुम्हारी चूत के अंदर डालूंगा। मंजुला भी खुश हो गई मैंने अपने लंड पर तेल लगा लिया और मंजुला ने उसे अपनी चूत के अंदर ले लिया। मंजुला मेरे ऊपर से अपनी चूतडो को हिलाए जा रही थी मैं उसे पूरी तेजी के साथ चोदता जाता उसे बहुत ही मजा आ रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आता। काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे के साथ ऐसे ही संभोग का आनंद लिया और जब मैंने मंजुला की चूतडो को पकड़कर उसे घोड़ी बनाया तो उसे चोदने में मुझे बड़ा आनंद आया और करीब 2 मिनट के बाद मेरा वीर्य मेरे अंडकोष से बाहर की तरफ निकलने लगा था। मैंने मंजुला से कहा मेरा वीर्य गिरने वाला है तो मंजुला कहने लगी कोई बात नहीं मैंने उसी के साथ मंजुला की योनि में अपने माल को गिरा दिया। उसके बाद हम दोनों एक हो चुके थे लेकिन अब भी मेरे पिताजी हम दोनों के रिश्ते से खुश नहीं थे और उन्होंने अब तक हम दोनों को स्वीकार नहीं किया है।

advertisement

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement