अंकित जानता था कि उसका रिज़ल्ट कैसा आने वाला है Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai डरते डरते उसने इंटरनेट पे अपना रिज़ल्ट देखा अंकित :- ये तो होना ही था…..(रिज़ल्ट देख के उसकी शक्ल और उतर गयी) जब मुसीबत आती है तो हर तरफ से आती है…..यही कंडीशन सेम अंकित की थी….
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अगली सुबह कॉलेज में…..अंकित क्लास की सीट पे बैठा था..हर तरफ रिज़ल्ट की बाते कर रहे थे सारे
बच्चे….तेरा रिज़ल्ट कैसा रहा … मेरी तो इतनी पर्सेंट आई है..मेरी उतनी…(वगेरह वगेरह)
लेकिन अंकित का ध्यान नही था..वो तो अपने एक बुक टेबल पे रख के उसके पन्ने बदल रहा था
तभी क्लास में अंकिता आ गयी…सभी उसे विश करने के लिए खड़े हुए….विश करके बैठ भी
गये लेकिन अंकित भाई साहब को तो पता ही नही चला वो तो वैसे ही अपने में खोए हुए थे..
आज विकी भी नही आया था…इसलिए उसको कुछ पता ही नही चल रहा था..
अंकिता ने क्लास लेनी शुरू की……उसने भी अपनी क्लास पूरी ले ली….पर अंकित के कान आज सच में बंद
थी….
आख़िर में अंकिता ने अटेंडेन्स लेनी शुरू की..जिसमे 4थ नंबर पे अंकित का नाम था…उसने
अंकित का नाम लिया..लेकिन उसे तो पता ही कहाँ था उसने कोई रेस्पॉन्स नही दिया….
अंकिता ने अपनी नज़र अंकित की तरफ करी……अंकित टेबल पे रखी हुई किसी चीज़ को घूर रहा था
अंकिता :- अंकित….(वो दुबारा बोली)
लेकिन अंकित का कोई रेस्पॉन्स नही था..
अंकिता :- अंकित्त्त…….(इस बार थोड़ी ज़ोर से)
तभी आगे बैठे बच्चे ने….उसे हिलाया तो वो होश में आया..और उसने सामने देखा..
अंकित :- सॉरी मॅम…
अंकिता ने उसे अपनी तिरछी नज़रों से देखा….और फिर अपनी अटेडेन्स लेके वो क्लास से निकल गयी..
3 लेक्चर और ऐसे निकल गये….12 बजने वाले थे…तभी अंकित के सेल पे मसेज आया…
अंकित ने मसेज देखा तो वो मेसेज अंकिता का था..
मीट मी अट 12 नियर रिसेप्षन..अंकिता का मेसेज
अंकित कुछ सोच में डूब गया….लेकिन फिर उसने अपना बॅग उठाया और फिर वहीं रिसेप्षन के पास
सीढ़ी बननी हुई थी वहाँ बैठ गया..धूप में ही…(गर्मियो के दिन थे 10 मिनट में अंकित
पसीना पसीना हो गया)
यहाँ बैठने की क्या ज़रूरत थी…शेड में खड़े रहते…(तभी अंकित के कानो में अंकिता की
आवाज़ पड़ी)
अंकित पीछे मुड़ा और खड़ा हो गया..
अंकिता :- अपनी हालत देखो पसीने से भीगे हुए हो..पागल हो तुम इतनी गर्मी में बैठे हो..
अंकित :- सॉरी मॅम…
वहाँ खड़े होके अंकिता कुछ और नही बोलना चाहती थी..इसलिए उसने उसको साथ चलने को कहा..
अंकित उसके पीछे पीछे चलने लगा….(कहाँ तो ये बंदा आगे चल रही इतनी हॉट सेक्सी लड़की की गान्ड
और ना जाने क्या क्या घूरते हुए चलता था लेकिन आज मूह नीचे करते हुए चल रहा था)
कॉलेज से बाहर निकल गये दोनो..थोड़ी दूर चलने पर अंकिता रुकी..तो अंकित भी रुक गया..
