मकान मालिक की चुदक्कड़ बीवी

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हैल्लो दोस्तों, में एक किराये के मकान में रहता था और उस मकान में, मकान मालिक और उनकी बीवी और उनका एक लड़का रहते थे. मेरे मकान मालिक करीब 50 साल के थे, जो कि एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और उनकी बीवी करीब 42 साल की थी, उनको कोई औलाद नहीं होती थी, इसलिए उन्होंने 15 साल पहले अनाथ आश्रम से 2 वर्षीय लड़के को गोद लिया था. उनकी बीवी को में मौसी कहकर और मकान मालिक को अंकल कहकर बुलाता था. अब कुछ ही दिनों बाद में उन लोगों से काफ़ी घुलमिल गया था और वो लोग भी मुझे उस घर का एक सदस्य ही समझते थे. मेरी शनिवार और रविवार को छुट्टी रहती थी, इसलिए में घर पर ही रहता था और मौसी को बाज़ार से सामान लाने में मदद भी करता था.

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मौसी अंकल से ज्यादा सुंदर और स्मार्ट महिला थी, उसकी चूचियाँ और चूतड़ तो बस गजब के थे. जब भी मेरी नज़र उनके चूतड़ पर गिरती तो मेरा लंड हरकत करने लगता था. अब कुछ दिन पहले उनका लड़का उनके रिश्तेदार के यहाँ छुट्टियाँ होने के कारण रहने गया था. अब घर पर केवल में, अंकल और मौसी ही थे.

उस दिन शनिवार था और अंकल सुबह 8 बजे ही दफ़्तर चले गये थे. फिर जब में सुबह 10 बजे उठा और नहाकर किचन में गया तो मैंने देखा कि मौसी मेरे लिए नाश्ता बना रही थी, जब मौसी ने ब्लू कलर की साड़ी और ब्लाउज पहना हुआ था और वो बहुत सेक्सी लग रही थी.

फिर वो मुझे देखकर बोली कि महेश बेटे नहा लिए? तो मैंने कहा कि हाँ मौसी और उनके पास जाकर पीछे खड़ा होकर देखने लगा कि वो क्या बना रही थी? फिर मैंने पूछा कि मौसी नाश्ते में क्या बना रही हो? तो वो बोली कि डोसा बना रही हूँ बेटे और इतने में उन्होंने झुककर नीचे से जब चटनी की बोतल निकाली, तो उनकी गांड मेरे लंड से सट गयी.

अब ऐसा 2-3 बार हुआ, लेकिन मौसी कुछ नहीं बोली. फिर थोड़ी देर के बाद वो बोली कि बाहर जाओ में नाश्ता लेकर आती हूँ और बोली कि नाश्ता करके मेरे साथ बाज़ार चलो, कुछ सब्जियां वगैराह खरीदनी है. फिर में ठीक है कहकर बाहर आकर बरामदे में बैठ गया और फिर नाश्ता करके हम बाईक पर बाज़ार चले गये. अब बाईक चलाते वक़्त में ज़ोर से ब्रेक मारता, तो मौसी की चूचियाँ मेरे कंधे से दब जाती थी, जिस कारण में बहुत गर्म हो रहा था.

फिर कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि मौसी खुद ही मुझसे चिपकर बैठी थी और अपनी चूचियों को मेरे कंधे पर दबा रही थी और उनका एक हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए था, लेकिन उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के पास थी, जो कि मेरे लंड को टच कर रही थी. अब में बहुत उत्तेजित हो गया था. फिर हमने बाज़ार पहुँचकर सब्जियां ली और जब हम वापस लौट रहे थे, तो वो अपनी गांड थोड़ी मटका-मटकाकर चल रही थी.

फिर इतने में सामने मौसी को एक बैंगन बेचने वाला दिखा तो वो बोली कि चलो महेश बैंगन लेते है, तो हम बैंगन वाले के पास चले गये. अब में मौसी के पीछे खड़ा था और मौसी झुक-झुककर बैंगन छाट रही थी, तो तब कई बार उनकी गांड मेरे लंड से टकरा जाती थी.

