ताऊ जी ने मेरे छोटे छोटे निम्बू दबाये और मुझे चोदकर अपने लौड़े की गर्मी शांत की

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ताऊ जी ने मेरे छोटे छोटे निम्बू दबाये और मुझे चोदकर अपने लौड़े की गर्मी शांत की


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मैं सारा आप सभी का SexKahani.net में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ. मैं पटियाला की रहने वाली हूँ. पापा के गुजारने के बाद मैं और मेरी माँ अपने ताऊ भानुप्रताप चौधरी के पास आकर रहने लगे. मेरे पापा फ़ौज में थे. कश्मीर ,पुलवामा जिले में उनकी पोस्टिंग थी. तभी पाकिस्तान की तरफ से आये आतंकवादियों ने अचानक हलमा कर दिया और भारी फाईरिंग शुरू कर दी. और पापा आतंकवादियों का सामना करते हुए शहीद हो गए. तबसे हम लोग ताउजी के घर में रहने लगे. एक दिन मैं रात में बाथरूम करने उठी तो देखा की ताऊ जी के कमरे से जोर जोर से ऊऊऊउन..आआआअ आहा हाह हा की आवाजे निकल रही थी. मैंने दरवाजे से झांक कर देखा तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी.
ताऊ जी मेरी मम्मी को जोर जोर से चोद रहे थे. मम्मी अपने मम्मों को हाथो में लिए थी और जोर जोर से चिल्ला रही थी ‘जेठ जी !! जोर से पेलिए …जोर से!! क्या वक़्त के साथ साथ आपकी मर्दाना ताकत भी खत्म हो गयी है??….जोर जोर से चोदिये मुझे!’ मम्मी बोल रही थी. ये देखकर तो मेरा दिमाग ही ख़राब हो गया. पापा को मरे अभी ४ महीने भी नही हुए और माँ ताऊ जी से रात में छिप छिपकर चुदवाने लगी. मुझे एक सोचकर बहुत गुस्सा आ गया. मैंने सोचा की माँ को रोकूँ, फिर सोचा की चलो इनको चुदवा लेने दो. फिर बात करुँगी. मैं वही खड़ी होकर मम्मी को ताऊ जी से चुदते देखने लगी. जितनी बड़ी मम्मी की चूत थी, उससे कहीं बड़ा और हैवी ताऊ जी का लौड़ा था. वो गचागच मम्मी को किसी छिनाल की तरह चोद रहे थे. मैंने उस समय तो कुछ नही कहा पर बाद में जब मम्मी अच्छे से चुद गयी तब सुबह की मैंने उसने सवाल जवाब करने शुरू कर दिए
‘मम्मी!! साफ साफ़ बताइये की कल रात कोई २ बजे के आस पास आपको मेरे साथ कमरे में होना चाहिए. आप कहाँ थी सच सच बताइये??” मैंने उसने पूछा
‘बब्बब्बब्ब….बेटी वो मैं ..वो मैं…’’ मम्मी हडबडा गयी.
‘मम्मी!! मैं सब कुछ जानती हूँ. आप ताऊ जी के कमरे में थी और उनसे मस्ती से चुदवा रही थी. आपको शर्म आनी चाहिए. एक विधवा होकर जेठ का लंड खाती है. आपको तो शर्म से डूब मरना चाहिए’’ मैंने मम्मी से कहा. वो मुझसे माफ़ी मांगने लगी की अब दोबारा ऐसा कांड नही करेंगी. पर दोस्तों मम्मी छुप छुपकर रोज रात में ताऊ के पास जाती और मजे से चुदवाती. उनको चुदाई का ऐसा चस्का लग गया था की दूर ही नही हो रहा था. मम्मी रोज जाकर ताऊ से चुदवाती और मैं छिप छिपकर देखती. ये सिलसला बहुत दिन चला. एक दिन ताऊ जी ने मुझे रात में किसी काम से बुलाया. उन्होंने अपनी दवा मंगाई थी. जब मैं दवा लेकर गयी तो ताऊ जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
‘सारा बेटी!! जो रात में होता है क्या तुझे अच्छा लगता है???’ उन्होंने पूछा
‘जी ताऊ जी !! …मैंने आपको मेरी माँ को चोदते हुए देखा है!’ मैंने कहा
ताऊ जी से मुझे दोनों हाथों से पकड़ लिया और मेरे गाल पर पप्पी दे दी. ‘बेटी!! जो मैं रात में तेरी माँ के साथ करता हूँ वो मैं तेरे साथ करू तो तुझको भी बहुत मजा आएगा. बोल करूँ???’ उन्होंने पूछा.
‘..जी’’ मैंने सिर हिला दिया.
