मैं उसका लंड चाटने लगी

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मेरा नाम रूपा है और में 34 साल की शादिशुदा लेडी हूँ। मेरा ससुराल अहमदाबाद में है और में मुंबई की हूँ। मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते है, वो एक इज़्जतदार बिजनसमैन है, लेकिन काम के सिलसिले में उनको अक्सर टूर पर जाना पड़ता है, उन दिनों में उनको बहुत मिस करती हूँ क्योंकि में सेक्स के बिना एक भी दिन रह नहीं पाती हूँ। फिर एक दिन मुझे मेरे मायके से फोन आया कि तुम्हारे बाबूजी की तबीयत खराब है, उनको हॉस्पिटल में भर्ती किया है। अब वो काम में बिज़ी थे तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम चली जाओ, मुझे काम के सिलसिले में दिल्ली जाना है और मुझे लौटने में 10 दिन लग जाएँगे और में लौटते टाईम वहाँ आ जाऊंगा। अब उन दिनों सर्दी का मौसम था। फिर उन्होंने मेरी रात की ट्रेन की टिकट करवा ली, लेकिन किसी वजह से हमको पहली क्लास की टिकट नहीं मिली, तो मजबूरन मुझको दूसरी क्लास में सफ़र करना पड़ा।


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अब ट्रेन निकलने में आधा घंटा बाकी था। अब में और मेरे पति सीट ढूँढने में लगे थे, लेकिन मुश्किल यह थी कि कहीं भी जगह नहीं मिल रही थी। फिर बड़ी मुश्किल से एक जगह मिली, वहाँ उस बर्थ पर दो औरत और एक करीब 40-45 साल का आदमी बैठा था। वो दिखने में अच्छा लग रहा था और अच्छे घर का भी दिख रहा था। फिर मेरे पति ने रिक्वेस्ट किया कि प्लीज क्या आप मेरी वाईफ के लिए थोड़ी जगह कर दोगे? तो उसने अजीब तरह से हँसते हुए कहा कि जी कर देंगे, तुम फ़िक्र ना करो और मेरे पति मुझे आई लव यू कहकर चले गये और उतने में ट्रेन भी स्टार्ट हो गयी थी। अब मेरे मन में थोड़ी सी घबराहट सी थी, क्योंकि में मेरी लाईफ में फर्स्ट टाईम पहली बार अकेली सफ़र कर रही थी और वो भी अंजान लोगों के बीच में और वो भी रात में।

फिर थोड़ी देर हुई की सब सोने लगे। अब मेरे लिए प्रोब्लम यह थी कि मुझे नींद तो आ रही थी, लेकिन मुझे सोने के लिए जगह नहीं मिली थी। अब ऊपर वाले दोनों बर्थ में दो-दो लेडिस सो रही थी और बाकी के तीन बर्थ में उनके बच्चे सो रहे थे। अब सिर्फ़ उस आदमी का बर्थ खाली था अगर वो मुझे इज़ाजत देता है तो। अब वो उठकर सिगरेट पीने चला गया था। अब उस वक़्त रात के 12 बजे थे और सब सो रहे थे। फिर में थोड़ी हिम्मत करके उसके पास गयी और कहा कि मेरा नाम रूपा है और आपका? तो उसने मुझे अजीब सी निगाहों से मेरे सिर से पैर तक देखते हुए बोला कि मेरा नाम विशाल है। फिर तभी मैंने उनसे कहा कि मुझे नींद आ रही है और अगर आप कहें तो में जब तक आप यहाँ है तब तक सो सकती हूँ? तो उसने कहा कि ठीक है। फिर में बाथरूम में चली गयी और अपने कपड़े चेंज किए और वापस जाकर उसकी बर्थ पर सो गयी।

फिर थोड़ी देर के बाद वो आया और उसने उसकी बैग से लुंगी निकाली और आस पास देखा, तो सब सो रहे थे, तो तभी उसने अपनी शर्ट निकाली। अब में सोए-सोए सब देख रही थी। अब उसको ऐसा लगा था कि सब सो रहे है। फिर उसने जैसे ही अपनी शर्ट निकाली तो उसका मर्दाना सीना मेरे सामने उजागर हुआ और उसका बालों से भरा हुआ चौड़ा सीना देखकर मेरे मन में भी कुछ-कुछ होने लगा था। फिर उसने फिर से आस पास देखा और अपनी पेंट निकाली। फिर जैसे ही उसने अपनी पेंट निकाली, तो मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलते-निकलते रह गयी। उसका लंड जो एक मर्द की तरह था, जो बहुत बड़ा और ताकतवर दिख रहा था। फिर उसने अपनी पेंट निकालकर साईड में रख ली और धीरे-धीरे अपने लंड को सहलाने लगा और फिर उसने अपनी लुंगी उठाकर पहन ली। अब एक तो सर्दी का मौसम में अकेले सफर और साथ में बिल्कुल अंजान आदमी, जो दिखने में बिल्कुल सेक्स का भगवान लग रहा था।

