अंकल बोलू या बाप

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हेलो दोस्तों में जैन अजय एक बार फिर से एक बहुत ही मजेदार और वासना से भरपूर कहानी लेकर आया हूं. तो दोस्तों अपना लंड हाथ में पकड़कर और मेरी बहनों अपनी चूत में उंगली डालकर पढ़िए, यह मेरी सेक्स कहानी.

मेरी फैमिली में

मेरे पापा – गोपाल दुबे उम्र 52 साल.

मेरी मम्मी – सविता गोपाल दुबे उम्र 48 साल.

मेरे भैया – रमेश दुबे उम्र 28 साल.

मेरी भाभी – पूजा रमेश दुबे.

मेरी दीदी – स्नेहा उम्र 25 साल.

मैं – सुदीप दुबे उम्र 22 साल.

हम सब दिल्ली में रहते हैं, हम यहां टू बीएचके फ्लैट में रहते हैं, पापा का हार्डवेयर का बिजनेस है भैया और भाभी मुंबई में हैं क्योंकि भैया की जॉब मुंबई में लगी थी. दीदी भी अपने ससुराल चली गई है.

घर में सिर्फ मैं मम्मी और पापा ही है. मैं अभी अपनी बारहवीं कंप्लीट कर चुका हूं और अब इंजीनियरिंग में एडमिशन करना है. मेरी मम्मी बहुत ही सीधी सादी औरत है. बस घर का ही काम करती है और पूजा पाठ तो इतनी कि पूछो ही मत.. मेरी मम्मी बहुत ही भोली भाली है.

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मम्मी का रंग गोरा है और मम्मी सिर्फ साड़ी ही पहनती है और माथे पर बिंदी और दूसरी तरफ मेरे पापा जो गंजे है और पापा की हाइट भी कम है, पापा थोड़े काले भी हैं.. माफ कीजिए, मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए लेकिन सिर्फ आप लोगों के इंफॉर्मेशन के लिए बता रहा हूं.

बात सात आठ महीने पहले की है, हमारे बाजू वाले फ्लैट में जो हमारे पड़ोसी रहते थे उन्होंने अपना फ्लैट किसी और को बेच दिया था. हमें कुछ पता नहीं था कि खरीदने वाला कौन है क्या है?

थोड़े दिन बाद रात में जब हम खाना खा रहे थे तब पापा मम्मी से बोले-

पापा ने कहा : बाजू वाले फ्लैट को तेरे भाई के साले ने खरीदा है, यह सुनकर मैंने देखा मम्मी शोक हो गई.

मम्मी ने कहा : क्या? उनको भी यही आना था..

पापा ने कहा : अरे जब तेरे भाई को कोई परेशानी नहीं हो रही है तो हम क्यों इतना परेशान है उनसे??

मम्मी ने कहा : हमें तो क्या परेशानी होगी उनसे, लेकिन फिर भी जरा ध्यान रखिएगा. मुझे मम्मी और पापा की बातें बिल्कुल समझ नहीं आ रही थी. दूसरे दिन उस प्लैट में एक आदमी आया, वह फ्लेट देखने के बाद वो आदमी हमारे घर आए.

उस आदमी ने कहा : राम राम भाई साहब…

पापा ने कहा : हां राम-राम आइए..

फिर वह आदमी अंदर आ गया. वह आदमी पापा की उम्र के बराबर ही लग रहे थे. उस आदमी का नाम मनोहर मिश्रा था. थोड़ी देर बाद ही मम्मी बाहर आई तो मैंने देखा मम्मी शॉक हो गई थी अंकल को देखकर, और अंकल भी मम्मी को घूर घूर कर देखने लगे.

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अंकल ने कहा : राम राम भाभी जी.

मम्मी ने कहा : राम राम भाई साहब.

थोड़ी देर पापा और अंकल बातें करने लगे, और मम्मी किचन में चाय बनाने चली गई. थोड़ी देर बाद मम्मी चाय लेकर आई, मम्मी ने पापा को और अंकल को चाय दी मैंने देखा अंकल बार-बार मम्मी को ही देख रहे थे और मम्मी भी अंकल को देख बहुत घबराई हुई थी. अंकल ने उनके फ्लैट की चाबी भी हमें देकर चले गए.

तीन चार दिन बाद अंकल फिर से आए तब बाबा ऑफिस के लिए निकल गए थे घर में सिर्फ मम्मी और में था. मैंने दरवाजा खोला तो सामने अंकल खड़े थे.