अंकिता :- बैठो
अंकित उसकी तरफ देखने लगा..
अंकिता :- कार में बैठो….तुमसे कुछ बात करनी है….
अंकित बिना बोले कार में बैठ जाता है….और अंकिता कार दौड़ा देती है…पूरे रास्ते अंकित बस
मिरर से बाहर देखता रहता है…बीच बीच में अंकिता उसकी तरफ देखती है…और उसके उस एक्शप्रेशन
को नोट करती है..लेकिन कुछ नही बोलती….दोनो में से कोई कुछ नही बोलता..और कोई बाते नही होती
20 मिनट में की ड्राइविंग के बाद…अंकिता काफ़ी बड़ी सोसाइटी में एंटर करती है और अंदर फिर
कार पार्क कर देती है…
दोनो कार से उतर जाते हैं..
अंकित :- हम कहाँ आए हैं?
अंकिता :- मेरे घर
अंकित :- आपके घर पर क्यो
अंकिता :- (बीच में रोकते हुए) कुछ ज़रूरी बात करनी है तुमसे इसलिए..चलो बताती हूँ..
अंकित कुछ नही बोलता..और पीछे पीछे चल पड़ता है…करीब 20 मिनट बाद
दोनो एक दूसरे के आमने सामने बैठे थी…अंकित ने अपना सर झुका रखा था..
अंकिता :- पूरा सेमेस्टर बॅक…मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी…अंकित तुम्हे हुआ क्या है…पिछले 3
महीनो से मैं नोटीस कर रही हूँ कि कुछ है..लेकिन तुमने कभी कुछ शेअर नही किया मुझे लगा
सब ठीक हो जाएगा..लेकिन कल तुम्हारा रिज़ल्ट देखने के बाद तो मुझसे रहा नही गया….
क्यूँ कि में नही चाहती कि एक गुड स्टूडेंट जो पढ़ाई में होशियार है उसकी ये हालत होगी…सेमेस्टर
बॅक..माइ गॉड..मुझे तो बिल्कुल उम्मीद नही थी इसकी….क्या बात है बोलो?
अंकित :- कुछ नही है मॅम..
अंकिता :- नही बताओगे तुम मुझे…तुम्हारे पेरेंट्स को फोन करके तुम्हारा रिज़ल्ट बताऊगी तब
पता चलेगा..क्यूँ कि जानती हूँ तुमने घर पे तो बताया ही नही होगा..
अंकित :- नो मॅम प्लीज़…घर पे फोन मत करिएगा…प्लीज़
अंकिता :- तो फिर बताओ बेटा बात क्या है…क्यूँ ऐसा रिज़ल्ट आया है तुम्हारा?
अंकित :- क्या बताऊ मॅम…जब किसी का दिल बिखर जाता है तो क्या पढ़ाई में मन लगेगा…
अंकिता :- किसी लड़की ने डिच किया?
अंकित :- हहा..डिच .. मेने खुद को डिच कर दिया है मॅम….मेने किसी का दिल दुखा दिया वो
भी बहुत बुरी तारह से…नही चाहता था में कि मेरी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ हो लेकिन पता नही
कैसे हो गया…उसने मुझे माफ़ भी नही किया…
अंकिता :- पूरी बात बताओ तो पता चलेगा ना….
अंकित :- अगर मेने आपको पूरी बात बता दी तो आप मुझसे नफ़रत करेंगी…शक्ल देखना भी पसंद
नही करेगी..
अंकिता :- ह्म्म्म देखो इंसान से ग़लतियाँ हो जाती है…और कई बार कुछ ऐसा कर देते हैं जिसका
अंदाज़ा हमे उस चीज़ को खोने के बाद ही पता चलता है..लेकिन तुम बेफिकर रहो में तुम्हारे
साथ वैसी ही रहूंगी जैसा पहली थी….
