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मेरे पास पैसे का कोई भी अभाव नहीं था मैं एक संपन्न परिवार से आता हूं मेरे पास काफी प्रॉपर्टी है और जिनमें से अधिकतर तो मैंने किराए पर दी हुई है, मेरा घर काफी समय से खाली पड़ा था एक दिन मेरे पास एक फोन आया और वह व्यक्ति कहने लगे कि सर मुझे आपका नंबर आपके पड़ोसी ने दिया मुझे यह पता करना था कि क्या आपका घर अभी खाली है? मैंने उसे कहा हां सर आप शाम के वक्त ही आ जाइए। वह मेरे पास शाम के वक्त आ गए मैंने उन्हें घर दिखाया तो वह कहने लगे सर आप यह बताइए कि हम लोग यहां पर कब से रहना आ सकते हैं, मैंने उनसे पूछा लेकिन आप मुझे बता दीजिए कि आप करते क्या हैं? वह कहने लगे मैं बैंक में नौकरी करता हूं और मेरे साथ मेरी पत्नी रहती हैं। मैंने उन्हें कहा ठीक है आप के नाम का मैं कल एग्रीमेंट बनवा देता हूं आप मुझे अपने डॉक्यूमेंट दे दीजिएगा, वह कहने लगे ठीक है मैं कल आपसे मिलता हूं, यह कहते हुए वह वहां से चले गए उनका नाम राजीव है।

कुछ दिन बाद मैंने राजीव जी को फोन किया और कहा कि सर मुझे आप अपने डॉक्यूमेंट दे दीजिए, उन्होंने मुझे अपने डॉक्यूमेंट दिए और फिर मैंने उनका एग्रीमेंट बनवा दिया उसके बाद वह घर पर रहने लगे थे। ज्यादातर मैं अपने काम में ही व्यस्त रहता था लेकिन कभी कबार मै उनसे मिलने के लिए चले जाया करता, जब भी मुझे राजीव जी मिलते तो वह कहते सर आप तो यहां पर काफी कम आते हैं, मैं उन्हें कहा कि मेरे पास इतना समय ही नहीं होता है कि मैं कहीं जा पाऊँ। एक दिन मैं अपने घर से अपने ऑफिस के लिए जा रहा था तभी रास्ते में मेरी कार के आगे एक बुजुर्ग व्यक्ति आ गए जिसकी वजह से उनका एक्सीडेंट हो गया, मैं जल्दी से अपनी गाड़ी से उतरा और उन्हें मैं अस्पताल लेकर गया, जब मैं उन्हें अस्पताल लेकर गया तो उनकी बहू और उनका लड़का मुझे कहने लगे कि आपने तो हमारे पिताजी को जानबूझकर टक्कर मारा हम आपके खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट करेंगे, मैंने उन्हें कहा यदि मैं उन्हें जानबूझकर टक्कर मारता तो क्या मैं उन्हें अस्पताल लेकर आता लेकिन वह लोग मेरे साथ ही झगड़ा करने लगे, अस्पताल में काफी भीड़ हो गई थी और उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया मैंने उनसे कहा कि सर मैंने जानबूझकर यह सब नहीं किया।

मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था फिर मैंने उस वक्त राजीव जी को फोन किया राजीव जी पुलिस स्टेशन चले आए और उन्होंने उस वक्त मामले को रफा-दफा करवाया, मैंने कहा सर आपने तो आज मेरी जान बचा ली यह लोग तो जानबूझकर मुझे ब्लैकमेल कर रहे थे, राजीव जी कहने लगे कोई बात नहीं सर ऐसा हो जाता है। राजीव जी और मेरी अब अच्छी दोस्ती होने लगी थी, एक बार उनके घर पर उनकी बहन आई हुई थी उनकी बहन का नाम पारुल है, मैं जब उससे मिला तो मुझे वह बहुत अच्छी लगने लगी, मेरी मुलाकात राजीव ने ही पारुल से करवाई मैं उस पर पूरी तरीके से फिदा हो गया, मैंने कभी भी शादी करने के बारे में नहीं सोचा था लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं पारुल को अपना दिल दे बैठुंगा, पारूल को जब भी मैं देखता तो मुझे उससे बात करने की इच्छा होती और उसके साथ समय बिताने का मन करता लेकिन मैं यह बात पारुल को कभी कह नहीं पाया। अब वह राजीव जी के साथ ही रहने लगी थी क्योंकि मेरी उम्र में और पारूल की उम्र में काफी फर्क था इसलिए मुझे डर था कि कहीं मैं उसे अपने दिल की बात कहूं तो उसे बुरा ना लग जाए और यदि कहीं उसने यह बात राजीव जी से कह दी तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे इसलिए मैंने पारुल से इस बारे में बात नहीं की, मुझे डर भी था लेकिन मैंने एक दिन हिम्मत करते हुए पारुल से अपने दिल की बात कह दी, उसने उस दिन कुछ भी जवाब नहीं दिया मैं जब रात को अपने घर पर अपने काम से लौटा तो मैं यही सोचता रहा कि कहीं वह यह बात राजीव को ना बता दे क्योंकि राजीव जी के साथ मेरे संबंध बड़े ही अच्छे थे और इतने सालों तक मुझे कभी कोई ऐसी लड़की मिली ही नहीं जिससे की मैं अपने दिल की बात कह पाता या उसके साथ मुझे अच्छा लगता लेकिन मैं जब पारुल को देखता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता। अगले दिन जब मैं पारुल से मिला तो पारूल ने मुझे कहा कि देखिए संतोष जी मैं आपके बारे में बहुत अच्छा सोचती हूं और आपकी इज्जत भी करती हूं लेकिन मैं इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दे सकती, मैंने पारुल से कहा कोई बात नहीं लेकिन हम दोनों एक दूसरे के साथ बात तो कर सकते है, वह कहने लगी हां क्यों नहीं हम लोग एक अच्छे दोस्त हो सकते हैं।

मैं पारुल को उसके कॉलेज भी छोड़ने जाया करता, मैं राजीव जी से मिलने के लिए हमेशा ही चला जाया करता इस बहाने मेरी पारुल से भी मुलाकात हो जाए करती पारुल को देखते ही मेरे अंदर एक फीलिंग आती और मैं उसे अपने दिल की बात तो पहले ही कह चुका था। एक पारुल की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई उस वक्त राजीव जी ने मुझे फोन किया, जब उसकी तबीयत खराब हो गई तो हम लोग उसे अस्पताल लेकर गए, मैंने उस वक्त पारुल की बहुत ज्यादा देखभाल की, राजीव जी भी इस बात से हैरान थे कि आखिरकार मैं उनके लिए इतना क्यों कर रहा हूं लेकिन इसमें मेरा स्वार्थ ही था क्योंकि पारुल मुझे बहुत ज्यादा पसंद थी। एक दिन राजीव जी मुझे कहने लगे कि संतोष जी आपने तो मेरी बहन पारुल की बहुत देखभाल की, मैंने उन्हें कहा कि सर आपको जब भी मेरी जरूरत होगी तो मैं हमेशा आपके साथ खड़ा रहूंगा क्योंकि आपने भी मेरी मदद की थी लेकिन उन्हें यह बात नहीं पता थी कि मैं पारुल को पसंद करता हूं।

