टेंट मे चूत चुदाई कमाल की

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मैं ट्रैफिक सिग्नल पर खड़ा था तभी एक 10 वर्ष का छोटा सा लड़का आया और वह कहने लगा बाबूजी कुछ दे दो ना। उसने अपना हाथ फैलाया हुआ था तो मुझे भी उस पर दया आ गयी और मैंने उसे अपनी जेब से 10 का नोट निकाल कर उसके हाथ में थमा दिया। सिग्नल अभी भी खुला नहीं था तभी वहीं पास में खड़े एक महाशय ने मुझसे कहा कि आपको उस छोटे बच्चे को पैसे नहीं देने चाहिए थे यदि आप लोग ऐसा करेंगे तो उन्हें इस चीज की आदत पड़ जाएगी। मुझे भी लगा कि शायद वह सही कह रहे हैं लेकिन मुझे तो उस वक्त जो ठीक लगा मैंने वही किया मैंने उस बच्चे को पैसे दे दिए थे और वह भी वहां से जा चुका था। वह लोग हर रोज मुझे सिग्नल पर दिखाई देते थे जब मेरा मन होता था तो मैं पैसे जरूर दिया करता था अब सिग्नल भी खुलने वाला था और जैसे ही सिग्नल खुला तो सब लोग एक दूसरे के पीछे भाग रहे थे।

मैंने भी अपनी बाइक का एक्सीलेटर दबाया और आगे जाने की कोशिश की और ना जाने मुझ से आगे कितने लोग निकल चुके थे लेकिन मैं भी उस रेस में जैसे कहीं खो गया था और जिंदगी में भी ऐसा ही कुछ चल रहा था इतनी मेहनत करने के बावजूद भी अभी तक मैं अपने आप से संतुष्ट नहीं था। मैं कंपनी में एचआर के पद पर काम करता हूं लेकिन उसके बावजूद भी अपने जीवन में बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं था और जब भी मैं अपने ऑफिस जाता तो मुझे हमेशा ही ऐसा प्रतीत होता कि जैसे मेरे जीवन में कुछ अधूरा सा है। अभी तक मैंने शादी नहीं की थी और मेरा बीता हुआ कल भी मैं अपने दिमाग से निकाल चुका था मेरे पास अब आगे बढ़ने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था पुराने दोस्त भी सब पीछे छूट चुके थे और सिर्फ अपने काम को लेकर ही बातें होती थी उसके अलावा तो जैसे अब कोई बात होती ही नहीं थी। ऑफिस में भी सब लोग परेशान ही रहते थे हर दिन कोई न कोई नई मुसीबत मुझे सुना दिया करता था लेकिन मुझे भी तो अपनी नौकरी करनी ही थी मैं चाहता था कि मैं नौकरी करने के लिए विलायत चला जाऊं लेकिन ऐसा संभव नही था।

