तीन गुंडों के साथ पहली रात

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रेशमा है और में 23 साल की हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, में हैदराबाद की रहनी वाली हूँ।


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यह कहानी कई साल पहले की है जब में ग्रेजुयेशन के लिए किसी दोस्त के घर पर रह रही थी, उन दिनों में अपनी सहेली नसरीन के घर पर रहकर अपनी ग्रेजुयेशन कर रही थी। हम उनकी मम्मी और मौसी के साथ रहते थे, नसरीन के पापा हैदराबाद से बाहर काम करते थे और उसका भाई बोर्डिंग स्कूल में रहता था। घर पर कोई भी मर्द नहीं रहता था, नसरीन की मम्मी ने कह रखा था कि कोई भी लड़का घर पर ना आए, वो बहुत गुस्से वाली औरत थी। जब बारिश का मौसम था और हर दिन बारिश की वजह से शाम के बाद ही मौहल्ले में कोई बाहर घूमता भी नहीं था। इस बीच में ही एक दिन रात को ज़ोर से बिजली कड़कने लगी, हम सब नीचे वाले कमरे में सोए हुए थे, क्योंकि ऊपर के कमरे से पानी टपकता था। फिर अचानक से किसी ने दरवाजा खटखटाया तो नसरीन ने जाकर दरवाजा खोला। दो बहुत ही हट्टे-कट्टे आदमी बाहर खड़े थे।

फिर नसरीन ने पूछा कि आप क्या चाहते हो? तो पहला आदमी जो बहुत ही ख़तरनाक दिखने वाला था उन्होंने कहा कि हम शहर से होकर आ रहे थे कि बारिश में हमारी गाड़ी खराब हो गई, हमें थोड़ी मदद चाहिए। नसरीन बहुत ही भोली थी और बोली कि अरे आप तो पूरे भीग चुके है, आप ठहरो और में आपके लिए तौलिया ला देती हूँ। इतने में दूसरा आदमी घर के अंदर आ गया और बोला कि हमें आज रात यही पर गुजारने दो मोहतरमा, हमारे बड़े भाई गाड़ी में ठहरे हुए है उन्हें भी आना है। फिर उन्होंने यह बोलकर पहले वाले आदमी से कहा कि जा नावेद भाई जान को लेकर आ। फिर नसरीन तौलिया ले आई और कहने लगी कि मम्मी और मौसी गुस्सा हो जायेंगे, क्योंकि घर पर कोई भी बाहर के लोग आने की इजाज़त नहीं है।

फिर यह सुनकर दूसरा वाला आदमी जिनका नाम था महमूद था, वो गुस्सा हो गये और कहने लगे कि  इतनी रात को उन्हें गाड़ी में रुकना पड़ेगा और उनके भाईजान आ कर मम्मी से बात कर लेंगे। फिर मम्मी भी बाहर आई और उधर नावेद और उनके भाई जान भी आ गये, मौसी बहुत बीमार थी इसलिए वो बाहर नहीं आ पाई।

भाई जान : हम आपसे विनती करते है कि आज की रात हमें यहाँ पर रहने दे।

मम्मी भी जैसे दंग रह गयी और राज़ी हो गयी, अब रात काफ़ी हो चुकी थी मौहल्ले में किसी को पता नहीं चले इसलिए मम्मी ने मुझसे कहा कि सारे ख़िड़की और दरवाज़े बंद कर दे।

