गोवा में मस्त चुदासी शादीशुदा औरत के साथ सुहागरात और मौज मस्ती

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मेरे दोस्त प्यार से मुझे इन्दर इन्दर बुलाते है. पर नाम मेरा इंद्र कुमार है. मैं बैंगलोर में सॉफ्टवेअर इंजीनियर हूँ. सारा दिन हम सभी इंजीनियर कम्प्यूटर के सामने सुबह से शाम तक बैठके काम करते रहते है. इसीलिए हम लोगो जी जिन्दगी काफी बोरिंग भी है. पिछले साल भर मैंने मेहनत से काम किया और एक दिन की छुट्टी भी नही ली थी.


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इसलिए दोस्तों, मैंने फैसला किया की कम से कम १० दिन की छुट्टी पर जाऊँगा. मैंने प्लेन की टिकट ले ली और गोवा के एक शानदार ३ स्टार होटल में आ गया. मजे से मैं रहने लगा. शाम को जब फ्रेश हुआ तो गोआ के अंजुमन बीच पर सैर सपाटा करने गया. वहां दोस्तों बड़ा खुशनुमा माहौल था. जवान लकड़े लड़कियां हाथ में हाथ डालकर घूम रहे थे. जादातर लडकियाँ और औरते सिर्फ बिकनी पेंटी में थी. सही सब शानदार सीन देखने के लिए मैं गोवा आया था. मैंने भी अंजुमन बीच पर जाकर नहाने लगा. मैं बिअर पी रहा था. मेरे साथ में सैकड़ों मर्द अपनी अपनी सामान के साथ थे. पर दोस्तों, मैं कुवारा था. इसलिए मेरे पास कोई लड़की चोदने के लिए नही थी. मैं मजे से अरब सागर की लहरों में मजे से नहा रहा था. कुछ देर बाद मेरी मुलाकत एक जवान लडकी आरती से हो गयी.

हम दोनों का हेलो हाय हुआ. मैंने उसके लिए बिअर आर्डर कर दी. मालूम पड़ा की वो मुंबई से आई है. मेरी तरह वो भी कुवारी है. हम लोगो की दोस्ती हो गयी.

“ इन्दर !! शाम को मिलोगे??’ आरती ने पूछा

“क्यूँ नही !!” मैंने कहा.

दोस्तों, वो भी मेरे होटल में ठहरी हुई थी. शाम को हमने होटल के रेसटोरेंट में साथ खाना खाया. पुरे वक़्त मैं टेबल के नीचे से उसके पैर में अपना पैर लडाता रहा. चुदाई का हम दोनों का मौसम बन चूका था. कुछ देर तक उसके साथ मैं वाईन पीता रहा. फिर वो मेरे कमरे में आ गयी. अंदर आते ही हम दोनों बेतहाशा एक दुसरे को चूमने लगे. आरती की कमर बहुत पतली और सेक्सी थी. मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया. धीरे धीरे मैंने उसकी शर्ट और जींस निकाल दी. उसने भी मेरे कपड़े निकाल दिए. मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसके गाल को चूमने लगा. फिर मैं आरती के होठ पीने लगा. ओओह दोस्तों क्या मस्त सेक्सी होठ थे आरती के. वो बी मुँह चला चला कर मेरे होठ पीने लगी. आरती के बड़े बड़े ३६ साइज़ के दूध मैंने झटके से उसकी ब्रा निकाल दी.

दोस्तों आरती के दूध खूब गोल गोल सुंदर सुंदर थे. मैं हाथ से उसके चुच्चे दबाने लगा. खूब मजा मिल रहा था दोस्तों. आरती चोदने लायक एक मस्त माल थी. मैं जोर जोर से उसकी निपल्स हाथ में लेकर मसलने लगा. आरती “ओह गॉड!!!….ओ गॉड!!” चिल्लाने लगी. मैं उँगलियों के पोरों से और तेज तेज उसके दूध मसलने लगा. आरती की कमर बेहद पलती थी. एक एक पलसी मुझे साफ़ साफ़ दिख रही थी. मैंने उसपर झुक गया और उसके मुलायम दूध पीने लगा. आह क्या मस्त चुचे थे दोस्तों. २८ या ३० साईंज के दूध दबाने में तो दोस्तों जरा भी मजा नही मिलता है. मजा तो ३६ या इसके उपर के दूध में आता है. आरती का क्लीवेज बहुत सेक्सी था. मैंने कई बात आरती के क्लीवेज को चूमा और उसने हाथ नीचे से उपर कई बार किया. अब मैं उसके नाजुक दूध पी रहा था. कुछ देर बाद ही मैंने उसको बिना कपड़ों में लेने लगा.