उसके बाद दोस्तों ताऊ जो वो सब मीठी मीठी हरकते मेरे साथ करने लगे. मेरे गाल पर बार बार पुच्ची देने लगे. मुझे बहुत अच्छा लगा. आज मैं अपने ताऊ जी की माल बनने वाली थी. उनका बडा सा लौड़ा सिर्फ मेरी माँ ही क्यूँ खाये मुझे भी मिलना चाहिए. मैंने नारंगी रंग का सलवार सूट पहन रखा था. मैं २१ साल की जवान लडकी हो चुकी थी. मेरे मम्मे ३० साइज़ के थे. कमर २८ की थी और पिछवाड़ा ३२ का था. मेरी जैसी मस्त जवान कुड़ी देककर ताऊ जी की आँखों में चमक आ गयी. उन्होंने मेरे दुपट्टा हटा दिया. मुझे पास में लाकर मेरी साँस पीने लगे. फिर होठ पीने लगे. कुछ ही देर में ताऊ जी का कड़क पत्थर जैसा हाथ मेरे नर्म नर्म छोटे आकार के पर रसीले मम्मो पर जाने लगा. उनके बड़े से हाथ में तो मेरे दूध किसी नीबू जैसी मालूम पड़ रहे थे.
ताऊ जोर जोर से मेरे निम्बू दबाने लगे और मेरे ओंठ पीने लगे. मुझे बहुत मजा आने लगा. आज ताऊ जी मुझे चोदने वाले थे. ये जानकर मैं बहुत रोमांचित थी. मैं आज तक एक बार भी नही चुदी थी. इसलिए बहुत रोमांचित थी. वो भर भरके मेरे ओंठ पीने लगे. मैं उनके सामने एक बच्ची लग रही थी. वो मेरे सामने एक आवारा छुट्टा सांड जैसे लग रहे थे जो कुवारी गायों को बाजार में दौड़ा के चोद देता है. आज मैं एक बाप की उम्र के आदमी से चुदने वाली थी. उस आदमी से जो मेरी माँ को रोज रात में पेलता था. ताऊ ने बड़ी अच्छी तरह से मेरे होठ चूसे. मेरी चूत पानी से तर हो गयी.
‘सारा बिटिया…अगर चुदाई के मजे लेने है तो सूट निकाल बेटी !’ ताऊ बोले
मैंने तुरंत दोनों हाथ उपर करके सूट निकाल दिया. मैंने समीज पहन रखी थी. मैंने भी चुदवाने के पुरे मूड में थी. इसलिए मैंने समीज भी निकाल दी. मेरे छोटे छोटे निम्बू को देखते हुए ताऊ का दिल बाग़ बाग़ हो गया. वो बांवले हो गये और मेरे निम्बू तोड़ने दौड़े. हाथ में भरके इतनी जोर से दाब दिया की मेरी माँ चुद गयी.
‘ताऊ जी आराम से….आप मेरे निम्बू दबा रहे है, मेरी माँ के बड़े बड़े आम नही’’ मैंने कहा. ये सुनकर उनको याद आया की वो मेरी माँ को नही मेरे दूध दबा रहे है. ताऊ जी का हाथ सनी देवल का ढाई किलो का मुक्का था. वो हल्के हल्के से ही मेरे ३० साइज़ के मम्मे दबा रहे थे, पर मुझे तो लग रहा था की बहुत जोर जोर से निम्बू निचोड़ रहे है. उनका हल्का हल्का मेरे लिए बहुत भारी भारी जान पड़ रहा था. कहाँ ताऊ ६० साल के थे, देखने में तकले प्रेम चोपड़ा लगते थे और कहाँ मैं २१ साल की जावन बच्ची थी. मैं उनके सामने बिलकुल बच्ची लग रही थी. उन्होंने मुझे अपने पास लिटा लिया और मुँह लगाकर मेरे मम्मे चूसने लगी. मेरा एक एक निम्बू पूरा का पूरा आराम से उनके मुँह में समा जा रहा था. वो मजे से लपर लपर करके मेरे निम्बू पीने लगे.
“सारा बेटी!! तेरी माँ के इससे ६ गुना दूध है. मैं तो रात में रोज पीता हूँ. तेरी माँ की चूत तो रबड़ी मलाई जैसी है. अआहाहा….उस छिनाल की चूत मारने में बहुत मौज आती है!!’ ताऊ बे बताया
“ताऊ जी !! आज मुझे भी चोद चोदकर छिनाल बना दो. हाँ, मुझे भी छिनाल बनना है” मैंने दृढ विस्वाश से कहा. ताऊ अब कहीं जादा खुश लग रहे थे. वो कभी दाढ़ी नही बनाते थे. बड़ी बड़ी दाढ़ी रखते थे. ताऊ ने पहला मेरा निम्बू चूसने के बाद दूसरा दूध मुँह में भर लिया और चबा चबा कर पीने लगी. उधर नीचे मेरी चूत पानी पानी हो रही थी. क्यूंकि आज पहली बार कोई मर्द मुझे हाथ लगा रहा था. ताऊ का एक हाथ नीचे को भाग गया. मैं जान गयी की वो क्या करने वाले है. अपना नारा खिंचने की आवाज मैंने सुने. मेरे दिल में खलबली मचने लगी. रोज खिडकी दरवाजे से माँ को हा हा हा ऊँ ऊँ ऊँ करके आवाज करते देखती थी. आज वही सब मेरे साथ होने वाला था. मैं बहुत रोमांचित थी. ताऊ से सलवार खोलने में कामयाबी पाई. मैंने भी दोनों पैर उपर कर दिए.
