सर की ऑफिस में गार्गी की चूत

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मेरा नाम संजीव है. मेरी उम्र 24 साल है. यह कहानी मेरी जिन्दगी का असली और सत्य अनुभव है. उन दिनों मैं जयपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र था. मैं जुलाई 2008 जयपुर में आया था. मैंने जयपुर आने से पहले कभी चुदाई नहीं की थी. चुदाई करने की कसक मेरे दिल में हमेशा से ही थी लेकिन न जाने क्यों 24 की उम्र में आते आते मुझे अपने नाग की तरह फुनकते लंड को थामना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा था. मुठ मारने से भी में अब बोर हो गया था. मुझे चूत की बहुत जरूरत थी और इस बार किस्मत ने भी मेरा भरपूर साथ दिया.

मेरी कक्षा में सिर्फ दो लड़कियाँ थी. उन दोनों में से एक थी गार्गी ! गार्गी क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी. उसी दिन मुझे लगा कि गार्गी की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है.

अगले दिन गार्गी ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है. कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी. मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली.

फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद गार्गी और मैं बाइक पर चल दिए. मैंने बाइक की स्पीड १०० से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था. उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ. लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा. मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था.

उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि गार्गी का फ़ोन आ गया. अब मैंने गार्गी से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा. लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था.

अगले दिन क्लास में गार्गी मेरे आगे बैठी थी तो उसकी सलवार से उसकी पैन्टी दिख रही थी. उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी. अब तो मेरा लंड फ़ुफ़कारने लगा.

क्लास छुटने के बाद मैं गार्गी को कॉफ़ी के लिए कैंटीन ले गया. बात बात में उससे पता चला कि उसका अभी कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है. अब तो मुझे गार्गी की चूत की सुरंग और मेरे लंड की तोप का मिलन साफ़ नजर आ रहा था. धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई.

एक दिन शाम के 4 बजे लैब में कोई नहीं था. मैंने गार्गी को अपने दिल की बात कह दी. उसने भी हामी भर दी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और इमरान हाश्मी स्टाइल में गार्गी के होंठों का सारा रस चूस लिया. अब मेरे हाथ धीरे धीरे उसके वक्ष पर पहुँच गए. मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया. उसके स्तन डनलप के गद्दे से कम नहीं लग रहे थेऔर मेरा लंड तो उस वक़्त हीरे से भी सख्त हो रहा था. उसने भी मेरा लंड अपने कोमल हाथो में ले लिया और सहलाने लगी. अपने हॉस्टल में मैंने खूब ब्लू फिल्म देखी थी और मैंने लैब के कंप्यूटर में गूगल से ढूंढ कर ब्लू फिल्म चला दी.

अब मैंने फिल्म की नक़ल करते हुए अपना लंड गार्गी के मुँह में दे दिया. पहले तो गार्गी ने मना किया फिर मान गई और वो लंड चूसने लगी. मेरा लंड पहली बार किसी लड़की के मुँह में गया था. एक मिनट के अंदर ही मैं झड़ने लगा और मैंने गार्गी के मुँह के ऊपर वीर्य बारिश कर दी और वो उसको ऐसे चूसने लगी जैसे अमृत की बारिश हो रही हो.

मैं झड़ चुका था लेकिन गार्गी की आग अभी बाकी थी. उसने अपनी चूत में ऊँगली करके अपनी आग बुझाई.

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अगले दिन मुझे गार्गी को संतुष्ट करना था इसलिए मैं अगले दिन पॉवर कैप्सूल और कंडोम लेकर गया. लेकिन अगले दिन लैब में क्लास चल रही थी और मैंने लंच के बाद कैप्सूल खा लिया था. शाम के चार बज रहे थे और मेरा लण्ड नाग के फन की तरहजींस को फाड़ के बाहर आने को कर रहा था. आज किस्मत ने मेरा साथ दिया. एक टीचर को बाहर जाना था दो घंटे के लिए उसने मुझे अपने ऑफिस की चाबी दे दी क्योंकि टीचर का कुछ काम करना था. इधर मुझे अपने लंड की आग बुझानी थी.

मैं गार्गी को लेकर ऑफिस में आ गया. मेरे ऊपर अब तो कैप्सूल का पूरा असर हो चुका था. ऑफिस में घुसते ही मैंने गार्गी को बाहों में भर लिया और टूट पड़ा. मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को चूसने लगा और गार्गी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. आज मेरा लंड सात इंच से बढ़ कर आठ इंच का हो गया था. गार्गी की चूचियाँ दबाने में बहुत मजा आ रहा था, उसके स्तन काफी गुदगुदे थे.

मैंने अपना लंड उसके दोनों स्तनों के बीच में रख दिया और हिलाने लगा. अब मेरा हाथ अपने आप गार्गी की पैन्टी पर पहुँच गया और मैंने उसकी पैन्टी उतार दी. गार्गी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एक दम गोरी गोरी थी. मैं चूत को सहलाने लगा.

अब उसकी चूत गीली होती जा रही थी, मुझे लगा कि गार्गी की सुरंग में तोप दागने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा और मैंने कंडोम चढ़ा के डाल दिया अपना लण्ड गार्गी की चूत में !

जैसे ही पहल झटका लगा, गार्गी कर गई- उहऽऽ ह्ह अह्ह्ह्हह्ह. और उसकी चूत से खून निकलने लगा. वो दर्द से कराहने लगी पर आज मेरा लण्ड कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसकी एक टांग कुर्सी पर रखी और एक टांग को अपने हाथ में रख के झटके पे झटके देने लगा. उधर गार्गी दर्द से उफ्फ्फ अहह उफ़ आह्ह मर गई … और धीरे से डालो ..कहने लगी.

और जब तीन चार बार लंड चूत में घुस कर बाहर आ गया तो गार्गी को मजा आने लग गया.

अब गार्गी कहने लगी- और डालो … और डालो !पाँच मिनट तक मैंने गार्गी को खूब पेला. अब मेरा झड़ने वाला था कि तभी टीचर आ गया. लंड की आग में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था. उसने हमें दरवाज़े के छेद में से देख लिया था. लेकिन जब तक मैंने अपने लंड से गार्गी की चूत को तृप्त नहीं कर दिया, मैं ठोकता रहा और अंत में मैं झड़ने लगा. फिर जल्दी जल्दी गार्गी और मैंने कपड़े पहने लेकिन टीचर हमें देख चुका था.

दरवाजा खोला तो टीचर ने गार्गी से कहा- मुझे भी अपनी चूत दे दे ! नहीं तो सबको बता दूंगा !

गार्गी मेरी तरफ देखने लगी, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था. टीचर ने भी गार्गी को ठोका और उसकी नई और गोरी गोरी चूत का मजा लूटा.

आज भी गार्गी और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर गार्गी की ले लेता है.

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लेकिन क्या करें ! हमे भी ऑफिस चुदाई करने को मिल जाता है.