पति की बेरूखी में बनी पराए लंड की प्यासी

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मेरा नाम निर्मल है और मैं 23 साल की विवाहित लड़की हूं। मैं यूं तो हैदराबाद की रहने वाली हूं लेकिन मेरी शादी के बाद पति की जॉब दिल्ली में लग गई इसलिए यहां पर रहते हुए मुझे 2 साल हो गए। मुझे शादी के बाद पति के साथ चुदाई का आनंद आना मिलना शुरु ही हुआ था कि हमें दिल्ली शिफ्ट होना पड़ गया। जब से दिल्ली रहने आई पता नहीं क्यों मेरे पति की रूचि सेक्स में कम होना शुरु हो गई। वो अक्सर सेक्स के समय तरह-तरह के बहाने बनाने लगे। मेरी कामेच्छा ऐसे ही धधकती रहती। लेकिन मैंने कभी उनको किसी बात के लिए फोर्स नहीं किया। मैंने सोचा कि शायद काम का स्ट्रेस है इसलिए उनका मन सेक्स के लिए नहीं कर रहा होगा। लेकिन वजह कुछ और ही थी। जिसका पता मुझे तब चला हम छुट्टियों में मनाली घूमने के लिए गए थे।

हमारे साथ में उनके ऑफिस का दोस्त रमाकांत भी था। रमाकांत की नई-नई शादी हुई थी और रमाकांत की बीवी ने अभी तक अपने हाथों का चूड़ा भी नहीं उतारा था। वो देखने में भी काफी खूबसूरत थी। उसका नाम नैन्सी था।अरे…अपने पति के बारे में तो मैं बताना भूल ही गई। मेरे पति का नाम कमलप्रसाद है। वो एक आईटी कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम करते हैं। इसलिए मेरे पास किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी सिवाय पति के प्यार और उनके लंड से चुदाई की। तो हुआ यूं कि जब हम उनके दोस्त रमाकांत और उसकी बीवी नैन्सी के साथ मनाली घूमने गए थे तो हमने 5 दिन के लिए पहले से ही होटल बुक करवा लिया था और सब कुछ फिक्स था। लेकिन वहां पर जाकर क्या फिक्सिंग होने वाली थी ये मुझे वहां पर जाने के बाद पता चला। 

नैन्सी यूं तो देखने में काफी सीधी और बोलचाल में शरीफ स्वभाव की मालूम होती थी लेकिन उसके उस चेहरे के पीछे एक चुदक्कड़ रंडी छिपी हुई है ये मुझे बाद में पता लगा। पहली रात को हमने मनाली पहुंचकर आराम किया और उसके बाद नहा-धोकर आराम किया और अगले दिन सुबह घूमने के लिए निकले। रमाकांत और नैन्सी दोनों ही किसी कबूतर-कबूतरी के जोड़े की तरह नैन मटक्का करते रहते और उनको देखकर मेरी जी जलता रहता। मैं सोचती कि नैन्सी कितनी भाग्यशाली है कि उसको ऐसा रोमांटिक हसबैंड मिला है। और एक मैं हूं जो कब से लंड के लिए तरस रही हूं। सच मानिए अब तो मन करता था कि मैं किसी कुत्ते से ही चुदकर अपनी चूत की आग को ठंडा करवा लूं। लेकिन जो आग नैन्सी ने मेरे अंदर लगाई थी उसमें तो मैं दिन-रात जलती रहती थी।

