दीदी की हॉर्नी फ्रेंड

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मैं उस वक़्त नया नया जवान हुआ ही था, मन में उमंगें दी और लंड में तरंगें लेकिन घुसाने के लिए चूत तो दूर दूर तक नहीं थी. मैं फ्रस्ट्रेशन में बैठ कर कंप्यूटर पर पोर्न देख कर रोज़ दिन में छः सात बार तक मुठ मार लेता था, अपनी परेशानी किस से डिस्कस करूँ समझ ही नहीं आरहा था.

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एक तो मेरा लंड भी छोटा था तो मुझे इसका भी डर था की कहीं लड़की मेरा लंड देख कर हँस ना पड़े, मैं इसी उधेड़बुन में दोपहर में कंप्यूटर पर पोर्न देखते हुए मुठ मार रहा था कि दरवाज़े की घंटी बजी. मैंने ऊपर से झाँक कर देखा तो मेरी दीदी की सहेली परमप्रीत वहां खड़ी थी, मैंने तुरंत अपना लोअर पहना और परमप्रीत दीदी को बालकनी से ही कहा “दीदी अभी आई नहीं है कॉलेज से” तो उस ने भी नीचे से ही जवाब दिया “मैं वेट कर लुंगी”.

मैं भाग कर नीचे पहुँचा और गेट खोल कर परमप्रीत दीदी को अन्दर बुलाया, परमप्रीत दीदी को सब प्यार से पम्मी बुलाते थे उनकी स्माइल बहुत सुन्दर थी और वो काफी दुबली लेकिन बेहद खुबसूरत थी. मैंने उन्हें ड्राइंग रूम में बिठाया पानी पिलाया और कहा “मैं अभी आता हूँ एक काम ख़त्म कर के” तो वो बोली “बैठ जा न, स्वीटी के आने तक. मैं भी अकेली बोर होती रहूँगी”. मैंने उनकी बात मान ली और वहीँ बैठ गया, मुझे थोडा डर लग रहा था क्यूंकि भले मेरा लंड छोटा था लेकिन मुठ मरने की वजह से लोअर में से उभरा हुआ दिख रहा था. पम्मी दीदी ने मुझसे पूछा “क्या ज़रूरी काम कर रहा था तू ऊपर” तो मेरी घिग्घी बांध गई, मैं कुछ बोलता उस से पहले ही वो बोली “तेरी दीदी ने बताया है तू दिन रात कंप्यूटर पर लगा रहता है, कितने गेम्स खेलता है तू फ़ैल हो गया तो”.

मैं चुपचाप गेले जैसा बैठा रहा और वो मुझे ज्ञान देती रही “देख अभी वक़्त है पढ़ ले नहीं तो अच्छे कॉलेज में एडमिशन मुश्किल है, तू सुन भी रहा है या बस बैठा है. अंकल आंटी दोनों कितनी मेहनत कर रहे हैं तेरे भविष्य के लिए और तू है की बस सारा दिन कंप्यूटर” मैं क्या बोलता मैं तो वैसे भी ज्ञान से दूर था लेकिन वो बोलती हुई इतनी सुन्दर लग रही थी की मैं ब्लेंक फेस ले कर पम्मी दीदी को निहार रहा था.  पम्मी दीदी ने मुझे अपने पास बुलाया और हाथ पकड़ कर पास बिठा लिया, फिर मेरे कंधे पर हाथ रख के बोली “तू किसी चीज़ से परेशान है, कुछ बात करना चाहता है तो बता दे. मुझे अपना दोस्त समझ मैं किसी को नहीं बताउंगी”.

एक बार तो मन हुआ की सब बोल दूँ लेकिन डर भी लग रहा था और शर्म भी आ रही थी, पम्मी दीदी ने शायद मेरी स्थिति भांप ली थी उन्होंने मुझे कम्फर्ट करने के लिए मेरा दूसरा कन्धा पकड़ कर मेरा सर अपने कंधे पर रख लिया और हल्का सा हग कर लिया तो मेरी रुलाई फूट पड़ी. पम्मी दीदी ने अब मुझे टाइट हग कर लिया और बोला “बोल न बच्चे क्या प्रॉब्लम है, ऐसा क्या है जो तुझे खाए जा रहा है. कोई लड़की का मामला है क्या, या किसी ने तुझे कुछ कहा है”. मैंने रोते रोते उन्हें सब कुछ बता दिया तो उन्हें हँसी आ गयी, मैंने कहा “मुझे लगा था आप मुझे दान्तोगी लेकिन आप तो हंस रही हो”.

पम्मी दीदी ने कहा “देख इस उम्र में ऐसा होता है, सेक्स की इच्छा बुरी बात नहीं है और मास्टरबेशन भी बुरा नहीं है लेकिन इस पर कण्ट्रोल होना चाहिए” मैं चुप घुन्ना बैठा अब उस ज्ञानी लड़की का सेक्स ज्ञान सुन रहा था और वो अब भी बोल रही थी “तू कभी कभार मास्टरबेट कर लिया कर लेकिन दिन रात इसी में मत खोया रह नहीं तो सब ख़त्म हो जाएगा एक दिन, और जहाँ तक तेरे लंड के छोटे होंने की बात है तो उस से कुछ नहीं होता लड़कियों की चूत में सिर्फ दो से तीन इंच तक ही एक्साइटमेंट महसूस होता है. और समय के साथ तेरा लंड भी बड़ा और मोटा हो जाएगा और अगर नहीं भी होता तो भी ये तेरी टेक्टिक्स पर देपेंद करता हैल्न्द की साइज़ पर नहीं”.

