मैंने अपनी चूत सौंप दी

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मेरा नाम संगीता है मैं एक ग्रहणी हूं और मैं घर पर ही रहती हूं, मेरी शादी को 4 वर्ष हो चुके हैं लेकिन मुझे मेरे पति से जो सुख मिलना चाहिए था वह उन्होंने मुझे कभी भी नहीं दिया, वह हमेशा मुझे डांटते रहते हैं, हर बात पर वह मेरी कमियां निकालते हैं। मेरा ससुराल लखनऊ में है लेकिन मेरे पति की पोस्टिंग इस वक्त बिजनौर में है, मैं उन्हीं के साथ रहती हूं। जब हम लोग लखनऊ में रहते थे तब तक तो उनका व्यवहार मेरे प्रति थोड़ा बहुत ठीक था उस वक्त वह मुझसे ज्यादा बात नहीं करते थे क्योंकि उस वक्त घर पर सब होते थे, उनके माता-पिता बहुत अच्छे हैं वह मुझे हमेशा ही कहते हैं कि तुम अच्छे से मैनेज करती हो। मुझे भी लगता है कि शायद मेरे पति के लिए मेरे दिल में अब प्यार कम होने लगा है, वह मेरी कुछ भी बातों को नहीं समझते और हर बात पर मेरी कमियां बाहर निकालते हैं।

हम दोनों एक साथ रहते हैं लेकिन उन्होंने कभी भी मुझे सपोर्ट नहीं किया और हमेशा ही कहते हैं कि तुम औरों की तरह नहीं हो, वह मुझे अपने दोस्तों की पत्नियों के उदाहरण देते हैं। मैं बहुत परेशान हो गई हूं इसलिए एक दिन मैंने उनसे कहा कि यदि आपको इतना ही उनके साथ इतना ही अच्छा लगता है तो आप दूसरी शादी कर लीजिए, वह मुझे कहने लगे हां तुम तो यही चाहती हो कि मैं दूसरी शादी कर लूं ताकि तुम भी किसी और के साथ शादी कर लो। जब उन्होंने मुझसे यह बात कही तो मेरे दिल से उनके लिए थोड़ा बहुत जो प्यार बचा था वह भी खत्म हो गया, उसके बाद मैंने उनसे ज्यादा बात नहीं की, जब उन्हें कुछ काम होता तो ही वह मुझसे बात करते और मैं भी उनसे काम के लिए ही बात करती, हम दोनों एक ही घर में रहने के बावजूद भी एक दूसरे से अलग थे।

मेरी कई बार मेरी बड़ी बहन के साथ बात होती थी, उसे हम दोनों के रिलेशन के बारे में सब कुछ पता था इसलिए वह मुझे बहुत समझाती और कहती कि तुम दोनों को आपस में बात करके मैटर सॉल्व करना चाहिए, मैंने उससे कहा मैंने तो अपनी जिंदगी में इतना ज्यादा एडजेस्ट किया है कि इतना मैंने कभी शादी से पहले नहीं किया था परंतु जब से मेरी शादी मोहन के साथ हुई है तब से तो मैं जैसे अपनी जिंदगी से परेशान हो गई हूं और उन्हें तो मुझसे जैसे कोई मतलब ही नहीं रहता, वह हमेशा मेरी कमियों को बाहर निकालते हैं और कहते हैं कि तुम बहुत ही गलतियां करती हो। मैंने अपनी बहन से कहा कि शायद उनका कहीं और भी चक्कर चल रहा है लेकिन मैं उनसे इस बारे में ज्यादा बात नहीं करती क्योंकि एक दो बार मुझे उन पर शक हुआ था लेकिन जब मुझे भी उन से कुछ लेना देना नहीं है तो मैं भी उनसे ज्यादा बात नहीं करती, मेरा जीवन भी वीरान सा था, ना ही मेरे कोई बच्चे थे और ना हीं मेरे पास कोई अच्छा दोस्त था जिससे कि मैं अपने दिल की बात शेयर कर पाती। एक दिन मैं दुकान में सामान लेने के लिए गई हुई थी वहां पर एक व्यक्ति खड़े थे, वह मुझे बहुत घूर कर देख रहे थे, उस दिन तो मैंने उनसे बात नहीं की लेकिन जब भी वह व्यक्ति मुझे देखते तो वह मुझे बड़े ध्यान से देखते, एक दिन मैंने उनसे पूछ ही लिया कि आप मुझे इतना घूर कर क्यों देखते हैं मुझे अच्छा नहीं लगता, वह कहने लगे कि आपके चेहरे में जो मासूमियत है मैं वह देखता हूं और मुझे ऐसा भी लगता है कि आप अंदर से परेशान हैं। मैंने उनसे पूछा कि आप कैसे कह सकते हैं कि मैं अंदर से परेशान हूं, वह मुझे कहने लगे मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आप अंदर से परेशान हैं और आपको कोई परेशानी अंदर से खा रही है। मुझे भी लगा कि यह जो भी हो, यह इतने भरोसे से कह रहे हैं तो इन्हें शुरू से मेरे बारे में पता होगा या फिर यह मेरे पति को पहचानते होंगे लेकिन ना तो वह मेरे पति को पहचानते थे और ना ही मेरा उनसे दूर-दूर तक कोई संबंध था। मैंने उनसे कहा कि हां मैं अंदर से तो परेशान हूं लेकिन आपको यह बात कैसे पता, वह मुझे कहने लगे आपके इस मासूम चेहरे के पीछे जो उदासी है वह मैंने देख ली इसीलिए मैंने आपसे यह बात कही, मैंने उनसे उनका नाम पूछा उनका नाम सुभाष है और वह हमारे घर से कुछ ही दूरी पर रहते हैं। मैंने उनसे कहा आप तो बड़े ही तजुर्बे दार व्यक्ति लगते हैं, वह कहने लगे हां मेरे साथ भी बहुत बड़ी दुर्घटना हुई है।