जब तक तुम अपनी दिल की बात नही बताओगे तब तक तुम ऐसे ही रहोगे..बताओ..
फिर अंकित के लंबी साँस लेता है….और फिर सारी बात बताना शुरू कर देता है……
अंकित :- मेने माफी माँगी अपनी ग़लती की आख़िर लेकिन शायद वो ग़लती नही थी मेने एक गुनाह कर दिया..
इसलिए मुझे कभी उसकी माफी नही मिलेगी..
अंकिता पूरी बात सुनती है…अंकित उसके फेस के रियेक्शन देखने लगता है…लेकिन
अंकिता :- कोल्ड कोफ़ी पियोगे…अभी लाती हूँ…
अंकित को बड़ा अजीब लगता है…ऐसे प्लैन रियेक्शन से अंकिता के…..
10 मिनट बाद..दोनो के हाथ में कॉफी का ग्लास होता है..
अंकिता :- सारी बाते बता के तुम्हे कैसा फील हो रहा है..
अंकित :- आपको भी यही लगता है ना कि में कितना घटिया लड़का हूँ?
अंकिता :- नही बिल्कुल नही…पता है क्यूँ….अगर तुम घटिया इंसान होते तो तुम अपनी ग़लती रियलाइज़ करके
सॉरी नही बोलते…माना की तुमने जो बोला और किया वो बहुत ही ग़लत था..रियली बहुत ग़लत…पर तुम
घटिया नही हो…क्यूँ कि घटिया वो होता है जो ग़लती कर के भी ना सीखे..लेकिन तुम पिछले 3 महीने से
अपने आप को कोस रहे हो…ये सिर्फ़ एक अच्छे दिल वाला इंसान कर सकता है को बेकार लड़का नही कर सकता…
अंकिता की बाते सुन के अंकित की आँखें नम हो जाती है…और उसके आँख से आँसू निकल आता है…
अंकिता उसकी बगल में बैठते हुए..उसके हाथ को पकड़ते हुए..
अंकिता :- देखो अंकित भले ही हम कॉलेज में टीचर स्टूडेंट हो..लेकिन बाहर हम एक फ़्रेंड
ही हैं…में बस इतना ही कहना कहती हूँ तुम से…फर्गेट एवेरितिंग…फर्गेट इट…तुम उस बात
को लेकर अपनी लाइफ स्पायिल नही कर सकते….समझ रहे हो ना क्या कह रही हूँ..
अंकित अपनी गर्दन हाँ में हिलाता है..
अंकित :- थॅंक यू सो मच मॅम..आपसे बात करके सच में बहुत अच्छा लग रहा है..एक दिल पे जो
बोझ था वो काफ़ी हद तक कम हो गया..
अंकिता :- ह्म्म गुड…अब से तुम्हारी स्टडीस की ज़िमेदारी मेरी..घर दिखा दिया है तुम्हे यहाँ आके
एक्सट्रा क्लासस लूँगी तुम्हारी…समझी..
अंकित (हल्का सा मुस्कुराते हुए) ह्म्म….
शाम के 5 बजे
अंकित अपने घर की तरफ बढ़ रहा था…वो आज कुछ थोड़ा सा खुश था..अंकिता से बात करके उसका
मन काफ़ी हल्का महसूस हो रहा था…तभी फोन बजा
अंकित :- हेलो…नही…लेकिन….पर..में….नही नही…ओके…ओके..
(फोन कट)
और उसके चेहरे पे गंभीर भाव बन जाते हैं ……
अंकित दिल में घ्हबराहट लिए चल रहा था और आख़िर में एक जगह जाके रुका…और अपने काँपते
हाथ आगे बढ़ा के बेल वाले बटन पे रखा …. लेकिन दबाने में डर रहा था..कुछ सेकेंड
तक वो ऐसी ही खड़ा रहा .. हिम्मत जुटाता रहा था….आख़िर में उसने वो धीरे धीरे उस खाटके
को नीचे किया…
टिनग्ज्ग ट्टोंगगगग…….दबाते ही घंटी बज गयी..अंकित ने वहाँ से हाथ हटा लिया..