फिर मौसी ने करीब 7-8 बैंगन लिए और अब जब हम बाईक के पास जा रहे थे तो मैंने पूछा कि मौसी इतने लंबे और पतले बैंगन का क्या बनाओगी? तो वो अचकचा गयी और घबराहट के मारे बोली कि भर्ता बनाउंगी.

फिर मैंने कहा कि इतने लंबे और पतले बैंगन का भर्ता कहीं बनता है क्या? तो वो कुछ नहीं बोली और फिर हम वापस घर आ गये. अब घर आते ही मौसी टायलेट करने चली गयी और मूतने लगी, तो में वो आवाज़ सुनकर बहुत पागल हो गया और टायलेट के दरवाजे से अंदर झांककर देखा, तो मौसी मूतने के बाद वैसे ही साड़ी ऊपर करके खड़ी थी. फिर मौसी ने अपनी गोरी-गोरी जांघो से अपनी काली पैंटी को ऊपर करके अपनी चूत रानी को बंद किया तो में तुरंत अपने कमरे में चला गया और मौसी अपने काम में लग गया.

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फिर मैंने कमरे में आकर 2 पैग विस्की के पिये और टी.वी. देखने लगा, लेकिन मेरा मन मौसी के चूतड़ और चूचियों पर ही था. फिर करीब 1 बजे सारा काम करके मौसी नहाने चली गयी और फिर नहाने के बाद मौसी बाहर आ गयी और उसके बाल गीले होने कारण पीठ पर चिपक रहे थे, तब मौसी ने लाईट कलर की मैक्सी पहनी थी. अब उनकी बॉडी गीली होने के कारण उनकी मैक्सी उनके शरीर पर चिपक गयी थी.

अब मुझे उनके अंडरगारमेंट्स बिल्कुल अच्छी तरह से दिखाई दे रहे थे, उन्होंने लाल कलर की पेंटी और ब्रा पहनी हुई थी, वो बहुत मादक दिख रही थी. अब मुझे उनकी गांड का बड़ा शेप अच्छी तरह दिख रहा था और अब मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या करूँ?

फिर जब मौसी अपने कमरे में चली गयी तो में भी बाथरूम में घुस गया तो मैंने देखा कि उन्होंने अपनी पेंटी और ब्रा को वहाँ लटकाया था और वो सूखे थे तो अब में समझ गया था कि मौसी नंगी नहा रही थी.

फिर मैंने उनकी पेंटी को लेकर कई बार सूँघा, अब उसमें से अजीब सी महक आ रही थी, जो मेरे शराब के नशे को और नशा दे रही थी. फिर में बाथरूम से बाहर आया तो मैंने देखा कि मौसी अभी तक अपने कमरे में थी.

फिर कुछ देर के बाद हम दोनों ने खाना खाया और टी.वी. देखने लगा, तो इतने में मौसी न्यूज पेपर लेकर कमरे में आई और सोफे पर बैठकर न्यूज पेपर पढ़ने लगी. अब मेरा ध्यान बार-बार मौसी की तरफ जा रहा था.

फिर इतने में मैंने देखा कि न्यूज पेपर का एक पेज नीचे गिर गया तो मौसी झुककर उसे उठाने लगी, तो तब मुझे उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों के दर्शन होने लगे और जिसे देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. फिर थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि मौसी अपने दोनों पैर सोफे पर रखे हुई थी और उनकी मैक्सी घुटनों पर थी, जिस कारण मुझे उनकी गोरी-गोरी टाँगे दिखाई दे रही थी.

अब मौसी अपने मुँह के सामने पेपर करके पढ़ रही थी, जिस कारण मुझे उनका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था.

फिर इतने में मौसी ने अपनी दोनों टांगो को फैला दिया, जिस कारण मुझे उनकी लाल पैंटी दिखाई देने लगी. अब मेरे कुछ समझ में नहीं आया कि वो जानबूझ कर दिखा रही है या अनजाने में. खैर फिर कुछ ही देर के बाद अचानक पेपर पढ़ते हुए वो अपना एक हाथ मैक्सी के अंदर डालकर अपनी पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत को खुजाने लगी तो यह सब देखकर मेरा लंड फूलकर खड़ा हो गया. अब मेरा ध्यान टी.वी. पर कम और मौसी की तरफ ज़्यादा था. अब अपनी चूत खुजाने के बाद वो अपना हाथ बाहर निकालकर पेपर पढ़ने में मग्न थी.

