रसगुल्ले वाली आंटी का डीलडौल वाला शरीर

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मेरा नाम आशीष है मैं नासिक का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैं बहुत ही क्रिएटिव सोच का हूं और मुझे अपने जीवन में कुछ नया करना अच्छा लगता है इसी वजह से मैं हमेशा कुछ नया करने की सोचता रहता हूं। मेरे पापा और मम्मी मेरा बहुत ही ज्यादा सपोर्ट करते हैं, वह हमेशा कहते हैं कि तुम बहुत ही टैलेंटेड हो तुम यदि इसी प्रकार से मेहनत करते रहोगे तो तुम जरूर एक दिन एक अच्छा मुकाम हासिल कर लोगे। हालांकि मेरी उम्र 30 वर्ष हो चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी मेरे माता पिता मेरा बहुत ही ज्यादा सपोर्ट करते हैं। हमारे जितने भी रिश्तेदार हमारे घर पर आते हैं वह सब कहते हैं कि आशीष की तो उम्र हो चुकी है, आप लोग अभी भी उसका सपोर्ट कर रहे हैं। मैं एक मस्त इंसान हूं, मेरा जब भी जो मन करता है मैं वही करता हूं और यदि मेरी इच्छा कहीं घूमने की होती है तो मैं घूमने के लिए चला जाता हूं। मुझे कोई भी क्रिएटिव काम करना अच्छा लगता है चाहे वह मुझसे हो पाए या ना हो पाए लेकिन फिर भी मैं उसमें अपनी रुचि दिखाता हूं।

यह बात दो महीने पहले की है जब मैं अपने दोस्त प्रदीप के घर दिल्ली गया था। मैं दिल्ली किसी एग्जिबिशन में गया हुआ था वहां पर मैं काफी दिनों के लिए रुक गया, मेरा दोस्त भी मुझे वहां पर मिला, उसका नाम प्रशांत है। प्रशांत की फैमिली पहले नासिक में ही रहती थी लेकिन वह अब दिल्ली में रहते हैं, वह लोग दिल्ली में ही सेटल हो चुके हैं। प्रशांत मुझसे जिद करने लगा और कहने लगा आज तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलोगे, मैंने उसे कहा आज तो संभव नहीं हो पाएगा। वह मुझसे ज्यादा ही जिद करने लगा,  वह तब तक एग्जिबिशन से घर नहीं गया जब तक कि मैं वहां से फ्री नहीं हुआ,  वह वहीं मेरा इंतजार कर रहा था, वह मुझे अपने घर पर लेकर ही गया। जब मैं प्रशांत के घर पर गया तो प्रशांत के माता-पिता मुझे पहले से ही पहचानते थे इसीलिए जब मैं उन लोगों से मिला तो मुझे प्रशांत के माता-पिता से मिलने में कोई भी दिक्कत नहीं हुई क्योंकि हम लोग पहले से ही दूसरे को अच्छे से पहचानते हैं।

प्रशांत की मम्मी मुझे कहने लगी आशीष बेटा आजकल तुम क्या कर रहे हो, मैंने उन्हें कहा कि आंटी आजकल तो मैं घर पर ही हूं और कुछ दिनों के लिए एग्जिबिशन में आया हुआ था। वह कहने लगी यह तो तुमने बहुत अच्छा किया कि तुम हमसे मिलने हमारे घर पर आ गए, मुझे भी नासिक की बहुत याद आती है और मैं तुम्हारी मम्मी को भी बहुत मिस करती हूं, वह लोग कैसे हैं। जब आंटी ने मुझसे पूछा तो मैंने उन्हें कहा कि मम्मी और पापा दोनों ही अच्छे हैं और वह लोग अपनी जिंदगी में ही बिजी हैं। प्रशांत की मम्मी का हमारे घर पर आना जाना लगा रहता था और वह हमसे बहुत ही अच्छे से परिचित थे, उसके पापा भी मेरे साथ काफी देर तक बैठे रहे।  अंकल मुझे कहने लगे हम लोग तो प्रशांत की शादी के बारे में सोच रहे हैं।  उस वक्त प्रशांत ने मुझसे कहा कि पापा तो कुछ भी कहते रहते हैं अभी कौन सा मेरी उम्र शादी की हो चुकी है लेकिन प्रशांत के पिताजी बहुत ही सीरियस दिखाई दे रहे थे, वह प्रशांत के पीछे ही पड़ गये। वह मुझे कहने लगे बेटा तुम ही प्रशांत को समझाओ वह अब शादी के लिए तैयार हो जाए क्योंकि प्रशांत के सिवा हमारा और कोई भी नहीं है, हम लोग चाहते हैं कि प्रशांत जल्दी से शादी कर ले ताकि हम लोग भी जल्दी फ्री हो जाएं। जब अंकल ने मुझसे यह बात कही तो मैंने भी प्रशांत को मजाकिया अंदाज में कहा कि तुम्हें भी शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि तुम्हारी उम्र हो चुकी है और मैंने उसे आंख भी मार दी, वह समझ गया कि मैं उसे बस उसके माता पिता के सामने ही कह रहा हूं, प्रशांत भी मुझे कहने लगा अब तो आशीष की भी उम्र हो चुकी है तो क्या आशीष को भी शादी कर लेनी चाहिए। प्रशांत के पिताजी ने कहा कि यह तुम आशीष से ही पूछ लो कि वह कब शादी करना चाहता है क्योंकि हो सकता है आशीष ने कहीं अपने लिए कोई लड़की पसंद कर रखी हो। मैंने अंकल से कहा, नहीं अंकल ऐसी कोई भी बात नहीं है मैं शादी के बारे में ज्यादा नहीं सोचता क्योंकि पापा ने दीदी की शादी तो पहले ही करवा दी थी और दीदी के बच्चे भी हमारे घर पर आते हैं तो वह उनके साथ खेल लेते हैं इसीलिए मैं ज्यादा शादी के बारे में विचार नही करता।