मेरे दिमाग का भंग भोसड़ा हो चुका था क्यूंकि ये सारी बातें करने वाली वो लड़की थी जो मेरी दीदी की दोस्त थी और मेरे लिए भी यही स्थान रखती थी, पम्मी दीदी ने मुझसे पूछा “तूने आज तक सिर्फ मुठ ही मारी है ना” मैं शर्मा कर सर नीचे कर के बैठ गया तो बोली “बोल ना शरमा क्यूँ रहा है, और अगर जवाब हाँ है तो कब तक हाथ से काम चलाएगा चुदाई कब करेगा”. मैंने फाइनली अपना मुंह खोलकर कहा “पम्मी दीदी, मेरे छोटे से लंड से कौन खुश होगी. मेरा तो कॉन्फिडेंस भी मेरे लंड की तरह छोटा सा ही है”. ये सुन कर पम्मी दीदी ने मेरे लंड पर हाथ रखा और लोअर के ऊपर से ही उसे सहलाकर कहा “चल दिखा मुझे, मैं भी देखूँ अंडर कॉंफिडेंट लंड कैसा होता है”.

ये कहकर पम्मी दीदी ने मेरा लोअर थोडा सा खिसका दिया, मेरा लंड अभी अभी वापस सोया था तो बेचारा दो इंच की लुल्ली जैसा ही दिख रहा था. पम्मी दीदी ने कहा “तू चिंता मत कर ये अभी सही हो जाएगा” ये कह कर पम्मी दीदी ने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे बड़े ही प्यार से चूसने लगी, देखते ही देखते मेरा लंड खड़ा हो गया और पम्मी दीदी ने कहा “मैंने नहीं कहा था की ये अभी ठीक हो जाएगा, देख इतना तो किसी भी लड़की के लिए काफी होगा”. मैं खुश हुआ क्यूंकि उन्होंने मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ा दिया था, मैंने उनसे कहा “दीदी और चुसो न अच्छा लग रहा था” वो हँसी और बोली “अब भी दीदी ही कहेगा तू मुझे” मैंने कहा “हमेशा वही कहता हूँ ना सो निकल गया” वो फिर हँसी और बोली “कोई बात नहीं दीदी सुनकर मुझे और भी हॉर्नी फील हो रहा है”.

पम्मी दीदी ने मेरा लंड फिर से मुंह में लिया और उसे इतने अच्छे से चूसा की मैं अन्दर तक हिल गया था, चूसते चूसते वो नहीं थकी थी लेकिन मेरा अब होने वाला था तो मैंने कहा “दीदी अब मेरा छोटने वाला है” तो उन्होंने कहा “तू चिंता मत कर बस मज़े ले” एक आध मिनट और उन्होंने मेरा लंड चूसा और फिर मेरा माल जैसे ही निकला उन्होंने उसे अपने होठों पर गालों पर मेरे लंड से ही मल दिया वो मेरे माल को ऐसे चाट रही थी जैसे उन्हें बहुत पसंद आया हो. मैंने पम्मी दीदी से कहा “थैंक्स दीदी आज से पहले मुझे इतना अच्छा कभी नहीं लगा, एक बार और चुसोगी” तो वो बोली “स्वार्थी मत बन अब तेरी बारी है” ये कहकर पम्मी दीदी ने अपनी सलवार कमीज़ उतार दी उनकी पैडेड ब्रा और कलरफुल पेंटी देख कर मेरा मन ललचा गया.

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जैसे ही उन्होंने अपनी पैडेड ब्रा खोली तो उस में से उनके नन्हे मासूम चुचे बाहर आगये जिन्हें देख कर मैं इतना खुश हुआ की जोश जोश में मैंने उन्हें जोर से दबा दिया तो वो चीख कर बोली “पागल है क्या, इन्हें प्यार से हैंडल करना चाहिए” फिर मैंने हौले हौले उन्हें सहलाया तो पम्मी दीदी ऊउह्ह उम्म्म्म  की आवाजें निकालती हुई मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगी. उन्होंने मेरी पीठ और गांड पर जैसे ही हाथ फेर मेरा लंड वापस खड़ा हो गया जिसे देख कर पम्मी दीद ने कहा “इसका टर्न अभी वापस आएगा लेकिन उस से पहले तुझे इसे खुश करना है” ये कहकर उन्होंने अपनी कलाफुल पेंटी उतार दी जिस में से उनकी एक दम क्लीन शेवन चूत दिखी.

