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कुसूर मेरा नहीं, जवानी का है
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 मैं बचपन से ही अपनी शादी को लेकर हमेशा सपने देखती रहती थी, मैं बचपन में गुड्डा गुड़िया का खेल खेलती और उसमें मेरे भैया और हमारे पड़ोस के कुछ बच्चे होते थे मैं सब से यही कहती कि जब मेरी शादी होगी तो मुझे एक राजकुमार मिलेगा। मैं यह सपना हमेशा ही देखा करती थी और जैसे जैसे समय बीतता गया मैं बड़ी हो गई जब मैं कॉलेज में थी तो उस वक्त शायद मुझे इतनी समझ नहीं थी इसलिए मैं एक लड़के से प्यार कर बैठी और उससे ही मैंने शादी के सपने देख लिए लेकिन वह लड़का तो जैसे मेरे साथ धोखा कर रहा था और मुझे यह बात काफी समय बाद पता चली, जब मुझे उसकी असलियत पता चली तो मैंने उससे पूरी तरीके से संपर्क तोड़ लिया और उसे मैंने कहा आज के बाद कभी भी तुम मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना लेकिन उसके बाद भी वह मेरे पीछे पड़ा रहा। जब मैं उसकी हरकतों से परेशान हो गई तो मैंने अपने भैया से उसकी शिकायत की मेरे भैया कॉलेज में आए और उन्होंने उस लड़के की बहुत ज्यादा पिटाई की जिससे कि उसने उस दिन के बाद मेरी तरफ देखना ही छोड़ दिया।

अब मेरा कॉलेज भी पूरा हो चुका था और मेरी उम्र शादी की भी हो चुकी थी कुछ समय तक तो मैं एक प्राइवेट स्कूल में जॉब कर रही थी लेकिन मेरे लिए रिश्ते आने लगे थे पहले तो मैं अपने पापा को मना करती रही कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती लेकिन वह कहने लगे कि बेटा अब तो तुम्हें शादी करनी ही पड़ेगी अब तुम्हारी उम्र हो चुकी है। जिस वक्त मेरी शादी की बात चल रही थी उस वक्त मेरी उम्र 26 वर्ष थी और मुझे भी लगने लगा कि मुझे शादी कर लेनी चाहिए, जब मैं पहली बार अमित से मिली तो वह मुझे बात करने में अच्छे लगे और मैंने शादी के लिए हामी भर दी, मेरे पापा इस बात से बहुत खुश थे क्योंकि अमित के परिवार को वह पहले से ही जानते हैं।

अब जब सारी बातें हो चुकी थी तो बस हम दोनों की सगाई और शादी रह गई थी सगाई भी मेरे पिताजी ने एक बड़े होटल में करवाई क्योंकि हमारे घर में पहली शादी थी इसलिए वह चाहते थे कि शादी में किसी भी प्रकार की कोई कमी ना रह जाए उन्होंने मेरी शादी भी बड़े धूमधाम से करवाई, उन्होंने मुझे कहा देखो बेटा तुम्हें कोई भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है जो कुछ भी मेरे पास है वह सब तुम लोगों का ही तो है मैंने इतने साल अपनी नौकरी में दिए हैं लेकिन शायद मैं कभी भी खुशियां नहीं पा सका जो मैं चाहता था परंतु मैं चाहता हूं कि अब तुम लोग खुश रहो। जब मेरी विदाई हो रही थी तो मैं बहुत भावुक हो गई थी क्योंकि एक लड़की को दूसरे घर जाना होता है अमित के साथ जब मैं गाड़ी में बैठी हुई थी तो मैं अमित से बात करने लगी अमित मुझे कहने लगा मीनाक्षी तुम बिल्कुल भी चिंता ना करो मैं तुम्हारा साथ हमेशा दूंगा, मैंने अमित का हाथ पकड़ लिया और कहा कि मैं भी हमेशा से यही चाहती हूं कि जो मेरा हमसफ़र हो वह मेरा साथ दे। जब हम लोग अमित के घर पहुंचे तो वहां सब लोग हमारा इंतजार कर रहे थे मैं बहुत ही ज्यादा खुश थी अब शादी का रंग धीरे-धीरे फिका होने लगा था क्योंकि सारे रिश्तेदार जा चुके थे अमित और मेरे बीच में बहुत ही अच्छी बॉन्डिंग बन चुकी थी मैं अमित के साथ शादी कर के बहुत खुश थी अमित भी मेरा पूरा ख्याल रखते लेकिन जैसे जैसे शादी को समय होता गया तो मैं और अमित दूर होते चले गए। मैंने भी एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया था और हम दोनों के पास ज्यादा समय नहीं हो पाता था इसलिए हम दोनों एक दूसरे से बात भी नहीं करते थे अमित भी अपनी जॉब में व्यस्त रहने लगे थे और मैं भी अपने काम में कुछ ज्यादा ही उलझने लगी थी, अमित के परिवार में अमित के माता-पिता और उसकी एक बहन है और अमित का ममेरा लड़का भी हमारे साथ ही रहता है उसका नाम संकेत है। संकेत हमेशा ही हम दोनों के झगड़े देखा करता, संकेत बचपन से अमित के परिवार के साथ ही रहता है क्योंकि संकेत की पारिवारिक स्थिति कुछ ठीक नहीं है इसलिए अमित के परिवार के साथ ही वह बचपन से रहता है उन्होंने ही उसे पाला पोसा है और उसे पढ़ाया अब वह भी नौकरी करता है।

