माकन मालिक आंटी रोज चुत में ऊँगली डालके hilati थी में छूपके देखता – एक दिन मेरा पूरा लंड गुसा दिया

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नमस्कार दोस्तों! मैं हूं अमन दिल्ली से, आपने मेरी पिछली कहानी तो पढ़ी होगी और इसी श्रंखला मैं आज फिर से अपनी एक नई और सच्ची सेक्स की कहानी सुनाने जा रहा हूं। इस बार मैंने अपनी मकान मालकिन आंटी की चूत मारी।

दोस्तों मैं साउथ दिल्ली में किराए के मकान में अपने परिवार के साथ तीसरी मंजिल पर रहता हंू। पहली मंजिल पर मकान मालिक का परिवार रहता है। दूसरी मंजिल पर जो भईया और भाभी रहते थे, उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हो गया पिछले महीने वे कमरा छोड़ कर चले गये। दोस्तों भाभी से मेरी सेटिंग अच्छी चल रही थी और अचानक उनके जाने से मुझे बहुत दुख हुआ, और काफी उदास रहने लगा।

इसी बीच मेरा मेलजोल मकान मालिक से बढ़ने लगा। मैं उन्हे अंकल और आंटी कहता था, क्योंकि दोनों की उम्र करीब 32 का पड़ाव पार कर चुकी थी और उनकी एक 11 साल की बेटी और एक 3 साल का बेटा था। और धीरे धीरे आंटी मुझे घर के छोटे मोटे कामों के लिये बुला लिया करती और घंटों हम दोनों गपसप करते रहते। हालांकि दो बच्चों की मां होने पर भी आंटी गजब का माल थी और काफी स्लिम ट्रिम थी। वह ज्यादातर साड़ी पहनती थी। साड़ी में लिपटी आंटी बहुत ही सेक्सी लगती थी। उनके स्लीवलेस और चुस्त ब्लाउज से बाहर की ओर उभार लिये मम्में कयामत ढाते थे। बीच की खुली चिकनी गोरी कमर और बेहद मांस से भरे कूल्हे किसी को भी ठरकी बना देने वाले थे। इस तरह मेरा आंटी को ताड़ना जारी था।

आंटी भी मेरा उनके प्रति आकर्षण महसूस कर रही थी लेकिन पूरी तरह से अंजान बनने की कोशिश करती रहती थी। एक दिन आंटी ने मुझे किसी काम से नीचे बुलाया। मैं नीचे हाॅल में जाकर कुर्सी पर बैठ गया, कुछ देर बाद आंटी पीछे से आयी और मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फंसाकर उन्हें सहलाते हुए बोली कि आज कल तुम बड़े उदास रहते हो, बात क्या है। पहले मैं कुछ समझ नहीं पाया पर जल्द ही उनकी आँखों से झलकती शरारत को मैनें महसूस कर लिया बिना मौका गवाए एक शातिर खिलाड़ी की तरह मैंने अपना दांव चल दिया और अपने सिर को उनकी छाती से सटाकर अपना हाथ से आंटी की चिकनी कमर को सहलाने हुए अपने असंयमित हो चुके विचारों को एक एक करके बयां करता चला गया। उन्होेंने मेरे इरादों को भाँपते हुए हल्की मुस्कान के साथ अपनी सहमति का परिचय दिया और मेरे कुछ कहने के पहले ही मुझे रात में आने का इन्विटेशन दे दिया। क्योंकि आज अंकल नाइट शिफ्ट में आॅफिस जाने वाले थे। यह सुनकर मेरी आँखों की चमक बड़ गई और मैं रात के विचारों में खोया अपने कमरे में आ गया।

