दीदी की गीली चूत पर घोड़ा दौड़ाया

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प्रेषक : राहुल …

हैल्लो दोस्तों, ये कहानी मेरी और मेरी दीदी की है। अब मेरी दीदी हॉस्टल से वापस आ गई थी और अब हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे। मेरी दीदी बहुत खूबसूरत है, उसके बूब्स और गांड देखकर तो में बेताब हो जाता था। अब रात के खाने के बाद मेरी दीदी सो गई थी। अब में भी रूम में जाकर अपनी दीदी के बाजू में लेट गया था। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी लूंगी खोलकर अपना लंड बाहर किया और फिर मैंने दीदी का हाथ अपने नंगे लंड पर रखा और धीरे-धीरे दीदी के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए। अब वो अंदर ब्लेक कलर की ब्रा पहनी हुई थी। फिर में वैसे ही लेटा रहा। फिर जब थोड़ी देर के बाद दीदी की आँख खुली तो शायद वो शॉक रह गई थी। तब मैंने तो डर से अपनी आँख नहीं खोली, लेकिन मुझे इतना जरूर लगा था कि वो थोड़ा हड़बड़ा गई है। फिर मैंने अपनी आँखें थोड़ी सी खोली तो मैंने देखा कि दीदी अपने ब्लाउज का बटन बंद कर रही थी। तब मैंने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली।

फिर दीदी ने मेरे लंड को मेरी अंडरवेयर से छुपाया और रूम से बाहर चली गई। हम सोते वक़्त रूम लॉक करके सोते है तो किसी को कुछ पता नहीं चला था। फिर थोड़ी देर में भी उठा, लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा था कि बाहर पता नहीं क्या हो रहा होगा? कहीं दीदी माँ से तो नहीं बोल देगी? फिर में थोड़ी देर तक तो ऐसे ही बैठा रहा। तभी थोड़ी देर के बाद दीदी चाय लेकर मेरे रूम में आई और मुझे चाय दी। तो तब वो कुछ बोली नहीं, लेकिन उस वक़्त वो बहुत सीरीयस लग रही थी। अब मेरी तो हालत खराब हो गई थी। खैर फिर में चाय पीने के बाद रूम से बाहर आया तो तब पापा ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे और माँ नॉर्मल थी और अब दीदी भी नॉर्मल लगने की कोशिश कर रही थी, लेकिन शायद उसके दिमाग में वही सब घूम रहा था। खैर फिर उन्होंने किसी से इस बात को नहीं कहा और फिर वो दिन ऐसे ही बीत गया।

फिर उस रात को जब हम सोने गये, तो तब दीदी अपनी उसी पुरानी ड्रेस टॉप और स्कर्ट में थी। तो तब  मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगा कि चलो आज शायद बहुत दिनों के बाद इन्जॉय करने का मौका मिलेगा। फिर वो रात इसी तरह गुजरने लगी। फिर में अचानक से उठा तो तब दीदी ने मुझसे पूछा कि  क्या हुआ? तो तब मैंने कहा कि कुछ नहीं, में जरा पेंट चेंज करके आता हूँ, में थोड़ा अनकंफर्टबल महसूस कर रहा हूँ। तब दीदी ने कहा कि रोज तो तुम ऐसे ही सोते हो, तो आज क्या प्रोब्लम है? तो तब मैंने कहा कि मॉर्निंग में पैर में चोट लग गई थी तो थोड़ा सा कट गया है, तो पेंट के कारण वो थोड़ा दर्द कर रहा है। तब दीदी बोली कि ठीक है जाकर लूंगी पहन लो।

अब में खुश हो गया था और तुरंत ही चेंज करके आ गया था। अब मैंने अपनी पेंट के साथ-साथ अपनी अंडरवेयर भी उतार दी थी और फिर हम सो गये। फिर रात में मैंने महसूस किया की दीदी का एक हाथ मेरी लूंगी के ऊपर से ही मेरे लंड पर था। तब मैंने अपनी लूंगी पूरी खोलकर अलग कर दी और नीचे से पूरा नंगा हो गया था। अब मेरा लंड क़ुतुबमीनार जैसे खड़ा हो गया था, मैंने ऊपर भी कुछ नहीं पहना था, अब में पूरा नंगा था। फिर मैंने दीदी का हाथ अपने लंड पर रखा और उसके टॉप का बटन खोलने लगा था। तभी दीदी थोड़ी हिली और मेरा लंड ज़ोर से पकड़ लिया और मुझसे और चिपक गई थी और अपने होंठ मेरे बहुत पास ले आई थी। अब उस वक़्त में बहुत उत्तेजित हो गया था, लेकिन अब में अपने आप पर कंट्रोल कर रहा था। फिर मैंने किसी तरह दीदी के टॉप का बटन खोला तो तब उनकी ब्रा में कैद चूचीयाँ बाहर आ गई, उनकी चूचीयाँ ब्रा में बहुत मस्त लग रही थी। खैर फिर मैंने किसी तरह उनका स्कर्ट ऊपर किया, जिससे उनकी पेंटी दिखने लगी थी। फिर में उसी पोजीशन में सो गया।

