ये कहानी सुनकर आप सभी पाठकों को जरुर मजा आएगा. दोस्तों मैं शुरू से ही नॉनवेज खाने [मांसाहार] का बहुत प्रेमी हूँ. मैं हर दुसरे दिन जरुर चिकेन या मटन या मछली जरुर खाता हूँ. कई बार जब मेरे दोस्त मेरे साथ होते है तो हफ्ते हफ्ते भर नॉन वेज ही मेरे कमरे पर बनता रहता है. मैं इस समय ऍम बी ऐ की पढाई कर रहा हूँ. तो आपको सीधा कहानी की तरफ ले चलता हूँ. कुछ ही दिन पहले मेरे पड़ोस में एक बड़ी सुंदर आंटी आकर रहने लगी. उसके पति कोई छोटे मोटे डॉक्टर थे जो देहात में अपनी क्लिनिक चलाते थे.
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप www.HindiSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहे हैं
मैं आये दिन जब नीना आंटी को देखता था तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था. उपरवाले ने बड़ी कायदे से उन्हें बनाया था. मैं उनको जब भी देखता था नमस्ते कर लेता था. बातों बातों में नीना आंटी को पता चला की मुझे नॉन वेज फ़ूड बहुत पसंद है. एक दिन उन्होंने मुझे एक बड़ा कटोरा भरके फिश भिजवा दी. मैंने जैसे ही फिश टेस्ट की मेरे मुँह में पानी आ गया. इतनी स्वादिस्ट मछली तो मैं खुद कभी अपने हाथों से नही बना पाया. नीना आंटी का तो कोई जवाब ही नही था. मैं उनको दुवाए देता गया और चाव से मछली खाता गाया. मुझे बहुत स्वादिस्ट लगी उसकी फिश. मैंने उसका कटोरा धो दिया और शाम को वापस करने गया. मैंने उनको थैंक्स कहा. साथ ही ये भी कहा की उसके हाथो में जादू है. ऐसी मछली मैंने आज तक खायी. नीना आंटी हसने लगी. असल में वो खुद तो शाकाहारी थी पर अपने हसबैंड के लिए नॉन वेज पका दिया करती थी. सच में आंटी के हाथ में जादू था.
नीना आंटी से बात करते हुए मेरा नजर उसके भरे पुरे जिस्म पर पड़ी. सुंदर बड़ी बड़ी आँखें, करीने की भौहें, सुंदर आकार की नाक. इसके साथ ही साथ सुंदर ओंठ और प्यारी से ठुड्डी. मन तो कर रहा था की अभी आंटी को उसके घर में ही गिरा लुंग और उसकी मैक्सी उठकर चोद लूँ. आंटी मुझे अपने घर के बारे में , अपने पापा मम्मी के बारे में बताती रही. मैं नीचे से उपर तक उनके भरे पुरे बहन को ताड़ता रहा. बस बार बार मन कर रहा था की इनको चो……दददद लूँ. मैंने किसी तरह खुद पर काबू किया. धीरे धीरे मेरा आंटी से मेलजोल घर जैसा हो गया.
‘बेटा गोविन्द!! जरा आलू ला देना खाना बनाना है!. बेटा गोविन्द दही खत्म हो गया है. जरा पास की दुकान से ला देगा!!’ इस तरह से आंटी मुझसे अपने काम करवाने लगी. कई बार तू मेरा जाने का मन नही करता था, क्यूंकि इससे बहुत सारा कीमती वक़्त बर्बाद हो जाता था. पर दोस्तों, मैं आंटी को बना नही कर पाता था. क्यूंकि वो मुझे अपने बेटे की तरह प्यार करती थी. इसलिए मैं अपने सारे काम छोड़कर आंटी के काम कर देता था. रात होने पर मैं बाथरूम में जाता था और आंटी को सोच सोचकर मुठ मार देता था. मुझे बहुत मजा मिलता था. दोस्तों, एक दिन तो बड़ा गजब हो गया. मैं उनसे एक कप दूध मांगने गया था.