मैंने कहा : मम्मी अंकल आए हैं.

तो मम्मी बाहर आई.

अंकल ने कहा : राम राम.

मम्मी ने कहा : आइए अंदर.

अंकल ने कहा : नहीं नहीं, पहले जरा फ्लेट देख लूं, बाद में आता हूं..

मम्मी ने ड्रावर से चाबी लेकर अंकल को दे दिया, अंकल मम्मी को बहुत वासना भरी निगाहों से देख रहे थे और मम्मी भी बहुत डर रही थी, करीब आधे घंटे बाद ही दरवाजे की बेल बजी.

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तब मम्मी ने दरवाजा खोला, दरवाजे पर अंकल थे. अंकल अंदर आते ही फ्लेट की चाबी मम्मी को दे दिए और मेरे साथ आकर बैठ गये, मम्मी चाबी लेकर अंदर चली गई और चाय बनाने लगी. कुछ देर बाद मम्मी चाय लेकर आई मैं और अंकल चाय पीने लगे और मम्मी किचन में ही थी.

अंकल ने कहा : बेटा बाथरुम कहां है?

मैंने कहा वह साइड है, फिर अंकल उठकर बाथरुम में जाने लगे, मैं टीवी  देख रहा था. थोड़ी देर बाद किचन से थोड़ी थोड़ी आवाज़ आई, मैं चुप कर किचन में देखने लगा. किचन में देखकर मेरे होश उड़ गए. अंकल मम्मी को अपनी बाहों में भर रहे थे लेकिन मम्मी बहुत गुस्सा कर रही थी.

मम्मी ने कहा आपका दिमाग खराब हो गया है? छोड़िए मुझे नहीं तो..

अंकल ने कहा नहीं तो क्या??

मम्मी ने कहा नहीं तो मैं चिल्लाऊंगी..

अब तो वो भी गुस्सा हो गये, अंकल मम्मी के बॉल पकड़ लीये जिससे मम्मी को बहुत दर्द हो रहा था.

अंकल ने कहा कि चिलाएगी, चिल्ला में भी बता दूंगा की तुम मुझे अपने घर बुला कर मुझे फसाने की कोशिश कर रही है..

यह सब सुनकर मम्मी बहुत डर गई, मम्मी के आंसू निकलने लगे, अब आप यह सोच रहे होंगे कि मुझे अंदर जाकर उनको रोकना चाहिए. लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगा कि मुझे उनकी बातों से कुछ अलग ही लग रहा था, इसलिए मैं अंदर नहीं गया.

मम्मी ने कहा भगवान के लिए मुझे छोड़ दीजिए. मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं. मम्मी को बहुत दर्द हो रहा था, अंकल मम्मी के बोल खींच कर बोले.

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सविता मैं चाहूं तो अभी तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर सकता हूं. लेकिन मैं ऐसा करना नहीं चाहता. मम्मी रोने लगी अंकल ने मम्मी को छोड़ दिया.

अंकल ने कहा मैं यह फ्लैट अपने लिए नहीं लिया है सब तुम्हारे लिए लिया है. बोलकर अंकल बाहर आकर चले गए और मम्मी किचन में बहुत रो रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने मम्मी को आवाज दी, मैं किचन में गया था तब मैंने देखा मम्मी अपने आंसू पोछ रही थी..

मैंने कहा : मम्मी क्या हुआ?

मम्मी ने कहा : कुछ नहीं बेटा, कुछ भी तो नहीं.

फिर मैं बाहर आ गया. रात को पापा जब घर आए तो पापा शराब पीये हुए थे. मम्मी पहले से ही परेशान थी, अब मम्मी और परेशान हो गई. रात में मम्मी पापा के बिच बहुत झगड़ा हुआ, चार पांच दिन तक मम्मी और पापा के बीच बात नहीं हुई. फिर मेरे एडमिशन के लिए दोनों में थोड़ी थोड़ी बात होने लगी, मैं भी रोज कॉलेज जाता था लेकिन मेरा एडमिशन नहीं हो रहा था.

जीस कॉलेज में एडमिशन हो रहा था वह बहुत दूर थी, हमारे पास ही एक थी कॉलेज थी, मुझे उस में एडमिशन लेना था. लेकिन मेरा एडमिशन  उस कॉलेज में नहीं हो पा रहा था, मैं भी बहुत परेशान हो रहा था. थोड़े दिन बाद पापा ने कहा कि अंकल से बात करेंगे, उनकी बहुत पहचान है तो करा देंगे, मम्मी कुछ नहीं बोली.

