प्रभा आंटी की चूत में लोड़ा डाला

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हैल्लो दोस्तों, में जब 10वीं क्लास में पढ़ता था और हम किराए पर रहते थे। हमारे मकान के ऊपर ही प्रभा आंटी रहती थी, उनकी दो और सहेली थी राखी और प्रीति और प्रभा आंटी मेरठ से थी। प्रभा आंटी बहुत मस्त थी।

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उसका पति भी बहुत पढ़ा लिखा था और उनके कोई बच्चा नहीं था। वो सभी मुझे बहुत प्यार करते थे, मकान मालिक मेरे पापा के फ्रेंड थे, में एक पेयिंग गेस्ट ही था। प्रभा आंटी बहुत सुंदर थी और उनका फिगर तो में आपको क्या बताऊं? बहुत तराश हुआ था, उनके शरीर पर साड़ी बहुत जमती थी। मुझे लगता था कि वो अपनी लाईफ में बहुत खुश होगी, लेकिन एक दिन जब में छत पर जा रहा था तो मुझे बाथरूम में से कुछ आवाज़ आई तो मैंने देखा कि वो बिल्कुल नंगी होकर अपने हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी और बहुत धीमे कुछ बोल रही थी, तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया।

फिर मैंने दूसरे दिन अपने दोस्त को बताया, तो उसने कहा कि वो प्यासी है और मुझे समझाने लगा कि में भी कभी कभी सेक्सी औरत के बारे में सोचकर मुठ मारता हूँ। फिर मैंने कहा कि यार वो तो शादीशुदा है, तो वो हंसकर बोला कि पति ढीलू होगा, तू ट्राई मार तेरा बदन भी गठीला है, वो तुझ पर फिदा हो जाएगी। फिर मैंने बहुत सोचा, लेकिन में ये सब गलत बात है सोचकर भूल गया। अब कई बार आंटी मुझसे बाज़ार से सामान मंगवाती थी। में उनके करीब इसलिए रहता था ताकि में भी इंग्लिश बोलना सीख जाऊं। फिर में एक दिन उनके लिए बाज़ार से कुछ लेकर आया तो मैंने देखा कि एक आदमी उनकी कमर में हाथ डालकर लिपटा हुआ है, तो में छुपकर देखने लगा। अब आंटी कह रही थी कि तुम भी बस अपने भैया जैसे हो, तुम मेरी प्यास तो बुझा देते हो, लेकिन बच्चा नहीं देते। फिर वो आंटी को धक्का देकर अलग हो गया और बोला कि अब में कभी नहीं आऊंगा।

फिर आंटी बोली कि तुम भी मुझे बिना कंडोम के करोगे, तो में करुँगी नहीं तो नहीं बाए और फिर वो उन्हें गेट तक छोड़ने आ गई। फिर मैंने पता लगाया, तो वो उनका देवर था। फिर में रविवार को अनिल से मिला, तो अनिल के घर कोई नहीं था और अनिल सेक्सी मूवी लेकर आया था, उसमें प्रभा आंटी जैसी ही हीरोइन थी, जो शादीशुदा थी और पड़ोस के लड़के से चुदती थी और वो कहानी मेरी कहानी से कुछ मैल खाती थी। फिर मैंने ऐसा ही किया और एक शाम मैंने आंटी से बोला कि आप मेरे साथ फिल्म देखने चलोगी, तो वो तैयार हो गई। फिर में अगले दिन स्कूल से आते ही ऊपर गया, जब दोपहर के 2 बज रहे थे और अंकल भी रात के 8 बजे आते थे।