‘आंटी ??….आंटी??” मैंने आवाज दी. उनका दरवाजा खुला था. मैं अंदर चला गया. अंकल घर पर नही थे. अपनी क्लिनिक गये थे. मैं अंदर चला गया. मैं आंटी को खोजते खोजते आगे बढ़ने लगा. जैसे ही बाथरूम की तरह वाले कमरे में बढ़ा नीना आंटी बाथरूम खोलकर बिलकुल नंगी होकर नहा रही थी. नीना आंटी को देखकर मेरा दिमाग फिर गया. उन्होंने मुझे देखा तो जल्दी से शावर का गोल हैंडल घुमाकर बंद किया. आंटी का गोरा कुंदन सा चमकता जिस्म मैंने अपनी आँखों से पानी भीगते देखा. आंटी मुझे देखकर जल्दी से टॉवेल लेने दौड़ी. मेरा पपलू इकदम से खड़ा हो गया. नीना आंटी को चोदने की इक्षा बड़ी प्रबल हो गयी. मैंने उनकी तरह पागलपन से दौड़ गया. और इससे पहले आंटी टॉवेल उठा पाती मैंने उसको पकड़ लिया और उसके गोरे गोरे भीगे गाल पर चुम्मा ही चुम्मा जड़ दिया.
‘नही बेटे गोविन्द!! ऐसा मत करो!!…मैं तुमको अपना बेटा मानती हो. मुझे मत चोदो!’ आंटी बडबडाने लगी. मैं उनकी एक बात नही सुनी. धड़ाधड़ एक के बाद एक चुम्मा देने लगा. आंटी ने लाख कोशिश की तौलिया उठाने की और अपने बड़े बड़े ३६ साइज़ के भरपूर शुशोभित मम्मे छुपाने की पर मैं उनको कसके दोनों हाथो से पकड़े रखा. उसके दोनों गोरे गोरे चिकने गालों पर मैं चुम्मा देता रहा. मैंने फिर से शावर का गोल हैंडल पकड़ के घुमा दिया. शावर से सैकड़ों ठन्डे ठन्डे पानी की पतली पतली फुहार मेरे और आंटी पर गिरने लगी. हमदोनो भीगने लगे. नीना आंटी कुछ बोलना चाहती थी, पर मैंने उनको कुछ भी नही बोलने दिया. आज दोस्तों पता नही कहाँ से कितने सही मौके पर पहुच गया था जिससे नीना आंटी जैसी टॉप क्लास माल के दर्शन हो गए.
ह्म दोनों ही भीग गये थे. मैंने अब आंटी के ओंठ पीना शुरू किये. बाप रे!! कितने सुंदर..कितने मीठे….कितने सुकुमार ओंठ थे उसके. शावर से गिरती पानी की बुँदे सीधा उसके ओंठ पर गिर रही थी. इससे आग सी लग रही थी. आंटी मुझे और कमनीय, कामातुर और और भी जादा चुदासी लग रही थी. खड़े खड़े ही हमदोनो पानी में भीगने लगे. मेरा हाथ बरबस ही आंटी के मम्मो पर चले गये. गीले और भीगे मम्मे. दोस्तों मम्मे क्या कहूँ सुंदर कलश कहना जादा उचित होगा. गर्व से तने हुए काले काले सुंदर चोकलेट घेरे वाले कलश जो पुरे गर्व से तने हुए थे. मेरा हाथ नीना आंटी के कलश पर चले गये और जोर जोर से उन्हें दबाने लगे.
‘नही गोविन्द बेटा!! ….तुम मेरे बेटे की उम्र के हो….भगवान के लिए ये सब मेरे साथ मत करो!!..अगर कालोनी में किसी को पता चल गया तो डॉक्टर साहब मुझे घर से निकाल देंगे!!…भगवान के लिए मुझे मत चोदो!’ आंटी बडबडाने लगी. मैंने अपनी भीगी हो चुकी टी शर्ट जींस निकाल दी. फिर अपना भीगा डिक्सी स्कॉट का कच्छा निकाल दिया. मैंने आंटी को गोद में उठा लिया. गीले फर्श पर प्यार से होले से लिटा दिया. शावर को मैंने ओंन रखा. बस नीना के दोनों पैरो को उठाकर खोल दिया. सफ़ेद झांट सफा चूत देखके अनायास ही मुँह में पानी आ गया. लौड़ा लगाकर मैं उनको चोदने लगा. आंटी ‘नही बेटा!!…..नही बेटा!’ करती रही. मैं उनको चोदता खाता गया. हम दोनों की गीले थे, हम दोनों ही जवान थे. हम दोनों ही चुदासे थे. वो मना करती रही, मैं उनको पेलता गया. जब तक वो मुझे रोकती मैं नीना आंटी की अंटी[ उनकी जवां चूत] में माल छोड़ दिया.
