कामसूत्र का प्राइमरी ज्ञान

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मेरा नाम रूपा और मै एक प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका हु | और मै एक गावं मे कार्यरत हु |

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मेरी शादी हो चुकी है और मेरे दो बच्चे है और दोनों ही हॉस्टल मे है | मेरे पति अपने काम मे है और बाहर शहर मे है | मेरे ये नौकरी अच्छी है, तो जब मेरी इस गावं मे न्युक्ती हुई; तो, किसी को कोई एतराज़ नहीं हुआ और मै यहाँ आ गयी | मैने सोचा था, कि हर शनिवार को पति के पास आ जाया करुंगी | लेकिन, किन्ही कारणों से ये सब मुमकिन नहीं हो पा रहा था |  मुझे पति से मिले हुए २ महीने से ऊपर हो चुके थे | यहाँ आने से पहले मै और मेरे पति हर रात को कामक्रीडा करते थे | मै और मेरे पति दोनों ही सेक्स के भूखे थे | और इन दो महीने मे, मै अपने को कैसे संभाला था; मुझे ही मालूम था | और कुछ कारणों के कारण अगले कुछ महीनो तक हमारे मिलने की कोई संभाना भी नहीं थी | हम दोनों रोज़ रात को फ़ोन सेक्स करते; लेकिन, शरीर की प्यास नहीं बुझती थी | हम दोनों एक कड़ा निर्णय लिया | हम दोनों की उम्र ४० पर कर चुकी थी और हमें आगे कोई बच्चा नहीं चाहिए था | हम दोनों ने सोचा, अब हमे दोनों के लिए एक-एक और साथी खोजना चाहिए; ताकि, हम दोनों अपनी-अपनी प्यास बिना किसी मुश्किल के बुझा सके और जब मिले तो कोई गीला शिकवा ना हो |जब सब कुछ तय हो गया; तो, मै अपनी तलाश शुरू की | मेरे स्कूल मे एक बीजी नाम का दूधवाले का लड़का था | सुबह-सुबह वो भैसों का दूध निकालता था और खूब दूध पीता था | इसी वजह से वो काफी तगड़े शरीर का मालिक था | वो ही मेरे घर दूंध देने आता और बाद मे स्कूल भी | वो स्कूल मे आयोजित होने वाले खेलो मे भी अव्वल रहता था | मुझे लगने लगा था; कि उससे अच्छा मुझे चोदने वाला नहीं मिल सकता था | गावं मे मेला लगा था | और उस दिन स्कूल की छुट्टी थी | दोपहर मे, मै भी मेला देखने चली गयी | मेले के रास्ते मे, एक टीला पड़ता था | जब मै वहा से जा रही थी | तो, मुझ एकुच आवाज़े सुनायी दी | मैने वहा जाकर देखा तो, बीजी सरपच जी की बेटी को चोद रहा था और वो भी अपनी गांड हिला-हिला कर चुद रही थी | मेरी तो किस्मत ही खुल गयी | मुझे बिना कुछ मेहनत किये, बीजी का लंड मिलने वाला था | मैने उनकी कामक्रीड़ा को ख़राब ना करते हुए, पूरा देखने का फैसला किया | लड़की कुतिया बनी हुई थी और उसने पत्थर का सहारा लिया हुआ था | बीजी ने उसकी गांड पकड़ रखी थी और उसका लंड चूत मे घुसा हुआ था | और वो कुतो की तरह उसे चोद रहा था | लड़की चेहरा पसीने से भरा हुआ था और उसके चेहरे पे थकान थी | साफ़ नज़र आ रहा था; कि, वो कई बार झड चुकी है और थकी है | लेकिन, बीजी का निकला नहीं था; इसलिए, वो उसको झेल रही थी |मै एकदम निकलकर बाहर आयी और बोली उस बेचारी लड़की को छोड़ दे, उस पर रहम कर, उसकी हालत बुरी है | वो दोनों मुझे देखकर डर गये | मै कहाँ दरो नहीं, और अपने सारे कपडे उतार कर नंगी हो गयी | आज मुझे कुछ नहीं करना था, सिर्फ बीजी को अपनी चूत का स्वाद करवाना था | मैने अपने हाथ से बीजी का लंड उसकी चूत मे से निकला और लड़की के जगह खुद लेट गयी और अपने दोनों पेरो को चौड़ा कर लिया | फिर, मैने बीजी का लंड अपनी चूत पर रखा और मुझे चोदने को कहा | बीजी को थोडा सा होश आया और उसने अपने लंड को ठेलना शुरू कर दिया | मैने अंदर से चूत को सिकोड़ लिया और बीजी का लंड अन्दर जाकर अटक गया | उसके लंड की खाल ऊपर नीचे हो रही थी और मेरे साथ-साथ वो सिसकिया ले रहा था | बीजी ने मुझे बोला, मैडम जी बीजी ने इतनी गावं की लड़कियों को चोदा पर, जो मज़ा आपके चूत मे आया, वो किसी की चूत से नहीं मिला |३-४ बड़े-बड़े झटको मे मेरी चूत ने समर्पण कर दिया और मेरी चूत से सफ़ेद लावा की पिचकारी छूट पड़ी | बीजी ने भी तेज़ झटके मारने शुरू कर दिये और २ मिनट बाद उसने अपना लंड बाहर निकल लिया और बाहर निकलते ही उसके वीर्य ने मेरे पुरे शरीर को भिगो दिया |आज मेरी चूत की थोड़ी सी प्यास शांत हुई थी | फिर, हम तीनो मेले गये और खूब मज़ा किया |

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शाम को मैने बीजी को घर बुलाया और अपने को खूब चुदवाया | फिर, अगले दिन पति को फ़ोन करके ये खुशखबर दी |