मैं हमेशा की तरह बस से अपने ऑफिस जा रहा था, ऑफिस मेरे घर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है शहर बड़ा होने के कारण मुझे घर से जल्दी ही निकल जाना पड़ता है मुंबई में इतना ज्यादा ट्रैफिक होता है कि मुझे हमेशा ही घर से जल्दी निकलना पड़ता है मैं टिफिन लेकर सुबह अपने घर से निकल जाता हूं। मैं हमेशा की तरह अपने ऑफिस जा रहा था उस दिन मुझे सीट नहीं मिली थी मैं बस में खड़ा ही था, करीब दो-तीन स्टेशन निकल चुके थे, मेरे सामने एक लड़की आकर खड़ी हुई मैं उसे बड़े ध्यान से देख रहा था वह थोड़ा घबराई हुई सी लग रही थी मैंने उसके चेहरे की तरफ ध्यान से देखा तो उसने अपनी नजरें झुका ली मुझे समझ नहीं आया कि आखिरकार वह इतनी टेंशन में क्यों है लेकिन शायद उस दिन इत्तेफाक ऐसा हुआ कि हम दोनों ही एक सीट पर बैठ गए जब हम दोनों एक सीट पर बैठे तो मैंने कुछ देर तक तो उससे बात नहीं की लेकिन जब मैंने उससे अपना परिचय दिया तो उसने भी मुझे अपना परिचय दिया उसका नाम कल्पना है।
मैंने उससे कहा तुम काफी घबराई हुई लग रही हो, क्या कोई टेंशन है? वह मुझे कहने लगी नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मेरा आज इंटरव्यू है इसलिए मुझे थोड़ा डर लग रहा है। मैंने उसे पूछा कि क्या तुम पहली बार इंटरव्यू दे रही हो? वह कहने लगी हां मैं पहली बार ही इंटरव्यू दे रही हूं इसलिए मुझे थोड़ा डर लग रहा है। मैंने उसे कहा तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं है मैं तुम्हारा इंटरव्यू लेता हूं, मैंने उसका उस दिन बस में ही इंटरव्यू लिया और उसकी घबराहट दूर हो गई वह मुझे कहने लगी आप बड़े ही अच्छे हैं और अब मैं इंटरव्यू को अच्छे से फेस कर पाऊंगी, मैंने उसे कहा तुम जरूर इंटरव्यू निकाल लोगी और तुम्हारा सिलेक्शन जरूर हो जाएगा, जब मैंने उससे पूछा कि आखिरकार तुम्हारा इंटरव्यू कहां है तो उसने मुझे अपने फोन में ऐड्रेस दिखाया वह ऐड्रेस मेरे ऑफिस के पास का ही था मैंने उससे कहा यह भी अजीब इत्तेफाक है कि जहां तुम जाने वाली हो उसके पास ही मेरा ऑफिस है।
मुझे कुछ देर और कल्पना के साथ समय बिताने का मौका मिल चुका था और जब हम दोनों बस से उतरे तो हम लोग वहां से ऑफिस पैदल ही गए वहां से मेरे ऑफिस की दूरी आधा किलोमीटर थी हम दोनों पैदल पैदल जा रहे थे और उस बीच में मुझे कल्पना के बारे में काफी कुछ चीज पता चली, उसने मुझे बताया कि मेरे पिताजी स्कूल में क्लर्क है, मैंने भी उसे बताया मेरे पिताजी भी स्कूल में ही अध्यापक हैं और मैं भी टीचर बनना चाहता था लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया उसके बाद मैंने यहां जॉब जॉइन की। कल्पना का जब ऑफिस आ गया तो मैंने उससे कहा तुम्हें यही इंटरव्यू देने के लिए जाना है और मैंने उसे कहा तुम्हारा इंटरव्यू जरूर क्लियर हो जाएगा, मैंने उसे ऑल दी बेस्ट कहा और उसके बाद मैं भी अपने ऑफिस चला गया, जब मेरा लंच हुआ तो मैं उस वक्त अपने ऑफिस से बाहर आया मैंने वहां देखा की कल्पना हमारे ऑफिस के बाहर एक छोटी सी दुकान है उसके पास खड़ी है और वह चाय पी रही है मैं उसके पास चला गया तो उसका चेहरा उतरा हुआ था मैंने उसे पूछा क्या हुआ तुम काफी उदास लग रही हो? वह कहने लगी नहीं सुधांशु ऐसी कोई बात नहीं है मैंने उसे पूछा लेकिन तुम्हारे चेहरे से तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे तुम उदास हो, वह मुझे