ममेरे भाई की ममेरी बहन –2

Category: पहली बार चुदाई,

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अभी आधा ही मिनट हुआ तो की डॉली बोल पड़ी… जय क्यों निकाल लिया Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai डाल दो ना अन्दर… मिटा दो प्यास मेरी चूत की!मैंने दरी चारपाई से उठा कर जमीन पर बिछाई और डॉली को लेटा कर उसकी टाँगें अपने कन्धों पर रखी और लंड डॉली की चूत पर लगा कर एक ही धक्के में पूरा लंड चूत में उतार दिया।

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मैं डॉली को हुमच हुमच कर चोद रहा था और डॉली भी गांड उठा उठा कर मेरा लंड को अपनी चूत के अन्दर तक महसूस कर रही थी।

अगले पांच मिनट जबरदस्त चुदाई हुई और फिर डॉली की चूत और मेरे लंड के कामरस का मिलन हो गया।

डॉली की चूत तीसरी बार जबरदस्त ढंग से झड़ने लगी और मेरे लंड ने भी अपना सारा वीर्य डॉली की चूत की गहराईयों में भर दिया।

चुदाई के बाद हम पांच दस मिनट ऐसे ही लेटे रहे।

फिर मैंने उठ कर घडी देखी तो चार बजने वाले थे। चार बजे बहुत से लोग मोर्निंग वाक के लिए निकल पड़ते है।

मेरा मन तो नहीं भरा था पर डॉली की आँखों में संतुष्टि के भाव साफ़ नजर आ रहे थे।

मैंने उसको कपड़े पहनने को कहा तो नंगी ही आकर मुझ से लिपट गई और मुझे थैंक्स बोला।

कपड़े देखने के लिए मैंने मोबाइल की लाइट घुमाई तो दरी पर लगे खून के बड़े से धब्बे को देख कर मैं हैरान रह गया पर मैंने डॉली से कुछ नहीं कहा।

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मैंने कपड़े पहने और डॉली ने जैसे कैसे उल्टी सीधी साड़ी लपेटी और हम चलने लगे पर डॉली की चूत सूज गई थी और दर्द भी कर रही थी तो उससे चला नहीं जा रहा था, मैंने डॉली को अपनी गोद में उठाया और उसको लेकर गाड़ी में आया।

तब तक गहरा अँधेरा छाया हुआ था, मैंने गाड़ी शहर की तरफ घुमा दी।

पर अब डर सताने लगा कि अगर कोई उठा हुआ मिल गया तो क्या जवाब देंगे या हमारी गैर मौजूदगी में अगर किसी ने मुझे या डॉली को तलाश किया होगा तो क्या होगा।

पर फिर सोचा कि जो होगा देखा जाएगा।

मैंने गाड़ी मामा के घर से थोड़ी दूरी पर खड़ी की और फिर अँधेरे में ही चुपचाप मामा के घर पहुँच गए।

पहले मैंने डॉली को मामा के घर के अन्दर भेजा और फिर खुद छोटे मामा के घर जाकर सो गया।

बारात रात को जानी थी तो मैं ग्यारह बजे तक सोता रहा।

मेरी नींद तब खुली कब डॉली मुझे उठाने आई।

घर पर कोई रीत हो रही थी तो सब लोग वहाँ गये हुए थे, घर पर एक दो बच्चो के अलावा कोई नहीं था।

डॉली ने पहले तो मुझे हिला कर उठाया और जैसे ही मैंने आँखें खोली तो डॉली ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए।

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मैंने भी डॉली को बाहों में भर लिया और थोड़ी देर तक उसके खूबसूरत होंठों का रसपान करता रहा।

तभी बाहर कुछ हलचल हुई तो डॉली जल्दी से मुझ से अलग हो गई।

किसी बच्चे ने दरवाजा खोला था।

तब तक मेरी आँखें भी खुल चुकी तो देखा एक लाल और पीले रंग की खूबसूरत साड़ी में लिपटी हुई खडी थी वो अप्सरा। उसको देखते ही मेरा लंड हरकत में आया जिसे डॉली ने भी देख लिया।

उसने प्यार से मेरे लंड पर एक चपत लगाई और बोली- बड़ा शैतान है ये!