मैं अपने काम पर ही इतना ज्यादा ध्यान देता कि मेरी जिंदगी की और चीजें सब पीछे छूटती जा रही थी घर में भी मेरे मम्मी पापा मुझे कहते कि रवीश बेटा तुम कितने ज्यादा बिजी हो क्या तुम्हारे पास इतना भी समय नहीं है कि तुम हमारे साथ दो मिनट बैठ कर बात भी कर सको। ना जाने मैं किस भागदौड़ में लगा हुआ था मुझे खुद ही कुछ समझ नहीं आ रहा था ना तो मुझे वह खुशी मिल पा रही थी और ना ही मैं अपने जीवन में कुछ अच्छा कर पा रहा था। जिंदगी ना तों उपर जा रही थी और ना ही नीचे जा रही थी सिर्फ सामान्य तरीके से जिंदगी चल रही थी। मैंने कुछ समय के लिए अब नौकरी से छुट्टी लेने के बारे में सोच लिया और मैंने अपने ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले ली और मैं अपने घर पर ही था। मैंने एक दिन अपने पुराने दोस्त सनी को फोन किया वह मुझे कहने लगा तुम कहां हो। सनी से इतने वर्षों बाद बात कर के बहुत अच्छा लगा सनी ने मुझे बताया कि वह अपने पापा की कंपनी संभाल रहा है मैंने उसे कहा तुम बड़े खुशनसीब हो जो तुम अपने पापा की कंपनी संभाल रहे हो। सनी मुझे कहने लगा चलो कम से कम तुमने मुझे याद तो किया नहीं तो तुमने मुझे फोन करना भी छोड़ दिया था। मैंने सनी से कहा नहीं दोस्त ऐसी बात नहीं है तुम्हें तो मालूम है ना कि जॉब से बिल्कुल भी फुर्सत नहीं मिल पाती है। वह मुझे कहने लगा खैर यह बात छोड़ो तुम यह बताओ तुमने मुझे आज फोन क्यों किया है मैंने उसे बताया कि मैं कुछ समय से अपनी नौकरी से परेशान हो गया था तो मैं चाहता था कि कुछ दिनों के लिए मैं आराम करूं इसलिए मैंने कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली है। सनी मुझे कहने लगा तुमने बहुत ही अच्छा किया क्योंकि बीच में थोड़ा रेस्ट भी जरूरी है सनी मुझे कहने लगा तुमने बिल्कुल सही समय पर मुझे फोन किया है। मैंने सनी से कहा लेकिन क्यों, तो वह मुझसे कहने लगा तुम्हें मालूम है हम लोगों ने घूमने का प्लान बनाया है। मैंने उसे कहा लेकिन कौन-कौन जा रहा है तो वह कहने लगा तुम मुझे मिलो तो सही फिर मैं तुम्हें बताता हूं कि कौन कौन जा रहा है।

मैंने सनी से कहा बस मैं तुमसे मिलने के लिए अभी आता हूं और मैं सनी से मिलने के लिए चला गया। जब मैं सनी से मिलने के लिए गया तो उसके ऑफिस को देखकर मैंने उससे कहा यार तुम्हारी तो लाइफ पूरी तरीके से सेट हो चुकी है और एक हम हैं जो अभी तक अपनी जिंदगी की जद्दोजहद में लगे हुए हैं हर रोज सुबह ऑफिस जाओ और फिर अपने ऑफिस से घर आओ पापा मम्मी के साथ भी समय बिताने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है। मुझे सनी कहने लगा तुम हमारे साथ घूमने के लिए चलो तो तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा मैंने सनी से कहा लेकिन हम लोग कहां जाने वाले हैं। वह कहने लगा हम लोगों ने मोटरसाइकिल से जाने का फैसला किया है यदि तुम भी हमें ज्वाइन कर सकते हो तो तुम भी हमारे साथ चलो तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा हम लोग लद्दाख जाने वाले हैं। मैंने उससे कहा लेकिन तुम्हारे साथ और कौन आने वाला है सनी ने जवाब देते हुए कहा मेरे कुछ पुराने दोस्त हैं और कुछ हमारे साथ पढ़ने वाले भी दोस्त हैं जो हमारे साथ पढ़ा करते थे। मैंने सनी से कहा ठीक है दोस्त मैं भी चलूंगा वह मुझे कहने लगा तुम मुझसे परसों आकर मिलना परसों मैं तुम्हें सबसे मिलवा दूंगा। मैंने सनी से कहा ठीक है मैं तुम्हें परसों आकर मिलता हूं और मैं अपने घर चला गया। काफी समय बाद अपने पापा मम्मी के साथ बैठने का मुझे मौका मिल पाया था तो मैं उनके साथ बैठा हुआ था मुझे तो यह भी पता नहीं था कि पापा रिटायर होने वाले हैं।