हम लोग काफी देर तक बैठे रहे, जब परेशान मुझे अपने रूम में ले गया तो हम दोनों ही अपने नासिक की पुरानी बातें याद कर रहे थे। प्रशांत मुझसे कहने लगा यार नासिक में तो बहुत ही मजा आता था, मैं अब भी अपने पुराने दिन याद करता हूं तो मुझे हंसी आ जाती है, क्या तुम अभी भी पहले जैसी शरारती करते हो या फिर अब थोड़ा सुधर चुके हो। मैंने प्रशांत से कहा की अब उम्र हो चुकी है, अब बचपना तो रह नहीं गया है कि पहले जैसी शरारती करें इसलिए अब मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देता हूं, मुझे जो भी कुछ नई चीज दिखाई देती है तो मैं वही करना शुरू कर देता हूं और अपने ही अंदाज में वह काम करता हूं। प्रशांत और मैं जब अपनी पुरानी बातें याद कर रहे थे तो मुझे भी प्रशांत के साथ बात करना अच्छा लग रहा था, उसने भी कुछ पुरानी तस्वीरें मुझे दिखाई जिसमें कि हमारे ही कॉलोनी के सारे लड़के थे, वह सब अब बड़े हो चुके हैं। हम दोनों आपस में बात कर रहे थे तो प्रशांत ने मुझसे कहा आजकल मैंने आंटी फंसा रखी है उस से ही अपना काम चला रहा हूं।

जब मैंने प्रशांत के मुंह से यह बात सुनी तो मेरे अंदर भी उत्सुकता जागने लगी। मैंने उसे कहा मुझे भी तुम उस आंटी से मिलवा दो। प्रशांत के साथ रहते हुए मेरे अंदर हरामीपन जाग उठा। प्रशांत कहने लगा ठीक है कल हम लोग उस आंटी के पास चलते हैं, सुबह तुम कंडोम भी ले लेना। मैंने उसे कहा ठीक है हम लोग कल उस आंटी से मिलाते हैं। अगले दिन हम लोग तड़के ही उस आंटी के घर पहुंच गए, जब मैंने उस आंटी को देखा तो उनकी गांड और उनके स्तनों के ऊभार मुझे दिखाई दिए मुझे तो उन्हें गले लगाने की इच्छा हुई मैंने कुछ देर बाद उन्हें गले लगा ही लिया। आंटी मुझसे मिलकर बड़ी खुशी हुई वह मुझे अपने साथ अपने बेडरूम में ले गई। प्रशांत मेरी तरफ देख रहा था और मैं अंदर बेडरूम में चला गया आंटी ने मुझे अपने ऊपर लेटा लिया उनका बदन भारी भरकम था। मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया और जब मैने उनके स्तनों को अपने हाथों से दबाया तो वह पूरे मूड में आ जाती और मुझे भी बड़ा आनंद महसूस होने लगा। जब मैंने आंटी के सारे कपड़े खोल दिए तो उनकी योनि में हल्के भूरे रंग के बाल थे मैंने उनकी चूत के अंदर अपनी दो उंगलियों को एक साथ घुसेड दिया और अंदर बाहर किया जिससे कि वह मेरे लंड को अपनी योनि में लेने के लिए तैयार हो गई। मैंने जैसे ही अपने कड़क लंड को उनकी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो उनके चेहरे से एक खुशी के भाव झलक रहे थे। मैंने उन्हें बड़ी तेज गति से धक्के देना शुरू कर दिए मैं उन्हें इतनी तेज गति से धक्के मार रहा था वह मुझे कहने लगी तुम्हारे साथ सेक्स कर के मुझे आनंद आ रहा है और तुम्हारा लंड बड़ा मोटा और कठोर है। मैंने उनके साथ 10 मिनट तक संभोग किया जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो उन्होंने मुझे कहा कि तुम मेरी गांड की खुजली को भी मिटा दो। मैंने उनकी गांड के अंदर अपने लंड को डाल दिया, जैसे ही मेरा लंड उनकी गांड के अंदर प्रवेश हुआ तो वह चिल्लाने लगी वह बड़ी तेज आवाज में मुझे अपनी ओर आकर्षित करने लगी। मेरा लंड उनकी गांड के अंदर बड़ी तेज गति से जा रहा था। उनकी गांड का छेद इतना बड़ा नहीं था कि मैं ज्यादा देर तक उनकी गांड को झेल पाता, जैसे ही मेरा वीर्य आंटी की गांड के छेद के अंदर गिरा तो मुझे बहुत अच्छा लगा। उसके बाद आंटी ने मुझे रसगुल्ले भी खिलाएं मैं जब बाहर आया तो प्रशांत ने भी आंटी के जिस्म का रसपान किया। मैं जितने दिन दिल्ली में रुका उतने दिन तक मैं और प्रशांत दोनों ही आंटी से मिलने के लिए चले जाते थे।