मैंने डॉली को पकड़ना चाहा पर डॉली हंसती हुई वहाँ से चली गई।

मैं उठा और नहा धो कर तैयार हो गया।

बारात जाने में अभी तीन चार घंटे बाकी थे, मैंने डॉली को चलने के लिए पूछा तो बोली- नहीं जय… रात तुमने इतनी बेरहमी से किया है कि अभी तक दुःख रही है मेरी तो..

पर मेरे बार बार कहने पर वो मान गई।

रात के अँधेरे में मैं डॉली के हुस्न का सही से दीदार नहीं कर पाया था तो अब मैं दिन के उजाले में इस अप्सरा के जीवंत दर्शन करना चाहता था।

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मैंने उसको गाड़ी की तरफ जाने के लिए कहा और उसको समझा दिया कि कोई पूछे तो बोल देना कि मार्किट से कुछ सामान लाना है, बस वही लेने जा रहे हैं।

पर किस्मत की ही बात थी किसी ने भी हमसे कुछ नहीं पूछा और हम दोनों गाड़ी में बैठकर वहाँ से चल दिए।

अब समस्या यह थी कि जाएँ कहाँ?

होटल सेफ नहीं थे।

मामा के लड़के ने एक दिन पहले ही बताया था कि वहाँ के कई होटलों में पुलिस की रेड पड़ी है।

अब क्या किया जाए?

इसी उधेड़बुन में था कि तभी याद आया कि मेरे कॉलेज के एक दोस्त का घर है यहाँ।

मैंने उसको फ़ोन मिलाया तो वो बोला कि वो किसी शादी में जाने के लिए तैयार हो रहा है।

मैंने उसके परिवार के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो पहले ही शादी में जा चुके हैं।

तो मैंने उसको थोड़ी देर मेरा इंतज़ार करने को कहा और फिर मैं सीधा उसके घर पहुँच गया।

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डॉली अभी गाड़ी में ही बैठी थी।

मैं उसके घर के अन्दर गया और उसको अपनी समस्या बताई।

मादरचोद पहले तो बोला- मुझे भी दिलवाए तो कुछ सोचा जा सकता है पर जब मैंने उसको बताया कि पर्सनल है तो उसने शाम पांच बजे तक के लिए मुझे अपने घर में रहने के लिए हाँ कर दी।

मैंने डॉली को भी अन्दर बुला लिया।

डॉली को देखते ही साले की लार टपक पड़ी पर जब मैंने आँखें दिखाई तो वो हँसता हुआ बाहर चला गया।

उसने बताया कि वो बाहर से ताला लगा कर जाएगा और जब हमें जाना हो तो एक दूसरा दरवाजा जो अन्दर से बंद था उसको खोल कर बाहर चले जाए और दरवाजा बाहर से बंद कर दे।

हमने उसको थैंक्स बोला और उसको बाहर का रास्ता दिखा दिया।

उसके जाते ही हमने दरवाजा अन्दर से भी बंद कर लिया।

डॉली डर के मारे मेरे साथ साथ ही घूम रही थी, उसके लिए ये सब कुछ नया था जबकि मेरा तो आपको पता ही है कि मैं तो शुरू से ही इस मामले में कमीना हूँ।

दरवाजा बंद करते ही मैंने डॉली को अपनी गोद में उठाया और उसको लेकर मेरे दोस्त के बेडरूम में ले गया।

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दिन के उजाले में डॉली एकदम सेक्स की देवी लग रही थी।

बेडरूम में जाते ही मैंने डॉली को बाहों में भर लिया और हम एक दूसरे को चूमने लगे। हम दोनों ही ज्यादा समय ख़राब नहीं करना चाहते थे तो अगले कुछ ही पलों में हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़ों का बोझ हल्का कर दिया।

डॉली को पेशाब का जोर हो रहा था तो वो बाथरूम में चली गई और मैं बिल्कुल नंग धड़ंग बेड पर लेट गया।

