शराबी की बीवी की चूत

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हेलो, मैं राकेश २७ साल का हु और एक कंपनी में काम करता हु. आज मैं देखने में सही हु और पर्सनालिटी भी बढ़िया है. इसलिए जो भी लेडीज मुझे मिलती है वो मुझसे इम्प्रेस हो जाती है मैं आप को पिछले समर में हुआ एक किस बताता हु.

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मैं एक किराये के मकान में रहता था और इस घर में सिर्फ २ रूम थे, एक कमरा मेरे पास था और दुसरे में एक नया किरायेदार था. वो लोग हस्बैंड-वाइफ थे और उनका ३-४ साल का एक बच्चा भी था. भाभी पटाखा तो नहीं थी. लेकिन उसका फिगर बड़ा सही था. उसके बदन को देख कर कोई भी उसका कायल हो सकता था.

मेरी उन से जानपहचान हुई और सब कुछ नार्मल चल रहा था. मैने उन्हें भैया-भाभी कह के ही बुलाया करता था. मैं होटल में ही डिनर करता था और घर आके सो जाता था. सैटरडे को मैं डिनर साथ में ही लेकर आता और साथ में कुछ दारु. सैटरडे मैं अपने घर में ही खा-पी के पार्टी कर लेता था.

उस सैटरडे को भी मैं कमरे में दारु पी रहा था, तभी भैया कमरे में दाखिल हुए और मुझसे पूछा, क्यों भाई क्या चल रहा है? मैने हडबडाकर बोतल छुपाई और वो बोले – यार क्या कर रहे हो, अकेले-अकेले पी रहे हो? मुझे भी डालो. मैने कहा – भाभी देख लेंगी, तो डाटेंगी और आप मेरा भी पीना बंद करवा दोगे. वो बोले – चिंता मत करो. तुम दारू डालो, मैं अभी आता हु.

वो थोड़ी देर में पापड़ के साथ आये और बोले मैं तुम्हारी भाभी को बताकर आया हु. थोड़ी देर बाद भाभी जी पकोड़े लेकर आ गयी. वो समय नाईटइ पहने हुए थी. हम दोनों बातें करने लगे और कुछ देर में ही दारु का नशा होने लगा. बहुत दिनों से चूत मारने का मन था और उनको देखते ही, मेरा लंड एक दम खड़ा हो गया. लेकिन, मैं चुपचाप ही बैठा रहा. मैने दो पेग मारे, तब तक भैया तीन पेग खीच गए थे. और उनकी आवाज़ लड़खड़ाने लगी थी. फिर उन्होंने अपने लिए एक पेग और बना लिया और जब मैने मना किया, तो बोले – पीने दे यार, आज काफी दिनों बाद पी रहा हु. रात के ११ बज रहे थे. तभी भाभी जी खाना लेकर आई. उन्होंने उनकी हालत देखि और बोली – इसलिए, मैं इन्हें मना करती हु. थोड़ी सी ही पीने के लुड़क जाते है. प्लीज आप इन्हें मेरे रूम में लिटा दीजिये. मैने एक तरफ हाथ डालकर भैया को उठाया और दूसरी तरफ से भाभी जी ने और हम उनको उनके रूम में ले गये. बेड पर लिटाया और लिटाते समय मेरा हाथ भाभी जी के चूतडो पर रखा गया, तो मैने उन्हें सॉरी बोला. वो बोली – कोई बात नहीं. मैं अपने रूम में आ गया और खाना खा लिया और उनके नाम की मुठ मारकर सो गया. अगले दिन, सन्डे को भी भैया आ गये. मैने उनको मना किया, तो वो बोले – पिलाओ ना यार, औरतो की तो आदत होती है ज्यादा बोलने की. मैं चुप हो गया.

