आंटी की गांड जैसे मुलायम चादर

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मेरा नाम संतोष है मैं मुंबई का रहने वाला हूं, मेरे पिताजी बैंक में मैनेजर हैं। मैं एक अच्छी कंपनी में नौकरी करता हूं, मेरी सैलरी भी अच्छी है और मैं अपने काम से भी बहुत संतुष्ट हूं। मैं जिस सोसाइटी में रहता हूं वहां पर हमारे आस पास सभी लोग अच्छे हैं और हमारी सोसाइटी में सब लोग एक दूसरे की बहुत मदद करते हैं यदि किसी को भी कोई समस्या होती है तो हमारी कॉलोनी के हर एक व्यक्ति उसके दुख दर्द में साथ खड़ा रहता है इसलिए मुझे अपनी सोसाइटी में रहना बहुत अच्छा लगता है और वहां पर सब लोग बहुत ही फ्रेंडली किस्म के हैं। मैं सुबह जब भी मॉर्निंग वॉक पर निकलता हूं तो हमारी कॉलोनी में जितने भी अंकल हैं वह सब मुझे बहुत अच्छे से पहचानते हैं क्योंकि मेरे परिवार को सोसाइटी में रहते हुए काफी वक्त हो चुका है। सुबह के वक्त मेरे पापा भी मेरे साथ मॉर्निंग वॉक पर कभी कबार चल पड़ते हैं, वैसे वह इन सब चीजों में बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते।

वह कहते हैं कि जितना खाओगे उतना ही तंदुरुस्त रहोगे, मैं उन्हें हमेशा समझाता हूं कि आप थोड़ा चल फिर लीजिए नहीं तो आप की तबीयत खराब हो जाएगी लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं मानते। सुबह वह अपने ऑफिस कार से ही जाते हैं और शाम को भी अपने ऑफिस कार से ही लौटते हैं, वह किसी की भी बात नहीं मानते। कभी कबार मैं उन्हें जिद कर के अपने साथ मॉर्निंग वॉक पर ले चलता हूं, मैं अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखता हूं।, मुझे अपनी हेल्थ का पूरा ध्यान रखना अच्छा लगता है इसलिए मैं सुबह उठकर हमेशा मॉर्निंग वॉक पर जाता हूं, उसके बाद मैं नाश्ता करके अपने ऑफिस के लिए चला जाता हूं और कभी मुझे शाम को समय मिलता है तो मैं शाम के वक्त भी थोड़ा बहुत टहलने के लिए निकल जाता हूं। मेरी बहन की शादी को भी हुए 10 वर्ष हो चुके हैं और वह अपने पति के साथ विदेश में ही रहती है, कभी कबार वह घर आती है, वह हर हफ्ते मम्मी को फोन करती है, उसका मेरी मम्मी के साथ बहुत लगाव है और वह मम्मी को बहुत मानती है।

मैं एक दिन अपने ऑफिस अपनी कार से जा रहा था तो मैंने देखा कि मेरी कार का टायर पंचर हो चुका है, मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रही थी इसलिए मैंने भी कार साइड में खड़ी की और मैं पैदल चलकर बस स्टैंड तक पहुंच गया, मैं जब बस स्टैंड पहुंचा तो मैं बस का इंतजार कर रहा था जैसे ही बस आई तो मैं जल्दी से बस में बैठ गया, बस में काफी भीड़ थी और मैं काफी समय बाद बस में बैठा था इसीलिए बस में काफी धक्का-मुक्की हो रही थी और मैं सोचने लगा कि मैंने गलती कर दी कि मैं बस में आ गया उससे अच्छा तो यही होता कि मैं किसी पंचर वाले को टायर दिखा देता और उसके बाद ही मैं ऑफिस जाता लेकिन मैं बस में चढ़ चुका था। मैंने थोड़ा बहुत धक्का देकर अपने लिए जगह बना ली थी, मैंने जब अपनी जगह बना ली तो मैं एक कोने में चुपचाप खड़ा था और मैंने बस के ऊपर लगे डंडे को पकड़ा हुआ था, मैंने बड़ी मुश्किल से अपने जेब से फोन को बाहर निकाला तो मैंने देखा कि उसमें मेरे ऑफिस से कॉल आई हुई थी, मैंने भी तुरंत कॉल बैक की और मैंने अपने ऑफिस में बता दिया कि मुझे आने में थोड़ा लेट हो जाएगी क्योंकि मेरी कार का रास्ते में टायर पंचर हो गया था। मैंने जब फोन रखा तो मैंने देखा हमारी कॉलोनी की एक आंटी किसी पुरुष के साथ बैठी हुई है, मैं उन्हें देख रहा था लेकिन उनका ध्यान उस व्यक्ति के साथ बात करने पर था,  पहले मुझे लगा शायद उनके पति होंगे लेकिन जब मैंने थोड़ा नजदीक से देखा तो वह कोई और पुरुष थे और वह उनके साथ बड़े ही चिपक कर बात कर रहे थे। मुझे उन पर थोड़ा शक हुआ लेकिन मैंने कभी भी आंटी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था, मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं। मैं जब उन्हें देख रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि उनका किसी और पुरुष के साथ रिलेशन है लेकिन मैं उनके पर्सनल लाइफ के बीच में कुछ भी नहीं बोलना चाहता था इसलिए मैं पीछे के गेट से ही उतर गया और वहां से अपने ऑफिस चला गया। मैं जब अपने ऑफिस में गया तो मेरा दोस्त मुझसे पूछने लगा तुमने बहुत देर कर दी तुम कहां रह गए थे, मैंने उसे बताया कि मेरी रास्ते में कार खराब हो गई थी इसलिए मुझे आने में वक्त हो गया। मैंने उस दिन अपना सारा काम किया और उसके बाद मैं ऑफिस से निकल गया। मैंने  जहां पर अपनी कार पार्क की थी वहां पर मैं अपने साथ एक मैकेनिक को ले गया, उसने गाड़ी का टायर सही किया उसके बाद मैं घर लौटा तो मुझे काव्या आंटी दिखाई दी, उन्होंने ही मुझसे बात कर ली, मैं उनसे बचने की कोशिश कर रहा था और सोच रहा था कि मैं घर निकल जाऊ लेकिन उन्होंने मुझे रोक लिया।