कहने लगी मेरा इंटरव्यू क्लियर नहीं हुआ, मैंने उससे कहा कोई बात नहीं अगली बार तुम कहीं और इंटरव्यू दे देना। मैंने भी दुकान वाले भैया से कहा कि भैया मेरे लिए भी एक चाय बना देना उन्होंने मुझे गरमा गरम चाय दी और मैं वह चाय पीते पीते कल्पना से बात करने लगा कुछ देर तक तो वह ऐसे ही उदास थी और मुझसे काफी कम बात कर रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद वह बड़ी जोर जोर से हंसने लगी मैं उसके चेहरे पर देखने लगा मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह हंस क्यों रही है, जब उसने मुझे बताया कि मेरा इंटरव्यू किलर हो चुका है और मैं तुम्हारे साथ मजाक कर रही थी तो मुझे बहुत ज्यादा हंसी आई, हम दोनों साथ में हंसने लगे और कल्पना मुझे कहने लगी यदि सुबह तुम मुझे हिम्मत नहीं देते तो शायद मैं इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाती तुम्हारी वजह से ही मेरा इंटरव्यू के लिए हुआ है, मैंने कल्पना से कहा मैंने तो तुम्हें सुबह ही कह दिया था कि तुम्हारा इंटरव्यू जरूर क्लियर हो जाएगा, वह कहने लगी मैं अभी तो घर जा रही हूं लेकिन कल तुमसे मिलती हूं उसके अगले दिन से वह मुझे हमेशा ही मिलने लगी हम दोनों को मिलते हुए एक महीना हो चुका था और हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती भी हो गई थी।
कल्पना मुझ पर पूरी तरीके से भरोसा करने लगी थी और मुझे भी उसके साथ में समय बिताना अच्छा लगता था, जब कभी हम दोनों को समय मिलता तो हम दोनों हमारे ऑफिस के पास के पार्क में जाकर बैठ जाते हम दोनों हमेशा लंच साथ में ही किया करते। कल्पना और मै एक दिन पार्क में बैठे हुए थे पार्क में एक लड़का एक लड़की को बड़े ही जोरदार तरीके से किस कर रहा था यह देखकर मैंने तो अपनी नजरें उन से हटा ली लेकिन कल्पना उन दोनो को बडे ध्यान से देख रही थी। मैंने उससे कहा तुम बड़े ही ध्यान से उन दोनो को देख रही हो वह मुझे कहने लगी मेरे जीवन में यदि कोई ऐसा पुरुष होता जो मुझे इतने ही अच्छे तरीके से किस करता तो मै उसे अपना सब कुछ सौप देती। जब उसने मुझसे यह बात कही तो मैंने उसके होठों को वही पार्क में किस कर लिया मैंने उसे बड़े ही अच्छे तरीके से किस किया उसके गुलाबी होंठ जब मेरे होठों में थे तो हम दोनों के अंदर गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। उस दिन ना तो मैं अपने आपको रोक सका और ना ही कल्पना अपने आपको रोक सकी मैं उसे एक गेस्ट हाउस में ले गया, जब मैं उसे वहां पर लेकर गया तो मैंने कल्पना के कपड़े उतार दिए। जब मैंने उसके गोरे बदन और उसके टाइट फिगर को देखा तो उसे देखकर मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके स्तनों पर जो काला तिल था उसे में देखकर और भी मोहित हो गया।
मैं उसके स्तनों को चूसे जा रहा था और उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था मैंने काफी देर तक उसके स्तनों का रसपान किया। मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली डाली तो उसकी चूत मे मेरी उंगली जा ही नहीं रही थी लेकिन मुझे उसकी चूत मारनी थी मैंने कोशिश करते हुए अपने लंड को उसकी चूत में घुसा दिया मेरा लंड उसकी चूत मे पूरा जा चुका था लेकिन मैंने भी उसकी योनि से खून निकाल कर रख दिया था। जब मैं उसे चोदता जाता तो वह मेरा पूरा साथ देती उसकी गर्म सांसे यह एहसास दिला रही थी कि वह भी कितने ज्यादा जोश में है। जब उसका शरीर भी पूरी तरीके से तपने लगा था तो उसने मुझे कहा अब मैं झड़ चुकी हूं और मैं तुम्हारी गर्मी को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाऊंगी। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था ताकि मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक आसानी से जा सके मेरा लंड आसानी से उसकी योनि के अंदर जा रहा था। जब मेरा वीर्य मैंने उसके पेट पर गिराया तो वह बहुत खुश थी उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी लेकिन उस दिन मैंने उसकी गांड मारने की भी सोच ली। मैंने उसे उल्टा किया तो उसकी गांड के अंदर मैंने अपने लंड घुसाने की कोशिश की परंतु मेरा लंड नहीं घुसा मैंने कुछ देर मेहनत की तो मेरा लंड उसकी गांड में चला गया। वह मुझे कहने लगी तुमने आज मेरी गांड भी मार ली मैंने तो कभी सोचा नहीं था। वह अपनी गांड को मेरे लंड से टकराती जाती मेरा लंड भी बुरी तरीके से छिल चुका था और मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी लेकिन उसकी गांड से मुझे अपने लंड को निकालने का मन ही नहीं कर रहा था। जब मैंने अपने वीर्य को उसकी बड़ी चूतडो के ऊपर गिराया तो उसकी चूतड लाल हो चुका था हम दोनों कुछ देर तक नग्न अवस्था में साथ में बैठे रहे। मुझे कल्पना कहने लगी मुझे घर जाने के लिए लेट हो रही है हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और उस दिन मैंने ओटो से कल्पना को उसके घर छोड़ा। हम दोनों की सेक्स की इच्छा तो पूरी हो चुकी थी लेकिन यह इच्छा दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही थी। मैं कल्पना से बहुत ज्यादा प्रभावित तो था ही लेकिन जिस प्रकार की उम्मीद मैंने कल्पना से की थी उसने मेरी हर एक उम्मीद को पूरा किया और मैं उससे अपने दिल की हर बात किया करता हूं, हम दोनों का एक मिलना एक इत्तेफाक था, वह इत्तेफाक मेरे लिए बहुत अच्छा रहा, मेरे दिल में उसके लिए बहुत जगह बन चुकी थी।
कल्पना मुझसे अपनी हर एक बात शेयर किया करती और मैं भी उसे अपनी हर एक बात शेयर किया करता हूं लेकिन हम दोनों के बीच कभी कभार झगड़े हो जाया करते परंतु झगड़ों में भी मैं कल्पना का साथ जरूर दिया करता क्योंकि मुझे पता होता कि मेरी वजह से ही वह मुझसे झगड़ा करती है, कल्पना मुझे बहुत अच्छे तरीके से समझती यदि मैं उससे कुछ दिनों तक नहीं मिलता तो वह मुझसे मिलने के लिए बेताब हो जाती है और मुझे फोन कर के कहती कि तुम कहां हो लेकिन मैं भी उसे बहुत तड़पाता हूँ मैं उससे जानबूझकर मिलता नहीं था ताकि उसे भी मेरा एहसास हो। एक बार तो मैं कल्पना से कुछ दिनों तक मिल ही नहीं पाया उसे बहुत ज्यादा टेंशन हो गई उसने मुझे फोन किया परंतु मैंने उसका फोन नहीं उठाया जब मैंने उसका फोन नहीं उठाया तो वह घबरा गई और जब उसने मुझे मैसेज किया कि मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है तो मैंने उसे मैसेज किया और कहा कि मैं कहीं बिजी था, जब मैं उससे मिला तो वह मुझसे बहुत गुस्सा हो गयी वह कहने लगी तुम मुझे ऐसे सताया मत करो मुझे बहुत टेंशन होती है, मैंने कल्पना से कहा मैं तो तुम्हें देख रहा था कि तुम क्या सोचती हो, वह कहने लगी आगे से तुम कभी भी मेरे साथ ऐसा मत करना मुझे बहुत डर लगता है, मैंने उसे कहा ठीक है कल्पना आगे से कभी भी मैं तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करूंगा।