आंटी फूटफूटकर रोने लगी. ‘गोविन्द बेटा!!…ये तूने क्या किया?? अगर किसी को पता चल गया तो??” वो कहने लगी. मैं आंटी को भरोसे में लिया.
‘आंटी शहरों में ऐसा होना मामूली बात है. सभी आंटियाँ नये लडकों से चुदवा लेती है. तुम फिकर मत करो. आपकी चुदाई वाली बात कालोनी में किसी को नही पता होगी!!” मैंने उनको विश्वास दिलाया. कुछ देर बाद उन्होंने रोना बंद कर दिया. ‘आंटी मुझसे खूब चुदवाया करो और मजे लिया करो. जिन्दगी में खुश रहना सीखो! आपके पति को तो आपके सुख चैन की परवाह है नही. पर मुझे है. मैं आपको समय समय पर खूब चोदा खाया करूँगा!’ मैंने कहा और दूध लेकर लौट आया. मैं बहुत ही खुश था दोस्तों. क्यूंकि इस नीना आंटी को देख देख के मैं कमीना बन गया था उसकी लाल चूत आज मेरे नाम हो गयी थी. मैं आंटी की बड़ी इज्जत करता था. उनसे बड़ा प्यार करता था, इसलिए मैंने ये ठुकाई वाली बात अपने क्लास मेटस को भी नही बतायी. दोस्तों हफ्ता भर बीत गया. नीना आंटी के पति किसी डोक्टरी के सेमिनार को अटेंड करने दिल्ली चली गयी. मैं शाम के वक़्त अपने कॉलेज से लौटा आंटी अपने बगीचे में गुलाब के पौधों को पानी डाल रही थी. मैं रुक गया और आंटी को ‘गुड इवनिंग बोला’मुझे देखकर उनका रोम रोम पुलकित हो गया.
‘बेटा गोविन्द !! आज शाम को ८ बजे तुमहारी चिकेन की दावत है!..जरुर आना!’ आंटी बोली और मुझे आँख मारी. मुझे समझते देर ना लगी की ये चिकेन के साथ साथ ये चूत की दावत भी है. मैं घर आया और अच्छी तरह नहा लिया. मैंने तरह तरह के फेस पैक लगा लिए जिससे मेरा रूप और निखर जाए. राजा बाबू बनके मैं ठीक ८ बजे नीना आंटी के घर पहुच गया. मैं अच्छे से जानता था ये चिकन की कम चूत की दावत जादा है. इसलिए मैं उनके लिए एक बड़ा सा गुलाब का गुलदस्ता ले गया. आंटी से दरवाजा खोला तो बड़ी खूबसूरत वाइन कलर की साड़ी सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए पहन रखी थी. मैं अंदर गया. दरवाजा बंद करते ही मैंने उनको पकड़ लिया ‘कहो आंटी जान!! मेरा लौड़ा खाने का मन था ना??’’ मैंने पूछा
‘हाँ बेटे!! पर तुमको कैसी पता चला ???’ वो बोली
‘अरे नीना आंटी !!! मैं भी कुछ कम खिलाडी नही हूँ..उड़ती चिड़िया के पर मैं गिन लेता हूँ’ मैंने कहा और उनको बाहों में भर लिया. फिर हम दोनों लिपलोक करके किस्सी करने लगे. नीना आंटी इतनी जवान थी की १६ साल की लौंडिया उनको देख के शरमा जाए. आंटी ने बहुत बहतरीन परफ्यूम लगा रखा था. मेरे रोम रोम में आंटी का परफ्यूम समा गया. मैं सीधा उनको हाल में बड़े मुलायम सोफे पर ले आया और लिटाकर उनके होंठ पीने लगा. उनकी सांसो की ताज़ी ताज़ी महक मेरे नाक में भर गयी.