और खड़ा होके इंतजार करने लगा…उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था….
तभी गेट खुला….और सामने खड़े इंसान को देख के उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी..
अंदर आओ…..हल्की सी आवाज़ में रितिका बोली और अंदर चली गयी..लेकिन अंकित बाहर खड़ा यही सोचता
रहा की आख़िर ये हुआ क्या रितिका को…..
कैसे हुआ ये सब….उसका चेहरा बिल्कुल बदल गया था…आँखों के नीचे काले धब्बे यानी डार्क
सिकलेस पड़े हुए थे…चेहरा बिल्कुल सूख गया था..एक दम कमजोर सी हो गयी थी….चेहरे पे जो
ग्लो था वो सब ख़तम हो चुका था…
क्या ये सब मेरी वजह से हुआ है….अंकित ने मन में सोचा..और आख़िर वो अंदर घुसा….सामने
रितिका खड़ी थी हॉल में शायद उसी के आने का इंतजार कर रही थी..
अंकित :- आर्नव कहाँ है? (घुसते अंकित ने ये पूछ लिया)
रितिका बिना बोले अपने कमरे में घुस जाने लगी…अंकित ने शायद ये समझा कि वो अंकित को वहाँ
उसके साथ आने को बोल रही है..तो वो उसके पीछे पीछे अंदर घुस गया…अंदर कमरे में घुसा
तब सामने रितिका खड़ी थी..
अंकित :- आर्नव कहाँ है रितिका जी?
रितिका :-(उसकी पीठ थी अंकित के सामने) आर्नव घर पे नही है….
घर पे नही है..अंकित बड़बड़ाया….
अंकित :- लेकिन आपने तो इसलिए बुलाया कि आर्नव ने ज़िद्द करी है इसलिए आ जाओ..
रितिका :- वो सिर्फ़ एक बहाना था….
अंकित :- बहाना था….लेकिन क्यूँ??
रितिका :- क्यूँ…ये तुम पूछ रहे हो क्यूँ…..तुम अच्छी तारह से जानते हो..
भूल गये वो दिन जब तुमने मुझे वो सब वर्ड्स कहे थे…याद है ना तुम्हे….
तुम यही सोच रहे हो ना मेरी ये हालत कैसी….तो सुनो ये हालत उस दिन के बाद से ऐसी हुई है…
रात रात भर मेने जाग के काटी हैं….3 महीने हो गये लेकिन ढंग से सोई नही हूँ में…
नींद की गोलियों के सहारे सोना पड़ रहा है….मेरी हेल्त खराब हो गयी है…इंजेक्षन्स लेने
पड़ते हैं मुझे..लेकिन उससे सिर्फ़ ये शरीर सही है…आत्मा नही….
हर रोज़ जब भी अपनी आँखें बंद करती हूँ…जो तुम्हारे वो वर्ड्स कान में घूमते हैं….
मेरे बेटे की ज़िंदगी की कीमत हूँ..मैं…तुम मुझे पाना चाहते हो…ये है तुम्हारी कीमत मेरे
बेटे की ज़िंदगी बचाने की……मेरा शरीर….बॅस यही दिमाग़ में घूमता रहता है…
उसके बाद तुम्हारी माँगी गयी वो माफी…..मुझे समझ ही नही आ रहा कि में कौन सी बात पे विश्वास
करूँ….तुम्हारी अच्छाई पे या तुम्हारे उस घटिया पन पे….तुम्हारे लिए वो कहे हुए शब्द बड़े ही
आसान थे…तुम तो बोल गये..लेकिन तुमने मेरी ज़िंदगी बदल के रख दी….