चुदते वक़्त आरती के दूध बिलकुल तन गये और नारियल जैसे नुकीले नुकीले हो गये. मैं उसे घप घप पेलने लगा. आरती की एक एक पसली मुझे साफ साफ दिख रही थी. मैं उसको दोनों पलती पलती सफ़ेद चिकनी जांघ को पकड़ कर उसे चोद रहा था. आरती की पसलियाँ और कमर उपर नीचे जा रही थी. उसकी कमर की एक एक हड्डी मुझे दिख रही थी. डर लगा रहा था की कही मेरा १० इंच का लंड उसकी कमर के अंदर ना घुस जाए. जैसे जैसे मैं उसे चोद रहा था, उसकी पलती सधी हुई कमर नाचने लगी. मैं उसे घप घप पेलता था. फिर मैंने सर को नीचे किया और सीधा आरती की बुर में थूक दिया. इससे उसकी चूत और चिकनी हो गयी और मेरा लौड़ा सट सट उसकी बुर में फिसलने लगा. मैं जोर जोर से चूत में तेज धक्के मार रहा था. आरती के ४० साइज़ के चुतड मेरे धक्के से थर थरा रहे थे.

कुछ देर बाद मैं पोस बदलना सही समझा. आरती को खीच कर बिस्तर के बिलकुल किनारे मैं ले आया. मैं खुद तो बिस्तर के उपर था. पर मैं आरती को बिस्तर के छोर पर नीचे की ओर झुका दिया. इस तरह वो आधी नीचे की तरफ झूलने लगी. इस तरह मुझे एक बहुत ही दिलचस्प पोज मिल गया और मैं घपा घप आरती को खाने लगा. उसे ठोकने लगा. दोस्तों मैं पीछे की ओर झूल गया और झूलते झूलते आरती को बजाने लगा. वो आगे की ओर झूल रही थी. इस तरह मैं उसे बड़ी जल्दी जल्दी ले पा रहा था. हम दोनों की कमर साथ साथ नाच रही थी. मेरा लंड उसकी चूत में ऐसा लगा था जैसे बिजली वाले सॉकेट में कोई प्लग लगा होता है. मैं शानदार तरह से आरती की ठुकाई कर पा रहा था. दोस्तों आरती को बिस्तर से बाहर नीचे की तरह झुलाते हुए मैंने काफी देर उसे चोदा. खूब मजा आया चुदाई में.

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कई बार मेरा लौड़ा आरती की चूत से किसी मछली की तरह फिसल पर बाहर निकल जाता था. तो हाथ से मैं लौड़े को अंदर डाल देता था. आरती के नर्म व लचीले बदन की एक एक हरकत, उसकी एक एक हड्डी मैं देख सकता था. बड़ी मस्त माल थी वो. चुदास की आग में झुलसते झुलसते आरती का पूरा बदन कांपने लगा. उसने एक तकिया उठाकर नीचे फेक दी. मैंने उसे फिर बिस्तर पर उपर खीच लिया और सिरहाने ले गया. आरती का सर मैंने २ मोती तकिया पर रख दिया बेड के सिरहाने से. उसके हाथ पैर खोल कर मैं उसे पेलने लगा. मेरी कमर नाच नाचकर आरती की चूत को मजे से और कायदे से चोद रही थी. उसकी फुद्दी बड़ी शानदार थी. मैं उसको इतना जादा पेलना चाहता था की वो उस गोवा की रात को सारी जिन्दगी याद रखे.

आरती ने अपने हाथ और दोनों पैर मेरी कमर पर पीछे की तरह फंसा दिए. मैं उसे लेने लगा. मैं कमर मटका मटका कर उसे खाने लगा. मैं उसे एक शानदार ठुकाई का सुख देना चाहता था. वो मुझे इस तरह से पकड़े थी जैसे मैं उसका सैयां हूँ. कुछ देर तक आरती और मेरी, हम दोनों की सासें किसी धौकनी की तरह चलने लगी. फिर मेरा लौड़ा उसकी चूत में शहीद हो गया. मैंने अपना माल उसमे चोद दिया. अगले ही हमदोनो साथ गोवा के समुन्दर में सर्फिंग करने गये. मैं कोई बहुत अच्छा सर्फ़र नही था. मैंने और आरती ने एक गाइड कर लिया था. सर्फिंग बोर्ड पर लेटकर हम दोनों को अपने हाथ घुमाने थे और समुन्दर की लहरों पर आगे बढ़ना था. मैंने आरती के साथ ५ घंटे तक समुद्र की लहरों पर मजा लिया. समुन्दर के खारे पानी से कम दोनों भीग चुके थे.