मैंने आंटी से पूछा आपका कॉलेज कैसा चल रहा है, वह कहने लगी कॉलेज में तो मैं बहुत अच्छे से पढ़ाती हूं और सब बच्चे मेरा पढ़ाया हुआ बहुत अच्छे से याद रखते हैं। मैं उनके साथ बातें करने लगा, मेरे मुंह से निकल गया कि मैंने आज आपको बस में देख लिया था और आपके साथ में कोई पुरुष बैठे हुए थे, वह मुझे कहने लगे तुम इस बारे में किसी को कुछ भी मत बताना। मैंने उन्हें कहा आपको छुपाने की क्या जरूरत है आप तो बड़ी अच्छी महिला हैं। वह कहने लगी मेरे पति को पता चला तो वह मुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे, उन्होंने मुझे कहा मेरे साथ मेरे घर चलो। आंटी मुझे अपने साथ घर ले गई, जब मैं उनके घर पर गया तो उन्होंने अपनी अलमारी से वाइट कलर की नाइटी निकाल ली और उसे पहन लिया। जब वह वाइट कलर की नाइटी में मेरे सामने आई तो वह अपनी गांड पर बार बार हाथ लगा रही थी। मैं उनकी गांड को देखकर उत्तेजित होने लगा था।

मेरा लंड उनकी गांड को देखकर खड़ा हो गया, मेरा लंड मुझसे चिल्लाकर कह रहा था आंटी की गांड में लंड डाल दो, मैंने भी ज्यादा देरी नहीं की मैंने आंटी के मुंह में अपना लंड डाला तो उन्होंने मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे लॉलीपॉप हो, उन्होंने बड़ी देर तक लंड का सेवन किया, जब मेरा वीर्य उनके मुंह के अंदर गया तो वह उसे एक ही झटके में निगल गई। उन्होंने अपनी नाइटी को ऊपर किया तो मैंने उनकी बड़ी सी गांड पर जब अपना हाथ लगाया तो उनकी गांड बड़ी गरम हो रही थी, वह उस वक्त 40 डिग्री टेंपरेचर पर गर्म थी, मैं समझ गया अब यह बिल्कुल सही वक्त है। मैंने भी उन्हें थोड़ा सा नीचे झुकाया और जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी योनि में घुसाया तो उनकी योनि से पानी निकल ही रहा था। मैंने बड़ी तेजी से उन्हें धक्के देना शुरू किया और मैंने उन्हें 5 मिनट तक बड़े अच्छे से पेला जैसे ही मेरा वीर्य आंटी की योनि में गिरा तो मैंने उनकी गांड को खोलना शुरू किया उनकी गांड के छेद के अंदर मैने उंगली डाल दी। वह भी समझ चुकी थी कि मैं उनकी गांड मारने वाला हूं, मैंने  अपने लंड को हिलाते हुए अपने लंड को खड़ा किया। जब मेरा लंड दोबारा से खड़ा हुआ तो मैंने बड़ी तेजी से आंटी के गांड के छेद पर अपने लंड को सटाया। जैसी ही मेरा लंड आंटी की गांड मे गया तो वह मुझे कहने लगी बेटा तुमने तो आज मेरी गांड के घोड़े खोल दिए। मैंने उनकी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनकी गांड पर मैने अपने हाथ से प्रहार किया। मै उन्हें ऐसे झटके दे रहा था जैसे कि कोई कुत्ता कुत्तिया को चोद रहा हो। वह अपने मुंह से मादक आवाज निकाल रही थी और उनकी मादक आवाज इतना ज्यादा होता कि मैंने भी उन्हें बड़ी तेज गति से धक्के देना शुरू किया लेकिन मैं उनकी मुलायम का मजा  ज्यादा देर  तक नहीं उठा पाया, जब मेरा वीर्य पतन उनकी गांड के अंदर हुआ तो कुछ देर तक तो मैं उन्हें पकड़ कर लेटा रहा। मैंने अपने लंड को आंटी की गांड से बाहर निकाल लिया जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी गांड से बाहर निकाला तो मेरा वीर्य भी उनकी गांड से बड़ी तेजी से बाहर की तरफ को निकल रहा था। वह मुझे कहने लगी तुमने तो कसम से आज मजा ही दिलवा दिया, तुम्हारा लंड भी कम मोटा नहीं है। मैंने आंटी से कहा क्या आप दोबारा मेरा लंड अपनी गांड में लेना पसंद करेंगी, वह कहने लगी हां तुम्हारा जब भी मन हो तुम मेरे पास चले आना लेकिन अभी मेरी गांड बहुत दर्द हो रही है अभी मेरे अंदर हिम्मत नहीं है।