दोस्तों मैं रोहतक का रहने वाला हूं। मेरी उम्र महज 22 वर्ष है। मैं एक नौजवान हूं मैं काफी शरारती भी हूं। मेरे मोहल्ले में सब लोग मुझे जानते हैं। मैं हर जगह सबसे आगे रहता हूं। चाहे लड़ाई झगड़ा करना हो या कुछ भी शैतानियां हो सब जगह में पहले ही पहुंच जाता हूं। इसलिए सारे लड़के मुझे हमेशा बुलाते हैं। मैं क्रिकेट का बहुत बड़ा शौकीन हूं तो मैं क्रिकेट के जितने भी मैच होते हैं। वहां खेलने पहुंच जाता हूं। मुझे क्रिकेट बहुत अच्छा लगता है। जिसकी वजह से मेरे घरवाले मुझे काफी बार डांटते रहते हैं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता इन सब चीजों से वह कहते रहते हैं तू जिंदगी भर क्रिकेट ही खेलता रहेगा या कुछ काम भी करेगा। मैं कहता हूं कि मुझे क्रिकेट अच्छा लगता है तो यही तो खेलूंगा। और क्या करूंगा मेरा एक दोस्त है समीर जो कि मेरे घर के पास में ही रहता है। मैं उसकी बहन को अक्सर देखा करता हूं। उसकी बहन का नाम रेखा है। मैं उसे देखा करता हूं वह भी मुझे ही देखती रहती है और मुस्कुराती रहती है।
एक दिन बड़ी तेज हवा चली और उसके कुछ कपड़े हमारी छत में आकर गिर गए। तो रेखा हमारे छत पर कपड़े लेने आई और मैंने देखा उसकी ब्रा हमारे छत पर गिरी हुई है। उसे उठाकर ले जा रही है मैंने उसे कहा यह क्या लेकर जा रही हो। वह मुस्कुराते हुए वहां से चली गई और कहने लगी कुछ नहीं मैंने उसे कहा यह तो तुम्हारा है। वह हंसने लगी वह कहने लगी हां तो तुम्हें क्या करना है। तुम्हें पहनना है क्या यह मैंने कहा नहीं मैं क्यों पहनू तुम्हें ही पहनाऊंगा। यह कहती हुई वह वहां से चली गई।
एक दिन समीर मुझे कहने लगा यार मेरी बहन के नंबर पर रिचार्ज कर देना। मैंने उसे कहा ठीक है तू नंबर दे दे मैं रिचार्ज करवा दूंगा। जैसे ही उसने मुझे नंबर दिया। मैंने उस नंबर पर रिचार्ज करवा दिया। और फिर फोन करके पूछा रेखा क्या तुम्हारा रिचार्ज हो गया। उसने कहा हां मेरा रिचार्ज हो गया वह समझ गई कि मैं ही उसे अपने नंबर से फोन कर रहा हूं। उसके बाद मैं रेखा को हमेशा फोन करने लगा और कुछ मैसेज भी उसे करने लगा। वह खुश होकर मुझे रिप्लाई कर देती। वह भी मुझसे फोन पर बात करने लगी। फोन पर बात करते-करते ना जाने हम लोगों की बातें काफी आगे बढ़ चुकी थी। अब हम एक दूसरे से बिना फोन पर बात किए रह नहीं सकते थे। वह मुझे हर चीज के लिए फोन किया करती थी। कभी मुझे पूछती तुमने खाना खाया। क्या कर रहे हो यह सब के लिए वह मुझे फोन करने लगी। मैं भी उसे हर एक छोटी छोटी चीज के लिए फोन कर देता। हम दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगी थी। हम लोग रात को फोन पर अश्लील बातें भी किया करते थे। मैंने उससे पूछा तुम्हारा फिगर क्या है वह मुझे कहने लगी मेरा फिगर 34 28 36 है। मैंने उसे कहा तुम्हारी गांड तो बहुत ही बड़ी है क्या तुम मुझे अपनी गांड मारने दोगी। वह हंसकर जवाब देती हां क्यों नहीं मार लेना जब मौका मिलेगा। मैं उसे ऐसे ही छेड़ता रहता लेकिन मुझे मौका नहीं मिल पा रहा था। यह सब करने का मैं हमेशा मौका ही ढूंढता रहता ताकि मुझे ऐसा मौका मिले और मैं उसकी गांड मार लू।
एक दिन समीर की बड़ी दीदी का रिश्ता हो गया समीर मेरे घर आया और कहने लगा मेरी दीदी का रिश्ता हो चुका है और उसकी शादी दो-तीन महीने में हो जाएगी। मैंने उसे पूछा तुम्हारे जीजा क्या करते हैं। तो उसने कहा कि वह मर्चेंट नेवी में है। मैंने कहा चलो अच्छी बात है। तुम्हारी दीदी का रिश्ता हो गया है। समीर हमारे घर पर मिठाई लेकर आया हुआ था। और उसने मेरे घर में मेरी मम्मी को मिठाई दी और कहने लगा आंटी मेरी दीदी का रिश्ता हो चुकी है। दो-तीन महीने में शादी भी हो जाएगी। मेरी मम्मी ने भी उसे बधाइयां दी और कहने लगी बेटा यह तो बहुत खुशी की बात है। उसके बाद मेरी मम्मी ने मुझे कहा चल समीर के घर में चलते हैं और उसके माता पिता जी को बधाइयां देकर आते हैं। मैं भी अपनी मम्मी के पीछे समीर के घर चला गया और मेरी मां ने उन्हें बधाइयां दी और साथ में मैंने भी उसके माता पिता को बधाइयां दी। इतने मे रेखा भी आगे से आ गई और उसकी मां कहने लगी बस अब तो रेखा का भी कुछ टाइम बाद शादी का देख लेंगे। मैं यह सुनकर थोड़ा सा हैरान रह गया। लेकिन मैं भी कुछ बोल नहीं सकता था। मैंने भी मजाक ही मजाक में कह दिया इसकी भी शादी करवा दो अब यह बड़ी हो गई है। वो कहने लगे हां बेटा सही बोल रहा है तू हम इसकी शादी करवा देंगे कुछ समय बाद जैसे इसकी बड़ी बहन की शादी होती है। उसके अगले साल हम इसकी भी शादी करवा देंगे। अब हम लोग अपने घर आ गए।