“जान !! साथ में नहाओगी ???” मैंने आरती से पूछा

“हाँ !! पर इस बार मेरे कमरे में!!” वो बोली

मैं उसके साथ उसके कमरे में आ गया. मीठे पानी के शावर से हम दोनों ही नहाने लगे. ये गोवा की छुट्टियाँ मेरे लिए सबसे बढीया छुट्टियाँ थी. हम एक दुसरे के जिस्म पर साबुन मलते रहे. इसी दौरान आरती के हाथ से सर में साबुन लगाते समय साबुन फिसल गया. हम दोनों एक दुसरे के साथ छेड़खानी करने लगे. मन हुआ की नहाते समय ही उसे पेलू. पर ऐसा नही हुआ. आरती और मैं नहाकर बाहर निकल आये. उसने अपने बूब्स पर टावेल लपेट रखी थी. उसके बाल खुले हुए थे. भीगे खुले बालों वो बहुत सेक्सी लग रही थी. वो कपड़े पहनना चाहती थी पर मैंने उसको बिस्तर पर ले आया.

“क्या बात है इन्दर ?? तुम्हारे इरादे कुछ ठीक ठीक नही लगते है???’ आरती बोली.

“हाँ!! सही कहा!!” मैं बोला. मैंने अपनी कमर में बंधी सफ़ेद रोयेदार टावल खोल दी. मैं नंगा आरती के सामने था. हम दोनों एक दुसरे की तरह देखने लगे. हम अभी भी भीगे हुए थे. अभी अभी बाथरूम के शावर से निकले थे. मेरी आँखों में शरारत थी. मैंने एक तकिया खींच लिया. और दोनों हाथ मोड़कर सर के नीचे रख लिए. मेरा बड़ा सा गुलाबी लंड आरती के सामने था. हम दोनों सायद जानते थे की आगे क्या होने वाला है. कुछ देर बाद आरती जैसे अचानक से पागल हो गयी. वो मेरे पास आ गयी. वो पिछले कई सेकंड से मेरे बड़े से मोटे खूबसूरत लंड को घूर रही थी. आरती चुदासी हो गयी. उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया. और जल्दी जल्दी उपर नीचे करने लगी. मुझे बहुत मजा मिलने लगा. फिर आरती ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मुझे बहुत मजा मिलने लगा दोस्तों. हम दोनों के बदन भीगे थे. हम दोनों ही बेहद सेक्सी लग रहे थे. आरती की आँखें बंद थी. आज उसका चेहरा कुछ पतला लग रहा था. पर फिर भी वो बला की सेक्सी लग रही थी.

मैं अपने हाथों से उसके कंधे सहलाने लगा. जबकि वो मेरा लंड मुँह में लेकर मजे से चूसती रही. उसे मेरा हथियार चूसने में बहुत मजा मिल रहा था. वो शानदार तरह से मेरा मुख मैथुन कर रही थी. मेरा लंड बहुत मोटा और शानदार था. आरती के मम्मो पर लिपटी सफ़ेद मोटी झबरी टावेल उसे बड़ा सेक्सी बना रही थी. वो बड़ी देर तक मेरा लंड चूसती रही. अब चुदाई का एक बड़ा राउंड हम दोनों का इंतजार कर रहा था. मैंने उसे अपने पास खीच लिया और लंड पर बैठा लिया. आरती अपनी बड़ी बड़ी छातियों पर लगी टावेल खोलने लगी. मैंने उसे मना कर दिया. क्यूंकि उसी तरह मैं उसके रूप के रस को अपनी आँखों और लंड से पीना चाहता था. आरती मेरे लंड पर किसी घुड़सवार की तरह उचक कर सवार हो गयी.

हम दोनों चुदाई करने लगे. पहले घंटो सर्फिंग और फिर साथ मीठे पानी से नहाने के बाद आरती की चूत बहुत ही नर्म हो गयी थी. मेरा लम्बा ७ इंची लंड उसकी चूत में अच्छी तरह से फिसल पा रहा था. आरती जोर जोर से किसी सवार की तरह मेरे लंड के घोड़े की सवारी कर रहा था. मैंने उसकी टॉवेल नही हटाई और उसे ऐसे ही ठोंकता रहा. लंड पर बिठाकर लड़की चोदने का मजा ही कुछ और है. आरती चुदने लगी. वो ही सब कर रही थी. मैं तो बस तमाशा देख रहा था. वो अपने ओंठ लगातार चबा रही थी. मेरी नजरो में नजरे डालकर वो चुदवा रही थी. या इस बात को इस तरह कहू की मुझे चोद रही थी. मैंने उसके हाथ अपने हाथों में ले लिए और उसकी पलती पलती सेक्सी उँगलियाँ अपनी उँगलियों में फसा ली. हम दोनों एक दुसरे को ताड़ते ताड़ते चोदने लगे. मेरी जिन्दगी का एक शानदार और यादगार पल. वो अपनी कमर चलाते मुझे पहले ही शहीद हो गयी.