‘बेटा गोविन्द!! तुम्हारे लिए बटर चिकेन और चिकेन दो प्याजा बनाया है. पहले खा तो लो’ आंटी बोली
‘आंटी !! जब मेरे सामने तुम्हारे जैसा असली बटर चिकन हो तो नकली कौन खाएगा?..पहले मैं तुमको खा लूँ, फिर नकली वाला खाऊंगा!’ मैंने कहा. उसके बाद तो दोस्तों सारे रिकॉर्ड टूट गये. पहले गर्मा गर्म चुम्बन हुआ. आंटी जैसी माल की महकती सांसो को मैंने खूब पिया. खूब उनके मम्मे दबोटे. फिर धीरे धीरे पुरे प्यार और सम्मान से मैं उनकी साड़ी निकाल दी. फिर उसके कसे चुस्त बलाउस की एक एक बटन मैं खोलता चला गया. लगा जैसे धीरे धीरे स्वर्ग के करीब और करीब आता जा रहा हूँ. फिर आखिर वो रूमानी पल आ गया जब आंटी की साड़ी बटने खुल गयी. मैंने नीचे हाथ डाल के ब्रा के हुक भी खोल दिए. और ब्रा निकाल के फेक दी. नीना आंटी के बीबा जैसे सुंदर मम्मे मेरे सामने थे. वही खूबसूरत कलश जिसका दीदार मैं कर चूका था.
मैं जोर जोर से इन खूबसूरत कलसों को हाथ से छूने, सहलाने और दबाने लगा. आंटी मचलने लगी. ‘म्मम्मम्मम्म म्मम्म करने लगी. मन हुआ की उसके छोटे छोटे लाल लाल होंठो से सजे मुँह में लौड़ा निकाल कर दे दूँ और इस छिनाल से खूब लौड़ा चुसवाऊ. पर फिर सोचा की किसी का नाजायज फायदा नही उठाना चाहिए. जब आंटी ने खुद बुलाकर चुदवाने की दावत दी है तो मैं क्यूँ उसने जबरदस्ती करूँ. इसलिए दोस्तों, मैं हड़बड़ी करना बिलकुल भी सही नही समझा. जब आंटी आराम से चुदवाना चाहती है तो मैं उनको उनके ढंग से ही खाऊंगा. कोई जबरदस्ती नही. ये सोचकर मैं बड़े दुलार से आंटी के सुडौल दूध भरी छातियों को दबाने लगा. पर फिर अचानक से मेरी यौन इक्षा भड़क गयी. मैंने आंटी के दाहिने मम्मे को मुँह में लेकर काली सिक्के पर जोर से काट लिया. आंटी की माँ चुद गयी.
‘गोविन्द बेटा! आराम से मेरे आम चूसो! वरना डॉक्टर साहब को पता चल जाएगा. प्लीस बेटा ये काटा कूटी मत करो!!’ नीना आंटी बोली. मैं अब आराम से उनके कलश पीने लगा. खुदा ने नीना को बड़ी फुर्सत से बनाया था. क्या गजब के मम्मे थे उनके. मैं एक हाथ से आंटी के छलकते शराब के जाम को पीता रहा तो दुसरे हाथ से दबाता रहा. फिर मैंने नीना आंटी की साड़ी खोल दी. पेटीकोट का नारा खोल दिया. पेंटी उनकी बिलकुल माल से तर हो चुकी थी. मैंने पेंटी निकाल दी और उसपर चुपड़े माल को चाटने लगा. कुछ देर बाद मैंने आंटी की चूत में लौड़ा दे दिया और चोदने लगा. आंटी फिर से म्मम्मम्मम्म म्मम्मम करने लगी. मैं उनके भरे पूरे जिस्म को हाथ से सहलाने लगा और चोद चोदकर आंटी का माल खाने लगा. ‘खा लो आंटी!!….खालो इतना बड़ा लौड़ा!! वरना डॉक्टर साहब कहाँ तुमको इतना बड़ा लौड़ा खिला पाएंगे!!..खा लो खा लो !! चुदवा लो कसके!!’ आंटी पक पक करके लगी.