मेरी उम्र पारुल से काफी ज्यादा है लेकिन मैं पारुल से बहुत ज्यादा प्यार करता हूं पारुल को भी मेरे प्यार का एहसास होने लगा था, जब वह ठीक होने लगे तो एक दिन उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा कि संतोष जी आप ने मेरी बहुत देखभाल की आप एक बहुत अच्छे इंसान हैं। जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मुझे बहुत अच्छा लगा मैंने पारुल से कहा पारूल मैं तुमसे प्रेम करता हूं और मुझे नहीं पता कि मैं तुमसे इतना प्रेम क्यों करता हूं लेकिन जब भी मैं तुम्हें देखता हूं तो तुम्हें देख कर मेरे चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान आ जाती है और मैं बहुत ज्यादा खुश हो जाता हूं। पारुल को यह बात बहुत पसंद आई उसने मुझे गले लगा लिया और कहने लगी कि आप बहुत ही अच्छे इंसान हैं, मैं समझ चुका था कि मुझे इस बारे में राजीव जी से बात करनी चाहिए लेकिन मुझे डर लग रहा था लेकिन मैंने पारुल से कहा कि क्या तुम राजीव जी से इस बारे में बात कर सकती हो, वह कहने लगी नहीं मैं भैया से इस बारे में बात नहीं कर सकती यदि मैंने उनसे यह बात कही तो कहीं वह मेरे बारे में गलत ना समझे। हम दोनों ने एक दूसरे के रिश्ते को थोड़ा समय देने की सोची और हम दोनों ने एक दूसरे को थोड़ा समय दिया, एक दिन मैंने खुद यह बात राजीव जी से कह दी, उन्हे जैसे इस रिश्ते से कोई आपत्ति थी ही नहीं, उन्होंने हमारे रिश्ते को मंजूरी दे दी मैं बहुत ज्यादा खुश था और पारुल भी बहुत खुश थी हम दोनों एक साथ ज्यादा समय बिताते, मैं पारुल को छोड़ने उसके कॉलेज जाता और कॉलेज से भी मैं उसे लेकर आता। एक दिन हम दोनों ने साथ में रुकने का फैसला किया हम दोनों के रिश्ते को काफी समय हो चुका था। उस दिन हम दोनों एक साथ रुके पारूल मेरे साथ मेरे घर पर ही रुक गई वह मेरे लिए खाना बनाने लगी मैं अपने रूम में बैठकर काम कर रहा था मैं अपने लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था तभी वह पीछे से आए उसने उस दिन नाइटी पहनी हुई थी उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा।

जब उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा तो मैंने उसकी तरफ मुड़कर देखा मुझे उसे देखकर बड़ा ही अच्छा लगा मेरे अंदर एक जोश पैदा होने लगा मैंने पारूल के होठों को चूमना शुरू किया। उसके गुलाबी होठों को मैं जब अपने होठों से चूमता तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस होता उसके होंठो को मै काफी देर तक चूसता रहा। मैंने उसके कपड़े उतारे तो उसके स्तन देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया मेरे अंदर एक उत्तेजना पैदा होने लगी मैंने उसके होठों को तो काफी देर तक चूसा उसके स्तनों से भी मैंने उस दिन दूध निकाल कर रख दिया। मैंने जब उसकी चूत को चाटा तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा मैंने उसे घोड़ी बना दिया और घोड़ी बनाते ही उसकी चूत के अंदर लंड डाल दिया उसकी चूत में बहुत तेज दर्द होने लगा उसे बहुत मजा आ रहा था। वह अपने मुंह से सिसकिया ले रही थी उसके मुंह से बड़ी तेज सिसकिया निकलती मैं उसे उतनी ही तेजी से धक्के देता मुझे बड़ा अच्छा लगता।

उसे भी मुझसे अपनी चूत मरवाकर बहुत मजा आ रहा था हम दोनों ने रात भर सेक्स किया मेरा वीर्य जैसे ही पारूल की चूत में गिरा तो हम दोनों एक साथ लेट गए। मैंने जब पारूल को सेक्स के लिए तैयार किया तो वह अपनी चूत मरवाने के लिए तैयार हो गई मैंने दोबारा से उसकी चूत मारी। उसके बाद हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनना आम बात हो गया हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनने लगे थे एक बार वह प्रेग्नेंट भी हो गई थी लेकिन अब हमारे रिश्ते को मंजूरी मिल चुकी थी इसलिए मुझे इस बात का कोई डर नहीं था जल्दी हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। हम दोनों ने जब यह बात राजीव जी को बताई तो वह भी बहुत खुश थे हम दोनों ने शादी करने का फैसला ले ही लिया था तो इस बात से मेरे माता-पिता को भी कोई दिक्कत नहीं थी। मैंने और पारुल ने सगाई कर ली लेकिन हम दोनों की अभी शादी नहीं हुई है मुझे और पारूल को थोड़ा समय और चाहिए क्योकि पारुल मुझे कहने लगी मुझे अपने बलबूते कुछ करना है इसलिए हम दोनों ने अभी तक शादी नहीं की हम दोनों सेक्स का आनंद उठाते हैं वह ज्यादातर समय मेरे साथ ही रहती है।