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रेणुका मेरे दीदी की सहेली

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मैं आज आपको अपनी बहन की सहेली की चुदाई बताने जा रहा हूँ जिसे मैंने बड़े ही मज़े में आधी रात को अपने घर में सोते हुए चोदा था. दोस्तों उन दिनों की मेरी बहन के तीसरे वर्षीय कॉलेज की अंतिम स्तर की परीक्षा चल रही थी और उसी की पढाई के लिए सहयोग में रेणुका नाम की सहेली रोज घर आया करती थी और रात पढते हुए दोनों एक साथ ही सो जाया करते थे. मैं रात भर कंप्यूटर पर बैठ गेम खेला करता था और जब सो जाते तो सेक्स विडियो देख के लंड हिलाया करता था करता था. उस दिन भी मेरे साथ ऐसा ही कुछ हुआ, जब सब सो गए थे तो मैं सेक्स विडियो देखता हुआ हस्तमैथुन कर रहा था और तभी मेरे दिमाक में रेणुका का ख्याल आया.

लंड से चुंचे गर्म किये

मैंने जब अपनी बहन के कमरे में जाकर देखा तो पता चला की रेणुका अपनी गांड को चौड़ाये हुए मस्त में सो रही थी. मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था और देख की दोनों सो ही रही थी. मैंने अब आगे बढते हुए सोती हुई रेणुका के बाजू में बैठ गया और अपने नंगे लंड को निकाल उसके अधनंगे चुचों और मोटी गांड को देख मसल रहा था. मेरे हाथ अब उसके बदन ना बिना छुए जैसे मान ही नहीं रहे थे. मैं अब हलके हलके उसके नंगे पेट को सहलाते हुए उसकी गांड पर अपने हाथों को फिराना चालू कर दिया. मुझसे रुका नहीं गया और और मैंने अपने हाथों को उसके गुलाबी लबों से मिला दिए पर आप भी यकीन नहीं मानोगे की वो मुझे सहयोग कर रही थी तभी मुझे पता चला की वो असल में सो नहीं रही थी बल्कि ढोंग रच रही थी.

चूत में लौड़ा दे के उसे भी मदमस्त कर दिया

अब मैं सब कुछ समझ गया था और मैंने भी ऐसा दिखावा किया की मुझे नहीं मालुम की रेणुका जगी है और बस अपने नंगे लंड को निकालते हुए उसकी सलवार को नीचे को सरका दिया. रेणुका ने अपना मुंह जानबूझ कर अपने पल्लू से छिपा लिया ताकि मुझे उसके चेहरे की चढ़ती हवस पता ना चल सके और मुझे ना मालुम पड़े की वो सच में जगी है. मुझे मतलब तो सिर्फ उसकी चूत मारने से ही था और उसकी गांड की तरफ से उसकी चूत पर थूक लगाकर अपने लंड के सुपाडे से उसकी चूत पीछे चूत के मुहाने पर हलके – हलके मसला फिर उसकी अपने लंड को रेणुका की चूत में धक्कों से चूत मारनी चालू कर दी.

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मेरे धक्के तेज थे पर मुझे कोई फिकर नहीं थी क्यूंकि असल में तो रेणुका सो नहीं रही थी और बस छिपे – छिपे चुदाई एक मज़े ले रही थी. रेणुका की चिकनी चूत में मेरा लंड अब आसानी से चला गया और बस उसे अपने बाहों में पीछे से जकड़े हुए चोद जा रहा था. हम दोनों की सिसकियाँ निकल रही थी बहुत रोकने के बाद भी और मज़े में दोनों चुदाई के मज़े लुट रहे थे. रेणुका की चूत एक दम ताज़ा आम की तरह था जिसे खाने का अपना ही मज़ा होता है. अपने लंड को बार – बार कभी उसकी गांड के छेद पर मसलता तो कभी सीधा चिकनी चूत में धंसा डालता और इसी चलती कामक्रीड़ा में मेरा मुठ भी बह निकला और मैं उसे आखिरी बार चुमते हुए चला पड़ा सुकून की नींद सोने .