दो-तीन दिन बाद ही दरवाजे की बेल बजी मैंने दरवाजा खोला तो सामने अंकल खड़े थे..

मैंने कहा अंकल आइए ना अंकल अंदर आ गए. मैंने मम्मी को आवाज दे कर बोल दिया कि अंकल आए हैं. मैंने अंकल को बताया कि मुझे उस कॉलेज में एडमिशन चाहिए. थोड़ी देर बाद मम्मी चाय लेकर आई, मम्मी की नजरें नीचे थी. अंकल मम्मी को देख रहे थे. लेकिन मम्मी नीचे नज़रे किए हुए बोली, सुदीप का एडमिशन कराना है ईतना बोलकर मम्मी अंदर चली गई. अंकल के फेस पर हल्की स्माइल दीखी.

अंकल ने कहा ठीक है बेटा मैं कल कॉलेज में जाकर बात करता हूं फिर तुम्हें बता दूंगा.

मैंने कहा अंकल प्लीज़ करा दीजिए मेरा एडमिशन.

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अंकल ने कहा हां बेटा चिंता मत करो मैं तुम्हारा एडमिशन उसी कॉलेज में करवा दूंगा. अच्छा मैं जरा तुम्हारी मम्मी से बात करके आता हूं. फिर अंकल अंदर चले गए, मैं भी उनके पीछे पीछे चुपके से अंदर देखने लगा, अंदर मम्मी अपना सर नीचे किए हुए थी.

अंकल ने कहा क्या हुआ कुछ परेशान सी लग रही हो, मम्मी ने कुछ नहीं कहा.

अंकल ने कहा नाराज हो मुझसे? अच्छा ठीक है, तुम नहीं चाहती ना कि मैं तुम्हारे घर आऊ. ओके मैं आज के बाद नहीं आऊंगा, और सुदीप का कल एडमिशन हो जाएगा. चिंता करने की कोई जरूरत नहीं. इतना बोलकर अंकल बाहर आ गए और मुझे बाय बोल कर चले गए.

थोड़ी देर बाद ही मम्मी ने मुझे पूछा कि क्या बोले अंकल? तो मैंने कह दिया कि अंकल के साथ कल कॉलेज जाऊंगा तो पता चलेगा..

मम्मी ने कहा ठीक हे अंकल के साथ कल जाना..

दूसरे दिन में भी कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए चला गया, अंकल मुझे बाहर मिल गए. अंकल के भाई नेता थे इसलिए अंकल की भी बहुत पहचान थी.

थोड़ी देर बात करने के बाद ही एडमिशन स्टाफ ने मुझे एडमिशन दे दिया. मैं बहुत खुश था कि मैं कितने दिनों से भाग रहा हूं लेकिन अंकल ने सिर्फ एक ही दिन में मेरा काम कर दिया. घर आकर मैंने मम्मी को भी यह सब बताया मम्मी भी सुन कर बहुत खुश हो गई.

मैंने कहा मम्मी अंकल कितने अच्छे हैं ना, मेरे इतने दिन घूमने के बाद सिर्फ एक दिन ही मेरा एडमिशन करा दिया. मम्मी खुश हो चुकी थी. शाम को पापा जब आए तो पापा भी बहुत खुश थे.

पापा आज भी शराब पिए हुए थे, इसलिए मम्मी थोड़ी थोड़ी थोड़ी मायूस सी लग रही थी. धीरे धीरे पापा की यह आदत हो गई थी, वह शाम को दारु पीकर आते थे जिसकी वजह से रोज पापा और मम्मी में झगड़ा होता था..

थोड़ी दिन बाद गांव से फोन आया कि मेरी दादा जी की तबीयत कुछ सही नहीं है इसलिए पापा को गाँव जाना पड़ा कुछ दिनों के लिए.

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मैं और मम्मी भी बहुत परेशान हो रहे थे. पापा के गांव जाने के दूसरे दिन पापा ने हमें फोन करके बताया कि अब सब ठीक है, फिर तब जाकर मुझे और मम्मी को शांति मिली. रात को खाना खाते समय

मम्मी ने कहा बेटा तेरे अंकल नहीं आए काफी दिनों से.

मैंने कहा हां मम्मी अंकल तो आये ही नहीं, कल उनको फोन करके बुलाता