जब भी अमित और मेरे बीच में झगड़े होते तो संकेत हमेशा मुझे कहता की भाभी आप लोग इतना क्यों झगड़ते हो आप दोनों को देखकर तो मुझे बहुत खुशी होती है क्योंकि आप दोनों की जोड़ी तो लाखों में एक है। मैं और संकेत एक दिन साथ में बैठे हुए थे और संकेत इसी बात को लेकर मुझसे बात कर रहा था मैंने संकेत से कहा जब मेरी और अमित की शादी हुई थी तो उस वक्त अमित ने मुझे बहुत कुछ कहा था लेकिन अब अमित बदलने लगा है वह अब मेरी तरफ ना तो देखता है और ना ही मुझसे पहले जैसी बात करता है उसे तो कभी याद ही नहीं रहता कि मेरा जन्मदिन है, मैंने जब यह बात संकेत से कहीं तो संकेत कहने लगा भाभी ऐसा होता है क्योंकि अमित अपने काम में बिजी रहते हैं और ऑफिस का काम की व्यवस्था की वजह से शायद वह आपका जन्मदिन भूल गए होंगे लेकिन आपको इसको अपने दिल पर लेने की कोई जरूरत नहीं है हम सब लोग आपका जन्मदिन मनाएंगे।

संकेत ने उस दिन मेंरे जन्मदिन की पूरी तैयारी कर ली मैं जब अपने स्कूल से लौटी तो संकेत घर को पूरी तरीके से सजाया हुआ था और मैं यह सब देख कर खुश हो गई, जब अमित शाम को लौटे तो हम सब लोगों ने साथ में केक काटा काफी समय बाद सबके चेहरे पर खुशी थी और शायद मेरे जन्मदिन की वजह से वह सब लोग खुश थे लेकिन मैं इस बात के लिए संकेत को ही धन्यवाद देना चाहती थी क्योंकि उसने ही मेरे लिए इतना सब कुछ किया, मैंने संकेत से कहा संकेत तुम मेरी छोटी छोटी बात को कितना ध्यान में रखते हो और एक अमित हैं जो कि मेरे जन्मदिन तक भूल गए, संकेत मुझे कहने लगा भाभी अब आप यह सब भूल ही जाओ तो ठीक रहेगा हर परिवार में झगड़े होते हैं लेकिन सब लोगों के बीच सुलह भी हो जाती है इसलिए आपको यह सब चीजें भुलाकर अमित भैया के साथ अच्छे से रहना होगा। मैंने भी फिर यह सब भुला दिया था और मैं अमित के साथ अब अच्छे से रहने लगी थी हम दोनों के रिलेशन में पहले से ज्यादा मिठास आने लगी और दोबारा से हम दोनों पहले जैसे ही हो गए अब हम दोनों साथ में मूवी देखने भी जाने लगे और सब कुछ पहले जैसा सामान्य होने लगा, इसमें कहीं ना कहीं संकेत ने भी मेरा बहुत साथ दिया क्योंकि मैंने अमित से इस बारे में बात की थी तो अमित ने कहा था कि अब मैं तुम्हें कभी भी शिकायत का मौका नहीं दूंगा लेकिन मेरा दिल उस वक्त टूट गया जब मैंने अमित के फोन पर उसके ऑफिस की एक लड़की की तस्वीर देखी और इस बात से मेरा दिल बुरी तरीके से टूट चुका था, मैं तो सोचने लगी कि मैं अमित को छोड़ कर अपने घर चली जाऊं लेकिन मैं यह कदम भी नहीं उठा सकती थी क्योंकि इससे पापा की बदनामी होती और इसी वजह से मैं यह कदम नहीं उठा पाई, अमित और मेरे रिश्ते पूरी तरीके से टूट चुके थे मैं बस सिर्फ अमित के साथ नाम के लिए रह रही थी और इसी बीच मैं प्रेग्नेंट भी हो गई जब मैं प्रेग्नेंट हो गई तो मैं सिर्फ अपना ध्यान रखने लगी और जब मेरी डिलीवरी हो गई तो उसके बाद मैं जैसे अपने बच्चे में ही खो गई और सिर्फ उसका ध्यान देती, अमित भी अब मुझसे ज्यादा बात नहीं किया करते थे, उन्हें जब मुझसे काम होता तो ही वह मुझसे बात करते हैं लेकिन संकेत मेरा बड़ा ध्यान रखा करता था।