कुछ देर बाद डॉली बाथरूम से वापिस से आई तो उसका नंगा बदन देख कर मेरी आँखें उसके बदन से ही चिपक गई।

खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, छाती पर दो मस्त तने हुए अमृत के प्याले, पतली कमर, मस्त गोरी गोरी जांघें, मस्त लचीले चूतड़।

लंड ने भी खुश होकर उसको सलामी दी, वो भी यह सोच कर खुश था कि कल रात इसी अप्सरा की चुदाई का सुख मिला था उसे।

मैं बेड से खड़ा हुआ और मैंने डॉली के नंगे बदन को अपनी बाहों में भर लिया।

मैंने उसकी गर्दन होंठ गाल कान को चूमना शुरू किया तो डॉली तड़प उठी, उसका बदन भी वासना की आग में दहकने लगा, उसकी आँखें बंद हो गई और वो भी मेरे बदन से लिपटती चली गई।

मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर लंड पर रखा तो उसने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी।

डॉली की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी।

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मैं थोड़ा झुका और मैंने उसके एक अमृत कलश को अपने हाथ में पकड़ लिया और दूसरे को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा।

कुछ देर बाद मैंने डॉली को बेड पर लेटाया और 69 की अवस्था में आते हुए अपना लंड डॉली के होंठों से लगा दिया और खुद झुक कर डॉली की पाव रोटी की तरह फूली हुई चूत को अपने मुँह में भर लिया।

डॉली की चूत पर रात की चुदाई की सूजन अभी तक थी, चूत की दीवारें लाल हो रही थी।

मैंने उसकी चूत को ऊँगली से थोड़ा खुला किया और जीभ उसकी चूत में डाल डाल कर उसकी चूत का रसपान करने लगा।

डॉली की चूत से कामरस बहने लगा था।

रात को जो किया था वो सब अँधेरे में ही था इसीलिए अब दिन के उजाले में ये सब करते हुए बहुत मज़ा आ रहा था।

डॉली भी अब मेरा लंड जितना मुँह में आराम से ले सकती थी ले ले कर चूस रही थी।

वैसे सच कहूँ तो वो लंड चूसने में थोड़ी अनाड़ी थी और फिर वो कौन सा खेली खाई थी, जितना कर रही थी मुझे उसमें ही बहुत मज़ा आ रहा था।

लंड अब फ़ूल कर अपनी असली औकात में आ चुका था, डॉली भी अब लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़पने लगी थी, वो बार बार यही कह रही थी- जय… डाल दो यार अब… मत तड़पाओ और फिर अपने पास समय भी तो कम है… जल्दी करो… चोद दो मुझे.. अब नहीं रहा जाता मेरी जान!

मेरा लंड तो पहले से ही तैयार था, मैंने डॉली को बेड के किनारे पर लेटाया और उसकी टांगों को अपने कंधों पर रखा।

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खुद बेड से नीचे खड़े होकर अपना लंड डॉली की रस टपकाती चूत के मुहाने पर रख दिया। लंड का चूत पर एहसास मिलते ही डॉली गांड उठा कर लंड को अन्दर लेने के लिए तड़पने लगी पर मैं लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के दाने पर रगड़ता रहा।

मैं डॉली को थोड़ा तड़पाना चाहता था।

‘यार अब डाल भी दो क्यों तड़पा रहे हो…’ डॉली को मिन्नत करते देख मैंने लंड को चूत पर सेट किया और एक ही धक्के में आधे से ज्यादा लंड डॉली की चूत में उतार दिया।

डॉली बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी चीख कमरे में गूंज गई, वो तो मैंने झट से अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए नहीं तो पूरी कॉलोनी को उसकी चुदाई की खबर हो जाती।

डॉली मेरी छाती पर मुक्के मारती हुई बोली– तुम बहुत जालिम हो… बहुत दर्द देते हो… मुझे नहीं चुदवाना तुमसे… बहुत गंदे हो तुम.. आराम से नहीं कर सकते.. या मेरी चूत का भोसड़ा बनाकर ही मज़ा आएगा तुम्हें!