प्रेम चोपड़ा जैसे दिखने वाले ताऊ जी ने मेरी सलवार निकाल दी. मैंने महरून रंग की सूती हवादार चड्ढी पहन रखी थी. इससे मेरी चूत में अच्छे से हवा आती जाती है. ताऊ जी ने चड्ढी निकाल दी. हाय राम!!…मैंने उनके सामने नंगी हो गयी. ताऊ ने मेरे निम्बू पीने बंद कर दिए और मेरी पतले कमसिन पेट को चूमते हुए मेरी नाभि पर आ गए. अपनी जीभ डालकर मेरी नाभि पीते रही. इससे मुझे बहुत जादा गुदगुदी होने लगी. पर मैंने किसी तरह बर्दास्त नही. ‘नही!….रहने दो ताऊ जी!’’ मैंने हंसते खिलखिलाते हुए कहा. पर वो प्रेम चोपड़ा मेरी नाभी से बड़ी देर तक खेलता रहा.
अंत में ताऊ मेरी रसीली माल से तर चूत पर आ गये.
‘सारा बेटी!!….एक बात कहूँ. तेरी चूत तेरी माँ की चूत से बहुत मिलती है. तो उसकी असली बेटी है!! वो तुलना करने लगे. फिर उन्होंने अपनी जीभ एक बार नीचे से उपर तक सुटक दी और मेरा चूत का सारा माल सुट कर गये. ‘बेटी !! तेरी चूत का स्वाद तो हुबहू तेरी मम्मी जैसा है’’ वो बोले और जोर जोर से सुपड सुपड की आवाज करते हुए मेरी बुर पीने लगे. ताऊ जी की घनी सफ़ेद दाढ़ी में भी मेरा माल लग गया. वो मजे से सुड़क सुड़क के मेरी रसीली चूत पीने लगे. मेरी चूत थी की कोई मीठे पानी का सोता. जितना ताऊ पीते थे उतना पानी निकल आता था. फिर उन्होंने अपना तहमत खोल दिया. वो अंदर कच्छा नही पहने थे. सायद मेरी माँ को रोज चोदते चोदते सोंचने लगे होंगे की कौन रोज रोज कच्छा पहने और उतारे. ताऊ जी मेरे उपर लद गए. उनका वजन ९० किलो या १ कुंतल आराम से होगा.
उन्होंने अपनी मोती तोंद मेरे पतले पेट पर रख दी तो मेरा उनके भारी वजन से दम घुटने लगा. एक बार तो लगा की कहीं चुदवाने से पहले कहीं मैं मर ना जाऊ. ताऊ ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मेरी सील टूट गयी. ताऊ मुझे चोदने लगे. मेरी चूत में बहुत जोर का दर्द होने लगा. मैं किसी मछली की तरह तड़पने लगी. ताऊ हचाहच मुझे चोदने लगे. मेरी पतली की चूत के बीच में उनका बड़ा लम्बा सा खूटे जैसा लौड़ा बड़ा अजीब और अटपटा लग रहा था. जैसे कोई बाप अपनी बेटी को पेल रहा हो. ऐसा ही लग रहा था. पर ताऊ बिलकुल प्रेम चोपड़ा बन चुके थे और जोर जोर से मुझे पेल रहे थे. मेरी छोटी सी प्यारी सी चूत में उनका लंड बड़ा अजीब लग रहा था. वो मुझे पकापक चोदने लगे. मुझे अपनी नाजुक सी चूत में बड़ी मोटी चीज हरकत करती हुई मालूम पड़ी.