फिर अगली सुबह मेरी आँख देर से खुली तो तब मैंने देखा कि दीदी जाग चुकी थी और रूम से बाहर चली गई थी। अब रूम का दरवाज़ा लगाया हुआ था और अब में नंगा ही सोया हुआ था। फिर उस दिन भी कुछ नहीं हुआ और फिर वो दिन भी ऐसे ही बीत गया। फिर उस रात जब में सोने आया तो तब दीदी मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी, शायद उन्हें शक हो गया था कि रात को वो सब में करता हूँ, तो उस रात मैंने कुछ ना करने की सोची। अब उस दिन भी में सिर्फ़ लुंगी में था और जैसा की मैंने सोचा था अब दीदी सोने का नाटक करने लगी थी, लेकिन उस रात मैंने कुछ नहीं किया, लेकिन में पूरी रात सो भी नहीं सका। खैर फिर किसी तरह रात कट गई और अगली सुबह मुझे दीदी नॉर्मल लगी, शायद उन्हें शक था कि उनके साथ रात में में वो सब करता हूँ, जो अब दूर हो गया था।

फिर उस दिन पापा के ऑफिस जाने के बाद माँ भी पड़ोस में चली गई थी और अब उस वक़्त घर में  मेरे और दीदी के अलावा और कोई नहीं था। तब दीदी ने मुझसे कहा कि राज तुम जाकर नहा लो, तो तब मैंने उनसे कहा कि दीदी अभी नहीं, पहले आप नहा लो, फिर में नहा लूँगा। तब दीदी ने अचानक से मुझसे कहा कि ठीक है चलो आज हम दोनों साथ में ही नहाते है। फिर ये सुनकर में तो बहुत खुश हुआ, लेकिन भाव खाते हुए मैंने उनसे कहा कि दीदी ये आप क्या बोल रही हो, आप मेरी दीदी हो और में आपके साथ कैसे नहा सकता हूँ? तो तब दीदी बोली कि क्यों नहाने में क्या बुराई है? तो तब मैंने कुछ नहीं कहा तो तब दीदी बोली कि देखो माँ आ जाएगी, तो उनके आने से पहले चलो नहा लिया जाए। तो तब मैंने कहा कि ठीक है चलो नहा लेते है और फिर में और दीदी हेडपंप के पास जाकर बैठ गये। तो तब दीदी ने मुझसे कहा कि अपनी लुंगी निकाल दो। तो तब मैंने उनसे कहा कि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है। तब वो मुस्कुराने लगी और बोली कि जा अंदर जाकर अपनी अंडरवेयर पहन ले। तब में अंदर गया और अंडरवेयर पहनकर आ गया। अब में दीदी के सामने सिर्फ़ अंडरवेयर में था।

फिर मैंने भी दीदी से कहा कि दीदी आप भी अपने कपड़े निकाल लो। तब दीदी मुस्कुराते हुए बोली कि नहीं में ऐसे ही नाहऊँगी। तब में कुछ नहीं बोला। फिर हम दोनों एक साथ नहाने लगे। अब दीदी मुझ पर पानी डालकर मुझे साबुन लगाने लगी थी। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था तो तब मैंने भी उन पर पानी डाल दिया। तब दीदी मुझ पर प्यार से चिल्लाई कि राज क्या कर रहे हो? तो तब मैंने कहा कि अपनी दीदी से प्यार। अब दीदी के गीली होने के कारण उनकी ब्रा साफ-साफ दिख रही थी। फिर उस दिन उससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ, लेकिन वो रात हमारी सुहागरात होने वाली थी, उस दिन लक भी हमारे साथ था। फिर शाम को पापा आए और फिर वो बोले कि उन्हें ऑफिस के काम से आउट ऑफ स्टेशन जाना है। तब मैंने कहा कि माँ भी पापा के साथ घूम आए। तब पापा मान गये, लेकिन माँ बोली कि तो घर पर कौन रहेगा? तो तब मैंने कहा कि में और दीदी है ना और बस 15 दिन की ही तो बात है, क्या हो जाएगा? तो तब लास्ट में माँ भी मान गई और फिर वो और पापा चले गये।