दूसरे दिन जब कमल और रमाकांत हमारे साथ शॉपिंग कर रहे थे तब मैंने मौका पाकर नैन्सी से पूछ ही लिया।
मैंने कहा- नैन्सी, तुम्हारे पति तो बहुत रोमांटिक हैं..एक पल के लिए भी उनकी नज़र तुम पर से नहीं हटती है। और एक मेरे कमलजी हैं जिनको मुझे देखने की भी ज़रुरत महसूस नहीं होती।
नैन्सी मेरी बात सुनकर शरमा गई और बोली- नहीं दीदी, आपके पति तो काफी रोमांटिक हैं। तुम तो बहुत लकी हो कि तुमको कमल जैसे पति मिले हैं। मैं तुम्हारी जगह होती तो कमल का कीचड़ बनकर रहना भी पसंद कर लेती। नैन्सी का ये जवाब सुनकर मैं हैरान थी, उसको कैसे पता कि मेरे पति कितने रोमांटिक हैं या नहीं हैं।
मैंने कहा- नहीं पगली, तुझे नहीं पता, उन्होंने मुझे 6 महीने से छुआ भी नहीं है। मैं तो लंड के लिए तरस रही हूं।
मेरे मुंह से ये शब्द अनायास ही निकल गया और नैन्सी हंस पड़ी।
वो बोली- कोई बात नहीं, कभी कभार मर्दों के मन का पता नहीं लगता है।
मैंने कहा- कभी-कभार की बात होती तो फिर बात ही क्या थी। मैं तो सोच रही हूं अगर यही हाल रहा तो घर के कुत्ते से चुत चुदवानी पड़ेगी। इस बात पर नैन्सी ठहाका मारकर हंस पड़ी।
मैंने कहा- तुम्हें हंसी आ रही है और मैं यहां सेक्स की प्यास में जली जा रही हूं।
नैन्सी बोली- कोई बात नहीं दीदी, घर के कुत्ते की नौबत क्यों आएगी। मेरे पति रमाकांत हैं ना ..वो आपको खुश कर देंगे।
मैंने कहा- तू पागल हो गई है…?
मैं रमाकांत के साथ सेक्स कैसे कर सकती हूं…?
वो बोली- तो क्या हुआ, अगर मैं कमल के साथ कर सकती हूं तो आप रमाकांत के साथ नहीं कर सकतीं..?
नैन्सी का ये सवाल मेरे अंदर जैसे ज्वालामुखी बन कर अंदर ही अंदर मुझे जलाने लगा। लेकिन साथ ही मैं हैरान भी थी कि ये क्या बात कर रही है। इसका मतलब मेरे पति कमल नैन्सी के साथ सेक्स कर चुके हैं।
ओहो…तभी मैं कहूं कि उनको मुझमें रुचि क्यों नहीं रही। मैंने मन ही मन इस बात का बदला लेने की ठान ली। अगर वो नैन्सी को चोदने का मज़ा ले सकते हैं तो मैं भला पीछे क्यों रहूं..?
मैं सेक्स की प्यास में क्यों जलूं..?
मैंने नैन्सी से कहा- तुम सच कह रही हो क्या…?
वो बोली- हां, मैं औरत हूं और आपकी परेशानी समझ सकती हूं, मैं अच्छी तरह जानती हूं कि औरत को पति के प्यार के साथ-साथ सेक्स की भी ज़रूरत होती है। इसलिए मेरी बात का यकीन मानिए दीदी। ये मर्द बहुत चालू होते हैं। जब ये मज़ा ले सकते हैं तो हम क्यों नहीं।