फिर में आंटी से बोला कि चले, तो आंटी बोली कि ठीक है, लेकिन किसी से मत कहना और में अभी नहाकर आती हूँ और फिर वो बाथरूम में चली गई और नहाकर जब वापस आई तो वो सिर्फ़ टावल में थी। अब मेरा तो उसको देखकर ही बुरा हाल हो गया था। फिर आंटी बोली कि तुम मेरा एक काम कर दो, तो मैंने कहा कि क्या? तो आंटी बोली कि तुम जरा मेरी साड़ी ऊपर अलमारी पर पड़े सूटकेस में है, जरा सूटकेस उतरवा दो और वो एक छोटा सा स्टूल पकड़कर खड़ी हो गई। फिर में सूटकेस उतारने के लिए चढ़ने लगा। अब मेरा तो लंड खड़ा था, अब मुझे शर्म आ रही थी। फिर जैसे ही में सूटकेस उतारने लगा तो मेरा संतुलन बिगड़ गया और मेरे पैर में मोच आ गई तो मैंने सोचा कि हो गया बेड़ा पार। फिर आंटी ने मुझे लेटाया और बोली कि तू लेट में गर्म पानी से धोकर तुझे पट्टी बांधती हूँ। फिर आंटी ने मेरे ही सामने ब्लाउज डाला, लेकिन मुझे कुछ नजर नहीं आया क्योंकि उन्होंने पहले पेटीकोट डालकर उसे अपने दातों में दबाकर अपना ब्लाउज जल्दी से पहनकर पानी गर्म करने चली गई। अब में उनके बिना पेंटी के चूतड़ देखकर अपनी मोच को भूल गया था और सोचा कि इसे आज जरुर चोदूंगा। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर आंटी पानी लेकर आई और बेड से नीचे बैठकर मेरे पैर धोने लगी। अब मुझे उनके स्लीव लेस ब्लाउज और गोरी-गोरी पीठ साफ़-साफ़ दिख रही थी। फिर मैंने एक प्लान बनाया और आंटी से बोला कि आंटी उस दिन कौन था जो आपकी कमर में हाथ डालकर आपको किस कर रहा था? तो उन्होंने अपना फेस ऊपर किया, तो मुझे उनके गोरे-गोरे बूब्स नजर आए। फिर आंटी बोली कि इस बारे में किसे से मत कहना? तो फिर मैंने उनको उस दिन बाथरूम वाली बात भी बताई और आंटी से बोला कि आपके पास मूव है। तो आंटी ने कहा कि में देखती हूँ और वो उठकर अलमारी की तरफ चली गई। अब में धीरे से दरवाजा लॉक करके बैठ गया था। फिर आंटी मूव लेकर आई और कहने लगी कि तुम किसी से ये सब मत कहना प्लीज। अब में तो अंदर से उनके बड़े-बड़े चूतड़ और बूब्स देखकर परेशान था। फिर मुझमें अनिल की बातों से कुछ हिम्मत आई कि बस कभी भी अंदर डाल देना और फिर देखना। फिर में जानबूझकर बिस्तर पर थोड़ा पीछे हुआ ताकि वो भी थोड़ी ऊपर आ जाए।

फिर जैसे ही वो ऊपर आई तो मैंने जानबूझकर उनके गले और पीठ पर अपना एक हाथ रखा। अब वो सोच रही थी कि में सहरा ले रहा हूँ। फिर अचानक से मैंने उन्हें बेड पर गिराकर गर्म-गर्म सासों के साथ चूमने लगा। अब वो पूरे ज़ोर के साथ मुझे धक्का देने लगी और बोली कि में चिल्लाऊँगी। फिर मैंने कहा कि तुम चिल्लाओ या कुछ भी करो और फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उनका पेटीकोट ऊपर करके उनकी जांघे चूमने लगा और सोचा कि मौका मिलते ही सीधा अपना लंड डाल दूँगा। अब आंटी मेरे बाल खींचने लगी थी, तो तभी अचानक से मेरी जीभ उनकी चूत से टकराई, तो उनकी पकड़ कुछ ढीली होने लगी। फिर तो मैंने अपनी पूरी जीभ उनकी चूत में घुसा दी। अब उनके हाथ जो मेरे बाल खींच रहे थे, वो अब मेरे बालों को सहलाने लगे थे।

फिर वो अपने मुँह से बोलती रही कि मुझे छोड़ दो, में फिर प्यासी रह जाउंगी, तुम बच्चे हो। फिर मैंने अपना सिर उठाकर देखा, तो उनकी आँखे बंद थी। फिर मैंने जैसा मूवी में देखा था वैसा करना शुरू कर दिया। अब में उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा था, तो मैंने महसूस किया कि जब-जब मेरे दाँत उनकी चूत पर चुभते तो वो आअहह, आह, आहहहा करती हुई अपनी गर्दन हिला रही थी यानि अब वो पूरी गर्म थी। फिर मैंने उनके ब्लाउज को बड़े प्यार से अपने एक हाथ से खोला और उनकी चूत को चाटता रहा। फिर मेरे दिमाग़ में 69 पोजिशन का आइडिया आया तो मैंने सोचा कि वो मुझे बच्चा समझ रही है, जरा दर्शन करा दूँ और झट से पलटकर में फिर से उनकी चूत को चाटने लगा। अब उनकी चूत पानी छोड़ रही थी, अब मुझे बदबू आ रही थी, लेकिन मेरी मजबूरी थी। फिर वो मुझे जोर से पकड़कर बोली कि अरे ये तो बड़ा मज़ेदार है, तू चाटना छोड़ दे कमीने, अब इसे अंदर डाल दे नहीं तो में प्यासी मर जाउंगी। फिर क्या था? मैंने अपने लंड को अंदर डाला तो मैंने उनकी आँखों में संतोष और चेहरे पर मुस्कुराहट देखी। फिर उन्होंने मेरा मुँह अपने ब्लाउज से पोंछा और मुझे किस करने लगी। अब में तेज-तेज झटके मारने लगा था, अब वो भी तड़पने लगी थी और अया,

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अया, अया, अया की आवाजें निकालने लगी थी। फिर उसके बाद मैंने आंटी का सब कुछ लूटा और साथ ही मैंने उनकी दोनों सहेलियों को भी खूब चोदा, जिसमें से नागपुर वाली मेरी चुदाई कभी नहीं भूलेगी, जो अब स्वर्ग सिधार गई है ।।