फिर उस रात दीदी और में जब सो रहे थे, तो तब मैंने महसूस किया कि दीदी मेरे लंड से खेल रही है, तो तब मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर थोड़ी देर तक खेलने के बाद दीदी ने मेरी पेंट के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और मुझसे चिपक गई थी। तब मैंने अच्छा मौका देखकर अपने होंठ दीदी के होंठो से लगा दिए और चूसने लगा था। तो तब दीदी ने भी कुछ नहीं कहा और फिर हम दोनों पागलों की तरह किस करते रहे। फिर लगभग 15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस करते रहे और फिर हम अलग हुए। तो तब हमने पहली बार एक दूसरे को देखा और खूब ज़ोर से हँसे। तब मैंने एक बार फिर से खूब ज़ोर से दीदी के होंठो को चूसा और उनसे कहा कि दीदी आई लव यू। तब दीदी भी मुझसे बोली कि राहुल आई लव यू टू।

फिर दीदी मुझसे बोली कि राज तुम खुश तो हो ना। तब मैंने कहा कि हाँ दीदी में बहुत खुश हूँ, लेकिन दीदी क्या में आपको? तो तब दीदी बोली कि बोल ना पागल, शर्माता क्या है? तो तब मैंने कहा कि दीदी क्या में आपको नंगा देख सकता हूँ? तो तब दीदी ने मेरे होंठो पर जबरदस्त किस किया और बोली कि मेरे भाई आज हमारी सुहागरात होने वाली है, मुझे नंगा देखना तो क्या जितना जी चाहे चोदना? आज से तुम मेरे दूसरे पति हो, लेकिन तुम नहाकर तैयार हो जाओ, में कुछ कपड़े देती हो तुम पहन लो और में भी थोड़ी देर में तैयार होकर आती हूँ, लेकिन तब तक थोड़ा इन्तजार करो। तब मैंने कहा कि ठीक है। फिर दीदी नहाने चली गई और नहाकर माँ के रूम में घुस गई थी। अब में भी नहाकर रूम में आया था, जहाँ कुर्ता पजामा रखा हुआ, जो मैंने पहन लिया था। फिर थोड़ी देर के बाद दीदी ने मुझे माँ के रूम से पुकारा। फिर जब में वहाँ गया तो मैंने देखा कि दीदी दुल्हन बनकर बेड पर बैठी थी। फिर मैंने वो रूम अंदर से बंद किया और उनके पास गया। तब दीदी ने मुझे पीने को दूध दिया और मेरे कान में बोली आज में सिर्फ़ तुम्हारी हूँ, जो करना चाहो करो, में कुछ नहीं बोलूँगी। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

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फिर में दीदी के पास बैठ गया और सबसे पहले उनके शरीर से सारी ज्वैलरी निकालकर अलग की और फिर मैंने उनकी साड़ी निकाल दी। अब दीदी शर्माकर अपना सिर झुकाकर खड़ी थी। फिर मैंने दीदी के शरीर से उनका ब्लाउज और पेटीकोट को अलग किया। अब दीदी सिर्फ़ ब्रा पेंटी में थी। तो तब दीदी ने कहा कि सिर्फ़ मेरे कपड़े ही खोलोगे, अपने भी तो निकालो। तो तब मैंने कहा कि क्यों तुम खुद ही निकाल लो? तो तब दीदी ने मुझे भी नंगा किया और फिर मैंने उनके बदन से बाकी बचे कपड़े अलग कर लिए। अब हम दोनों भाई बहन बिल्कुल नंगे खड़े थे। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपके और अब हमारे सारे अंग एक दूसर से चिपके हुए थे, हमारे होंठ, छाती, मेरा लंड और उनकी चूत सब कुछ। फिर थोड़ी देर तक किस करने के बाद हम अलग हुए और फिर मैंने दीदी को अपनी गोद में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उनकी चूचीयों को चूसने लगा था। अब दीदी मौन करने लगी थी आहह राज, आह चूसो और जोर से, उफफफफ्फ, चूस भाई चूस, ऊहह माँ।

