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बस स्टॉप पर मिली कमसिन लड़की को चोदा
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मेरा नाम राहुल है मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 29 वर्ष है। मैंने जयपुर से ही पढ़ाई की है और उसके बाद मैं जयपुर में ही काम करने लगा। हालांकि मेरे पिताजी का एक बहुत ही बड़ा कारोबार है लेकिन फिर भी मैं नहीं चाहता कि मैं उनसे किसी भी प्रकार की मदद लूँ। मैं अपने पैरों पर खुद ही खड़ा होना चाहता था इसलिए मैंने नौकरी करने की सोची। जब मेरा कॉलेज पूरा हो गया तो उसके बाद मैंने एक कम्पनी जवाइन कर ली,  मैंने वहीं पर जॉब करनी शुरू कर दी। मुझे जॉब करते हुए काफी समय हो चुका है। मेरे पिताजी मुझे कई बार कहते हैं कि तुम्हें नौकरी करने की जरूरत क्या है लेकिन मैं उन्हें कहता हूं मैं अपने पैरों पर खुद ही खड़ा होना चाहता हूं।

मेरे पिताजी मुझे कहते हैं कि यह सब तुम्हारा ही तो है, मैंने उन्हें कहा कि ठीक है वह तो मुझे भी मालूम है पर फिर भी मैं अपने बलबूते पर कुछ करना चाहता हूं क्योंकि मैं घर में इकलौता हूं इसी वजह से मेरे पिताजी हमेशा ही मुझे कहते हैं, तुम घर में अकेले ही हो और यह सब कुछ तुम्हारा है। मैं उनसे ज्यादा बात नहीं करता परंतु मैं जब भी उनसे बात करता हूं तो उन्हें हमेशा ही यही कहता हूं की मैं अपनी मेहनत पर ही कुछ करना चाहता हूं। मैंने अपने पैसों से ही अपने लिए कार खरीद ली। मेरे पिताजी भी कहीं ना कहीं अंदर से खुश थे पर वह अपने चेहरे पर दिखाना नहीं चाहते थे, वह अपने चेहरे पर हमेशा ही ऐसा भाव लाते थे जिससे कि मुझे उन्हें देखकर ऐसा लगता था की जैसे यह चाहते हैं कि मैं इनके साथ काम करूं परंतु मैं अपनी नौकरी से खुश था और अपने काम पर ही ध्यान दे रहा था। मैं जब ऑफिस से वापस लौट रहा था तो उस दिन मेरी कार रास्ते में ही खराब हो गई, जब मैंने मैकेनिक को फोन किया तो मैकेनिक को आने में बहुत टाइम लग गया। मैंने उसे कहा कि इसमें क्या दिक्कत हो गई है, वह कहने लगा कि आप यह गाड़ी कल मेरे घर से ले जाइएगा क्योंकि वह मकैनिक मेरा परिचित है इसलिए मैंने उसे गाड़ी की चाबी दी थी। मैं बस स्टैंड में ही खड़ा था और मैंने बस स्टैंड में एक लड़की खड़ी देखी, मैं उसे काफी देर से देखे जा रहा था और वह भी मुझे देखने पर लगी हुई थी।

वह बहुत ही अच्छी लग रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी जगह जॉब करती है। जैसे ही बस आई तो उस समय बहुत ज्यादा भीड़ हो गई और मैं बस में चढ़ भी नहीं पाया। वह लड़की भी वहीं पर खड़ी थी और वह भी बस में नही गई। मैंने सोचा क्यों ना मैं उससे बात कर लूं, मैंने जब उससे बात की तो मैंने उसका नाम पूछ लिया, उसका नाम आरोही है। मैंने उससे पूछा कि क्या आप कहीं जॉब करते हैं, वह कहने लगी कि हां मैं यहीं पास में जॉब करती हूं। मैं और आरोही बस स्टैंड पर ही बैठे हुए थे। वह मुझे कहने लगी कि शाम के वक्त बस में बहुत भीड़ रहती है, मैं हमेशा ही शाम को इसी वक्त जाती हूं। वह मुझसे बहुत ही खुल कर बात कर रही थी और मुझे उससे बात कर के भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि जैसे मैं उससे पहली बार मिल रहा हूं या फिर वह मुझसे पहली बार मिल रही है। मैंने भी उसे बताया कि मैं भी एक कंपनी में जॉब करता हूं, मैंने जब आरोही का नंबर ले लिया तो उसी वक्त दूसरी बस आ गई, उस बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी इसलिए हम दोनों ही उस बस में चढ़ गए। जब हम दोनों ही उस बस में चढ़े तो मैं आरोही से बहुत बात कर रहा था, उसे तो बैठने के लिए सीट मिल गई परंतु मैं खड़ा ही था और मैं आरोही से बात कर रहा था। मैंने उसे कहा कि सुबह तुम किस वक्त ऑफिस आती हो, तो कहने लगी कि मैं सुबह 9 बजे घर से निकल जाती हूं। मैंने उसे कहा कि क्या मैं तुम्हें रिसीव कर सकता हूं, वह कहने लगी ठीक है, तुम भी 9 बजे आ जाते हो तो मैं तुम्हारे साथ ही ऑफिस आ जाया करूंगी। मैंने उसे बताया कि मेरी आज रास्ते में गाड़ी खराब हो गई इसलिए मुझे बस से आना पड़ा। आरोही अगले स्टेशन पर उतर गई और मैं अपने घर चला गया। मैंने अगले दिन जब आरोही को फोन किया तो उसने मेरा फोन उठा लिया और कहने लगी आज आप आए नहीं, मैंने उसे कहा कि दरअसल आज ही मैंने मैकेनिक से अपनी कार ली है और कल से मैं तुम्हें रिसीव कर लूंगा।