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मेरी हँसी छुट गई। पर फिर मैंने प्यार से पूरा लंड डॉली की चूत में उतार दिया।

और फिर जो चुदाई हुई कि दोस्त का पूरा बेड चरमरा गया। पंद्रह बीस मिनट तक दोनों एक दूसरे को पछाड़ने की कोशिश करते रहे। कभी डॉली नीचे मैं ऊपर तो कभी मैं नीचे तो डॉली ऊपर।

डॉली तीन बार झड़ चुकी थी और फिर मेरे लंड ने भी डॉली की चूत की प्यास बुझा दी।

हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर कुछ देर लेटे रहे पर अभी बहुत समय बाकी था तो मैं डॉली से बात करने लगा।

तब डॉली ने बताया कि वो मुझ से शादी करना चाहती थी पर उसके पापा को सरकारी नौकरी वाला ही दामाद चाहिए था बस इसीलिए उन्होंने मना कर दिया।

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फिर जयवीर से उसकी शादी हुई पर वो उसको बिल्कुल भी पसंद नहीं है।

मौका देख मैंने भी पूछ लिया कि जयवीर उसके साथ सेक्स नहीं करता है क्या?

डॉली चौंक गई और बोली- यह तुम कैसे कह सकते हो?

मैंने रात को खून वाली बात बताई तो वो लगभग रो पड़ी और बोली- शादी के इतने दिन बाद तक भी मैं कुंवारी ही थी। जयवीर की मर्दाना ताक़त बहुत कम है, वो आज तक मेरी चूत में लंड नहीं डाल पाया है, जब भी कोशिश करता है उसका पानी छुट जाता है और फिर ठन्डे लंड से तो चूत नहीं चोदी जाती। दवाई वगैरा ले रहा है पर अभी तक कोई बात नहीं बनी है।

कहने का मतलब यह कि डॉली की चूत की सील मेरे लंड से ही टूटी थी।

डॉली मुझ से चुद कर बहुत खुश थी।

बातें करते करते ही हम दोनों एक बार फिर चुदाई के लिए तैयार हो गए और फिर एक बार और बेड पर भूचाल आ गया।

तभी मेरे फ़ोन पर मेरे मामा के लड़के का फ़ोन आया, मैंने उसको कुछ बहाना बनाया और कुछ देर में आने की बात कही।

बस फिर हम दोनों तैयार होकर फिर से वापिस घर पहुँच गए।

फिर रात को बारात चली और फिर वही नाच गाना मौज मस्ती।

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अब तो खुलेआम डॉली मुझ से चिपक रही थी और उसका पति जयवीर चूतिया सी शक्ल बना कर सब देख रहा था।

रात को जब फेरे होने लगे तो मैंने एक बार फिर डॉली को गाड़ी में बैठाया और एक सुनसान जगह पर ले जा कर एक बार फिर बिना कपड़े उतारे, एक स्पीड वाली चुदाई की, बस गाड़ी के बोनट पर हाथ रखवा कर उसे झुकाया, साड़ी ऊपर की और पेंटी नीचे की और घुसा दिया लंड फुद्दी में।

अगले दिन मैंने उसको एक जान पहचान के डॉक्टर से मर्दाना ताकत की दवाई लाकर दी और फिर उसी शाम वो अपने पति के साथ चली गई।

कुछ दिन बाद उसने बताया कि मेरी दी हुई दवाई काम कर गई है, उसका पति अब उसको चोदने लगा है पर उसका लंड मेरे जैसा मोटा तगड़ा नहीं है तो उसे मेरे लंड की बहुत याद आती है।

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वो मुझसे चुदवाने को तड़पती रहती है पर समय ने दुबारा कभी मौका ही नहीं दिया उसकी चुदाई का।

वो आज दो बच्चों की माँ है पर आज भी जब उसका फ़ोन आता है तो वो उस शादी को याद किये बिना नहीं रहती।

समाप्त