मेरा हस्ट पुष्ट लौड़ा उनकी चूत में बैंड बाजा बारात कर रहा था. आंटी मुँह औंध के सोफे पर किसी देसी दिहाती औरत की तरह पसर गयी. मेरा लौड़ा उनकी भरी पूरी चूत में पक पक करके उनको चोदने लगा. नीना आंटी की मैं जितनी तारीफ़ करूँ कम है. खूब गोल गोल जांघे थी उनकी. दिल तो यही कर रहा था की अगर उसकी सुंदर गोल गोल जांघो में छेद होता तो उसे ही चोद डालता. आज मुझे ब्रह्म सुख मिल रहा था. मेरी गोलिया कड़ी हो गयी थी. लौड़ा तो उतेज्जना से और फूल गया था. आंटी की गदराई जवानी वाली गदराई चूत को मैं खा रहा था. लगा की मैं कोई पापड़ बेल रहा हूँ. आंटी दांतों से अपने लाल होठो को चबाने लगी. उनकी आँखें बंद थी. सायद चुदाई का वो भरपूर मजा ले रही थी. वो अभी भी म्मम्मम्मम आआआ मम्म ..कर रही थी. अब मैं झड़ने वाला था. मैंने आंटी को बाहों में भर लिया जैसे कोई मर्द अपनी औरत को बाहों में भर लेता है. और दोस्तों फटाफट चोदने खाने लगा. जब मुझे लगा की माल छूटने वाला है मैंने फुर्ती से लौड़ा नीना आंटी के भोसड़े से निकाल लिया और उनके पेट पर गर्म गर्म माल गिरा दिया. हमदोनो हाफ़ने लगे. फिर सुस्ताने लगे. कुछ देर बाद हम दोनों डाइनिंग टेबल पर आ गए. नीना ने मुझे बटर और कढ़ाई चिकन परोसा. हमदोनो निर्वस्त्र ही रहे. मैंने उनको आँख मारी तो वो मेरा इशारा समझ गयी. मुझे अपने हाथों से चिकन खिलाने लगी.
आंटी के गोरे गोरी उगलियों में चिकन का मसाला लग गया. मैं प्यार और कामुकता से उनकी पतली पलती उंगलिया अपने मुँह में लेकर चाटने लगा.
‘आंटी!! चिकन इस रिअली टेस्टी !!!’ मैंने कहा. दोस्तों मैंने भरपेट चिकन खाया. उसके बाद मैंने उनको कुतिया बनकर उनकी गांड मारी. नीना आंटी की गांड बहुत कम चुदी थी. क्यूंकि उनके हसबैंड को कभी फुर्सत ही नही मिलती थी. दिन भर तो मरीज देखते थे फिर आकर सो जाते थे. मैंने आंटी की पीठ पर खूब चुम्मा लिया. दांत से निशान बना बनाकर खूब काटा. फिर उनके मस्त मस्त नितम्बो को चूमता हुआ उनकी गांड लेने लगा. ऊफ्फ्फ्फ़ !! आंटी की कसी गांड और मेरा ठोस खड़ा और कड़ा लौडा. मैं फटर फटर करके उनकी गांड चोदने लगा. जिस सहजता और आसानी से मैं उनकी बुर ले रहा था, उसी सहजता से मेरा लम्बा ९ इंची लौड़ा आंटी की गांड में जाने लगा.
‘चोद बेटा चोद!!! चोद गोविन्द बेटा!!’ आंटी बोली
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप www.HindiSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहे हैं
मैं गपागप उनकी गांड चोदने लगा. बीच बीच में वो आया औउ ऊऊऊऊऊ उई
उई आ आऊऊऊऊऊ करती. ये देखकर मुझे बड़ा मजा आता. दोस्तों मैं ढेर सारा चिकन
पेल लिया था. इस वजह से गर्मी छिटक आई थी. और ताकत भी कुछ जादा महसूस हो
रही थी. इस वजह से मैं जोर जोर से नीना आंटी की गांड चोदने लगा था. बड़ी देर
बाद, बड़ी मेहनत करने के बाद मैं आउट हुआ. हमदोनो फिर से किसी प्रेमी
प्रेमिका की तरह प्यार करने लगे. आज रात के लिए आंटी मेरे लौड़े का माल बन
गयी थी. उनके पति डॉक्टर साहेब २ हफ्ते बाद घर लौटे तब तक मैंने आंटी को कई
बार पेला खाया.