जब मम्मी ने मुझे यह बात बताई तो मुझे मालूम पड़ा कि पापा कुछ समय बाद रिटायर होने वाले हैं मैंने मम्मी से कहा चलिए मम्मी कम से कम मुझे घर पर रहकर इस बारे में तो मालूम चला। मम्मी कहने लगी बेटा तुम तो अपनी नौकरी में इतना व्यस्त हो गये हो की हमारे लिए तुम्हारे पास वक्त ही नहीं होता आखिरकार तुम्हारे सिवा हमारा है ही कौन मैंने मम्मी से कहा मम्मी आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं। मैं जब सनी से मिला दो सनी कहने लगा दोस्त तुम्हें मैं आज अपने सारे साथियों से मिलवाता हूं। उसने मुझे सब लोगों से मिलवाया और मेरे कुछ पुराने दोस्त भी मुझे मिले मुझे बहुत खुशी हुई कि कम से कम मुझे मेरे पुराने दोस्त तो मिले और उन लोगों से उनका हालचाल पूछ कर खुशी हुई। हम लोगों ने अब जाने का फैसला कर लिया था और जब हम लोग निकले तो उस दिन सारी तैयारियां हम कर चुके थे। हम लोग अपने सफर को निकाल चुके थे सफर काफी जोखिम भरा होने वाला था और मजेदार भी उसमें कई चीजें नई होने वाली थी। मैं बडा ही खुश था जब हम लोग निकले तो हम लोगों ने एक जगह पर मिलने का फैसला किया था और हम सब लोग एक जगह पर मिले। जब हम लोग मिले तो सनी ने मुझे उस वक्त प्रतिभा से भी मिलवाया और जब मैं प्रतिभा से मिला तो पहली बार उससे मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा। प्रतिभा मेरे साथ ही आने वाली थी क्योंकि हम लोग एक बाइक पर दो लोग जाने वाले थे। प्रतिभा मेरे साथ ही बैठ गई इस बहाने हम दोनों को एक दूसरे को जानने का मौका तो मिल ही गया था हम दोनों पूरे सफर के दौरान बड़े अच्छे से घुल मिल कर रहे।

मुझे बड़ा अच्छा लगा प्रतिभा और मैं एक दूसरे को समझने लगे थे मैं इतने समय से जिस तनाव से गुजर रहा था वह अब दूर हो गया था। हम लोगों ने एक जगह पर रूकने का फैसला किया क्योंकि सब लोग थक चुके थे हमारे साथ खाना बनाने वाला कुक भी था उसने हमारे लिए खाना बना दिया था। हम सब लोग खाना खाकर एक कोने में बैठे हुए थे और  हम लोगों ने आग जलाई हुई थी सब लोग एक दूसरे से बात कर रहे थे। मैं अपने टेंट में सोने के लिए आ गया और उस वक्त मैं अकेला ही था। कुछ देर बाद प्रतिभा आ गई जब वह मेरे साथ बैठी हुई थी तो वह मुझे कहने लगी तुम अकेले यहां क्या कर रहे हो? मैंने प्रतिभा से कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही मन नहीं लग रहा था तो सोचा यहां पर बैठ जाऊं। प्रतिभा मेरे साथ बैठ चुकी थी हम दोनों आपस में बातें करने लगे हम दोनों बातों में इतना खो गए कि कुछ पता ही नहीं चला। मैंने जैसे ही प्रतिभा के कोमल और मुलायम होंठो को चूसा तो वह भी मेरी बाहों में आने लगी और शायद उसके दिल में भी मेरे लिए कुछ और चल रहा था। हम दोनों एक दूसरे से अपने होंठो को टकराना शुरू किया मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे को किस किया और जब मैंने प्रतिभा के मुलायम और कोमल स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसे भी अच्छा लगने लगा और मुझे भी अच्छा लग रहा था।

मैने काफी देर तक उसके स्तनों का रसपान किया उसके निप्पल पर मैंने लव बाइट के निशान लगा दिए वह भी अपने आपको ना रोक सकी और उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया और उसे अच्छे से सकिंग करने लगी। हम दोनों के बदन की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी वह उसे ना झेल पाई और ना ही मै झेल पाया। मैंने प्रतिभा की पैंटी को उतारते हुए अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया और मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर होता तो उसे भी बड़ा मजा आता और मैं भी बहुत खुश था। इतने लंबे अरसे बाद मेरे चेहरे पर जो मुस्कान थी उसे मैं अच्छे से महसूस कर रहा था प्रतिभा ने खूब जमकर मजे लिए जैसे ही प्रतिभा क चूत मे गरमा गरम वीर्य को गिराया तो वह मुझे कहने लगी आज बहुत अच्छा लग रहा है और यह कहते हुए उसने मुझे अपने गले लगा लिया। हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी देर तक लेटे रहे लेकिन हम सबके सोने का समय हो चुका था इसलिए प्रतिभा दूसरे टेंट में चली गई और मैं भी गहरी नींद में सो गया।