हर वक़्त अंदर की आत्मा से यही आवाज़ आती कि रितिका तूने अपने बेटे की ज़िंदगी का वादा किया था वो
भी पूरा नही कर पाई….उस दिन से बस यही बात घूमती आ रही है..कि मेरा दिया हुआ वादा एक एहसान
जो तुमने मुझ पर किया था उसको नही पूरा कर पाई…लेकिन पूरा करती भी तो कैसे..तुमने माँगा
ही कुछ ऐसा था कि दिल राज़ी होने को तैयार नही था..लेकिन फिर कल…कल के सपने के बाद मुझे अपने
दिल को मारना पड़ा…..कल के सपने में मेने देखा कि मेने खो दिया अपने आर्नव को वो भी सिर्फ़
इसलिए कि मेने उस इंसान को उसका हक नही दिया जिसने मेरे बेटे की ज़िंदगी बचाई थी…..
अंकित को उसके कानो पे विश्वास नही हो रहा था उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि उसकी एक
ग़लती ने क्या कुछ कर दिया….फिर उसने हिम्मत जुटा के बोला..
अंकित :- मुझे अपनी ग़लती उसी दिन रियलाइज़ हो गयी थी..मेने उस दिन भी आपसे माफी माँगी थी और आज
भी माँगता हूँ…आपको जो सज़ा देनी है दे दीजिए..में तैयार हूँ..
रितिका :- अब सज़ा देने का वक़्त नही है..
अंकित :- लेकिन में नही चाहता कि मेरी वजह से आपको अब कोई भी तकलीफ़ हो…
रितिका कुछ नही बोलती…..वो अपने हाथ पीछे लेकर आने लगती है…
रितिका ने एक वाइट कलर का कुर्ता सा पहना हुआ था…..अपने हाथ को पीछे ले जाते हुई उस कुर्ते में
ज़िप थी…उसे खोलने लगती है..और खोलती हुई पूरी ज़िप खोल देती है…
अंकित रितिका को ऐसे ज़िप खोलता देख .. पूरी तरह से हिल जाता है..उसे समझ नही आ रहा था कि रितिका
क्या कर रही है..उसके मूह से कुछ निकलता उससे पहले..
रितिका ने अपने हाथ से पीछे से अपने शोल्डर के उपर से टॉप को नीचे गिरा दिया…और सेम
उसने दूसरे शोल्डर के उपर से किया…अब पीछे से उसकी उपर की वो सुंदर कोमल सफेद पीठ अंकित
की आँखों के सामने आ गयी……अंकित का तो ये देख के बुरा हाल ही हो गया…
फिर रितिका अचनाक मूड गयी और अंकित की तरफ फेस करके खड़ी हो गयी….और अपना हाथ कुर्ते में से
खीच के बाहर करने लगी..और दोनो हाथ बाहर कर लिए…अब वो बूब्स के उपर से पूरी न्यूड हो गयी
थी…उसके उपरी भाग के चुचें बाहर से दिख रहे थे..बाकी पे उसका कुर्ता था..
अंकित के सामने ये नज़ारा आते ही उसने अपनी नज़रे नीचे कर ली…..
अंकित :- ये क…या….कर…रही है..आप…
रितिका :- वही तो तुम चाहते हो..
अंकित :- प्लीज़ मत कीजेए…में अब कुछ नही चाहता..
रितिका :- अगर तुम्हे लगता है कि में ज़िंदा रहूं तो अपनी कीमत तुम ले लो..
अंकित ये सुन के सामने नज़रें करता है उसे बहुत बुरा लग रहा था…..लेकिन अब वो मजबूर था क्यूँ कि
वो अपनी वजह से रितिका को ऐसी हालत में नही देख सकता था…
और फिर रितिका ने अंकित को घूरते हुए..अपने कुर्ते को आगे से नीचे कर दिया….और नीचे करते
ही…उसके वो ठोस…36 साइज़ के बड़े बड़े चुचें जिनपे लाइट ब्राउन कलर के निपल्स थे
वो सामने आ गये…..