मैंने उनसे कहा कि क्या आप मेरे घर पर चल सकते हैं, वह कहने लगे हां क्यों नहीं। वह मेरे साथ घर पर आ गए और जब वह मुझसे बात कर रहे थे तो मैंने उन्हें अपनी पूरी बात बताई, उन्हें यह तो पूरा पता चल गया कि मैं बहुत ज्यादा तकलीफ में हूं, मैंने भी उनसे कुछ नहीं छुपाया, जब मैंने उनसे पूछा कि आपके जीवन में क्या तकलीफ है तो वह कहने लगे जो आपके साथ आपके पति कर रहे हैं ऐसा ही मेरा बर्ताव मेरी पत्नी के साथ था, अब उसने मुझे छोड़ दिया है इसलिए मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ, मैंने कई बार उससे बात करने की कोशिश की लेकिन वह वापस नहीं आना चाहती और अब मैं अकेला ही अपना जीवन काट रहा हूं। मैंने उनसे कहा काश यह समझ मेरे पति को भी आ जाती तो शायद हम दोनों के बीच भी प्यार पैदा हो जाता और हम दोनों की जिंदगी भी पहले जैसे हो जाती लेकिन मुझे ऐसी कोई भी उम्मीद नहीं थी कि मेरे पति मेरा साथ पहला जैसा व्यवहार करने वाले हैं या मुझसे पहले की तरह प्यार करने वाले हैं। मैंने सुभाष के अंदर वह प्यार और अपने लिए सम्मान देखने की कोशिश की, मैंने जब अपने साड़ी के पल्लू को नीचे किया तो वह भी मेरे स्तनों को देखकर अपने अंदर की आग को नहीं रोक पाया। वह मुझे कहने लगे आपका यौवन तो बड़ा ही अद्भुत और सुंदर है।

मैंने उन्हें कहा क्या आप मेरे इस यौवन को पूरा कर देंगे वह मुझे कहने लगे मैं भी कई सालों से भूखा बैठा हूं मैंने भी किसी की चूत नहीं मारी है। जब उन्होंने मेरे स्तनों को दबाया तो मै मचलने लगी, जैसे ही उन्होंने मेरे नरम और मुलायम होठों का रसपान किया तो मैं समझ गई कि आज इतने समय बाद मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी। उन्होंने भी ज्यादा देरी नहीं की, मेरे ब्लाउज को खोल दिया, उन्होंने जिस प्रकार से मेरे स्तनों का रसपान किया। जब वह मेरे चूचो को अपने मुंह में लेकर चूस रहे तो मैं भी पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी, मेरी योनि ने भी पानी बाहर की तरफ को छोड़ना शुरू कर दिया था। वह मुझे कहने लगे आप तो बहुत सेक्सी और हॉट बदन वाली महिला है आपके पति आपके इस बदन का रसपान नहीं करते। मैंने उन्हें कहा वह मुझे छूते तक नहीं है मैंने बातों बातों में जब उनके लंड को पकड़ा तो उनका लंड 9 इंच लंबा और मोटा था, मैंने उसे अपने हाथों से हिलाया जब वह पूरी तरीके से खड़ा हो गया तो मैंने उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। मैंने उसे 1 मिनट तक अपने मुंह में लेकर चूसा, 1 मिनट में जैसे ही उनका पानी बाहर की तरफ निकलने लगा तो वह उत्तेजित हो गए थे, मेरी योनि ने भी पानी छोड़ दिया था। उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटाया, उन्होंने 1 मिनट तक मेरी योनि को चाटा, जब मेरी चूत ने पानी बाहर की तरफ छोड़ा तो उन्होंने भी अपने मोटे लंड को मेरे चूत पर सटाते हुए अंदर की तरफ डाल दिया, जैसे ही उनका लंड मेरी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो मैं चिल्लाने लगी। उन्होंने मुझे कहा जानू तुम आराम से रहो मैं तुम्हें बड़े प्यार से चोदूंगा, वह बड़े प्यार से मुझे चोद रहे थे, वह अपने लंड को अंदर बाहर करते। मैंने उन्हें कहा आप बड़े ही सुलझे हुए इंसान हैं। वह मुझे झटके दे रहे थे, मेरे स्तनों को भी अपने हाथों से दबा रहे थे। जब उनका मन होता तो वह मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसने लग जाते और ऐसे ही हम दोनों ने एक दूसरे के साथ 5 मिनट तक संभोग किया लेकिन उन 5 मिनट में मेरे जीवन को पूरा बदल कर रख दिया। मैं सुभाष के लिए दीवानी हो गई मैं उनके बिना एक मिनट भी नहीं रह सकती।