वो मुझ पर सीधा लेट गयी. हम एक दुसरे के चेहरे को चूमने चाटने लगे. कितनी मस्त माल चोदने को मिली गोवा में. अब तो मैं हर ६ महीने में जरुर यहाँ आऊंगा. मैंने सोचा. मैं आरती को जी भरके चोद लेना चाहता था. क्यूंकि दुबारा हम मिले भी या ना मिले. इसलिए बेहतर यही होगा की मैंने इन १० दिनों में जीभर के चोद लूँ.

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“जान !! तुम कब मुंबई लौट रही हो?? मैंने पूछा

“१२ को ….” वो बोली.

“ओके !!” मैंने कहा.

चुदाई के इस पहले राउंड के बाद मैंने फोन से कॉफ़ी और मफिन्स आर्डर की. जब वेटर काफी लेकर आया तो मैंने अपनी कमर पर टावेल लपेट ली और दरवाजे पर जाकर आर्डर ले लिया. मैंने १०० का नोट उसे टिप में दिया. हम दोनों ने किसी नव विवाहित जोड़े की तरह साथ नंगे नंगे ही कॉफ़ी पी और मफिन्स खाये.

“आई लव यू इन्दर!!” आरती बोली

“आई लव यू टू !! मैंने कहा.

कुछ देर बाद हम दोनों फिरसे प्यार करने लगे. मैं उसकी गुझिया {चूत} को अच्छे से खाना चाहता था. इस बार मैंने उसे डॉगी बना दिया. पीछे से उसकी फुद्दी पीने लगा. उफफ्फ्फ्फ़ !! क्या मस्त फुद्दी थी आरती की. मैं इतनी जोर जोर से उसकी चूत पीने लगा जैसे ३ इंच के उस गड्ढे को खा ही जाऊँगा. फिर मैंने अपनी २ बीच की उँगलियाँ उसके भोसड़े में डाल दी और आखिरी बिंदु को छूने लगा. मैं आरती के जी स्पॉट को चुना चाहता था. मैं मेहनत करने लगा. बड़ी देर तक करता रहा. पर आरती का झरना नही छूटा. मैंने पीछे नही हटा. ट्राई करता रहा. दोस्तों कुछ देर बाद आरती की फटी चूत से उसका झरना निकलने लगा. और फिर निकला तो निकलता ही रहा. मैं बड़ी देर तक आरती की चूत में ऊँगली करता रहा और उसका झरना गिराता रहा.

उसके पानी और मीठे रस से मेरा पूरा चेहरा भीग गया. मुझे उसके पानी में भीगकर बहुत अच्छा लगा. मैं आगे बढ़ गया और आरती की चूत को पीने लगा. मैंने हाथ से उसकी गुलाबी चूत खोल दी थी. मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर तक पहुच रही थी. आरती इस समय जन्नत का मजा ले रही थी.

“मुझे चोदो !! मुझे जल्दी से चोदो इन्दर!!” आरती बोली. मैंने अपना ताकतवर लंड उसकी चूत में डाल दिया. मैं उसे चोदने लगा. साथ ही उसकी गांड में ऊँगली करने लगा. मैंने उसकी गांड में थूक दिया और ऊँगली से गांड चलाने लगा. इस तरह से आरती को डबल बदल मजा मिलने लगा. उसे २ २ छेद में सनसनी होने लगी. मुझ पर कामदेवता पूरी तरह से हावी हो गया था. मैंने आरती को पीछे से गपा गप चोद रहा था और उसकी गांड में ऊँगली कर रहा था. मैं आरती को एक यादगार सुख देना चाहता था. उसे भरपूर मजा देना चाहता था.

“….जान और जोर से….जोर जोर से मुझे पेलो!!” आरती बोली

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“…ले रंडी ….ले फिर लम्बा लम्बा !!” मैंने कहा और उसे ताबडतोड़ धक्के देने लगा. फटर फटर की आवाज आरती के भोसड़े से आने लगी. कुछ देर बाद मैं झड़ गया. मैंने उसे २ दिन में १५ बार चोदा. १२ जून को आरती से मुंबई की फ्लाइट पकड़ ली और मैंने बैंगलोर की. उसके साथ हुई शानदार चुदाई मुझे अभी भी याद है. ये सेक्सी रोमांटिक कहानी आपको कैसी लगी, अपनी कमेंट्स कामुक स्टोरी पर जरुर दें.