फिर थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि पेपर पढ़ते हुए उन्होंने फिर से अपना वही हाथ अपनी मेक्सी के अंदर डाला और अपनी पैंटी को थोड़ा सरकाकर अपनी चूत के दाने को खुजाने लगी. अब उनकी काली चूत और काली झांटे मुझे साफ-साफ दिखाई दे रही थी.

अब एक बार तो मेरा मन हुआ कि उठकर उनकी चूत को पेल दूँ, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई. फिर वो अपनी चूत के दाने को खुजाने के बाद अपना हाथ बाहर निकालकर फिर से पेपर पकड़कर पढ़ने लगी. फिर में उठकर पेशाब करने बाथरूम में चला गया और जब में वापस आया तो मैंने देखा कि फोन की घंटी बज रही थी.

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फिर मौसी ने कहा कि महेश ज़रा फोन उठाना तो. फिर मैंने फोन उठाया तो अंकल का फोन था. फिर मैंने मौसी से कहा कि मौसी आपके लिए अंकल का फोन है. अब मौसी अंकल से बात करने के बाद काफ़ी खुश नज़र आ रही थी. फिर मैंने पूछा कि क्या हुआ? तो वो बोली कि महेश बेटे आज ऑफिस का माल ट्रक में लेकर उड़ीसा जा रहे है और परसों तक वापस आएगें.

फिर मैंने कहा कि कोई बात नहीं, में हूँ ना, तो वो मुस्कुरा दी और किचन में जाते-जाते बोली कि तुम टी.वी. देखो, में चाय बनाकर लाती हूँ. फिर जब 10 मिनट हो गये और मौसी चाय लेकर नहीं लौटी तो में उठकर किचन की तरफ गया तो मैंने देखा कि किचन का दरवाजा अंदर से बंद था और जब मैंने दरवाजे की दरार से अंदर देखा तो दंग रह गया.

अब मौसी बैंगन से अपनी चूत को चोद रही थी और बैंगन को अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी थी और अपने मुँह से आवाजें निकाल रही थी, ऊऊओ हहा आउच अह हा आहा सिस क्या मज़ा आ रहा है? आहा आहा सिस बोल रही थी और तेज़ी के साथ बैंगन को अपनी चूत में अंदर बाहर करते हुए कहने लगी कि आह महेश बेटा, आजा बेटा आ मेरी चूत की खुजली मिटा दे, आ मादरचोद अपनी चुदक्कड मौसी को चोद दे, गांडू कितना भोला बन रहा है भोसड़ी के, आज मेरी चूत पेल दे गांडू, ज्यादा भोला मत बन साले मादरचोद उउउफफफ्फ़ तू नहीं जानता कि ये चूत कितने सालों से प्यासी है? वो तो अपना लंड अंदर डालते ही झड़ जाते है उूउउफफफ्फ़ और में प्यासी ही रह जाती हूँ. फिर थोड़ी देर के बाद ज़ोर से आहह उूउउफ़फ्फ़ आह करते हुए उनकी चूत से सफेद चिपचिपा अमृत रस बाहर आने लगा. अब यह सब सुनकर में समझ गया था कि वो मुझसे चुदवाना चाहती है.

फिर जब उनकी वासना शांत हुई तो वो उठकर चाय कप में भरने लगी तो में तुरंत अपनी जगह पर आकर टी.वी. देखने लगा. अब हम दोनों चाय पीते हुए टी.वी. देखने लगे थे.

फिर में शाम को बाज़ार चला गया और मौसी अपने काम में लग गयी. फिर में बाज़ार से विस्की की बोतल लेकर आया और अपने कमरे में आकर पैग बनाया और एक पैग पीकर किचन में गया तो मैंने देखा कि मौसी खाना बना रही थी और वो पारदर्शी गाउन और ब्लेक पैंटी और ब्रा पहने थी, जो कि मुझे गाउन से साफ-साफ दिखाई दे रही थी.

