हंसी की चूत और मेरे लंड की दास्तां

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मैं आज आपको हंसी की चूत दबोची की कामुक कहानी सुनाने जा रहा हूँ और आपको ज़ाहिर तौर पे कामुकता का एक एहसास ही लगेगी | हंसी मेरी जान पहचान में बहन लगती थी पर जब मामला सेक्स का होता है तो मेरी

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सलाह से रिश्तों को तो भूल ही जाना चाहिए | मैं हंसी के घर आ जाया करता था और क्यूंकि सब हमें एक भाई बहन की ही तरह समझते थे तो मुझसे कोई रोक टोकने वाला नहीं था | दोस्तों एक दिन जब मैं उसके घर गया तो वो दिन आज तक मैं नहीं भूल पाया जब वो अपने एक ढीले ढाले से बनियान को पहनी हुई थी और नीचे एक हलके से मुलायम को पजामे को पहने रखा था | वो इतनी मस्त मालुम पड़ रही थी बस मेरी जीभ से लाव टपक ही चुकी थी | हम बात कर रहे थे रो अब भी मेरी नजर उसके चुचों पर ही थी और मैं हलके हलके से उसे गरमाने के लिए उसके हाथ को सहला रहा था की उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक दिया |

मैं भी अब शर्मसार हो चूका था पर एक बार हो कोशिश करने में आखिर हर्ज ही क्या था . .!! और मैं फिर धीरे धीरे अपनी उंगलियों से उसे सहलाने लगा | अब हंसी भी गरमाने लगी और मैं उसके साथ और अश्लील होता जा रहा था | अब अचानक से हंसी ने मुझसे पूछा कभी तुमने सेक्स किया और मैंने गर्दन हिलाकर “न” में जवाब दिया | पता नहीं उसे फिर क्या हुआ और उसने बोला चलो हम करकर देखते हैं | मैं कुछ कहता इससे पहले उसने अपने होंठ मेरी तरफ बढाते हुए अपनी आँखें मीच ली और मैं आगे बढ़कर अब जैसे उसके होंठों को अपने  मुंह में ही भर लेना चाहता था | मैंने भी दोस्तों अब उसके होठों के नीचे चूमा और फिर एकदम सीधा उसके होटों को चूमने लगा |

अब हम दोनों जैसे वासना के समंदर में डूबने को तैयार हो चुके थी सारे कपड़ों को खोलने लगा | हंसी गर्माते हुए वासना की असीम आसमान में तैर रही थी वहीं मैंने उसको चुचों को भींचना शुरू कर दिया था |

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मैं चुदाई के पुरे चरम जोश में आ चुका था और हंसी की रसीली चुदाई करने से तो मुझे कोई माई का लाल भी नहीं रोक सकता था | मैंने अब हंसी को बिस्तर पर लिटाकर उसकी पैंटी को भी बाजू में हटा दिया और उसकी चूत में उंगलियां घुमाने लगा | हंसी की चूत में, मैं धीरे – धीरे उँगलियों की तेज़ी भी बड़ा कर ऊँगली चुदाई कर रहा था | अब मैंने अपने लंड को निकाला और उसके उप्पर लेटकर उसकी चूत में घुसा दिया और एक ही बार में अपने लंड को भीतर सुरंग खोदने में वक्त न लगा जिसके उप्पर मेरे धक्कों पे ज़ोरों से उसकी सिस्कारियां निकलने लगी |

मैंने जोर – जोर के अपने लंड के झटके लगाते हुए उसकी चूत को चोदे जा रहा था | हंसी को जो शुरुआत में काफी दर्द को रहा था जो कुछ ही देर में जैसे लुप्त ही हो चूका था और मैं किसी बैरी पिया की तरह उसकी चूत के मुहाने में अपने लंड के सुपाडे को मसल रहा था जिससे उसे कामुक गुदगुदी हो रही थी | वो कभी खिलखिलाती तो कभी अचानक से रो रही थी जो किसी और का नहीं उसकी चूत का ही असर था | हंसी तो अब जैसे पागल ही गयी और मैं उसकी चूत को चोदने के कांड को लेकर पगला चूका था | दोस्तों अगर आपको मेरी कामुक आत्मकथा पसंद आई तो ज़रूर बताईये गा और आपकी फरमाईश भी मैं सुनना पसंद करूँगा |