देसी आंटी का बड़ा पिछवाड़ा

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देसी आंटी रजनी के सेक्सी कूले

हमारे घर के करीब एक आंटी कुछ दिन पहले ही रहने आई थी. उसका नाम रजनी माथुर था. माथुर आंटी के पति का नाम जोरावर सिंह था और वो ओएनजीसी में काम करते थे. आंटी की एक बेटी थी जिसकी उम्र कुछ 2 साल थी. आंटी बहुत ही सेक्सी थी. मैं और मेरे सारे दोस्त इस देसी आंटी को देख के अपनी आँखे सेकते थे. मुझे किसी भी तरह से इस आंटी के साथ सेक्स करने की इच्छा थी. लेकिन मुझे नहीं लगता था की यह आंटी मेरे हाथ आएगी, बड़ा पंछी था भाईयो और बहनों. मुझे सपने में भी अब तो इसकी आंटी की गांड दिखती थी. नवरात्रि में जब सोसायटी में गरबे का प्रोग्राम था तब मैंने सभी अमदावादी लोगो की तरह मस्त सजे धजे कपडे पहने थे. मुझे खवाहिश थी की आंटी आज तो मेरी तरफ देखेंगी लेकिन सच बताऊँ तो उसने एक नजर भी मेरे ऊपर नहीं डाली. साला अपना तो बेड लक ही ख़राब था.

आंटी को आज तो नहाते हुए भी देख लिया

रजनी आंटी ने मुझे नवरात्रि में तो नहीं देखा लेकिन मैंने उसका पीछा फिर भी करना चालू रखा. रजनी आंटी एक दिन बाथरूम जा रही थी. दोपहर का समय था और सोसायटी में कुत्ते बिल्ली के अलावा शायद सभी सोये हुए थे. मैंने देखा की देसी आंटी के बाथरूम से उसे देखने का अच्छा मौका हैं. मैं तुरंत निचे उतरा और आंटी के घर की तरफ चल दिया. वैसे भी अंकल काम पे ठा और उसकी बेटी यह सब समझने के लिए बहुत छोटी थी. मैं इधर उधर देखता उसके बरामदे में घुसा और चुपके से दबते हुए पाँव से आंटी के बाथरूम के दरवाजे के पास जा पहुंचा. दरवाजे के उपर कोई छेद दिख जाए, बस उतनी देर थी. मुझे एक छोटा सा छेद दिखा तो सही लेकिन साला वो छेद बहुत ही छोटा था. इतने छोटे छेद से आंटी की चूत तो क्या उसकी झांटे भी नहीं दिखने वाली थी. मैंने आँख अंदर की, क्यूंकि मैं बहुत आशावादी था. अंदर मुझे धुंधली धुंधली रौशनी में नहाती आंटी की काया के दर्शन हुए, लेकिन जैसे मैंने कहा यह द्रश्य बहुत ही छोटा और धुंधला था. फिर भी मैंने इस द्रश्य को बड़े मजे से देख रहा था. देसी आंटी रजनी जब अपने हाथ हिलाती थी तब मुझे दीखता था और मैं मनोमन सोचता था की अब ये यहाँ साबुन लगा रही होंगी, अब वो अपनी चूत मल रही होगी…वगेरह वगेरह. आंटी की यह धुंधली तस्वीर भी मुझे बहुत उत्तेजना दे रही थी. मैंने अपनी पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ लिया. मेरा लंड बहुत कड़ा हुआ था. मुझे लगा की अगर अभी यहाँ रुका तो मेरा लंड वही बहने लगेगा. मैंने लंड को थामे दौड़ लगाई, सीधा घर जा के अपने रूम को अंदर से बंध कर लिया…..!

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आंटी की चूत नहीं तो अपना हाथ सही

घर आके मैंने अपने लंड को पेंट की कैद से आजाद किया. देसी आंटी को देख के ही मेरे लंड में उत्तेजना आती थी और आज तो मैंने उसे कुछ नंगी देख ली थी. देसी आंटी के नाम के मुठ वैसे तो मैं बहुत मारी थी लेकिन आज तो उसको सही तरह चोदना था. मैंने सोफे के ऊपर बैठे हुए अपने सोफे में छिपाई हुई पोर्न मैगज़ीन निकाली. यह मैगज़ीन में इंडियन लडकियों और आंटियो की तस्वीरें थी. मैंने लडकियों को साइड में रखते हुए आंटियो वाले पन्ने निकाले. मेरे मन में इन देसी आंटियो को देख महोल्ले की देसी आंटी घुमने लगी. मैंने लौड़े के ऊपर हाथ से मलना चालू कर दिया. मेरे लंड में आज अलग मजा था, मैंने सीधे लंड को हिलाना चालू कर दिया. मेरी आँखे बंध थी और मैं देसी आंटी के लड्डू मन में मिला रहा था. मैंने आंटी को अपनी गोद में बैठती हुई महेसुस की और मैं आंटी को अपनी गोद में बिठाता हूँ और इस देसी आंटी के चुंचो के साथ खेलने लगता हूँ. आंटी भी नीचें बैठ के मेरे लंड को सहलाती हैं और फिर धीरे से उसे चुस्ती हैं. यह सब सोच सोच के मुझे मुठ मारने में और भी मजा आ रहा था. मैंने अपने हाथ हिलाने की स्पीड कम कर दी, ताकि मुठ का ज्यादा से ज्यादा से मजा आ सके. आंटी को मैं अब अपनी चूत खोल के मुझे बता रही हैं वैसी कल्पना करने लगा. मेरे लंड में अलग सी उत्तेजना थी आज तो. मैंने थोडा थूंक हाथ में लिया और लंड के सुपाड़े के ऊपर मलने लगा. थूंक मलने से मेरे सुपाड़े में बहुत मजा आ रही थी, लग रहा था की जैसे की हल्का हल्का करंट लग रहा हो. बस कोई चूत दिला दे यारो, सच में अगर अभी मुझे चूत मिल जाती तो मैं उसे बिलकुल मस्त  तरीके से चोद देता और इतना चोदता की चूत से पानी बहने लगता.

सारा वीर्य हाथ पे ही ले लिया.

अब मुझे और भी ज्यादा उत्तेजना होने लगी थी. मेरी आँखों के सामने इस देसी आंटी की सेक्सी गांड आ रही थी. मेरे दिमाग में उसको आज बाथरूम में देखी वो विचार घूम रहे थे. मेरे लौड़े में अजब सा खिंचाव था. मैं लंड की जोर से हिलाने लगा था अब. आंटी की बातें सोच सोच के मैंने पहले भी कई बार मुठ मारा था वैसे. लेकिन आज शायद मैंने उसकी चूत के धुंधले धुंधले दर्शन किये थे इसलिए उत्तेजना ज्यादा थी. इस से पहले मैंने जब भी मुठ मारी थी मैं आराम से 15 मिनट तक लंड हिला सकता था. लेकिन आज 5 मिनट में ही मुझे अलग अहसास होने लगा. और मैं कुछ करता उसके पहले ही लंड से वीर्य का फव्वारा निकल पड़ा. देसी आंटी चुदे बिना ही चुद गई. मैंने अपने कपडे सही किये और वीर्य को पुराना अखबार ले के साफ़ करने लगा. आज के मुठ के बाद मेरी चुदाई की झंखना और भी बढ़ गई थी. मैं बस एक मौके की तलाश में हूँ, जिस दिन यह मौका मुझे मिला इस देसी आंटी की चूत को ऐसे चाटूंगा की वह बेहोश हो जायेगी और फीर मैंने उसमे अपना लंड डाल के नाचूँगा.