दो महीने बाद समीर की बहन की शादी की तैयारियां शुरू हो गई। उसकी शादी में मैं भी काफी काम कर रहा था। सारा कुछ देख रहा था हलवाई से लेकर घर में जो भी छोटी मोटी चीजें थी। समीर मेरा दोस्त था तो मुझे यह सब करना ही था। अब अगले दिन बारात आनी थी तो उस रात हमारे घर पर कोई नहीं था। सब लोग समीर के घर पर गए हुए थे। तो मैंने रेखा को फोन पर मैसेज किया और उसे कहा हमारे घर पर आज कोई नहीं होगा। तो तुम हमारे घर पर रात को आ जाना। वह कहने लगी ठीक है मैं आ जाऊंगी। और हम दोनों अब हमारे घर में अकेले थे। रेखा मुझे कहने लगी बताओ किस लिए बुलाया है। मुझे जैसे ही उसने यह कहा मैंने उसे अपने बाहों में दबोच लिया और काफी तेजी से उसे दबा दिया। वह मुझे कहने लगी छोड़ो मुझे मैंने कहा मैं नहीं छोडूंगा तुम्हें मैंने रेखा के पटियाला सूट से उसकी चूत को दबा दिया। वह बड़ी तेजी से चिल्लाई और कहने लगी। तुम क्या कर रहे हो मैंने कहा यही तो करना चाहता हूं मैं उसके बाद मैंने रेखा के सारे कपड़े उतार दिए और उसे नंगा कर दिया। मैंने उसे लेटा कर उसकी योनि में उंगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा।
वह पागल हो गई थी क्योंकि उसका पानी गिर गया था। अब उसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था। मेरे पास भी समय कम था क्योंकि मुझे डर था कहीं कोई आ ना जाए। इसलिए मैंने जल्दी से उसकी योनि में अपना लंड डाल दिया मैंने एक झटके में उसकी योनि में अपने लंड को घुसा दिया। उसके मुंह से आवाज आने लगी जैसे-जैसे उसकी सिसकीयो का आवाज उसके मुंह से आती मैं उसे और तेज झटके मारता। उसकी योनि काफी टाइट थी तो मे ज्यादा देर तक नहीं कर पाया। उसकी योनि की गर्मी से मेरे लंड का पानी जल्दी से छूट गया और मैंने उसकी योनि में ही तरल पदार्थ गिरा दिया। अब वह कहने लगी मैं घर जा रही हूं। तो मैंने उसे कहा तुमने फोन में मुझे क्या कहा था कि मेरी गांड मार लेना। वह पहले मुझे काफी मना करती रही। मैंने कहा मैं तुम्हें जाने नहीं दूंगा आज अब उसको भी समझ आ गया था कि मैं उसको जाने नहीं दूंगा और उसकी गांड मार कर ही रहूंगा। तो वह भी चुपचाप से मेरे आगे लेट गई। मैंने भी सरसों का तेल लिया और अपने लंड पर अच्छे से लगा लिया।
उसके बाद मैंने उसकी टाइट और बड़ी-बड़ी गांड में धीरे-धीरे लंड डालना शुरू किया। लेकिन मेरा लंड उसकी गांड में गया ही नहीं और मैं यह कोशिश करता रहा जैसे भी चला जाए। उसके बाद मैंने फिर दोबारा से तेल लगाया। इस बार मैंने उसके पेट पर तकिया रख दिया। जिससे उसकी गांड और बड़ी हो गई। अब मैंने जोर से धक्का मारना शुरू किया। इस बार मेरा आधा लंड उसकी गांड के छेद में चला गया। मैं धीरे-धीरे और कोशिश करने लगा जैसे जैसे मैंने अपनी पूरी ताकत लगाई। तो वह पूरा अंदर तक चला गया और उसके मुंह से बड़ी तेज आवाज आई। मुझे भी काफी अच्छा महसूस हुआ क्योंकि उसकी गांड बहुत बहुत ज्यादा टाइट थी। तो वह झटपटाने लगी। मैंने उसे कहा थोड़ा आराम से मैं धीरे-धीरे करता हूं। फिर उसके बाद मैंने धीरे से बाहर निकाला और धीरे से अंदर करने लगा। ऐसे करते-करते मेरे लंड अच्छे से सेट हो गया और वह अच्छे से अंदर बाहर होने लगा। मेरा पूरी तरीके से छिल चुका था और उससे खून भी आने लगा था। लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था। हम दोनों के गांड और लंड से जो गर्मी पैदा हो रही थी। उससे मेरा कुछ ही देर में वीर्य पतन हो गया। मैंने सारा माल उसकी बड़ी बड़ी चूतड़ों पर गिरा दिया। जिसको देखकर मैं काफी खुश हो रहा था।