थोड़ी देर में भाभी जी आ गयी और मैने उन्हें बता दिया. उन्होंने बोला – मानते तो है नहीं, लेकिन कम पिलाना. आज भी सेम केस हुआ. चार पेग के बाद, भैया फिर से होश में नहीं थे. भाभी जी ने फिर से मुझे बोला, रूम में भैया को पहुचने के लिए. रास्ते में एक दो बार, मेरा हाथ उनके बूब्स से टकराया, तो पता चला कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है. फिर भैया को बेड पर लिटाते हुए, मैने जानबूझकर मेरा हाथ उनकी चूतड़ पर रख दिया और हडबडाते हुए, उन्हें पकड़ लिया, जैसे कि ऐसा ना लगे कि मैने ये जानबूझकर किया है. भाभी कुछ नहीं बोली. हाथ बटक्स पर रखने से पता चला, कि उन्होंने पेंटी भी नहीं पहनी है. फिर भाभी बोली – चलो खाना खाते है. हमने साथ में खाना खाया. ऐसा करीब दो महीने तक चला. मैं कभी बूब्स पर हाथ फेरता और कभी चूतड़ पर हाथ फेरता और अपने कमरे में आकर मुठ मारकर सो जाता. ऐसा ही एक सैटरडे को मैने आगे बड़ने का प्लान बनाया.

आज मैने शुरू से ही भैया के पेग बड़े बनाये और चार पेग के बाद वो बेहोश से हो गये. रात में, भाभी जी उन्हें लेने ले लिए आई, तो मैने एक साइड से पकड़ा और भाभी ने दूसरी साइड से पर इस तरह वो जा नहीं पा रहे थे. तो मैने भाभी जी को बोला, कि मैं पीछे से पकड़ता हु और आप आगे से पकड़ो. मैने भैया को बगलों में हाथ डालकर उनको उठाया हुआ था और भाभी ने आगे से पकड़कर, तो मेरे हाथ उनके बूब्स पर लग रहे थे. वो ब्रा नहीं पहनी थी. वो कुछ नहीं बोल रही थी. उनके रूम तक पहुचने तक भाभी के निप्प्ल खड़े हो गये थे. अब जब भैया को बेड पर लिटाया, तो मैने जानबूझकर भैया को हल्का सा भाभी के ऊपर छोड़ दिया और भाभी नीचे उनके उपर भैया और उनके ऊपर मैं गिर पड़े. मेरे हाथ भाभी के बूब्स पर थे. मैने उपर उठने की ट्राई की और इस बहाने से उनके बूब्स को दो-तीन बार दबाया. फिर, मैं उपर उठ गया और साइड से हाथ भैया के बूब्स पर लेजाकर भैया को उठाया. इस बार, मैने दोनों बूब्स पर हाथ रगड़ दिए. भाभी कुछ नहीं बोली.

फिर, मैने नीचे हाथ उनकी चूत के ऊपर रगड़े. भैया के पैर भी उनके उपर से हटाये. तब भाभी ने चैन की साँस ली और वो भी उठ गयी और फिर भैया के कपडे उतारने लगी, जिसमे मैं उनकी हेल्प करने लगा. उनकी हेल्प करते हुए, मैं कभी अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ देता और कभी उनके बूब्स पर हाथ रखकर उनको दबा देता. वो भी इसका बुरा नहीं मान रही थी. मैने सोचा, कि जब इतने मैं कुछ नहीं बोल रही है, तो आगे भी कुछ नहीं बोलेगी. ये सोचकर मैने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनको धक्का मार दिया और उनके ऊपर गिर गया. वो मेरे नीचे उलटी थी और मैं उनके ऊपर था. मेरा खड़ा लंड उनकी गांड में फस हुआ था. मैने उनको उठाने के बहाने और खुद उठने के बहाने उनकी नाईटइ उनके चूतड़ तक उठा दी. वो फिर से भैया के कपडे उतारने में लगी हुई थी और ऐसा कर रही थी, कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. मैने फटाफट अपना लंड निकाला और उनके पीछे आ गया और उनकी हेल्प करने के बहाने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रख दिया. वो थोड़ा आगे पीछे हो रही थी. तो मैने उनको पकड़ लिया और लंड को उनकी चूत में डाल दिया. वो चुपचाप भैया के कपड़े बदल रही थी.

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मैने पूरा लंड अन्दर घुसा दिया और वो कुछ नहीं बोली. फिर मैने उनकी चुदाई उसी घोड़े वाली पोजीशन में शुरू कर दी. और कुछ देर चोदने के बाद अपना माल उनकी चूत में निकाल दिया. और वापस अपने रूम में आ गया. थोड़ी देर बाद, भाभी खाना लेकर आई और हम दोनों ने चुपचाप खाना खाया.