नसरीन दिखने में बहुत ही चिकनी थी, वो जब भी बाहर निकलती तो कॉलेज या मौहल्ले के लड़के उसे ताकते रहते थे, कई तो छेड़ते भी थे। अब नावेद शुरू से ही नसरीन को बड़ी हवस भरी नज़रों से देखे जा रहा था। फिर मम्मी ने सबके लिए खाना लगा दिया और में उनका हाथ बटाने में लग गयी। फिर खाना खाने के बाद उन सबने शुक्रिया अदा किया, लेकिन फिर मम्मी ने कहा कि घर में दो कमरे है इसलिए वो तीनों ऊपर वाले कमरे में सोए और सुबह होते ही चले जाए। फिर सब सो गये और में महमूद को दूध का गिलास देने गयी तो मुझे याद नहीं था कि मैंने हर दिन की तरह नाईट ड्रेस के नीचे सिर्फ़ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी। फिर महमूद मुझे घूरने लगे और जब में झुकी तो वो मेरी चूचीयों की तरफ देखकर अपने होंठ चाटने लगे। फिर में पीछे मूडी, तो उन्होंने मेरी नाईट ड्रेस को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया तो बाकी दो भाई हमारी तरफ देखने लगे, में शरमा गयी और जाने की कोशिश करने लगी। फिर उसने झट से एक चाकू निकाला और मेरी गर्दन पर रखकर बोले साली, रंडी चुपचाप मान जा नहीं तो तुझे काटकर बैग में डाल दूँगा।

अब में बहुत डर गयी थी और उसका साथ देने लगी। फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस को उतारा और मेरी गर्दन और कान चाटने लगा। अब मुझे शर्म से अपने आप पर घिन आ रही थी। फिर मैंने शोर मचाने की कोशिश की तो उसने जोर से मेरी चूचीयाँ दबोच ली और में डर गयी। तो इतने में मुझे धीरे से नीचे से नसरीन की आवाज़ आई, वो मुझे रज्जो-रज्जो कह कर पुकार रही थी। में नहीं चाहती थी कि वो भी ऊपर आए, लेकिन वो मुझे ढूंढते हुए ऊपर आ गयी और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, तो नावेद उस पर टूट पड़ा। अब हम दोनों की हालत एक जैसी थी, अब महमूद मुझे उल्टा लेटाकर मेरी पीठ चाट रहा था और मेरी चूचीयों को हाथ से सहला रहा था और एक हाथ में चाकू लेकर मेरी गर्दन पर रखा हुआ था और उधर नसरीन की हालत और भी ख़राब थी।

अब नावेद उसके कपड़े उतार कर उसकी जाँघो पर अपना मुँह डालकर बैठा था और बोले जा रहा था कि अगर किसी को इस बात का मालूम पड़ा तो हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे। फिर ऐसे ही चलता रहा। अब हम दोनों को महमूद और नावेद अपनी हवस का शिकार बनने लगे थे। फिर नावेद ने नसरीन की चूत पर ज़बरदस्ती अपना लंड घुसा दिया तो कुँवारी नसरीन दर्द से चीख पड़ी। अब पूरे फर्श पर खून बहने लगा था। अब में बहुत डर गयी थी और महमूद से विनती करने लगी कि वो मुझे ना चोदे। लेकिन वहाँ कौन किसकी सुनने वाला था? अब महमूद ने मेरी चूचीयों को चूस-चूसकर उन्हें पूरा भीगो दिया था और अब उनका लंड मेरी गांड की दरार से कमर तक तना हुआ था।

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अब में रोने लगी थी और विनती करने लगी थी, लेकिन किसी ने एक ना मानी। अभी कमरे में तीसरा आदमी बशीर जो उम्र में हमसे बहुत बड़े थे, वो खड़े हो गये थे। फिर उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला और बोले कि इस भूखे शेर को खाना चाहिए। फिर मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकना चाहा, लेकिन वो मेरे सामने देखकर हँसने लगा, वो जानता था में झड़ गयी हूँ। तुम एक एकदम चालू किस्म की औरत हो, क्यों तुम तो रांड से भी बहतर हो है ना? तुम्हें तो अपने आपसे शर्म आनी चाहिए, वो अपने आपसे आश्वस्त होते और हंसते हुए बोला था। अब वो सच बोल रहा था, मेरा सिर शर्म के मारे झुक गया था और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक दिया और रोने लगी। अब झड़ने की वजह से मेरे शरीर में अजीब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें मेरे जिस्म को छेद रही थी, अब ठंडी हवा की वजह से मेरा पूरा बदन कांप रहा था। में सचमुच उस वक़्त एक बाजारू रंडी के समान लग रही थी। फिर अचानक से उसने मुझे धक्का दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे घुटनों के बल लेटा दिया।

(TBC)…


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