अंकित की आँखें फटी की फटी रह गया…ना चाहते हुए भी उसका लंड जीन्स के अंदर से कूदने लगा…
रितिका ने वो कुर्ता पैर के थ्रू निकाल के अपने से अलग कर दिया और फैंक दिया अब वो उपर से
बिल्कुल नंगी हो चुकी थी…फिर उसने नीचे पहना हुआ पाजामा ढीला किया और अपनी उंगलियाँ
फँसा कर उसे ढीला कर दिया और वो भी सीधा पैरों पे जा गिरा उसने वो भी पैर पे से निकाल के
साइड कर दिया…..
पाजामा उतरा उधर अंकित का लंड आसमान छूने लगा…अच्छाई के आगे एक बार फिर वासना ने अपना
रूप ले लिया….रितिका ने पैंटी नही पहनी हुई थी…वो इस वक़्त पूरी नंगी खड़ी थी…एक दम गोरी चिटी..
सपाट पेट और सेक्सी हॉट लेग्स वित थाइस…और बीच में वो कोरी…चिकनी चूत…बिना बाल के…
अंकित की आँखों में अब वासना झलकने लगी…कॉसिश करने के बाद भी वो वासना नही उतर सकती थी..
रितिका चलते हुए अंकित के पास आई…
रितिका :- यही चाहिए ना..एक शरीर…शरीर तो तुम्हे मिल जाएगा…लेकिन तुम ऐसे कभी किसी की आत्मा
को छू नही पाओगे…
(बोलते हुए अंकित की जीन्स खोल देती है….उसकी टीशर्ट उतार के फैंक देती है….उपर से अंकित भी नंगा
हो जाता है..जीन्स का बटन तो खुल गया था उसे उसने नीचे खिसका दिया…..कच्छे में अंकित का
लंड सॉफ दिखाई दे रहा था…..रितिका ने अपनी नज़रे दूसरी तरफ करी..और उसके कच्छे को खिसका दिया..
अब अंकित पूरा नंगा खड़ा था रितिका के सामने…इनफॅक्ट दोनो नंगे हो चुके थे और एक दूसरे
के सामने खड़े थे…
अंकित को समझ नही आ रहा था कि कैसे रिएक्ट करे..एक तरफ तो उसका दिल बोल रहा था कि ये सब ग़लत है.
लेकिन वासना ने उसे ऐसा बोलने नही दिया….
रितिका ने अंकित का हाथ पकड़ा और पलंग तक लेके आई…और खुद जाके उस बड़े से बेड पे
लेट गयी पीठ के बल..अपना शरीर पूरा खोल कर……
रितिका :- आज के लिए ये तुम्हारा है…..
अंकित ने रितिका की शायद बात सुनी नही..वो तो रितिका के पूरे शरीर को नीची से उपर तक
देखने लगा … पैरों से लेके उसके चुचों तक उसकी नज़र चिपकी रही…..उसका लंड फडफडाने
लगा और हिलता हुआ सॉफ दिखाई दे रहा था….
कुछ सेकेंड तक वो ऐसे खड़ा रहा…फिर वो बेड पे चढ़ता हुआ रितिका की बगल में आके लेट
गया….और रितिका को घूर्ने लगा…कुछ मिनट तक ऐसे ही घूरता रहा….
रितिका उसकी तरफ ना देखते हुए बोली….
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रितिका :- टाइम ज़्यादा नही है..आर्नव घर आ गया तो फिर……(बस वो बोलती हुई चुप हो गयी)
फिर अंकित सीधा खड़ा हुआ और रितिका के उपर आ गया…..अभी उसने अपना शरीर रितिका के शरीर
से टच नही किया था..बस दोनो तरफ उसके अपने घुटने और हाथ की कोहनी रख के उसके उपर आ
गया था…..