मैं अगले दिन 9 बजे उसी स्टैंड पर पहुंच गया, मैंने उसे फोन किया और वह कहने लगी बस कुछ देर में मैं आती हूं। वह जल्दी से आ गई और अब मेरे साथ ही वह कार में बैठ गई। मैंने उस दिन उसके ऑफिस उसे ड्रॉप किया और शाम को आते वक्त उसे मैं ऑफिस से ले आया। अब हम दोनों एक साथ ही ऑफिस जाते थे। मेरी और आरोही के बीच बहुत बातें होती थी, मुझे आरोही से बात करना बहुत अच्छा लगता था और उसे भी मेरे साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था। हमारी जिस दिन में छुट्टी होती थी उस दिन हम दोनों ही साथ में समय बिताते थे। मैं एक दिन आरोही को अपने घर पर भी ले आया। जब मैं उसे अपने घर पर ले आया तो वह कहने लगी तुम्हारा घर तो बहुत बड़ा है। मैंने उससे कहा कि यह तो मेरे पिताजी का है, आरोही कहने लगी वह तो तुम्हारे ही पिताजी हैं लेकिन जब उसे मेरी बात का आभास हुआ तो उसे लगा कि मैं एक स्वाभिमानी किस्म का व्यक्ति हूं। वह मेरी बातों को समझ चुकी थी, मैंने उसे अपने घर पर भी मिलवाया था। मेरे घर वाले भी उससे मिलकर बहुत खुश थे क्योंकि मैं अपने घर के ऊपर वाले फ्लोर में रहता था इसलिए उसका रास्ता ही अलग था। कई बार आरोही और मैं घर में आते थे परंतु मेरी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चलता था। हम दोनों के बीच में सिर्फ किस हुआ था लेकिन एक दिन मेरा बहुत ज्यादा मन था कि मैं आरोही की चोदू।

मैं उस दिन उसे चुपके से अपने घर में ले आया और हम लोग सिढियों के रास्ते ऊपर चले गए। जब हम लोगों ऊपर गए तो मैंने उसे कहा कि आज मेरा तुम्हें चोदने का बहुत मन है पहले वह मुझे मना कर रही थी लेकिन मैंने उसे मना लिया। मैंने जब उसे नंगा किया तो उसका पूरा बदन हल्का लाल रंग का था। मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और उसे अपने बिस्तर पर लेटा दिया। जब वह मेरे बिस्तर पर लेटी तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा मैंने उसके स्तनों का रसपान बहुत अच्छे से किया और काफी देर तक उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसता रहा। अब उससे भी बिल्कुल नहीं रहा गया और उसने भी मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया। जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया तो वह बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी मेरे लंड का पानी बाहर की तरफ निकलने लगा। ऐसा काफी देर तक करने के बाद मैंने भी उसके दोनों पैरों को चौडा करते हुए उसकी योनि के अंदर जैसे ही अपने लंड को डाला तो उसकी चूत से खून की पिचकारी मेरे लंड पर आ गिरी जब उसकी खून की पिचकारी मेरे लंड पर आ गिरी तो मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा और मैंने भी उसे बड़ी तेजी से धक्के देना शुरू कर दिया। वह अपने मुंह से मादक आवाज निकालती और मुझे अपनी और आकर्षित करती मेरा लंड भी उसकी पूरी योनि की दीवार तक जा रहा था। जब मेरा लंड अंदर बाहर होता तो उसे और भी मजा आता उसकी योनि से पूरा पानी बाहर की तरफ आ जाता। वह मुझे कहती कि तुम जिस प्रकार से मुझे चोद रहे हो मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा है क्योंकि मैं ऐसा ही सोचती थी कि कोई मुझे इस प्रकार से चोदे तुमने आज मेरी इच्छा को पूरी कर दिया है। जब उसन यह बात मुझसे कही तो मैंने भी उसे बड़ी तेजी से चोदना शुरू कर दिया। मैंने उसे इतनी तेज तेज धक्के मारे की उसके मुंह से बड़ी तेज आवाज निकलने लगी। वह भी मेरा साथ दे रही थी उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और मैं समझ चुका था कि वह झड़ने वाली है इसलिए मैंने उसे बड़ी तेज धक्के मारे और उन झटको के बीच में मेरा माल उसकी योनि के अंदर ही गिर गया। जब मेरा माल उसकी योनि में गया तो मैं उसे पकड़ कर लेट गया।

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