भाभी के साथ जंगल में मंगल

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मेरा नाम शुभम है मैं पेशे से वकील हूं मैंने कुछ समय पहले ही अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की है और उसके बाद मैं एक सीनियर वकील के साथ ट्रेनिंग कर रहा हूं। मैं भोपाल का रहने वाला हूं और मेरे पिताजी स्कूल में क्लर्क हैं उनका सपना हमेशा से ही था कि मैं एक बड़ा वकील बनू इसीलिए मैंने इसी फिल्ड में जाने की सोची क्योंकि मैं अपने पिताजी का सपना पूरा करना चाहता था, उन्हें मैं हमेशा ही कहता था कि मैं आपके सपनों को पूरा कर दिखाऊंगा। उन्होंने अपने जीवन में बडे ही कष्ट देखे हैं उन्होंने जिस प्रकार से मुझे पढ़ाया है और जिस प्रकार से उन्होंने अपनी जिंदगी में कठिनाइयों का सामना बडे ही अच्छे तरीके से किया वह मेरे लिए एक मिसाल है, मेरी मम्मी भी मेरे बारे में बहुत ही सोचती हैं।

मैं मम्मी से कहता हूं कि बस एक बार मेरी प्रैक्टिस खत्म हो जाए उसके बाद मैं शादी कर लूंगा और तुम्हारे लिए एक सुंदर सी बहू ले आऊंगा, मेरी मम्मी कहती है कि क्या तुम अपने लिए खुद ही लड़की देखोगे या फिर हमें भी देखने दोगे, मैं अपनी मम्मी से कहता हूं कि यदि मुझे कोई अच्छी लड़की मिल गई तो मैं उससे शादी कर लूंगा और यदि आपको कोई ऐसी लड़की मिल जाए तो आप मुझे बता दीजिएगा परंतु मुझे पता नहीं था कि मुझे एक लड़की जल्दी ही मिलने वाली है। एक बार एक लड़की कुछ केस लेकर मेरे पास आई और उसने कहा कि एक व्यक्ति ने मुझसे पैसे ले लिए और अब वह पैसे देने का नाम नहीं ले रहा। उसका केस भी चल रहा था और उसी बीच मैंने उसका केस भी लड़ा, उसका नाम सुरभि है सुरभि और मेरी मुलाकात इसी केस के दौरान हुई थी और जब वह यह केस जीत गई तो उसके बाद हम दोनों की बातें बढ़ने लगी और एक दिन मैं सुरभि को मिलाने अपने माता पिता से भी ले गया, मेरे माता-पिता भी सुरभि से मिलकर बहुत खुश हुए, मैंने उस दिन अपनी मम्मी को कह दिया कि मैं अब सुरभि से ही शादी करना चाहता हूं, वह कहने लगी हमें भी सुरभि अच्छी लगी, मेरे माता-पिता ने भी उसके बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया क्योंकि हर कोई परिवार चाहता है कि उसके घर में जो बहू आये वह एक सीधी साधी और घर का ध्यान रखने वाली लड़की हो।

जब वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गए तो वह कहने लगे अब हम पूरी तरीके से संतुष्ट हो चुके हैं और हम तुम दोनों के रिश्ते की बात को आगे बढ़ाना चाहते हैं, हम दोनों के रिश्ते की बात भी आगे बढ़ रही थी और उसी बीच हमारे कॉलोनी में कुछ चोरियां और कुछ छीना झपटी की खबरें भी आने लगी, दरअसल हमारी जो कॉलोनी है वह बिल्कुल ही अलग बनी हुई है और शहर से थोड़ा हटकर है वहां रात के वक्त कुछ लोग, लोगों से छीना झपटी करने लगे लेकिन यह बात पता ही नहीं चल पा रही थी कि वह लोग कौन हैं, इस बारे में हमारी कॉलोनी के लोगों ने पुलिस स्टेशन में भी कंप्लेंट करवाई थी परंतु इस बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी। मैंने एक दिन सोचा कि इस बात की तह तक मैं जाता हूं कि आखिरकार यह कौन लोग हैं जो लोगों से छीना झपटी कर रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों ने शिकायत कार्रवाई थी कि उनका उनका मोबाइल छीन लिया गया है और कुछ लोग रात के वक्त आ रहे थे तो उनसे पैसे भी छीन लिए गए थे, मुझे भी डर था कि यदि कभी मैं रात को आऊँ तो मेरे साथ ऐसी दुर्घटना या मेरे साथ ऐसा कोई हादसा हो जाए तो वह भी उचित नहीं है इसलिए मैं इसकी तह तक जाना चाहता था। मैं दिन रात को कंबल ओढ़ कर पेड़ के पास खड़ा हो गया मैंने देखा तो उस दिन मुझे वहां पर कोई भी नहीं दिखाई दिया मैंने सोचा कहीं मैं अपनी नींद खराब तो नहीं कर रहा लेकिन उसके कुछ दिनों बाद फिर से दोबारा हमारी कॉलोनी के एक व्यक्ति का मोबाइल और उनकी गाड़ी छीन ली गई मैंने सोचा अब तो इस बारे में जांच पड़ताल करनी ही पड़ेगी क्योंकि यह काफी बढ़ने लगा था और पुलिस भी इस बारे में कुछ करने को तैयार नहीं थी। मैं एक दिन काला कंबल ओढ़ कर बाहर निकला ही था तभी मेरी मम्मी ने मुझे देख लिया और कहने लगी तुम यह काला कंबल ओढ़ कर कहां जा रहे हो? तुम्हारा दिमाग तो सही है, मैंने अपनी मम्मी से कहा नहीं मम्मी बस ऐसे ही बाहर टहलने जा रहा था। वह कहने लगी इस गर्मी में तुम कंबल ओढ़ कर जा रहे हो लगता नहीं है कि तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर है।

उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा कि तुम अंदर सो जाओ, मैं भी चुपचाप अंदर चला गया और जब कुछ देर बाद मेरे मम्मी पापा के कमरे की लाइट बुझ गई तो मैं उठ कर बाहर की तरफ चला गया और मैं जब बाहर गया तो मैं एक बड़े से पेड़ के पीछे झाड़ियों में छुप कर बैठ गया, मैं यह सब देखने की कोशिश कर रहा था कि आखिरकार यह माजरा क्या है और कौन लोग हैं जो हमारे कॉलोनी के लोगों को परेशान कर रहे हैं, मेरे हाथ में बड़ा सा डंडा भी था क्योंकि मुझे खुद भी सुरक्षित रहना था मैं काफी देर तक वहीं बैठा रहा और लगभग आधा घंटा हो चुका था, आधे घंटे से कोई भी हरकत नहीं हुई थी ना तो कोई व्यक्ति मुझे दिखाई दे रहा था और ना ही ऐसा कुछ मुझे आभास हो रहा था मैंने सोचा कि बेकार ही मैं अपनी नींद खराब कर रहा हूं मुझे घर ही चले जाना चाहिए। जब मैं घर जाने की सोच रहा था उसी वक्त मुझे झाड़ियों में कुछ हरकत होती हुई दिखाई दी मैंने सोचा कि वहां पर शायद कोई है। मैं दबे पांव वहां जाने लगा तभी मैंने वहां देखा तो वहां पर दो लोग थे। मुझे आगे कुछ अच्छे से दिखाई नहीं दे रहा था मैं जैसे ही थोड़ा सा नजदीक गया तो मैंने देखा वहां पर रीता भाभी और आशुतोष जी हैं। वह दोनों ही हमारे कॉलोनी के हैं आशुतोष  जी उन्हे घोड़ी बनाकर चोद रहे थे मैं यह सब देख रहा था। मैं सोचने लगा रीता भाभी तो इतनी ज्यादा शरीफ है उनके ऊपर तो कोई भी शक नहीं कर सकता। आशुतोष जी बड़ी तेज गति से धक्के मार रहे थे उन्हें देखकर मेरा मूड खराब हो गया। मैं उनके पास गया तो मैंने डंडे से उनके सर पर प्रहार कर दिया वह वहीं बेहोश होकर गिर गए रीता भाभी घोड़ी बनी हुई थी।

उन्हें कुछ भी पता नहीं चला मैंने भी जल्दी से अपने लंड को बाहर निकलते हुए उनकी योनि के अंदर डाल दिया और उन्हें तेज गति से धक्के मारने लगा। मैं बड़ी तेजी से उन्हे धक्के मार रहा था वह कहने लगी अरे आशुतोष तुम्हारा लंड मोटा हो गया है अभी तक तो तुम्हारा लंड बहुत ही छोटा था लेकिन अभी इतना मोटा कैसे हो गया। मैं चुपचाप था मै उनकी बड़ी चूतडो पर तेजी से प्रहार करता रहा। मैंने कंबल अब भी अपने मुंह पर ओठा हुआ था, मै ऐसे ही उन्हें तेजी से चोद रहा था, उनकी चूतडो का साइज 38 नंबर का था लेकिन मुझे उनकी चूत मारने में बहुत मजा आ गया। मेरे वीर्य पतन जल्दी हो गया मैने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उनकी चूतडो पर गिरा दिया। जैसे ही मैंने देखा आशुतोष  जी को होश आने लगा है मै जल्दी से वहा से भाग गया। मैं अपने कमरे में जाकर सो गया मैं जब अपने कमरे में था तो मैंने सोचा आज तो मुझे रीता भाभी की चूत मिल गई और मुझे आज बहुत ही मजा आ गया। मैं यह सोच रहा आशुतोष और रीता जी यही सोच रहे होंगे आखिर यह सब क्या हुआ लेकिन मुझे बहुत ही मजा आ गया। उसके बाद पुलिस ने उन बदमाशों को पकड़ लिया जो हमारी कॉलोनी के लोगों से छीना झपटी कर रहे थे। जब वह पकड़े गए उसके बाद हमारी कॉलोनी में सब लोग निश्चिंत हो गए। जिस रास्ते से लोग आते थे वहां पर भी कॉलोनी के लोगों ने लाइट लगवा दी थी लेकिन अब भी वहां बहुत ही घनी झाड़ियां थी मैंने एक दो बार वहां रीता भाभी और आशुतोष जी को भी देखा। उन दोनों को आज तक यह बात पता नहीं चल पाई कि उस दिन उन दोनों के साथ आखिरकार हुआ क्या था। मैं जब भी उन दोनों के चेहरे देखता तो मुझे बहुत ही हंसी आ जाती। जब सुरभि के साथ मेरी सगाई हो गई तो मैं बहुत ही खुश हो गया।