फिर लगभग 15-20 मिनट तक उनकी लेफ्ट चूची को चूसने के बाद मैंने उनकी राईट चूची पर हमला किया और उसे भी खूब चूसा। फिर मेरा अगला निशाना बना मेरी दीदी की चूत। फिर मैंने जैसे ही अपने होंठ दीदी की रसीली चूत पर रखे तो तब दीदी चिल्ला उठी आअहह। अब में उनकी चूत को चाटने लगा था और उनकी चूत के अंदर अपनी जीभ डालने लगा था। अब दीदी मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी थी और अपना सिर इधर उधर पटक रही थी और चिल्ला रही थी आह माँ, काट बहनचोद और चाट, बिल्कुल रंडी बना दे अपनी बहन को साले। फिर लगभग 20 मिनट तक उनकी चूत को चाटने के बाद दीदी का अमृत निकल गया और मैंने लाईफ में फर्स्ट टाईम अमृत पिया और वो भी अपनी दीदी का। तो तब दीदी बहुत खुश हुई और मुझे ऊपर खींचकर मेरे होंठो को चूसने लगी और बोली कि कैसा लगा अपनी बहन की चूत चाटकर और उसका अमृत पीकर?

तब मैंने कहा कि में ये अमृत रोज पीना चाहता हूँ। तो तब दीदी ने कहा कि हाँ-हाँ ये तुम्हारे लिए ही तो है, जब दिल करे इसे पी लेना। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि अब तुम लेट जाओ, मुझे भी आइसक्रीम खानी है। तब मैंने कहा कि हाँ-हाँ क्यों नहीं? और फिर दीदी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। तो तब मैंने कहा कि आह चूसो और चूस साली, रंडी चूस इसको, चूस और फिर 15-20 मिनट के बाद मैंने कहा कि दीदी में आ रहा हूँ, आह और फिर मेरा भी अमृत दीदी के मुँह में निकला, लेकिन मेरा अमृत इतना निकला था कि दीदी का मुँह पूरा भर गया था और कुछ बाहर उनकी चूचीयों पर भी गिरा, जिसे वो उठकर पी गई थी। फिर हम एक दूसरे को किस करने लगे। फिर 25-30 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे। फिर थोड़ी देर के बाद दीदी बोली कि चलो अब घोड़े दौड़ाने का वक़्त आ गया है। तब मैंने कहा कि हाँ मैदान भी गीला है, बड़ा मज़ा आएगा और फिर हम दोनों हंसने लगे। फिर में उठा और दीदी की चूत को टारगेट करके अपना लंड उसमें डालने लगा, दीदी की चूत बहुत टाईट थी।

तब मुझे ये थोड़ा अजीब लगा। तब मैंने दीदी से कहा कि दीदी जीजाजी से चुदने के बाद भी तुम्हारी चूत इतनी टाईट कैसे है? तो तब दीदी ने बताया कि उनका लंड बहुत छोटा है और ठीक से अंदर भी नहीं जाता है, अभी तक तो मेरी सील भी नहीं टूटी है और अब इसे तुम ही तोड़ दो और वो भी वाइल्ड्ली। तब मैंने कहा कि ठीक है साली कुत्तिया, देख अब ये कुत्ता क्या करता है? और फिर मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का दिया तो मेरा लंड आधा उनकी चूत में घुस गया। तो तब दीदी चिल्ला उठी, तो तब मैंने अपने होंठ उनके होंठो पर रखे और फिर थोड़ी देर के बाद उनसे पूछा कि क्या हुआ? रुक जाऊं क्या? अब दीदी की चूत में से खून आ रहा था, लेकिन उन्होंने कहा कि हरामी मैंने रुकने को कहा क्या? चोद साले, कुत्ते जैसे चाहे चोद। तब मैंने फिर से धक्के दिए और अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया था। अब दीदी आहह, ऊहहहह कर रही थी। फिर मैंने धक्के देना स्टार्ट किया और फिर में 30 मिनट तक उनको चोदता रहा, तो इस दौरान वो 3 बार झड़ी। फिर मैंने कहा कि दीदी में भी आ रहा हूँ। तब दीदी ने कहा कि अंदर ही निकालो और फिर थोड़ी देर के बाद में भी झड़ गया। अब जब में झड़ रहा था तो तब दीदी ने मुझे ज़ोर से पकड़ा था और बोली कि आह क्या एहसास है अपने भाई का अमृत लेने का? और फिर हम दोनों लिपटकर सो गये। फिर आगे भी जब कभी भी हमें कोई मौका मिला, तो तब हमने चुदाई का खूब आनंद लिया और खूब मजा किया ।।

धन्यवाद …