अब यह सब देखकर मेरा लंड हरकत करने लगा था और फिर मैंने अपने कमरे में आकर 3 पैग और पिये. अब इतने में मौसी ने डिनर के लिए मुझे आवाज़ दी, तो हम दोनों ने डिनर किया और फिर में अपने कमरे में आकर टी.वी. देखने लगा. अब में बनियान और लुंगी पहने हुए था और अब टी.वी. देखते- देखते में सोच रहा था कि आज तो मौसी को ज़रूर चोदूंगा, चाहे जो हो जाए.

फिर मौसी अपना सारा काम ख़त्म करके कमरे में आई और जब मैंने मौसी की तरफ देखा तो में पागल हो गया, क्योंकि अब मौसी ने पारदर्शी गाउन के अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था, वो अंदर बिल्कुल नंगी थी और उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ और निपल्स साफ-साफ नज़र आ रहे थे और उनकी काली चूत अच्छी तरह से नज़र आ रही थी. अब मेरा लंड फूलकर कड़क हो गया था और मेरी लुंगी के ऊपर से मेरे लंड का उभार साफ़-साफ़ दिखाई देने लगा था.

अब मौसी हँसते हुए मेरे सामने बैठकर टी.वी. देखने लगी थी. फिर थोड़ी देर के बाद मौसी टी.वी. देखते-देखते अपने गाउन के ऊपर से ही अपनी चूत के दाने को खुजाने लगी, जिसे देखकर में बेकाबू हो गया और अपनी लुंगी में हाथ डालकर अपनी अंडरवियर से थोड़ा लंड बाहर निकाला ताकि मौसी को मेरे मोटे और लंबे लंड के दर्शन हो जाए और में अपने लंड की आगे की चमड़ी को पकड़कर मसलने लगा. फिर यह देखकर मौसी ने पूछा कि क्या हुआ महेश? तो में बोला कि मुझे खुजली हो रही थी, इसलिए खुजा रहा हूँ.

फिर वो बोली कि मेरी भी यही हालत है और ये कहते हुए वो मेरे लंड को देखते हुए अपने गाउन के ऊपर से ही अपनी चूत के दाने को मसलने लगी. अब यह सब देखते हुए में हिम्मत करते हुए उठा और मौसी के सामने खड़ा होकर अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया, जिसे देखकर वो दंग रह गयी और उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी.

फिर में बोला कि मौसी तुम्हारी जैसी ब्यूटिफुल सेक्सी औरत मैंने आज तक नहीं देखी, तुम्हारे बूब्स और गांड देखकर कोई भी आदमी पागल हो जाएगा. अब ये सुनकर मौसी बोली कि फिर अभी तक मुझे क्यों तड़पाया? तो मैंने कहा कि तुमने भी तो मुझे तड़पाया है और ये कहकर में मौसी के होंठों में अपने होंठ डालकर चूसते हुए उनकी चूचियों को सहलाने और दबाने लगा और अब वो भी जोश में आकर मेरे लंड को पकड़कर सहलाने लगी. फिर थोड़ी देर के बाद हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गये और मौसी के कमरे में आकर उनको बेड पर लेटाकर मौसी की चूचियों को दबाने लगा.

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उनकी चूची वाकई में क्या थी? अब मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उनकी एक चूची को अपने मुँह में लिया और ज़ोर-जोर से चूसने लगा. अब मौसी भी बहुत एग्ज़ाइटेड हो गयी थी और बोली कि और ज़ोर से चूस तेरे लिए ही है.

फिर में उनकी चूत की तरफ अपना मुँह लाया, वहाँ पर बहुत घने बाल थे और उसमें से जो स्मेल आ रही थी, वो मुझे बहुत अच्छी लग रही थी. अब इधर मौसी अपनी टाँगे फैलाकर अपनी उंगली चूत में डालने लगी थी. फिर मैंने कहा कि मौसी यह काम अब मेरा है.