पर फिर भी चुदने में पूरा मजा आ रहा था. ताऊ ने मेरे दोनों हाथ कसके पकड़ रखे थे. मैं हाथ छुड़ाना चाहती थी, पर ताऊ के बलिष्ठ हाथ ने मुझे कसके पकड़ रखा था. ताऊ सटासट चोद रहे थे. कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हो गया. ताऊ का लौड़ा आराम से मेरे चिकने भोसड़े में अंदर बाहर जाने लगा. मैं अपनी कमर बड़ी उपर तक उठाने लगी. कुछ देर के लिए मेरी आँखों में अँधेरा छा गया था. मुझे तो लग रहा था की मैं मर चुकी हूँ. पर फिर ताऊ जी जैसे प्रेम चोपड़ा की तस्वीर मेरे सामने थे. मुझे जोर जोर से चोद रहे थे. मेरी चूत में लंड दे रहे थे. उनकी आँखों में मेरी चूत मारने का लालच था. नजरो में वासना थी और मेरी चूत में उनका लंड था. सब कुछ परफेक्ट तरह से काम कर रहा था. ‘हा हा हूँ हूँ हूँ….करके ताऊ हुमक हुमक के धक्के दे रहे थे. फिर वो झड गए.
वो मेरे उपर लेटने वाले थे पर मैंने मना कर दिया. क्यूंकी उनके वजन से मैं मर जाती. ‘’बेटी सारा!!…..तू बड़े कमाल की चीज है. आज तेरा हुनर मैंने देख लिया…तू मस्त माल है!!’ ताऊ अपने टूटे दांतों से मेरी तारीफ करने लगे. एक बार फिर से मेरे निम्बू को हाथ में लेकर दबाने लगे. कुछ देर बाद ताऊ ने मुझे अपने पेट पर बिठा लिया. मुझे उचकाकर मेरी चूत को लंड डाल दिया और मस्ती से मुझे चोदने लगे. मैं नंगी उनके पेट पर बैठी डिस्को डांस करने लगी. ताऊ मेरी नितम्ब दबा दबाके मुझे ठोकने लगे. मेरे कमसिन से ३० साइज़ के छोटे पर ठीक ठाक आकार के दूध मस्ती से थिरक रहे थे. ताऊ मुझे नीचे से चोदने लगे. मेरी पतली कमर किसी नागिन जैसी बल खा रही थी. कमर पर चर्बी का एक भी टुकड़ा नही था. बिलकुल पतली मलाई जैसी कमर थी. ताऊ ने यही पर कमर को दोनों हाथो में पकड़ लिया और मुझे उचका उचकाकर चोदने लगे. मेरे चिकने काले बाल नीचे की ओर झूल रहे थे और बहुत सेक्सी लग रहे थे.
‘ताऊ जी !! जोर से …जोर जोर से मुझे लीजिये जिस तरह रोज रात में मेरी माँ को लेते है!!’ मैं उतेज्जना वश कह दिया ताऊ और ललचा गए और जोर जोर से निचे से मेरी चूत में गहरे और गहरे धक्के देने लगे. मैं निखर के चुदने लगी. ताऊ के खूंटे जैसे मोटे लंड पर मेरा बहन किसी स्टैंड की तरह नाचने लगा. मेरी कमर गोल गोल करके नाचने लगी. ताऊ मेरे चिकने गोल गोल नितम्ब सहला सहलाकर मुझे चोदने लगे. कुछ मेर बाद वो थक गये.
‘बेटी सारा….मैं तो तेरी चूत के आसमान में धक्के दे देकर थक गया हूँ. अब तू धक्के मार!’ ताऊ बोले
ये सुनकर मैं उचक उचक के ताऊ के लंड की सवारी करने लगी. लग रहा था की मैं किसी बड़े समुद्र में किसी छोटी सी नाव पर बैठके चप्पू चला रही हूँ. पर फिर भी मजा मिल रहा था. कुछ देर तक मैं ताऊ के लंड की घुड़सवारी करती रही. फिर ताऊ ने फिर से ताकत बटोर ली और निचे से मुझे जोर जोर से धक्के मारने लगे.फिर उन्होंने अपना गर्म गर्म पानी मेरी बच्ची सी दिखने वाली चूत में छोड़ दिया. मैं ताऊ पर ही गिर पड़ी और जोर जोर से सासें लेने लगी. ‘चुद गयी…चुद गयी …..मेरी मेरी बच्ची!!!’ ताऊ खुस हो गए. फिर वो मेरे उपर और निचे के होठो को चूम चूमकर खेलने लगे.

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‘बेटी सारा आपकी चुदाई की बात अपनी माँ से मत बताना. कोई भी माँ चाहे जितनी बड़ी चुदक्कड़ हो, चाहे जितनी बड़ी छिनाल हो पर अपनी बेटी तो किसी गैर मर्द से नही चुदवाना चाहेगी. मैं तेरा कोई खसम तो हूँ नही. मेरे पास तुझको चोदने का कोई लाइसेंस तो है नही. इसलिए बेटी सारा!! गलती से भी ये बात अपनी माँ को मत बताना!!’ ताऊ जी बोले. मैंने अपनी माँ को ये बात नही बताई. और आज भी दोस्तों मैं ताऊ जी का लंड खाती हूँ. आपको कहानी कैसी लगी, अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दें.