मैंने सोचा- बात तो इसकी बिल्कुल ठीक है।
मैंने कहा- लेकिन ये सब होगा कैसे..?
वो बोली-आप उसकी चिंता मत करो, मैं जैसा कूहं आप वैसे ही करते जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
अब मुझे सारी कहानी समझ में आ गई कि वो 6 महीने से सेक्स का स्ट्रेस कहां पर निकाल रहे हैं।
लेकिन मैंने नैन्सी से इस बारे में कोई शिकायत नहीं की। क्योंकि जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो किसी और पर दोष क्यों लगाना।
मैंने कहा- ठीक है नैन्सी, तुम जैसा कहोगी, मैं वैसा ही करूंगी।
वो बोली- ठीक है दीदी। आज रात को आपका काम हो जाएगा।
मैं सोचकर खुश हो गई। एक तो मुझे कमल से बदला लेने का मौका मिल रहा था और दूसरी तरफ लंड लेने का रोमांच भी पैदा हो रहा था और वो भी एक पराए मर्द के साथ। हालांकि मैं ये सब सेक्स के लिए नहीं कर रही थी लेकिन कमल ने मेरे साथ जो किया उसके बाद मुझे ये सब करने में कोई बुरी बात भी मालूम नहीं जान पड़ रही थी। मुझे भी तो खुशी पाने का हक है। और जब मेरे पति ने ही मेरे बारे में नहीं सोचा तो मैं भला अपने पति के बारे में इतना क्यों सोचूं।
इन्ही ख्यालों के साथ मैं शाम होने का इंतज़ार करने लगी। रात के 8 बजे हम लोगों ने साथ में खाना खाया। और कुछ देर टहलने के लिए निकल गए। जब रमाकांत और कमल थोड़ा आगे निकल गए तो नैन्सी एक कैमिस्ट की शॉप पर जल्दी से कुछ खरीद कर आ गई। मैंने सोचा कि ये कॉन्डोम वगैरह कुछ लेकर आई होगी। इसलिए मैंने पूछा नहीं। वैसे भी मुझे इन सब बातों का इतना ध्यान नहीं रहता। मैं अपनी मस्ती में ऐसे ही गुनगुनाती हुई चलती रही। हम लगभग 9 बजे वापस होटल में आ गए और ऐसे ही बातें करते हुए ठहाके लगाने लगे। सामने टीवी चल रहा था। डबल बेड था जिस पर हम चारों ही बैठकर बातें करते हुए टीवी देख रहे थे। नैन्सी ने कहा- दीदी, चाय पीने का मन कर रहा है। मैंने कहा- ठीक है मंगवा लो। हमने रिसेप्शन पर कॉल करके चार चाय के लिए बोल दिया। कुछ देर में रुम सर्विस वाला लड़का चाय लेकर आ गया। नैन्सी ने ट्रे पकड़ ली और वो चाय को चखकर बोली इसमें शक्कर कम है।

वेटर ने कहा- सॉरी मैडम,
वो बोली- कोई बात नहीं, तुम जाओ मैं शक्कर डाल लूंगी। कहकर वो चला गया और नैन्सी ने शक्कर सबकी चाय में मिलानी शुरु कर दी। हम तीनों टीवी की तरफ ही देख रहे थे। कुछ देर में सबने चाय पी ली और 10 बजे के आस-पास मैंने दीवार घड़ी की तरफ देखा। मुझे नींद आने लगी थी और मैं जम्हाई आना शुरु हो गई थी। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो हैरान रह गई। कमल तो बेड पर पड़े हुए खर्रांटे ले रहे थे। मैंने नैन्सी की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। फिर मैंने रमाकांत को देखा तो वो मेरी चूचियों की तरफ नज़र डालकर मुस्कुरा रहा था। मैंने कहा- नैन्सी, ये सब क्या है। आज हम यहीं पर सोने वाले हैं क्या।
वो बोली- निर्मल दीदी। आप कितनी भोली हो। अभी तक नहीं समझी।
मैंने कहा- नहीं।
इतना कहते ही रमाकांत उठकर मेरे पास आया और उसने मेरी चूचियों को मेरी साड़ी के ऊपर से ही अपने हाथों में भर लिया। मैंने नैन्सी की तरफ देखा तो वो हंसने लगी। और बोली- मैंने कमल की चाय में नींद की गोली डाल दी है। अब आप रमाकांत से अपने सेक्स की प्यास बुझवा सकती हो। वो भी बिना किसी डर के। मैं उसकी चालाकी पर हैरान थी। इधर रमाकांत ने मेरे दूधों को अपने हाथों में लेकर मसलना शुरु कर दिया। मैं कुछ बोलती इससे पहले उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उनको चूसने लगा। मैं भी उसका साथ देने लगी।