रात को आंटी के पास जाने के लिये आज मैंने अपनी चारपाई बाहर खुली छत पर बिछा ली जिससे किसी को मुझ पर शक न हो और मैं आसानी से आंटी के पास जा सकूँ। अब रात के करीब 10 बज चुके थे और सभी लोग सो चुके थे, मैं बिना कोई आवाज किए हल्के कदमों से सीढ़ियां उतरते हुये आंटी के कमरे की ओर पहुँचकर दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया और वह खुल गया क्योंकि अंकल के जाने के बाद आंटी ने दरवाजे पर कड़ी नहीं लगाई थी इसलिए मैं आसानी से अन्दर दाखिल हो गया। और दबे पांव आंटी के कमरे में घुसा। आंटी भी जाग रही थी और मेरा इंतजार कर रही थी, मुझे देखते ही उन्होंने मुझको बगल वाले कमरे में रूकने को कहा और उनके कहे अनुसार मैं दूसरे कमरे में आंटी का इंतजार करने लगा। जैसे ही मुझे आंटी के अन्दर आने की आहट मिली मैं सोने का बहाना करने लगा। वह मेरे पास आकर पलंग पर बैठ गई और मेरे सीने पर हाथ फेरते हुए बोली आज हमें पूरी रात मस्ती करनी है। यह सुनते ही मैंने तेजी से उठकर उनको अपनी बाहों में भर लिया और अपने होठों से उनके होठों का रस चूसने लगा। कभी मैं होठों के ऊपरी हिस्से कोे और कभी निचले हिस्से को दबाकर पूरा मजा ले रहा था। अब आंटी ने भी अपनी जीभ मेरी जीभ से टकरानी शुरू कर दी।

हमनें काफी देर तक एक दूसरे को किस किया। अब मैं उनकी गर्दन को चूमता हुआ छाती तक पहुँच गया था, आंटी के शरीर की महक मुझे मदहोश कर रही थी। अब मैं उनके मम्मों को ब्लाउज के बटनोें को को खोलकर उनकी रंगीन ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा। इसके बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने ब्रा खोल दी और संतरे जैसे गोल गोल मम्मों को बारी बारी से मुँह में भरकर उनको चूसने लगा। फिर पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी चूत में उंगली करने लगा। जैसे ही मैंने उनकी चूत खोदनी शुरू की उनकी सिसकियां बढ़ने लगी। फिर बिना देर किये मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसे उतार दिया और आंटी की गोरी गोरी टांगों और जांघों को सहलाने लगा। और मुझसे रहा न गया और मैंने उन्हें पूरा नंगा कर दिया और अपने भी सारे कपड़े उतार कर उनके मखमली बदन और टांगों के बीच छिपी हल्की गुलाबी चूत को निहारने लगा। आंटी की चूत गीली और और उसका दाना फूल चूका था। मैंने आंटी की चूत को चाटना शुरू कर दिया, उस पर एक भी बाल नहीं था। आंटी भी अब परम सुख का अनुभव करते हुए एक हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी और एक हाथ से अपने मम्मों को सहला रही थी। आंटी की चूत एक 16 साल की लड़की के जैसी सख्त थी जो कहीं से भी उनकी उम्र का अहसास नहीं दे रही थी।

और मैं उनके झड़ने तक चूत चाटता रहा जो मुझे अनोखा अहसास दे रही थी। साथ ही आंटी की चुदने की बेककारी बढ़ती जा रही थी। फिर आंटी ने मेरे खड़े लंड को सहलाना शुरू कर दिया। और देखते ही देखते करीब 7 इंच के मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया, और जोर जोर से चूसने लगी। मैंने भी भरपूर मजा लेने के लिए लंड को उनके गले तक ढकेल दिया और साथ ही उनकी गीली चूत में उंगली करने लगा, अब आंटी अपना काबू खो चुकी थी, मेरे लंड को मुँह से निकालते ही उन्होंने मुझे चोदने के लिए कहा, और मेरे लंड को अपनी भूखी चूत में डालने को कहा, मैंने भी बिना इंतजार किये अपने लंड को आंटी की चूत में एक तेज झटके के साथ पूरा डाल दिया। मेरा लंड धारदार चाकू की तरह आंटी की चूत को चीरते हुए अंदर घुसता चला गया, और आंटी को चीखने के लिए के लिये मजबूर कर दिया। आंटी की चुदने की तड़प को देखते हुए मैंने अपने झटकों को और तेज कर दिया, और आंटी चुदते हुए कह रहीं थी कि अमन मेरी चूत तुम्हारे जैसे लंड के लिए प्यासी थी, आज मुझे इतना चोदो कि इसकी प्यास बुझ जाए, यह सुनते ही मैंने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए आंटी को खूब चोदा, कभी मैं ऊपर तो कभी आंटी मेरे ऊपर होती थी। और एक के बाद एक मैंने उन्हें कई स्टाइलों में चोदा। और इस तरह मैंने आंटी की सारी रात कई रांउड में चुदाई की और उनकी चूत की आग बुझायी।
हां तो दोस्तों! यह थी मेरी एक और सच्ची कहानी, पढ़ने के लिए धन्यवाद, इसे ज्यादा से ज्यादा लाइक और शेयर करें।