संकेत की वजह से ही मैं कभी कभार मुस्कुरा दिया करती थी एक दिन संकेत मुझे कहने लगा भाभी आप बहुत ज्यादा दुखी रहने लगी हो आपके चेहरे पर पहले जैसी मुस्कुराहट बिल्कुल भी नहीं है। मैंने संकेत से कहा बस अब जिंदगी ऐसे ही कटने वाली है जब भी मैं संकेत के साथ होती तो मुझे अच्छा लगता। एक दिन मैं अपने कमरे में कपड़े चेंज कर रही थी तब शायद संकेत ने मुझे देख लिया था वह मेरे पास आया और मेरे पास ही बैठ गया। जब वह मेरे पास आकर बैठा तो वह मुझसे कहने लगा भाभीजी आप तो बड़ी ही सुंदर हैं उसने मुझे यह कहते हुए अपनी बाहों में ले लिया। मैंने संकेत से कहा तुम यह क्या कर रहे हो वह मुझे कहने लगा भाभी मैंने जब आपको आज नग्न अवस्था में देखा तो मैं अपने ऊपर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूं आप चाहे मुझे बुरा भला कहे लेकिन जबसे मैंने आपके गोरे बदन को देखा है तो मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा हूं।

यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे होठों को चूमने लगा उसके किस से मेरे अंदर भी जोश पैदा होने लगा काफी समय बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कि किसी ने मेरे सूखे होठों को गिला कर दिया हो। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई मैंने अपने कपड़े खोलने शुरू कर दिए मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए जब मैं नंगी हो गई तो संकेत ने मेरे स्तनों को चूसना शुरू कर दिया वह मेरे स्तनों का रसपान करने लगा। उसने जब अपने लंड को मेरे चूत पर लगाया तो मैं मचल उठी और उसने जोरदार झटके से मेरी चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। उसका लंड मेरी चूत में जाते ही मुझे दर्द महसूस होने लगा मैं चिल्लाने लगी वह मुझे तेजी से धक्के दिए जा रहा था और मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। उसने मुझे बहुत देर तक चोदा इतने समय बाद किसी ने मेरे साथ संभोग किया था इसलिए मुझे बहुत ज्यादा मजा आया। जब संकेत का वीर्य पतन हो गया तो उसने अपने कपड़े पहन लिए और मुझे कहने लगा भाभी मुझे माफ कर दो मैं अपने जवानी पर काबू नहीं रख सका। मैंने उसे कहा संकेत कोई बात नहीं ऐसा जवानी में अक्सर हो जाता है, उसके बाद तो संकेत अपनी जवानी को मुझ पर निछावर करता रहा और मेरे गोरे बदन को वह अपना बनाता रहा।

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