उसने मुझे बेड पर गिरा लिया। और मेरे पल्लू को हटा दिया। अब मैं केवल ब्लाऊज में पड़ी हुई उसकी अगली हरकत का इंतज़ार कर रही थी। उसने मेरे चूचों को ब्लाऊज के ऊपर से ही दबाना शुरु कर दिया। और एक हाथ से मेरी साड़ी की सिलवटें खोल दीं। मैं अभी भी सोच में थी कि ये सब हो क्या रहा है। रमाकांत ने मेरी साड़ी खोल दी और मेरे पैटीकोट का नाड़ा खोलकर उसे भी नीचे सरका दिया। अब मैं ब्लाऊज और पैंटी में बेड पर पड़ी हुई थी। मैंने कमल की तरफ देखा तो वो गहरी नींद में थे और नैन्सी उनकी पैंट की जिप पर हाथ फेरते हुए मेरी तरफ देखकर हंस रही थी। रमाकांत ने मुझे उठाया और मेरे ब्लाउज का हुक खोल दिया और मेरे चूचों को नंगा कर दिया। और बिना देर किए उनको मुंह में लेकर चूसने लगा।
मेरे मुंह से अचानक कामुक सिसकी निकल पड़ी। “आआआअह्हह्हह……..ईईईईईईई…….ओह्ह्ह्…….आहहहहहह……म्म्म्म्म्म्….” करते हुए मैं उसके जीभ के स्पर्श के साथ उसका साथ देने लगी। मुझे मज़ा आ रहा था। नैन्सी ये सब देखते हुए मुस्कुरा रही थी। लेकिन मेरे अंदर रमाकांत ने सेक्स की आग भड़का दी थी। उसने अगले ही पल मेरे पैटी कोट को खोल दिया और पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को अपने हाथों के दबाव से रगड़ने लगा। मैंने टांगें खोल दीं और उससे चूत को रगड़वाने लगी। दूसरे हाथ से रमाकांत मेरे निप्पलों को अपनी दो उंगलियों के बीच में दबाकर मेरी कामुकता की आग में घी डाल रहा था। मैं पागल सी हो रही थी उसकी हरकतों से।“ओह्ह माँ……ओह्ह माँ….उ उ उ उ उ…..अअअअअ……. आआआआ……”करते हुए मैं उसके हाथ से चूत रगड़वा रही थी।

उसके बाद उसने पैंटी निकाली और मेरी टांगों को चौड़ी करते हुए मुझे अपनी तरफ खींचा और सीधा अपना मुंह मेरी चूत में लगा दिया। और जीभ डालकर मेरी चूत को चाटने लगा। इतने दिनों के बाद किसी मर्द से चूत चटवाने में मुझे स्वर्ग सा आनंद आ रहा था। मैंने रमाकांत के सिर को पकड़कर अपनी चूत में घुसा लिया और टांगों को उसकी कमर पर लपेटकर चूत चटवाने लगी। “ हूँउउउ……हूँउउउ….. हूँउउउ …..ऊ…..ऊँ……ऊँ…… सी….सी….सी….सी….. हा हा ह ओ हो ह……” की आवाजें अब मेरे मुंह से अपने आप ही निकलने लगीं। मैं रमाकांत की चूत चटाई की कायल हो गई।
मन कर रहा था ऐसे ही वो मेरी चूत में अपनी जीभ का नचाता रहे। लेकिन अगले ही पल उसने अपना पजामा निकाला और अपने खड़े लंड को मेरी चूत के छेद के मुहाने पर लगाकर प्यार से रगड़ना शुरु कर दिया। मुझसे अब और नहीं रहा जा रहा था। मेरी हालत देखकर रमाकांत ने अपना लंड मेरी चूत में अंदर धकेल दिया। उसका लंड काफी लंबा और मोटा भी था। दो जबरद्स्त धक्कों में पूरा लंड उसने मेरी चूत में उतार दिया और स्पीड बनाकर मेरी चूत को चोदने लगा। मैं उसके लंड से चुदाई के आनंद में खो गई। उसका लंड मेरी चूत की तगड़ी मालिश कर रहा था और मुझे मज़ा आ रहा था। नैन्सी भी हमारी चुदाई देखकर सीरियस सी हो गई थी और उसने नींद में खर्रांटे ले रहे मेरे पति कमल की पैंट की चेन खोलकर उसमें हाथ डाल लिया था। इधर रमाकांत मेरी चूत को जबरदस्त चुदाई में लगा हुआ था। 15-20 मिनट तक उसने मेरी चूत को अपने मोटे लंड से चोदा और एकाएक उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और उसके लंड से छूटी वीर्य की पिचकारी मेरे पेट पर नाभि के आस-पास गिरने लगी। 6-7 झटकों में वो शांत हो गया। इसके बाद क्या हुआ ये अगली कहानी में बताऊंगी।