अब मेरे अंदर की वासना जाग उठी थी और में पड़े-पड़े सोच रही थी कि क्या करूँ? तो उतने में कोई स्टेशन आया और में उठकर बाहर की तरफ निकली। तो वो दरवाजे पर ही खड़ा था और मुझे देखकर बोला कि कुछ चाहिए? और हल्का सा मुस्कुराया। अब में भी समझ रही थी कि वो क्या बात कर रहा था? तो में बोली कि प्यास है कि सोने नहीं देती, क्या पता कब बुझेगी? और उसके सामने देखकर एक नॉटी सी स्माइल दी। अब उसे समझने में देर नहीं लगी कि में भी तैयार हूँ। फिर तभी वो बोला कि आप सोई रहो, में आपकी प्यास का कुछ इंतज़ाम करता हूँ और फिर वो उतर गया और में जाकर उस बर्थ पर लेट गयी। फिर थोड़ी देर के बाद ट्रेन फिर से चल पड़ी और वो मेरे पास पानी की एक बोतल लेकर आया और मुझे पानी पिलाया। तो मैंने उससे थैंक्स कहा और उससे कहा कि आप अगर चाहे तो बर्थ पर बैठ सकते है। तो वो बैठ गया और में बर्थ के अंदर खिसक गयी। अब ट्रेन ने तेज़ी पकड़ ली थी और हम दोनों के मन ने भी। अब में सोच रही थी कि उससे कैसे कहूँ कि अब रहा नहीं जाता है।

फिर थोड़ी देर के बाद में उसने मुझसे कहा कि क्या आपको कोई एतराज है अगर में भी यहाँ पर सो जाऊं तो? अब में भला क्यों मना करती? अब वो मेरे बिल्कुल करीब सो रहा था, उसकी मर्दाना खुशबू मेरी सांसो में भर गयी थी। अब में अपने आपे में नहीं थी और तभी मैंने हल्के से अपना एक हाथ उसके हाथों से टच किया, तो वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराया, तो में भी मुस्कुराई। फिर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और हल्के-हल्के दबाने लगा। अब मेरी साँसे तेज़ हो रही थी। अब में सब कुछ भूल गयी थी कि में शादीशुदा हूँ, मुझे एक अंजान आदमी के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। अब में उसकी ही बर्थ पर सोते- सोते उससे ही सेक्स के मज़े लूटना चाहती थी। फिर मैंने अपनी बैग से शॉल निकालकर ओढ़ ली और उसने मेरे बूब्स पर अपना एक हाथ रख दिया और बोला कि अब अगले दो घंटे तक में तुम्हारा इतना ख्याल रखूँगा कि तुम वापस जाना नहीं चाहोगी। फिर मैंने हल्के से उसके गाल पर किस कर दिया।

अब मेरा यह पागलपन देखकर वो भी पागल हो गया था और मुझे यहाँ वहाँ चूमने लगा था। अब मेरी पूरी बॉडी पर उसका हाथ घूम रहा था। अब में ज़ोर-ज़ोर से साँसे ले रही थी और उसके होंठ मेरे मुँह में मेरी जवानी का रस पी रहे थे। फिर में भी धीरे से उसकी लुंगी के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगी, तो वो बोला कि बाथरूम में चलते है। फिर हम उठकर बाथरूम में चले गये और वहाँ पहुँचकर जैसे ही दरवाजा बंद किया तो में पागलों की तरह उसको चूमने लगी और अब वो भी पागल हो चुका था। फिर उसने मुझे नीचे बैठाकर उसका लंड बाहर निकाला तो में उसका लंड चाटने लगी और अब बस चाटे ही जा रही थी। अब मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी बरसों की तमन्ना आज पूरी हो रही है और वो मेरे बूब्स से खेल रहा था।


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फिर मैंने उससे कहा कि अब और मत तड़पाओ। फिर तभी उसने मुझे उठाकर अपने लंड पर बैठा लिया। अब मेरा पूरा शरीर उसके लंड और टांगो के ऊपर था। फिर उसका मर्दाना लंड जैसे ही मेरी चूत को छूने लगा, तो में चिल्लाने लगी। अब उसके दो धक्के में ही मेरी चूत से खून बहने लगा था। अब में पागल होकर आहिस्स्स्स्सस्स्स्स्सस्स, आह चिल्ला रही थी और उससे कह रही थी नहीं, लेकिन अब वो मानने वाला कहाँ था? अब वो मेरा एक पूरा बूब्स अपने मुँह में लेकर धक्के मारने लगा था और में आहह, आह करके चिल्लाने लगी थी। अब में भी रंग में आ गयी थी और कूद-कूदकर चुदवा रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद हम दोनों कुछ शांत हो गये और वापस से अपनी बर्थ पर जाकर सो गये। फिर हमने एक दूसरे के नंबर लिए। अब तो जब कभी भी मेरे पति नहीं होते है, तो वही मेरे पति बनकर मुझे खूब चोदते है और हम दोनों खूब मजा करते है ।।