फिर वो बोली कि जल्दी कर बेटे मेरी चूत बहुत तड़प रही है. फिर में बोला कि तुम मुझसे गंदे शब्दों में ही बात करो, तो उन्होंने कहा कि गांडू चल फाड़ दे मेरी प्यासी चूत को. फिर मैंने उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और अपनी जीभ से उनकी चूत को चोदने लगा. उनकी चूत काली थी. फिर मैंने पूछा कि तुम इतनी गोरी हो, तो तुम्हारी चूत काली कैसे? तो वो बोली कि क्या करूँ? मेरी चूत काफ़ी प्यासी रहती है तो में बैंगन डालकर रोज 4-5 बार चोदती हूँ, इसलिए मेरी चूत काली है.

अब में ज़ोर-जोर से अपनी जीभ से उनकी चूत को चोदने लगा था. अब मौसी को बड़ा मज़ा आ रहा था और फिर वो चिल्लाकर बोली कि मादरचोद और ज़ोर से चूस, तुझे आज में अपनी चूत का रस पिलाऊँगी, ज़ोर- ज़ोर से चाट गांडू, उउउफ़फ्फ़ आहह साले, बहनचोद अपनी मौसी की चूत चाटता है आहहा, उफफफ्फ़ मज़ा आ रहा है, आह सीस्स मेरा अब निकलने वाला है और फिर वो मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी और कुछ ही देर में उनकी चूत में सिकुड़न हुई और उन्होंने अपना सारा चूत रस मेरे मुँह में गिरा दिया, तो में उनका सारा चिपचिपा चूत रस पी गया.

फिर वो बोली कि अब तुमने मेरा चूत रस तो पी लिया, लेकिन अब में चाहती हूँ कि में भी तुम्हारा लंड रस पी लूं और उन्होंने खड़ी होकर मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसते हुए बोली कि महेश तेरा लंड बहुत बड़ा और मोटा है रे, में रोज सुबह इसके दर्शन लूँगी.

फिर वो ज़ोर-ज़ोर से अपने मुँह में मेरा लंड अंदर बाहर करने लगी और कुछ ही मिनटो में मेरा लंड रस उनके मुँह में निकल गया और वो बड़े प्यार से मेरे लंड रस को पी गयी. फिर थोड़ी देर के बाद मौसी ने फिर से मेरा लंड अपने हाथ में लिया और अपनी जीभ से चाटने लगी.

फिर मैंने भी मौसी की चूत और गांड में अपनी उंगली डाल दी और उनके बूब्स चूसने लगा और कुछ ही मिनटो में मेरा लंड चुदाई करने के लिए फुलकर खड़ा हो गया. फिर मैंने मौसी की दोनों टांगो को फैलाकर उनके चूतड़ के नीचे 2 तकिये रखे, जिससे उनकी चूत थोड़ी ऊपर उठ गयी और मैंने उनकी टांगो के बीच में आकर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के ऊपर रखकर अपना सुपाड़ा रगड़ते हुए ज़ोर से एक धक्का मारा तो उनकी चूत गीली होने के कारण मेरे लंड का सुपाड़ा फिसलकर उनकी चूत के अन्दर घुस गया. फिर मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया. फिर वो बोली कि महेश थोड़ा आहिस्ता-आहिस्ता डालो, तुम्हारा लंड बहुत मोटा है.

फिर कुछ देर रुककर मैंने एक और ज़ोरदार शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ उसकी चूत की गहराई में समा गया. अब मेरे लंड पर उसकी चूत कसी-कसी लग रही थी और अब उसकी चूत की दीवारे मेरे लंड को मजबूती से जकड़े हुई थी.

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अब में अपनी कमर उठा-उठाकर कस-कसकर चोदने लगा था. फिर मौसी बोली कि ज़ोर-ज़ोर से चोद मादरचोद, आहह आहह उूउउफफफ्फ़, ज़ोर से गांडू और ज़ोर से, आहा आउच, अब में उसको और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा था. फिर करीब 15-20 मिनट के बाद मेरे लंड पर मौसी की चूत ने सिकुड़न पैदा कर दी और वो कुछ ही पलों में झड़ गयी और फिर उनके झड़ने के कुछ ही देर के बाद मेरा लंड भी उनकी चूत में पिचकारी मारकर झड़ गया और फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपककर सो गये. इस तरह मैंने कई बार अलग-अलग स्टाईल में मौसी को चोदा और उनकी गांड भी मारी और मौसी के खूब मजे लिए.