पम्मी दीदी ने मुझे घुटनों पर बैठने को कहा और फिर मेरा सारा पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया, मैंने उनकी चूत को चूमना शुरू किया तो वो फिर से “उम्म्म्म आहाँ हाँ यहीं चाटना है तुझे” कहने लगी मैंने भी अपने पोर्न ज्ञान को सारा वहीँ निकाल दिया और उनकी चूत को ऐसे चाटा की वो सिसक सिसक के बावली हो रही थी. उनकी चूत भी बिना किसी देरी के झड़ गई और एक पिचकारी मेरे मुंह पर छूट गई, मैंने भी उसी तरह उनका माल चाट लिया जैसे उन्होंने मेरा चाटा था. पम्मी दीदी ने मेरे सर पर हाथ फेर कर कहा “तू तो बड़ा हो गया है रे, तुझे इतना सब आता है मुझे नहीं पता था” इतना कह कर उन्होंने मेरा लंड फिर से हाथ में ले लिया और उसे हिलाते हुए मुझे फिर बेड पर ले गई जहाँ वो बेड के सिराहने पर तकिये लगा कर अधलेटी हो गई और मुझे अपने ऊपर आने को कहा.

मैंने उनके कहे अनुसार उन पर चढ़ गया और उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के ठिकाने पर लगा दिया उनकी चूत को मैंने चाट चाट कर इतना तो सही कर ही दिया था की मेरा लंड एक ही बार में उनकी चूत में फिसल गया. उनकी चूत अन्दर से काफी गुनगुनी गर्म थी मेरा लंड छोटा भले था लेकिन फिर भी जैसे ही अन्दर गया तो पम्मी दीदी चिहुँक कर बोली “देखा लंड बड़ा छोटा होने से कुछ नहीं होता, मुझे तो अच्छा लग रहा है ना. बस अब देर मत कर और काम चालू कर दे”. उनका इशारा मिलते ही मैंने अपनी कम्मर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, पम्मी दीदी मज़े ले ले कर चुद रही थी और मैंने खुश था की मैंने पहली बार में ही इतनी सुन्दर लड़की को चोदा.

मैं झड़ने ही वाला था तो मैंने डर के मारे झटके तेज कर दिए जिस से पम्मी दीदी को पता चल गया की अब मैं झड़ जाऊँगा, उन्होंने मुझसे  कहा “देख बेटा अन्दर मत छोड़ना प्लीज़” ये सुनते ही मैंने अपना लंड बाहर निकला और उनके पेट पर अपना सारा माल छोड़ दिया. पम्मी दीदी ने कहा “देख अब तेरा तो हो गया लेकिन मैं प्यासी हूँ, इसलिए अपना लंड जल्दी गरम कर” मैंने कहा “कैसे करूँ” तो उन्होंने खुद ही मेरा लंड पकड़ कर हिलाना शुरू किया और कुतिया की तरह मेरे लंड को चूसने और चाटने लगी जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. अब तो पम्मी दीदी ने मेरा लंड तुरंत ही अपनी चूत में लिया और मैंने भी धक्के लगाने ममें कोई कसर नहीं छोड़ी.

पन्द्रह मिनट तक ऐसे ही लगातार चोदते रहने के बाद पम्मी दीदी ने कहा “बेटा धक्के तेज़ करने का वक़्त आ गया है” तो मैंने उनकी बात मानकर धक्के तेज़ कर दिए अब हम दोनों ने एक जोर की आह बहरी और ख़ाली हो गए, इस बार मैंने गलती से अन्दर ही छोड़ दिया तो वो बोली “चल कोई बात नहीं मैं साफ़ कर के गोली ले लुंगी”. हम दोनों पास में लेटे हुए थे और एक दुसरे पर हाथ फिरा रहे थे. मैंने पम्मी दीदी के गले लग कर उन्हें थैंक्स कहा तो बोली “तेरी दीदी ने मुझे बताया था की तू छुप छुप कर पुर्ण देखता है और मुठ मारता है, सो मैंने कहा था की मैं तेरे भाई को समझा दूंगी और वो आगे से ऐसा नहीं करेगा” मैं हैरान था क्यूंकि ये सब एक सोचा समझा प्लान था. मैंने कहा “दीदी अगर आप मेरे से ऐसे ही चुदवाओगी तो मैं कभी भी मुठ नहीं मारूंगा” पम्मी दीदी मुस्कुराई और बोली “तू चिंता मत कर मैं वैसे तो सिर्फ अपने बोय्फ्रेंद से ही चुदती हूँ लेकिन तू अच्छा लगा और तुझमें बहुत मज़ा भरा है जो मैं ले कर रहूँगी”.

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पम्मी दीदी ने मुझे चुदाई में बहुत कुछ सिखाया और मुझसे कई बार चुदी, एक बार उन्होंने मेरी दीदी को खुश करने के लिए मुझे कहा तो मैंने उनकी बात माँ कर अपनी बहन को भी चोदा और हम तीनों ने थ्रीसम किया. पम्मी दीदी ने मेरे कॉन्फिडेंस को ऐसा बढाया की मैं हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूँगा, अग्ली कहानी में मैं आपको बताऊंगा की मेरी बहन ने म्मुझे पम्मी दीदी से बढ़कर कुछ सिखाया था.